September 11, 2025

Swami Vivekananda Death Anniversary (Hindi): 25 वर्ष की आयु में सन्यास लेने वाले स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि

Published on

spot_img

Last Updated on 4 July 2023 IST | Swami Vivekananda Death Anniversary (Hindi) : 4 जुलाई 1902 यानी स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि। यही वह दिन है जब स्वामी जी ने महासमाधि ली थी।  स्वामी विवेकानंद जी एक महान प्रतिभा के धनी थे महज 39 साल की उम्र में वह इस दुनिया से विदा हो गए लेकिन उनके कार्य व उनके विचार आज भी युवा दिलों में जिंदा है। स्वामी विवेकानंद जी ने महज 25 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था। आइए विस्तार से जानें स्वामी जी की जीवनी के विषय में

Table of Contents

Swami Vivekananda Death Anniversary (Hindi): मुख्य बिंदु

● हिन्दू पुनरुत्थान के पुरोधा थे स्वामी जी

● रामकृष्ण मिशन की विभिन्न शाखाओं के संस्थापक

● 39 वर्ष की अल्पायु में स्वामी जी का निधन

● ब्रह्मरन्ध्र के पार ले जाएगा कोई तत्वदर्शी सन्त

Swami Vivekananda Death Anniversary (Hindi) : स्वामी विवेकानंद का जन्म

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। 1884 में उनके पिता जी की मृत्यु हो गई थी। बचपन से ही वह काफी प्रतिभावान थे। बचपन में उनके घर का नाम वीरेश्वर रखा गया था तथा उनका औपचारिक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। नरेंद्रनाथ दत्त के 9 भाई बहन थे। पिता विश्वनाथ कोलकाता हाई कोर्ट में वकील थे। और दादा दुर्गाचरनदत्त संस्कृत और फारसी के विद्वान थे।

Swami Vivekananda Death Anniversary पर जाने स्वामी विवेकानंद की प्रारंभिक शिक्षा

सन् 1884 में पिताजी के मृत्यु के बाद परिवार का भरण पोषण का भार स्वामी विवेकानंद के ऊपर था। 1869 में 16 वर्ष की आयु में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से साहित्य, दर्शन और इतिहास की शिक्षा पूर्ण की। अपने शिक्षा काल में वे सर्वाधिक लोकप्रिय और जिज्ञासु छात्र थे। किंतु हरबर्ट स्पेंसर के नास्तिक वाद का उस पर अधिक प्रभाव था।

युवावस्था में उन्हें पाश्चात्य दार्शनिको के निरीश्वर भौतिकवाद तथा ईश्वर के अस्तित्व में दृढ़ भारतीय विश्वास के कारण गहरे द्वंद से गुजरना पड़ा। इसी समय इनकी भेंट (1881) अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से हुई जिन्होंने पहले उन्हें विश्वास दिलाया कि परमेश्वर है और मनुष्य उन्हें पा सकता है।

Swami Vivekananda Death Anniversary: विवेकानन्द जी एक महान आत्मा

स्वामी विवेकानंद एक महान आत्मा थे। कुशाग्र बुद्धि के धनी विवेकानंद में अध्यात्म की ओर गहरी रुचि थी। विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। अल्पायु से ही नरेंद्र जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। कम समय में ही वे तर्क वितर्क करने लग गए थे। विवेकानंद में दानशीलता कूट कूटकर भरी हुई थी। वे कोई भी वस्तु संग्रह करने से उचित जरूरतमंद को दान करने में अधिक विश्वास रखते थे। स्वामी विवेकानंद बचपन से ही गहन ध्यान करते थे।

