हरियाणा के हिसार जिले का सरसौद गाँव हाल ही में भारी वर्षा और बाढ़ की चपेट में आकर जलमग्न हो गया था। हज़ारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गईं और सैकड़ों घर पानी में डूब गए, जिससे ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस आपदा की घड़ी में, जब सरकारी सहायता का इंतज़ार लंबा प्रतीत हो रहा था, संत रामपाल जी महाराज ने तत्काल और व्यापक सहायता प्रदान कर मानवता की एक अनूठी मिसाल कायम की है। उन्होंने न केवल गाँव को बाढ़ के पानी से निजात दिलाने के लिए लाखों रुपये के उपकरण निःशुल्क उपलब्ध कराए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया गया कि राहत कार्य तेज़ी से और प्रभावी ढंग से पूरा हो।
बाढ़ की विभीषिका और ग्रामीणों की बेबसी
सरसौद गाँव के लिए यह संकट अप्रत्याशित था। लगातार हुई मूसलाधार बारिश ने गाँव की गलियों और खेतों को नदियों में बदल दिया। हज़ारों एकड़ में खड़ी धान और कपास की फसलें पूरी तरह से जलमग्न हो गईं, जिससे किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया। गाँव के लगभग 400-500 घर पानी से घिर गए, और कई परिवारों को अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। एक गली में ही 200-250 घर पानी से प्रभावित थे।
पिछले 18 दिनों से गाँव में जलभराव की स्थिति बनी हुई थी, जिससे ग्रामीणों में निराशा और हताशा का माहौल था। पीने के पानी, भोजन और पशुओं के चारे की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी थी। इस मुश्किल घड़ी में, गाँव की पंचायत और निवासी हर संभव मदद के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन समस्या की भयावहता के सामने उनके प्रयास नाकाफी साबित हो रहे थे।
ग्राम पंचायत की गुहार और संत रामपाल जी महाराज का त्वरित संज्ञान
इस विकट परिस्थिति में, सरसौद गाँव के सरपंच प्रतिनिधि श्री प्रदीप जी ने एक नई आशा की किरण देखी। उन्हें किसी के माध्यम से पता चला कि संत रामपाल जी महाराज की संस्था इस प्रकार की आपदाओं में निःस्वार्थ भाव से मदद करती है। प्रदीप जी ने पहले भी बयाणा खेड़ा गाँव में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा लगाए गए मोटरों को चलते हुए देखा था।

इसी उम्मीद के साथ, सरसौद की ग्राम पंचायत ने एक लिखित प्रार्थना पत्र तैयार किया और बरवाला, हिसार में स्थित संत रामपाल जी महाराज के कार्यालय में पहुँची। उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की और गाँव को जलभराव से मुक्त कराने के लिए आवश्यक उपकरणों की मांग की।
संत रामपाल जी महाराज ने किसानों के इस दर्द को तुरंत समझा क्योंकि वे स्वयं भी एक किसान परिवार से हैं। उन्होंने ग्राम पंचायत की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए तत्काल सहायता का आदेश दिया। आश्चर्यजनक रूप से, ग्रामीणों की प्रार्थना पर केवल 12 घंटे के भीतर ही कार्रवाई शुरू हो गई, जो किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन की प्रतिक्रिया से कहीं ज़्यादा तेज़ थी।
अभूतपूर्व सहायता: लाखों के उपकरण और समर्पित टीम
संत रामपाल जी महाराज के आदेश के बाद, उनकी टीम ने अपना काम शुरू कर दिया। ग्राम पंचायत की मांग के अनुसार, चार बड़े 20-हॉर्सपावर के मोटर पंप सेट, 3500 फ़ीट लंबे 8-इंच के पाइप, 400 फ़ीट केबल तार और अन्य आवश्यक सामग्री का एक बड़ा काफ़िला सरसौद गाँव के लिए रवाना कर दिया गया। इस सहायता में कुल 117 पाइप शामिल थे, जिनकी लंबाई 30 फ़ीट थी।


