असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती (UKPSC Assistant Professor 2021) को लेकर उत्तराखंड के छात्रों में आक्रोश है। छात्रों में SET की परीक्षाओं एवं इंटरव्यू की प्रक्रिया को लेकर भी रोष देखा जा रहा है जिसके कारण वे आंदोलन करने के लिए आगे आने की चेतावनी दे रहे हैं। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में 455 पदों पर विज्ञप्ति जारी की है आइए जानें छात्र खुश होने के बजाय निराश हैं क्योंकि सरकार ने एपीआई की बाध्यता सामने रख दी है।
UKPSC Assistant Professor 2021: मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड में सन 2017 से नहीं कराई गई राज्य सहायक प्रोफेसर (SET) की परीक्षा।
- कोरोना महामारी में लटकी शोधार्थियों की पीएचडी
- असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में हो रहा भ्रष्टाचार
- चल देखो देश हमारा रे
- सत्यभक्ति से दूर होना क्लेश का आमंत्रण
UKPSC Assistant Professor 2021: उत्तराखंड में नहीं हुई 4 वर्षों से SET की परीक्षा
उत्तराखंड सरकार के द्वारा सहायक प्रोफेसर की पात्रता परीक्षा SET (state eligibility test) चार वर्षों से आयोजित नहीं की गई है। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते पिछले डेढ़ वर्षों से सहायक प्रोफेसर के लिए नेट (National Eligibility Test) की परीक्षा भी आयोजित नहीं की गई है ऐसे में जो अभ्यर्थी परीक्षा में सम्मिलित होने की तैयारी कर रहे थे, वे केवल परीक्षा के इंतज़ार में बैठे हैं। आखिरी बार 2017 में SET की परीक्षा राज्य सरकार के लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई थी। सेट की परीक्षा न होने के बाद अब एपीआई की बाध्यता भी सामने रख दी गई है। भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि ऐसा होने से कई युवा शिक्षक बनने से वंचित रहेंगे।
कोरोना महामारी में पीएचडी शोधार्थियों को परेशानी
कोरोना महामारी के चलते पीएचडी के शोधार्थियों की पीएचडी प्रभावित हुई है। शोधार्थियों ने कोरोना महामारी के चलते न तो कोई सेमिनार किया है और न ही कोई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अटेंड की हैं। इसका प्रभाव उनके शोध पर भी पड़ा है। वर्ष 2017, 2018, 2019 तथा 2020 में पंजीकृत पीएचडी शोधार्थियों के शोध पत्र भी महामारी के चलते प्रकाशित नहीं हुए हैं। शोध पत्र प्रकाशित होने, सेमिनार में भाग लेने की गिनती एआईपी में होती है। किंतु अधिकांश शोधार्थी इससे वंचित रह गए।
हालांकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के द्वारा 18 जुलाई 2018 को ही यह कहा गया था कज असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए एपीआई स्कोर कोई बाध्यता नहीं है। इसके बावजूद अब प्रदेश सरकार असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती की प्रक्रिया के लिए एपीआई स्कोर के लिए बाध्य कर रही है। जबकि एपीआई स्कोर पदोन्नति में देखा जाता है।
असिस्टेंट प्रोफेसर की चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की आशंका
UKPSC Assistant Professor 2021: वर्ष 2017 तक असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए 100 अंकों की लिखित परीक्षा का आयोजन होता था जिसके पश्चात प्रत्येक 1 सीट के लिए 3 अभ्यर्थियों को बुलाया जाता था। इंटरव्यू 100 अंकों के आधार पर होता था। लिखित परीक्षा के अंक इंटरव्यू में नहीं जोड़े जाते थे जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता था। यही चयन प्रक्रिया अभी भी है जिसके कारण सीधे इंटरव्यू से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है।