विवेकानंद जी ने भारत को दिया गौरव

स्वामी विवेकानंद ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि से भारत को गौरव दिया। देश विदेश में अपने देश की सुंदर एवं अमिट छाप छोड़ी। 1893 शिकागो सम्मेलन में भाइयों एवं बहनों सम्बोधन से ही उन्होंने प्रत्येक को अपनी ओर आसक्त कर लिया था एवं उनके लिए बहुत देर लगातार तालियाँ बजती रहीं। उन्होंने धर्म और श्रीमद्भगवद्गीता का गुणगान विदेश में भी गाया। कहा जाता है एक बार किसी सम्मेलन में गीता को सभी धर्म ग्रन्थों में सबसे नीचे रखा गया था। अपने धर्म का बखान करने के बाद उन्हें अपने हिन्दू धर्म के विषय में कहने के लिए जब आमंत्रित किया गया तो इन्होंने गीता खींच ली जिससे उसके ऊपर रखे सभी धर्म ग्रन्थ गिर गए। तब स्वामी जी ने कहा,”यह है सनातन धर्म जो सबकी नींव है। सभी धर्म इसी पर टिके हुए हैं।”

चरित्र के धनी स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद जी सुंदर चरित्र के धनी थे। जब उनकी बुद्धि पर आसक्त होकर एक विदेशी महिला ने उनसे कहा कि “मैं आपकी तरह कुशाग्र बुद्धि वाला बेटा चाहती हूँ क्या आप मुझसे शादी करेंगे?” इस पर स्वामी जी ने कहा,” आप मुझे अपना बेटा स्वीकार सकती हैं।  ऐसा करने पर आपको एक बेटा मिल जाएगा और मुझे एक माँ।”

हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान के पुरोधा

स्वामी विवेकानंद यह मानते थे कि भारत अध्यात्म के बिना अनाथ हो जाएगा। उन्होंने यथासंभव युवाओं एवं भारत की जनता का ध्यान धर्म की ओर आकर्षित किया एवं लोगों को अध्यात्म की ओर मोड़ने का प्रयास किया। अल्पायु में ही उन्होंने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरुदेव स्वीकार किया था। रामकृष्ण मिशन की विभिन्न शाखाएं भी स्वामी विवेकानंद ने संस्थापित करवाईं थीं। रामकृष्ण मठ की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने ही की थी। वेदांत एवं योग को पश्चिमी देशों से परिचित कराने वाले स्वामी विवेकानंद ही थे। आज भी उनकी जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है।

गुरुभक्त स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद केवल कुशाग्र बुद्धि एवं तीव्र तर्क वितर्क वाले नहीं थे बल्कि वे गुरुभक्त भी थे। अपने गुरु के प्रति अनन्य विश्वास एवं श्रद्धा रखने के लिए स्वामी जी का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है। स्वामी विवेकानंद जब शिकागो से भारत आये तो विश्व विख्यात स्वामी विवेकानंद का स्वागत जनता ने जुलूस और रैलियां निकाल कर किया। स्वामी जी सहसा कलकत्ता में एक जर्जर मकान में घुसने लगे। किसी ने दौड़कर एक वृद्ध से कहा स्वामी विवेकानंद आ रहे हैं। वृद्ध सुरेन्द्रनाथ दत्त ये कहते हुए नंगे पैर दौड़े कि मेरी चप्पलें उठाओ। 

यह भी पढ़ें : स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु का कारण?

स्वामी जी ने सुन लिया और वे चप्पलें अपने हाथों से अपने गुरु को देते हुए बोले- “गुरूदेव ये रही आपकी चप्पलें”। सुरेंद्रनाथ दत्त ने इसका विरोध किया और कहा आप तो विश्वविख्यात सन्त विवेकानंद हैं। तब विवेकानंद जी ने सहजता से कहा आप ने ही नरेंद्र को विवेकानंद बनाया है। सुरेंद्रनाथ दत्त स्वामी जी के अध्यापक रहे और उन्होंने उनका परिचय रामकृष्ण परमहंस जी से कराया था।

