December 25, 2024

बसंत ऋतु (Vasant Ritu) 2021: सतलोक में सदाबहार वसंत ऋतु रहती है

Published on

spot_img

उत्तरी गोलार्ध में वसंत का मौसम (Vasant Ritu) 20 मार्च से शुरू हो रहा है और 21 जून, 2021 को समाप्त होगा। वसंत के मौसम का पहला दिन, जिसे वसंत विषुव या अंग्रेजी में Spring Equinox  रूप में भी जाना जाता है, तब होता है जब सूर्य दक्षिणी से उत्तरी गोलार्ध में जाने वाली भूमध्य रेखा से गुज़रता है।

बसंत ऋतु (Vasant Ritu) 2021

भारत में कई तरह की ऋतुएं हैं। खास प्रकार की ऋतुएं एक साल को कई खंडों में बांटती हैं। अमूमन ऋतु को 6 भागों में बांटा गया है:

  • वर्षा
  • ग्रीष्म
  • शरद
  • हेमंत
  • शिशिर और वसंत।

लोगों में हर ऋतु में अलग ही आनंद और उत्साह देखने को मिलता है। Spring Equinox या विषुव पर, दिन और रात लगभग बारह घंटे लंबे होते हैं। गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप से पहले लोगों को कुछ महीनों के लिए आनंद मिलता है।वसंत ऋतु को अंग्रेजी में स्प्रिंग (spring) कहा जाता है । वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है । प्रेम, वात्सल्य, आनंद, फुर्ती, नवीनता, हरियाली,  फूलों से आती खुशबू और मुस्कुराती हुई प्रकृति से भरे इस मौसम में न तो ज़्यादा गर्मी पड़ती है और न ही ज़्यादा ठंड होती है। पतझड़ के बाद आने वाले वसंत (Vasant Ritu) के मौसम में फूलों की नई कलियां खिलती हैं । इस मौसम में मन में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। 

ऋतुराज वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी, मार्च और अप्रैल के मध्य में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं।  भारत में यह फरवरी से मार्च तक होती है। भारत में इसे त्यौहारों की ऋतु भी कहा जाता है।

यह सब ऋतुएं, झरने, समुद्र, नदियां, प्राकृतिक सुंदरता, हवा, पर्वत, पहाड़ , इत्यादि सब कुछ काल का फैलाया जाल अर्थात मायाजाल है । पृथ्वी किसी पिकनिक स्पॉट से कम नहीं है।

 वसंत ऋतु (Vasant Ritu) की कुछ खासियतें

  • हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन हर वर्ष माघ महीने की शुक्ल पंचमी को होता है ।
  • ग्रेगेरियन केलिन्डर के अनुसार यह तिथि फरवरी माह के द्वितीय पक्ष या मार्च महीने के प्रथम पक्ष में पड़ती है ।
  • सर्दी यानी कि हेमंत की ऋतु के बाद में आने वाले ऋतुराज बसंत का समय 15 फरवरी से 15 अप्रैल के बीच का होता है।
  • इस दौरान प्रकृति का सौंदर्य देखते ही बनता है। पेड़ पौधों में नए पत्ते आते हैं व पेड़ पौधे हरे पत्तों, फूलों और फलों से लदपद हो जाते हैं।
  • इस दौरान नए-नए फूल खिलते हैं और भंवरे उन फूलों पर घूमते हुए नजर आते हैं।
  • वसंत ऋतु को (वसंत पंचमी, होली, चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा, गणगौर, बिहू) जैसे त्यौहार का समय भी माना जाता है।
  • वसंत ऋतु में ना तो ज्यादा गर्मी होती है ना ज्यादा सर्दी होती है सभी के अनुकूल वातावरण होता है जो बेहद ही सुखद लगता है।
  • ऋतुराज वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योंकि वसंत ऋतु बहुत ही मनमोहक ऋतु है । इस ऋतु में गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, सरसों आदि के फूल बहुतायत में खिलते हैं । हवा में इन फूलों की सुगंध और मादकता मौजूद रहती है।
  • मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी बहुत खुश होते हैं । तितलियाँ फूलों पर मँडराती हैं, आम की मंजरियों से मुग्ध होकर कोयल की वाणी वातावरण को मंत्रमुग्ध कर देती है । भंवरे फूलों पर मड़रा रहे होते हैं। तोतों का स्वर भी सुनाई पड़ता है । कुल मिलाकर हर एक मनुष्य, पशु,पक्षी, इस ऋतु  के प्राकृतिक रूप से सुंदर वातावरण का आनंद उठा रहे होते हैं।

पृथ्वी की सुंदरता क्षणभंगुर है

 21 ब्रह्मांड के स्वामी काल ब्रह्म भगवान जिनको हम ॐ नाम से जानते हैं, यह श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश जी के पिताजी और दुर्गा माता के पति हैं।  यह प्राकृतिक सौंदर्य इन्हीं का बनाया मायाजाल है। जिसे देखकर हम आकर्षित हो यहां पिकनिक मनाने की मंशा से आए थे। हम अपने आने वाले कल से अनजान थे। जिसकी सज़ा हम आज तक भुगत रहे हैं। हम देखते हैं कि परमात्मा ने हमें पृथ्वी पर सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान की हुई हैं। कई तरह के अनाज, फलदार वृक्ष, ड्राई फ्रूट्स, हरे भरे खेत और सभी मौसमों के अनुसार खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं।