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अभ्यर्थियों के अनुसार इस चयन प्रक्रिया में संशोधन करके लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू के मूल्यांकन क्रमशः 85 प्रतिशत एवं 15 प्रतिशत होना चाहिए। किन्तु वे अभ्यर्थी जिनकी पीएचडी कोरोना महामारी के कारण लटकी रही वे युवा शिक्षक बनने से वंचित रह जाएंगे। छात्रों का सीधा इंटरव्यू लेना भी उन्हे सबसे पहले दाखिले से बाहर करना है क्योंकि देश भर में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर हुई किन्तु उत्तराखंड में दूसरा ही नियम चल रहा है।
UKPSC Assistant Professor: मांगें पूरी न होने पर उग्र आंदोलन करेंगे छात्र
UKPSC Assistant Professor 2021: सरकार के समक्ष इन मांगों को रखने के बाद उनके पूरी न होने पर अभ्यर्थी आंदोलन की संभावना है। यह आंदोलन उग्र भी हो सकता है क्योंकि इतने समय तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद यदि सिस्टम की कमी से कोई भी होनहार छात्र बेरोजगारी की मार झेलता है तो यह निश्चित ही असंतोष पैदा करता है। असंतोष सदैव ही क्रांति को जन्म देता है और इस तरह यह आंदोलन उग्र रूप भी ले सकता है। साथ ही जिन छात्रों के पीएचडी में कोरोना महामारी के कारण शोध पत्र आदि प्रकाशित नहीं हो पाए हैं वे चयन प्रक्रिया का लाभ नहीं ले सकेंगे क्योंकि API में इनके अंक जुड़ेंगे और चयन प्रक्रिया में भी पारदर्शिता की कमी है।
चल देखो देश हमारा रे
यहां हम पृथ्वी पर किसी देश की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक अन्य लोक की बात कर रहे हैं। क्या अपने सोच है ऐसा देश जहाँ केवल सुख हो, न बुढ़ापा, न रोग, शोक, न कष्ट, न दुख हो और जहाँ बिना कर्म किये फल की प्राप्ति हो। जी ऐसा लोक है सतलोक। यह जो ऊपर लिखा है वह सतलोक का कम से कम वर्णन है। पृथ्वी पर कर्म सिद्धान्त के आधार पर मेहनत करने पर फल प्राप्ति होती है और अनेकों बार मेहनत करने पर भी कुछ नहीं मिलता।
कभी भाग्य में नहीं होता तो कभी गलत दिशा में मेहनत की होती है। लेकिन सतलोक में सर्व सुख हैं, सपनो की नगरी से भी बढ़कर है वह लोक क्योंकि वहाँ शरीर सदा युवा है, वहा की वस्तुएँ यहाँ से करोड़ों गुना बेहतरीन, खाद्य पदार्थ सबसे स्वादिष्ट और इतना कुछ जो गिनाया न जा सके। वास्तव में हम सभी सतलोक के निवासी थे जो अपनी गलती से यहाँ आ गए। कैसे आए इसे जानने के लिए पढ़ें सृष्टि रचना।
सत्यभक्ति से दूर होना क्लेश का आमंत्रण
जीवन के सारे क्लेश, दुख, बेरोजगारी सबकुछ इसी कारण है कि आज मानव सत्यभक्ति से बहुत दूर है। सत्यभक्ति मंदिर जाना, राम राम लिखना, व्रत उपवास करना कतई नहीं है। सत्यभक्ति तो गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में दिए मन्त्रों का जाप करना है। आज युवा पीढ़ी जितना अधिक नास्तिक है उतना अधिक गर्त में है। युवाओं में अवसाद, नशा, घबराहट, बीमारियां, बेरोजगारी, असफलता निश्चित रूप से लक्षित है।
सत्यभक्ति न तो दकियानूसी है और ना ही ओल्ड फैशन्ड। यह तो आत्मा की सबसे ज़रूरी वस्तु है जो अंधविश्वास, पाखंड और दकियानूसी धर्मसाधना के दरवाजे बंद करती है। लेकिन ये कोई तत्त्वदर्शी सन्त ही दे सकता है। सन्त रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं जिन्होंने सभी धर्मों के शास्त्रों को खोलकर दिखाया और समझाया है। सभी शिक्षित समुदाय को एक बार अवश्य ही उनका तत्वज्ञान सुनना चाहिए।
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