सिखाया गुरुभाई को पाठ

स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस को गले का कैंसर होने के कारण रक्त थूक कफ निकलता था। स्वामी जी अपने गुरुदेव की सेवा तन मन से किया करते थे। एक दिन सेवा के समय एक गुरुभाई ने कफ थूक देखकर नाक सिकोड़ी तो उसे पाठ पढ़ाने के लिए स्वामी जी ने उस बर्तन में पड़ा सारा थूक, रक्त कफ एक बार में पी लिया एवं गुरु के प्रति अनन्य भक्ति का पाठ अपने गुरुभाई के समक्ष प्रस्तुत किया।

Swami Vivekananda Death Anniversary: कैसे हुई स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु

Hindi: उनके शिष्यों के अनुसार स्वामी विवेकानंद जी ने 39 वर्ष की आयु में ब्रह्मरन्ध्र भेदकर महासमाधि ले ली थी एवं ध्यानमग्न होकर शरीर छोड़ दिया। उनकी मृत्यु की वजह हृदयगति रुकने से हुई भी कही जाती है। स्वामी जी ने अपने विषय में पहले भी कहा था कि वे 40 वर्ष तक नहीं जी सकेंगे। स्वामी जी का अंतिम संस्कार गंगा नदी बेलूरू तट पर किया गया इसी स्थान पर 16 वर्ष पूर्व रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार किया गया था।

तुरिया पर पुरिया महल, पारब्रह्म का देश

वास्तव में ब्रह्मरन्ध्र खुलना मोक्ष नहीं है। आदरणीय सन्त गरीबदास जी महाराज ने बताया है- 

गरीब, तुरिया पर पुरिया महल, पार ब्रह्म का देश |

ऐसा सतगुरु सेईये, शब्द विग्याना नेस ||

सरलार्थ :- अभी तक केवल तीन अवस्था भक्ति की मानी गई थी जाग्रत, सशोपति तथा तुरिया यह काल ब्रह्म के लोक तक के साधकों का अन्तिम ज्ञान था। सतगुरु ने बताया कि तुरिया पद से आगे पुरिया पद भी है। उस पुरिया पद पर पहुँचकर साधक पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है। पुरिया अवस्था में पारब्रह्म (सबसे परे वाला प्रभु अर्थात् ‘परम अक्षर ब्रह्म) का देश (लोक=सत्यलोक) है। ऐसा सतगुरु कीजिए जो शब्द अर्थात् यथार्थ मन्त्र का विज्ञाना (तत्वज्ञान जानने वाला हो) नेस अर्थात् सर्व अज्ञान का नाश कर दे।

अर्थात स्पष्ट है कि ब्रह्मरन्ध्र मात्र खुलने से मोक्ष प्राप्ति नहीं हो सकती। मोक्ष के लिए तो गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में बताए अनुसार तत्त्वदर्शी सन्त की शरण में जाना होगा जो तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे एवं मोक्षमार्ग का रहस्य बताएंगे।

Swami Vivekanand death anniversary Hindi: ऐसे खुलेगा ब्रह्मरन्ध्र

ब्रह्मरन्ध्र या तो अत्यंत कठिन योग साधना से खुलता है पर उसके पश्चात भी साधक मोक्ष नहीं पाता किन्तु यदि तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर सही मंत्रों का जाप किया जाए तो शरीर मे उपस्थित पाँचों कमलों को खोलकर ब्रह्मरन्ध्र को आसानी से भेदा जा सकता है। सबसे पहले साधक त्रिकुटी में जाता है। यहाँ से तीन रास्ते हो जाते हैं एक रास्ता ऋषियों की नगरी जाता है दूसरा धर्मराज के दरबार में जाता है और एक सीधा ब्रह्मरन्ध्र काल ब्रह्म (क्षर पुरुष) के लोक ब्रह्मलोक को जाता है। ब्रह्मलोक से साधक अक्षर पुरुष के लोक में जाता है किंतु ब्रह्मलोक से बिना तत्वदर्शी सन्त के नहीं निकला जा सकता। अक्षर पुरुष का लोक पार करने के बाद ही परम अक्षर ब्रह्म का परम धाम सत्यलोक है जहाँ पहुंचना मोक्ष है। अतः याद रहे कि मात्र ब्रह्मरन्ध्र को भेदना मोक्ष नहीं है।

