April 1, 2025

UCC in Uttarakhand (Hindi): समान नागरिक संहिता – एक समान भविष्य की दिशा

Published on

spot_img

Uniform Civil Code Uttarakhand News | उत्तराखंड विधानसभा में 6 फरवरी 2024 को पेश किया गया समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का नया बिल राज्य के नागरिकों के लिए एक ही कानूनी व्यवस्था को स्थापित करने का प्रयास है। यह बिल 7 फरवरी 2024 को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। यह बिल विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और अन्य व्यक्तिगत मामलों से संबंधित कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास है।

  • उत्तराखंड बना यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) विधेयक पारित करने वाला राज्य
  • उत्तराखंड में 6 फरवरी 2024 को UCC बिल पेश, 7 फरवरी 2024 को ध्वनि मत से पास
  • मुख्यमंत्री: UCC ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की कल्पना को साकार करेगा
  • विधानसभा और राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा। 
  • लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा
  • महिलाओं को अधिक अधिकार देगा और सभी को समान व्यवहार का अधिकार होगा
  • राज्य की अनुसूचित जनजातियों को इस क़ानून के दायरे से बाहर रखा गया है 
  • गोवा के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा 

6 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने विधानसभा में यह बिल पेश किया। 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया, जोकि देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विधानसभा में विपक्षी विधायकों की मांग पर सत्र को स्थगित किया गया था ताकि सभी सदस्यों को विधेयक को समझने का समय मिल सके। उत्तराखंड सरकार का यह कदम आने वाले समय में देश भर में सभी धर्मों और समुदायों को प्रभावित करेगा।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “यह क़ानून ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की कल्पना को साकार करेगा। देश में कई बड़े राज्य हैं, इसके बावजूद हमारे राज्य को यह अवसर मिला है । यह एक ऐतिहासिक अवसर है। यह एक सामान्य कानून नहीं है, बल्कि एक ऐसा कानून है जो सभी के लिए एक समान कानूनी ढांचा प्रदान करेगा। मुझे आशा है कि अन्य राज्य भी यूसीसी विधेयक पेश करेंगे। मैं इस अवसर पर राज्य की जनता का भी धन्यवाद करना चाहता हूँ। राज्य के हर व्यक्ति को आज गर्व महसूस होना चाहिए।”

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक ही कानून का होना। किसी राज्य में सिविल कोड लागू होने पर विवाह, तलाक और संपत्ति के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हर नागरिक के लिए एक ही कानून होता है। एक समान नागरिक संहिता को लागू करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह महिलाओं को अधिक अधिकार देगा और सभी को समान व्यवहार का अधिकार होगा। इससे सामाजिक सुधार, असमानताओं को दूर करने और मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

  • विवाह: बिल में 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सभी नागरिकों के लिए विवाह की समान आयु निर्धारित की गई है।
  • तलाक: बिल में तलाक की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और दोनों पक्षों के लिए समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।
  • विरासत: बिल में सभी नागरिकों के लिए समान विरासत कानूनों का प्रावधान किया गया है, चाहे उनका धर्म या लिंग कुछ भी हो।
  • गोद लेना: बिल में गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।

उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहिता विधेयक पास हो गया है। कानून बनने के बाद उत्तराखंड आज़ादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला राज्य बन गया है। हालांकि गोवा में भी समान नागरिक संहिता लागू है। करीब 73 साल पहले नवंबर के इन्‍हीं दिनों में दिल्‍ली के संसद भवन में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) को लेकर विमर्श किया जा रहा था। इस मुद्दे के केंद्र में था कि यूसीसी को संविधान में शामिल किया जाए या नहीं। यह 23 नवंबर 1948 का दिन था। लेकिन इस पर कोई नतीजा सामने नहीं आ सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जब से देश में बनी है लोगों को उम्मीद जगी है कि सरकार UCC लागू करेगी, क्‍योंकि ‘एक देश, एक कानून’ का विचार आज आमतौर पर हर आदमी के दिमाग़ में है। मोदी सरकार सख्‍त फैसलों के लिए जानी भी जाती है।

  • लिंग समानता: UCC लिंग समानता को बढ़ावा देगा। यह महिलाओं और पुरुषों के लिए समान अधिकार प्रदान करेगा, जिसमें विवाह, तलाक, विरासत और रखरखाव के अधिकार शामिल हैं।
  • सांप्रदायिक सद्भाव: UCC सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देगा। यह सभी नागरिकों को समान कानून के तहत लाएगा, चाहे उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
  • कानूनी प्रणाली को सरल बनाना: UCC कानूनी प्रणाली को सरल बनाएगा। यह विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए लागू होने वाले विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों को बदल देगा।
  • धार्मिक कट्टरपंथ को रोकना: UCC धार्मिक कट्टरपंथ को रोकने में मदद करेगा। यह धार्मिक नेताओं को व्यक्तिगत कानूनों का उपयोग करके लोगों को नियंत्रित करने से रोकेगा।
  • महिलाओं को अधिक अधिकार: UCC महिलाओं को अधिक अधिकार देगा। यह महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और संपत्ति के अधिकारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा।
  • सामाजिक न्याय: UCC सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा। यह सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करेगा, चाहे उनकी जाति, धर्म या लिंग कुछ भी हो।
  • राष्ट्रीय एकता: UCC राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। यह सभी नागरिकों को एक समान कानून के तहत लाएगा, जिससे राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा मिलेगा।
  • आर्थिक विकास: UCC आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। यह महिलाओं और अल्पसंख्यकों को सशक्त बनाकर अर्थव्यवस्था में योगदान करने में मदद करेगा।
  • कानूनी व्यवस्था में सुधार: UCC कानूनी व्यवस्था में सुधार करेगा। यह कानूनी प्रणाली को अधिक कुशल और प्रभावी बना देगा।
  • भ्रष्टाचार में कमी: UCC भ्रष्टाचार में कमी करेगा। यह कानूनी प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बना देगा।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि समान नागरिक संहिता (UCC) के कुछ संभावित नुकसान भी हैं:

  • धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन: UCC को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन माना जा सकता है। यह कुछ धार्मिक समुदायों को अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जीवन जीने से रोक सकता है।
  • सांप्रदायिक तनाव: UCC सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है। कुछ धार्मिक समुदाय इसे अपनी संस्कृति और परंपराओं पर हमला मान सकते हैं।
  • व्यक्तिगत कानूनों की विविधता का नुकसान: UCC व्यक्तिगत कानूनों की विविधता को नष्ट कर सकता है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • सांस्कृतिक विविधता का खतरा: कुछ लोगों का मानना है कि UCC भारत की सांस्कृतिक विविधता को खतरे में डाल देगा।
  • राजनीतिक विरोध: कुछ राजनीतिक दल UCC का विरोध करते हैं क्योंकि वे इसे अपने वोट बैंक के लिए खतरा मानते हैं।

समय के साथ, भारतीय समाज में समानता और न्याय के मामले में सुधार की बातें होती रही हैं। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है “समान नागरिक संहिता” या “Uniform Civil Code“। यह एक प्रयास है कि सभी नागरिकों को समान धार्मिक और सामाजिक अधिकार मिलें। यह समानता और न्याय का मामला है, जो भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। “समान नागरिक संहिता” का उद्देश्य भारतीय समाज में एक सामान्य नागरिक संहिता को लागू करना है, जिसमें सभी नागरिकों के लिए एक ही संवैधानिक प्रक्रिया होगी। इसका मतलब है कि धार्मिक, सामाजिक और वैवाहिक कानूनों में कोई भेदभाव नहीं होगा। यह एक प्रगतिशील और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

भारत में धार्मिक समुदायों के लिए विशेष कानून हैं, जो उनकी विविधता और समृद्धि को संरक्षित करते हैं। लेकिन इसके साथ, यह सत्ता पाने का एक जरिया बन जाते है, इसलिए इनका दुरुपयोग भी होता है। धार्मिक विविधता के कारण बहुत से कानून विभिन्न समुदायों के लिए अलग-अलग हैं, जिससे अनेक बार न्याय और समानता की कमी महसूस होती है इसलिए समान नागरिक संहिता की मांग बनी है।

एक समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए भारतीय समाज को धार्मिक और सामाजिक विविधता के साथ समन्वय और समझौते की आवश्यकता है। धार्मिक संघर्षों और आपसी विवादों के बावजूद, हमें यह समझना होगा कि हम सभी एक ही भारतीय परिवार के सदस्य हैं और हमें समान अधिकारों की आवश्यकता है। समान नागरिक संहिता का लागू होना भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है जो समानता, न्याय और सामाजिक एकता की दिशा में हमें आगे बढ़ा सकता है। यह एक समृद्ध और विकसित समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जहां हर नागरिक को समान अधिकार और विशेषता का आनंद लेने का मौका मिलता है।

संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधार में योगदान | Contribution of Sant Rampal Ji in social reform

वर्तमान में पृथ्वी पर संत रामपाल जी के आश्रम ही एक मात्र स्थान है जहाँ धर्मभेद, रंगभेद, जातिभेद, लिंगभेद का कोई स्थान नहीं होती। यहाँ पर सबका स्वागत समान भाव से किया जाता है और सबको एक समान माना जाता है। संत रामपाल जी ने अपने शिष्यों को भी यह उपदेश दिया है कि सभी में समानता और समरसता का भाव बनाए रखें। हम सभी आत्माएं अपने मूल घर शाश्वत अमरलोक सतलोक में रहती थी और गलती के कारण काल ब्रह्म के लोक में आ गई। सतलोक में पूरी समानता है, सभी मिलजुल कर सुखपूर्वक रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने मर्यादा में रहकर सतभक्ति करके सतलोक वापसी का रास्ता बताया है। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा ले 

Latest articles

World Autism Awareness Day 2025: Autistic Persons Are Different But Not Less, Know Its Cure

Last Updated on 31 March 2025 IST: World Autism Awareness Day 2025: Autism is...

April Fool’s Day 2025: Who is Befooling Us and How?

April Fool's Day 2025: 1st April, the April Fool's day is observed annually and...

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): कथा और परंपरा से परे जानें शास्त्रानुकूल भक्ति के बारे में

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): गुड़ी पड़वा 2025 का त्योहार 30 मार्च...

Know the Right way to Please Supreme God on Gudi Padwa 2025

This year, Gudi Padwa, also known as Samvatsar Padvo, is on March 30. It...
spot_img

More like this

World Autism Awareness Day 2025: Autistic Persons Are Different But Not Less, Know Its Cure

Last Updated on 31 March 2025 IST: World Autism Awareness Day 2025: Autism is...

April Fool’s Day 2025: Who is Befooling Us and How?

April Fool's Day 2025: 1st April, the April Fool's day is observed annually and...

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): कथा और परंपरा से परे जानें शास्त्रानुकूल भक्ति के बारे में

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): गुड़ी पड़वा 2025 का त्योहार 30 मार्च...