हरियाणा के सोनीपत जिले के ताजपुर तिहाड़ा खुर्द गाँव में भी इस बार बाढ़ ने तांडव म्चाया था। लगभग 300–400 एकड़ जमीन जलमग्न रही, एक फसल तो पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी और दूसरी — गेहूं की बुवाई — की उम्मीद भी धुँधली दिख रही थी। सरकारी प्रयास असफल रहे। सभी दरवाजे बंद दिखे तो ग्राम पंचायत ने अपनी अंतिम उम्मीद लेकर संत रामपाल जी महाराज से मदद की प्रार्थना की। सरपंच एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने बरवाला स्थित आश्रम में प्रार्थना-पत्र सौंपा — जिसमें 14,500 फुट (या प्रार्थना में 14,000–14,500 फुट) पाइप और दो बड़ी मोटर की मांग की गई।
ग्रामवासी लेकर पहुंचे प्रार्थना
ग्राम ताजपुर के प्रतिनिधि बरवाला पहुँचे और अपनी व्यथा व्यक्त की: खेतों में 3 फीट तक पानी खड़ा है, धान व बाजरा सड़ चुके हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे और रोग व मच्छर की समस्या बढ़ गई है। पंचायत ने स्पष्ट रूप से दो मोटर (10 HP) और 14,000–14,500 फुट 8-इंच पाइप की अनुग्रह-प्रार्थना संत रामपाल जी महाराज के चरणों में रखी। संत रामपाल जी महाराज से स्वीकृति मिलने पर सहायता शीघ्र भेजे जाने का आश्वासन दिया गया।
संत रामपाल जी महाराज ने अन्नपूर्णा मुहिम के तहत भेजा त्वरित राहत सामाग्री

कई ग्रामीणों को यकीन न हुआ कि प्रार्थना इतनी जल्दी सुनी जाएगी — पर कुछ ही दिनों में सात-आठ ट्रकों का विशाल काफिला ताजपुर के बाहर आ खड़ा हुआ। संत रामपाल जी महाराज ने अन्नपूर्णा मुहिम के तहत गाँव को भेजा:
- दो 10 HP की हेवी-ड्यूटी मोटरें (पूर्ण सेट: स्टार्टर, केबल व एक्सेसरी सहित)
- लगभग 14,000–14,500 फुट 8-इंची उच्च गुणवत्ता पाइपें
- नट-बोल्ट, फेविकॉल/गोंद, फिटिंग्स और अन्य सभी जरूरी उपकरण ताकि ग्रामीणों को बाहर से कुछ भी लाना न पड़े।
ताजपुर तिहाड़ा खुर्द (सोनीपत) राहत सामग्री तालिका
| क्रमांक | सामग्री का नाम | मात्रा / विवरण |
| 1 | हेवी-ड्यूटी मोटरें | 10 HP की दो मोटरें |
| 2 | पाइपलाइन | लगभग 14,000–14,500 फीट 8-इंची पाइप |
| 3 | स्टार्टर सेट | मोटर संचालन के लिए पूरा सेट |
| 4 | केबल | मोटर संचालन हेतु आवश्यक केबल |
| 5 | नट-बोल्ट | आवश्यक मात्रा में पूरा सेट |
| 6 | फेविकॉल / गोंद | पाइप फिटिंग के लिए |
| 7 | अन्य फिटिंग सामग्री | सभी आवश्यक उपकरण ताकि बाहर से कुछ न लाना पड़े |
| 8 | टेप आदि सहायक सामग्री | पूर्ण सेट — गांव वालों को बाहर से कुछ भी नहीं खरीदना पड़ा |
गांव में लौटी उम्मीद — किसानों की प्रतिक्रिया

मोटरों की गड़गड़ाहट और पाइपों से पानी बहते देख गाँव में उत्सव-सा माहौल बन गया। ग्रामीण बोले — “पहली बार ऐसी व्यवस्था देखी; हमें लगा था अब अगली फसल नहीं होगी, पर संत रामपाल जी महाराज ने हमारी प्रार्थना सुनी और समाधान दिया।” अनेक बुजुर्ग और किसान भावुक हुए और सत्कार व धन्यवाद व्यक्त किया। गाँव के कुछ बयानों में शामिल है:
- “हमारी दिवाली पहले आ गई — जीवनदान मिल गया।”
- “सरकार के चक्कर नहीं, एक प्रार्थना पर पूरा सामान घर पर पहुँच गया।”
पारदर्शिता और जवाबदेही
संत रामपाल जी महाराज की टीम ने गाँव को एक लिखित निवेदन-पत्र भी प्रदान किया है जिसमे कहा गया कि
- दी गई सामग्री का उद्देश्य स्पष्ट: गाँव से पानी निकालना और अगली फसल समय पर बोना।
- यदि निर्धारित समय में पानी नहीं निकला और अगली बिजाई नहीं हुई तो भविष्य में सहायता पर पुनर्विचार होगा — यह गाँव को जिम्मेदारी का प्रमाण देने हेतु है।
- गाँव के लिए ड्रोन-वीडियो तीन चरणों में बनाए जाएंगे: (1) पानी भरा हुआ स्थिति, (2) पानी निकलने के बाद, (3) फसल लहराने के बाद — ये वीडियो सतलोक आश्रमों व कार्यक्रमों में प्रदर्शित किए जाएंगे ताकि दान का सही उपयोग दर्शाया जा सके।
स्थायी समाधान की दिशा — जमीन में पाइप दबाने का निर्देश
संत रामपाल जी महाराज ने यह निर्देश भी दिया कि पाइप लाइनों को स्थायी रूप से भूमिगत कर दिया जाए ताकि भविष्य में किसी भी बाढ़/बारिश में पानी त्वरित रूप से निकाला जा सके। यह केवल तात्कालिक राहत नहीं, बल्कि गाँव के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा उपाय के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
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ताजपुर तिहाड़ा खुर्द का संदेश और आभार
गाँव के प्रतिनिधि व लाभार्थी, सभी ने मिलकर आश्वासन दिया कि दी गई सामग्री का समुचित उपयोग कर पानी समय पर निकाला जाएगा और अगली बिजाई सुनिश्चित की जाएगी। गाँव की आवाज़ यही है — “यह सिर्फ राहत नहीं, हमारी ज़िन्दगी लौट आई।”
मानवता की सेवा — संत रामपाल जी महाराज और अन्नपूर्णा मुहिम
यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि साधारण लोगों की वास्तविक जरूरतों पर काम करके बड़े परिणाम लाये जा सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने अन्नपूर्णा मुहिम के तहत धरातल पर मदद पहुँचाकर किसानों की तत्काल जरूरतें पूरी की और स्थायी समाधान का मार्ग भी दिखाया।
ताजपुर तिहाड़ा खुर्द के किसान अब पानी निकालने और समय पर गेहूं बोने की तैयारी कर रहे हैं। गाँव में लौटती हलचल न केवल फसलों की बहाली की बोधक है, बल्कि उस विश्वास की भी जो एक समुदाय में वापस लौटा है — जब सही समय पर प्रभावी मदद मिलती है तो जीवन बचता है और आशा पुनर्जन्म लेती है। संत रामपाल जी महाराज की कृपा से यह गांव एक स्थायी व्यवस्था के साथ बाढ़-प्रबंधन के लिए सशक्त हुआ है।