Swami Vivekanand death anniversary Hindi: विवेकानंद जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस

स्वामी विवेकानंद जी के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था। स्वामी रामकृष्ण परमहंस दक्षिणेश्वर काली मंदिर के महान भक्त थे। दक्षिणेश्वर काली साक्षात रामकृष्ण परमहंस को दर्शन देती थी।

दक्षिणेश्वर काली भी उनसे ऐसे बात करती थी जैसे वह सामान्य बातें करते हैं। रामकृष्ण परमहंस जी देवी की इतनी भक्ति करते हुए भी तथा साक्षात्कार होते हुए भी कैंसर की बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हुए। वेदों में प्रमाण है कि शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से साधक के सभी कष्ट परमात्मा दूर करते हैं। इससे सिद्ध होता है कि रामकृष्ण परमहंस जी शास्त्र अनुकूल भक्ति नहीं करते थे।

तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज हैं पूर्ण गुरु

तत्वदर्शी सन्त प्रत्येक युग में आते हैं। स्वयं पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर कबीर तत्वदर्शी सन्त के वेश में आते हैं एवं तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं। पूर्ण परमेश्वर के नुमाइंदे के रूप में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त के रूप में सन्त रामपाल जी महाराज विराजमान हैं। उनसे नामदीक्षा लीजिए अपने तीनों ताप शांत कीजिये एवं इस लोक में सुखमय जीवन जीकर पूर्ण मोक्ष की ओर अग्रसर होने का मार्ग पकड़िए। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा

FAQ About Swami Vivekananda Death Anniversary [Hindi]

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई?

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई थी।

मृत्यु के समय स्वामी विवेकानंद की आयु कितने वर्ष थी?

मृत्यु के समय स्वामी विवेकानंद की आयु 39 वर्ष थी।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कैसे हई?

उनके शिष्यों के अनुसार स्वामी विवेकानंद जी ने 39 वर्ष की आयु में ब्रह्मरन्ध्र भेदकर महासमाधि ले ली थी एवं वे ध्यानमग्न होकर शरीर छोड़कर चले गए। उनकी मृत्यु की वजह हृदयगति रुकने से हुई भी कही जाती है।

स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम क्या था?

स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था।

स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे?

स्वामी विवेकानंद के अध्यापन के गुरु सुरेंद्रनाथ दत्त एवं आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस थे।

Swami Vivekananda Death Anniversary Hindi: विवेकानंद जी के Quotes 

  1. “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।”
  2. “खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।”
  3. “सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है फिर भी हर बार एक सत्य ही होगा।”
  4. “बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है।”
  5. “ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वह हम ही हैं जो हमारी आंखों पर हाथ रख लेते हैं, और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।”
  6. “विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहां पर खुद को मज़बूत बनाने आते हैं।”
  7. “यदि तुम्हारा पड़ोसी भूखा है तो मंदिर में प्रसाद चढ़ाना पाप है।”

Latest articles

Engineers Day 2025: Know About The Principal Engineer Who Has Engineered This Entire Universe?

Engineers Day is about appreciating the efforts and the contributions of the engineers in building up the nation and the entire globe.

International Day of Democracy 2025: Spiritual Democracy Presents the Right to Choose the True Guru

Updated on 10 September 2025 IST: The world community celebrates the International Day of...

SSC CGL 2025 Admit Card Released: Download Link, Exam Dates and SSC’s Strict Guidelines

The wait is finally over for lakhs of aspirants. The Staff Selection Commission (SSC)...
spot_img

More like this

Engineers Day 2025: Know About The Principal Engineer Who Has Engineered This Entire Universe?

Engineers Day is about appreciating the efforts and the contributions of the engineers in building up the nation and the entire globe.

International Day of Democracy 2025: Spiritual Democracy Presents the Right to Choose the True Guru

Updated on 10 September 2025 IST: The world community celebrates the International Day of...