सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 14 अगस्त को एनसीएलएटी के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बायजूस को बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये की बकाया राशि का निपटारा करने का निर्देश दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बायजूस के खिलाफ दिवालियापन कार्यवाही को रोकने के एनसीएलएटी के फैसले पर भी अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने इस मामले में अमेरिकी ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की याचिका पर बायजूस को नोटिस जारी किया है।
यह हस्तक्षेप तब आया जब यूएस की ऋणदाता कंपनी ग्लास ट्रस्ट एलएलसी ने एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2 अगस्त 2024 के एनसीएलएटी के फैसले पर अगले आदेश तक रोक जारी रहेगी। इसके अलावा, बीसीसीआई को 158 करोड़ रुपये की राशि एक अलग एस्क्रो अकाउंट में जमा करने का आदेश दिया गया है, जो अगले निर्देशों तक सुरक्षित रहेगा।
मुख्य बिंदु:
- एनसीएलएटी ने दिवालियापन की कार्रवाई पर रोक लगाई थी।
- बायजूस और बीसीसीआई के बीच समझौता हुआ।
- बायजूस और बीसीसीआई के बीच विवाद।
- जानते हैं सर्व ब्रह्मांड के न्यायाधीश के बारे में।
बीसीसीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस रोक का विरोध किया और आग्रह किया कि बीसीसीआई को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए।
एनसीएलएटी ने दिवालियापन की कार्रवाई पर लगाई रोक
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बायजूस के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। यह रोक बायजूस और बीसीसीआई के बीच हुए समझौते के बाद लगाई गई थी।
बायजूस और बीसीसीआई के बीच समझौता
बायजूस और बीसीसीआई के बीच यह समझौता हुआ था कि बायजूस रवींद्रन अपने निजी फंड से बीसीसीआई के बकाये का भुगतान करेंगे।
बीसीसीआई और बायजूस के बीच विवाद
वर्ष 2019 में बायजूस को भारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सर बनाया गया था, लेकिन स्पॉन्सरशिप की राशि न चुका पाने के कारण बीसीसीआई ने बायजूस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। समझौते के अनुसार, भारतीय क्रिकेट टीम की किट पर BYJU’s का ब्रांड डिस्प्ले करने, क्रिकेट प्रसारण के दौरान विज्ञापन देने और बीसीसीआई द्वारा आयोजित हर मैच का टिकट हासिल करने का एक्सक्लूसिव अधिकार BYJU’s को मिला था। इसके बदले में बायजूस को बीसीसीआई को स्पॉन्सरशिप की फीस देनी थी। बायजूस ने मार्च 2022 तक इन भुगतानों को जमा किया था। लेकिन अगस्त 2022 से जनवरी 2023 तक की कई सीरीज और टूर के लिए अनपेड स्पॉन्सरशिप फीस बढ़कर 158.9 करोड़ रुपये हो गई।
कौन हैं सर्व ब्रह्मांड के न्यायाधीश?
सर्व ब्रह्मांड के न्यायाधीश वह हैं जिनके आदेश से यह सारा ब्रह्मांड चलता है। उन्हें किसी सबूत की आवश्यकता नहीं होती और उनके आदेश देने में समय नहीं लगता। जिन पुण्यात्माओं ने परमात्मा को प्राप्त किया है, उन्होंने बताया कि कुल का मालिक एक है। वह मानव सदृश तेजोमय शरीर युक्त है, जिसके एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ सूर्य और करोड़ चन्द्रमाओं की रोशनी से भी अधिक है। परमेश्वर का वास्तविक नाम (कविर्देव) कबीर साहेब जी है। अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज के यूट्यूब चैनल पर जाएं।