भारत में टेलीफोन कॉल्स की दुनिया एक बड़े परिवर्तन की ओर बढ़ रही है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने कॉलिंग नेम प्रेज़ेंटेशन (CNAP) प्रणाली को मंज़ूरी दे दी है, जिसके तहत अब मोबाइल या लैंडलाइन पर आने वाली कॉल के साथ कॉल करने वाले व्यक्ति का असली और सत्यापित नाम भी स्क्रीन पर दिखाई देगा। यह निर्णय न केवल तकनीकी दृष्टि से एक प्रगतिशील कदम है, बल्कि यह देश के करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार है।
फर्जी कॉल्स, साइबर धोखाधड़ी और स्पैम कॉल्स की बढ़ती समस्या को ध्यान में रखते हुए यह पहल डिजिटल इंडिया को एक सुरक्षित संचार व्यवस्था की ओर ले जाने वाली मानी जा रही है। CNAP सिस्टम का उद्देश्य केवल एक सुविधा देना नहीं है, बल्कि डिजिटल व्यवहार में भरोसे की बहाली और साइबर जागरूकता को मजबूत करना है। यह भारत को उन देशों की सूची में लाता है, जहाँ संचार पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाती है।
आधिकारिक पुष्टि: पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, TRAI ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों को CNAP (Caller Name Presentation) प्रणाली को चरणबद्ध ढंग से लागू करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय कई महीनों तक चले पायलट परीक्षणों और जन परामर्श के बाद लिया गया है।
Press Note: https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2183354
इस संबंध में TRAI ने अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल पर भी घोषणा साझा की, जिसमें पारदर्शिता और उपयोगकर्ता सुरक्षा के लिए CNAP की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
CNAP सिस्टम क्या है?
CNAP, यानी Calling Name Presentation, एक तकनीक है जो मोबाइल फोन यूज़र को कॉल आने पर नंबर के साथ-साथ कॉलर का नाम भी दिखाएगी। यह फीचर मौजूदा Truecaller जैसी ऐप्स से अलग होगा क्योंकि इसमें डेटा की पुष्टि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा सत्यापित KYC के आधार पर की जाएगी।
क्यों है CNAP की ज़रूरत?
भारत में हर साल लाखों लोग फ्रॉड कॉल्स, फिशिंग प्रयासों और टेलीमार्केटिंग से परेशान होते हैं। Truecaller के अनुसार, भारत में प्रति यूज़र औसतन 17 स्पैम कॉल्स प्रति माह आती हैं।
CNAP का लक्ष्य है इस समस्या को कम करना और कॉल उठाने से पहले ही यूज़र को यह बताना कि सामने वाला कौन है।
मंज़ूरी किसने दी और कैसे हुई?
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने लंबे समय तक चले तकनीकी परीक्षणों, पायलट प्रोजेक्ट्स और सार्वजनिक परामर्श (Public Consultation) के बाद CNAP प्रणाली को हरी झंडी दी है। इसके तहत TRAI ने सभी टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि वे इस सुविधा को लागू करने के लिए आवश्यक तकनीकी अवसंरचना (infrastructure) तैयार करें और इसे चरणबद्ध ढंग से पूरे देश में लागू करें।
यह निर्णय TRAI की उस व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें आम नागरिकों, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों, टेलीकॉम कंपनियों और नीति निर्माताओं के विचारों को शामिल किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि CNAP प्रणाली व्यवहारिक, प्रभावशाली और उपभोक्ता के हित में हो।
कैसे होगा CNAP का कार्यान्वयन?
TRAI द्वारा मंज़ूर की गई CNAP (Calling Name Presentation) प्रणाली को फोन उपयोगकर्ताओं के KYC डेटा से जोड़ा जाएगा। इसका तात्पर्य है कि जब कोई व्यक्ति कॉल करेगा, तो उसकी सिम के रजिस्ट्रेशन के समय जो नाम KYC दस्तावेज़ों में दर्ज किया गया था, वही नाम कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति की फोन स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा।
- शुरुआत में यह सुविधा सिर्फ वॉयस कॉल्स के लिए लागू की जाएगी — यानी जो कॉल्स मोबाइल नेटवर्क (जैसे Jio, Airtel, BSNL आदि) पर किए जाते हैं, उनमें ही कॉलर का नाम दिखेगा।
- भविष्य में इसे इंटरनेट कॉलिंग (VoIP), जैसे WhatsApp या Zoom कॉल्स तक विस्तारित किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया गया है।
गोपनीयता और डेटा सुरक्षा को लेकर TRAI ने यह स्पष्ट किया है कि इस पूरी प्रक्रिया में डिजिटल डेटा प्राइवेसी फ्रेमवर्क का पूरी तरह पालन किया जाएगा। CNAP से जुड़े नामों की जानकारी केवल केवाईसी-प्रमाणित नाम तक ही सीमित होगी — और किसी भी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
इसका उद्देश्य है:
- स्पैम कॉल्स में कमी लाना,
- फ़र्ज़ी पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकना,
- और उपभोक्ता विश्वास व सुरक्षा को बढ़ाना।
क्या Truecaller की छुट्टी?