Also Read: बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021): पूर्ण संत की शरण में बारह मास बंसत रहता है

परंतु फिर भी, अपने आसपास हम देखते हैं कि कहीं भी कभी भी किसी की भी मृत्यु हो जाती है । अचानक कहीं आकस्मिक घटनाएं, तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं का पहाड़ टूट पड़ता है। जिसमें पूरे के पूरे परिवार का नाश हो जाता है । दरअसल,  पूर्ण परमेश्वर कबीर भगवान ने हमें इस काल के जाल को समझाया है कि हम इस काल के जाल में ऐसे फंसे हैं जैसे कसाई बकरे और बकरियों को एक बाड़े में रख देता है उनके लिए घास, फूस, जल इत्यादि की व्यवस्था भी करता है। धूप से बचाने के लिए कोई शैड या छप्पर भी डालता है किंतु जब उसके पास आर्डर आता है तो तुरंत किसी को भी कान पकड़ कर निकाल ले जाता है और काट देता है।

ठीक यही हाल पृथ्वी पर हमारा है यहां बहुत अच्छी ऋतुएं आती हैं, किंतु यहां का काल भगवान कभी भी हमें या हमारे परिवार का नाश कर देता है इसलिए हमें चाहिए कि हम पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की सतभक्ति करें ताकि काल हमें छू भी‌ न सके। हम सतभक्ति करके सतलोक प्राप्त करेंगे क्योंकि वहां पर कोई भी दुख नहीं है सुख ही सुख है और अजर-अमर शरीर हैं और दयालु परमेश्वर कबीर साहेब के हर समय दर्शन उपलब्ध होते हैं। हमारे सदग्रंथ भी हमें उसी पूर्ण परमेश्वर कबीर भगवान की भक्ति के लिए प्रेरित करते हैं।

सुख सागर अर्थात् अमर परमात्मा तथा उसकी राजधानी अमर लोक की संक्षिप्त परिभाषा :-

शंखों लहर मेहर की ऊपजैं, कहर नहीं जहाँ कोई।

दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।

कहा है कि वह अमर लोक अचल अविनाशी अर्थात् कभी चलायमान अर्थात् ध्वंस नहीं होता तथा वहाँ रहने वाला परमेश्वर अविनाशी है। वह स्थान तथा परमेश्वर सुख का समुद्र है। जैसे समुद्री जहाज बंदरगाह के किनारे से 100 या 200 किमी. दूर चला जाता है तो जहाज के यात्रियों को जल अर्थात् समुद्र के अतिरिक्त कुछ भी दिखाई नहीं देता। सब ओर जल ही जल नजर आता है। इसी प्रकार सतलोक (सत्यलोक) में सुख के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है अर्थात् वहाँ कोई दुःख नहीं है।

सतलोक में हमेशा रहती है वसंत ऋतु (Vasant Ritu)

बसंत को पृथ्वी पर ऋतुओं का राजा माना जाता है किंतु बसंत से असंख्य गुना सुंदर ऋतु सतलोक में हमेशा रहती है। वहां की सुंदरता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सतलोक में यहां से असंख्य गुना सुख है, यहां पत्थर और हिम के नकली पहाड़ हैं वहां हीरे और पन्नों के पहाड़ हैं।  दूध की नदियां बहती हैं। किसी भी चीज का कोई अभाव नहीं है। हर समय सुखमय मौसम रहता है। सतलोक के सामने यहां की सब चीजें फीकी और नकली हैं । 

सतलोक के बारे में सब कुछ जानने के लिए आप जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘ज्ञान गंगा’ पढ़ें । संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग आप सतलोक आश्रम यूट्यूब पर सुन सकते हैं । संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति करें जिससे आपका जीवन यहां भी सुखी होगा और अंततः आपको पूर्ण मोक्ष अर्थात जन्म मृत्यु के चक्कर से सदा के लिए मुक्ति मिलेगी।

Latest articles

New Year 2025: Start The New Year With The Right Way of Living

Last Updated on 24 December 2024 IST | New Year 2025 | New year...

Revisiting Kalpana Chawla’s Life, First Indian Woman into Space

Last Updated on 31 January 2024 IST: Kalpana Chawla died on February 1 in...

Hindi Story: हिंदी कहानियाँ-अजामेल के उद्धार की कथा

आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से एक अद्भूत Hindi Story जिसका शीर्षक...

Stop Eating Meat-Eating Meat is a Heinous Sin

Should Humans Eat Meat? Should humans eat meat or not has become a highly debatable...
spot_img

More like this

New Year 2025: Start The New Year With The Right Way of Living

Last Updated on 24 December 2024 IST | New Year 2025 | New year...

Revisiting Kalpana Chawla’s Life, First Indian Woman into Space

Last Updated on 31 January 2024 IST: Kalpana Chawla died on February 1 in...

Hindi Story: हिंदी कहानियाँ-अजामेल के उद्धार की कथा

आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से एक अद्भूत Hindi Story जिसका शीर्षक...