इस पूरी सामग्री की कीमत लाखों रुपये थी, लेकिन यह सब गाँव को पूरी तरह से निःशुल्क प्रदान किया गया। उपकरणों की त्वरित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए, टीम ने उकलाना की वर्धमान फैक्ट्री से सीधे संपर्क साधा और सामग्री को जल्द से जल्द भेजने का प्रबंध किया।
ग्रामीणों का आभार और स्वागत
जब सहायता सामग्री से लदे वाहन गाँव में पहुँचे, तो सरसौद गाँव के निवासियों का उत्साह देखने लायक था। सरपंच प्रतिनिधि श्री प्रदीप जी, सरपंच श्रीमती सुनीता जी और पूरी ग्राम पंचायत के साथ सैकड़ों ग्रामीण इस उनका स्वागत करने के लिए एकत्र हुए। उनकी आँखों में कृतज्ञता के आँसू थे।
ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज और उनकी टीम का आभार प्रकट किया। राजवीर जी नामक एक ग्रामीण ने कहा कि इतनी त्वरित और बड़ी मदद की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। एक अन्य पीड़ित, बाल्मीकि जी ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा कि संत रामपाल जी महाराज ने उनकी पीड़ा को समझकर जो मदद भेजी है, उसे वे जीवन भर नहीं भूलेंगे। ग्रामीणों का एकमत से यह मानना था कि ऐसी तत्काल सहायता न तो कोई सरकार कर सकती है और न ही कोई अन्य संस्था।
एक अनोखा प्रतिबद्धता पत्र
संत रामपाल जी महाराज ने केवल सामग्री प्रदान नहीं की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि इसका सही और प्रभावी उपयोग हो। संत रामपाल जी के ओर से, टीम ने गाँव की पंचायत के सामने एक प्रतिबद्धता पत्र प्रस्तुत किया। इस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा था कि गाँव वाले इस राहत कार्य में पूरा सहयोग करेंगे और यदि उनकी लापरवाही के कारण पानी की निकासी नहीं हो पाती है और अगली फसल की बिजाई संभव नहीं होती है, तो भविष्य में संस्था दोबारा सहायता प्रदान नहीं करेगी।
इसके अलावा, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, यह भी उल्लेख किया गया कि पानी निकासी से पहले, निकासी के दौरान, और बाद में गाँव की ड्रोन से वीडियोग्राफी कराई जाएगी, ताकि दान के प्रभाव को स्पष्ट रूप से दिखाया जा सके। सरपंच सहित सभी ग्रामीणों ने इस प्रतिबद्धता पत्र पर हस्ताक्षर किए, जो इस राहत कार्य के प्रति उनके समर्पण और गंभीरता को दर्शाता है।
अन्य गाँवों में भी राहत कार्य: एक सतत मुहिम
सरसौद गाँव इस अन्नपूर्णा मुहिम का एकमात्र लाभार्थी नहीं है। इससे पहले भी संत रामपाल जी महाराज ने लितानी गाँव और बड़ौद गाँव में भी इसी तरह के सफल राहत अभियान चलाए हैं। अकेले बड़ौद गाँव में ही 20 मोटरें लगाकर हज़ारों एकड़ भूमि को जलभराव से मुक्त कराया गया था। यह दर्शाता है कि यह केवल एक बार की सहायता नहीं, बल्कि एक सतत और संगठित मुहिम है, जिसका उद्देश्य आपदा के समय में मानवता की निस्वार्थ सेवा करना है।
संत रामपाल जी महाराज ने सरसौद गाँव को आपदा से उबरने के लिए शक्ति प्रदान की
संत रामपाल जी महाराज ने सरसौद गाँव के निवासियों को बाढ़ की आपदा से उबरने के लिए एक नई आशा और शक्ति प्रदान की है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि यदि पूर्ण संत साथ हो तो बड़ी से बड़ी आपदा का भी सामना किया जा सकता है।
ऐसे समय में जब लोग अक्सर सरकारी प्रणालियों की धीमी गति से निराश हो जाते हैं, इस तरह की पहलें समाज में निस्वार्थ सेवा और मानवीय मूल्यों की भावना को पुनर्जीवित करती हैं। सरसौद गाँव की कहानी केवल एक गाँव को बाढ़ से बचाने की कहानी नहीं है, बल्कि यह मानवता, करुणा और तत्काल कार्रवाई की एक प्रेरणादायक मिसाल है।