CNAP का उद्देश्य Truecaller जैसी थर्ड-पार्टी ऐप्स पर निर्भरता को कम करना है। लेकिन, CNAP सिस्टम-लेवल इंटीग्रेशन के कारण कहीं अधिक सटीक और अधिकृत जानकारी देगा।
डिजिटल इंडिया की दिशा में एक कदम
TRAI के इस फैसले को डिजिटल इंडिया और सुरक्षित संचार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। यह न सिर्फ यूज़र्स की सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि सरकारी व व्यावसायिक संचार में पारदर्शिता भी लाएगा।
नवाचार में नैतिकता का समावेश
संत रामपाल जी महाराज की सतज्ञान-आधारित शिक्षाएँ स्पष्ट करती हैं कि किसी भी समाज की स्थायित्वपूर्ण प्रगति की नींव पारदर्शिता, ईमानदारी और नैतिक जिम्मेदारी पर टिकी होती है।
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जब तकनीक का उद्देश्य केवल सुविधा नहीं, बल्कि सुरक्षा और विश्वसनीयता भी हो—तब वह केवल नवाचार नहीं बल्कि समाज में विश्वास बहाली का माध्यम बन जाती है।
CNAP प्रणाली, जो संचार में सत्यता और स्पष्टता लाने का प्रयास है, उसी नैतिक दृष्टिकोण का एक आधुनिक उदाहरण है। यह हमें याद दिलाती है कि विकास वही है जो भरोसे के साथ आगे बढ़े, और समाज के हर व्यक्ति को सुरक्षा का अहसास कराए।
राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक हित की दिशा में कदम
CNAP (Calling Name Presentation) जैसे नवाचार न केवल व्यक्तिगत सुविधा का माध्यम हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक अधिकारों की रक्षा का भी एक आधुनिक उपकरण हैं। जब हर कॉल की पहचान सामने होगी, तो फ्रॉड कॉल्स, साइबर ठगी, और स्पैमिंग पर नियंत्रण पाना अधिक प्रभावी हो सकेगा। इससे डिजिटल सुरक्षा पारिस्थितिकी और राष्ट्रीय साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी।
जनविश्वास और संस्थानों की पारदर्शिता
सरकार द्वारा CNAP को स्वीकृति देना इस बात का संकेत है कि डिजिटल पारदर्शिता और जन-सुरक्षा को अब नीति-निर्माण के केंद्र में रखा जा रहा है। यह केवल एक तकनीकी निर्णय नहीं है, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच भरोसे के पुल को मजबूत करने का राष्ट्रीय प्रयास भी है।
इस तरह के कदमों से भारत एक उत्तरदायी डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है, जहाँ तकनीक जनकल्याण के लिए इस्तेमाल हो रही है—not just for connectivity, but for credibility.
चरणबद्ध क्रियान्वयन की योजना
TRAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी टेलीकॉम कंपनियों को आगामी 6 महीनों के भीतर CNAP (सीएनएपी) सिस्टम के लिए आवश्यक तकनीकी अवसंरचना तैयार करनी होगी। इसके अंतर्गत नेटवर्क, कॉलिंग इंटरफेस और डेटा एक्सेस प्रणाली को CNAP के अनुरूप अपडेट किया जाएगा।
- शुरुआत देश के प्रमुख महानगरों और शहरी क्षेत्रों से की जाएगी, जहाँ उपयोगकर्ताओं की संख्या अधिक है और तकनीकी आधारभूत ढांचा पहले से मौजूद है।
- इसके बाद इसे अन्य राज्यों और ग्रामीण इलाकों में चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा, जिससे यह सुविधा पूरे भारत में उपलब्ध हो सके।
ग्राहक की सहमति (consent) और डेटा की सुरक्षा को इस प्रक्रिया में केंद्रीय प्राथमिकता दी जाएगी।
TRAI ने यह भी संकेत दिया है कि:
- उपयोगकर्ताओं को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे अपना नाम अपडेट या मास्क कर सकें यदि वह KYC से मेल नहीं खाता या कोई गोपनीयता संबंधित चिंता हो।
- साथ ही, सभी डेटा प्रक्रियाओं को भारत के डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के अनुरूप रखा जाएगा।
यह नीति न केवल तकनीकी विकास की ओर एक बड़ा कदम है, बल्कि यह डिजिटल पारदर्शिता, सुरक्षा और उपभोक्ता अधिकारों को मज़बूत करने की दिशा में भी निर्णायक परिवर्तन लाने वाली है।
FAQs: CNAP सिस्टम क्या है?
Calling Name Presentation — एक प्रणाली जिससे कॉल करते समय सामने वाले का असली नाम स्क्रीन पर दिखेगा।
TRAI के निर्देशानुसार, अगले 6–12 महीनों में टेलीकॉम कंपनियों को इसे लागू करना होगा।
नहीं, डेटा केवल KYC नाम तक सीमित रहेगा और आपकी अनुमति के बिना अन्य जानकारी साझा नहीं की जाएगी।
CNAP अधिक विश्वसनीय डेटा देगा, जिससे Truecaller की आवश्यकता कम हो सकती है।
नहीं, क्योंकि नाम KYC आधारित होगा जिसे टेलीकॉम कंपनियों ने सत्यापित किया होगा।



