September 14, 2025

Somvati Amavasya 2020: क्या सोमवती अमावस शास्त्रानुकूल भक्ति है?

Published on

spot_img

Somvati Amavasya 2020: श्रावण मास की सोमवती अमावस्या को हिंदू धर्म के लोग बेहद ही महत्वपूर्ण मानते हैं । लोग पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध की रस्मों को पूरा करते हैं। कालसर्प दोष पूजा के लिए भी इस तिथि का विशेष महत्व है। आज पाठकों को जानना है कि क्या कोई लाभ होता है इस प्रकार की पूजा रस्मों से? यदि कोई लाभ नहीं तो यह भी जानेंगे कि करना क्या चाहिए?

Somvati Amavasya 2020-मुख्य बिन्दु

  • जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे कहते हैं सोमवती अमावस्या
  • सावन में आने के कारण कहते हैं हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavsya)
  • श्राद्ध की रस्मों को पूरा करते हैं पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए हिंदू धर्म अनुयायी
  • कालसर्प दोष पूजा के लिए विशेष महत्व है अमावस्या की तिथि का
  • कोविड-19 के चलते सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2020) पर जलाभिषेक पर लगाई पूरी तरह रोक
  • पुजारियों को ही पूजा पाठ करने की अनुमति, अन्य कोई भी मंदिर में नहीं जा पाएगा
  • सावन की शुरुआत छह जुलाई से, कोरोना महामारी के कारण कांवड़ यात्रा भी रद्द

क्या है सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya)?

सोमवती अमावस (Somvati Amavasya) सावन के महीने में अमावस के दिन मनाई जाती है। सोमवार को होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या और सावन माह में होने के कारण हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा के साथ गणेश और कार्तिकेय के पूजन की मान्यता है। व्रत आदि रखे जाते हैं व तुलसी या पीपल के पेड़ की परिक्रमा की जाती है। आत्मा तृप्ति के लिए श्राद्ध आदि रस्में उपयुक्त हैं।

किस कारण मनाई जाति है सोमवती अमावस?

सोमवती अमावस को लेकर कई कथाएं प्रचलन में हैं। इन कथाओं में दान दक्षिणा और परिक्रमा की महिमा गाई गई है। कहा गया है कि इससे दरिद्रता दूर होती है और दीर्घायु व अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सोमवती अमावस शास्त्रानुकूल भक्ति है?

सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2020) शास्त्रानुकूल भक्ति नहीं है। ना तो यह वेदों पर आधारित है और न ही सद्भक्ति है। गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में बताया गया है कि योग बिल्कुल न खाने वाले और बहुत अधिक खाने वाले दोनों का तथा बहुत अधिक शयन करने वाले तथा बिल्कुल शयन न करने वाले का सिद्ध नहीं होता है। इस तरह व्रत रखना शास्त्र विरुद्ध साधना है। गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 में वर्णित है कि शास्त्र विधि त्यागकर मनमाना आचरण करने वाले किसी गति को प्राप्त नहीं होते।

क्या सोमवती अमावस (Somvati Amavasya) से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ?

Somvati Amavasya पर किसी भी प्रकार से दीर्घायु की प्राप्ति नहीं होती। विधि के विधान के अनुसार जो जितनी आयु लेकर आया है उसे उतने समय के पश्चात मरना ही होगा। गीता अध्याय 8 के श्लोक 16 के अंतर्गत ब्रह्म लोक तक सभी जन्म मृत्यु में हैं। विधि का विधान पलटने में सक्षम केवल तत्वदर्शी सन्त होता है। जो पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति विधि वेदों और शास्त्रों के अनुसार बताता है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव के भक्तों को अकाल मृत्यु छू भी नहीं सकती। विधि का विधान बदलने का सामर्थ्य रखने वाले पूर्ण ब्रह्म परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं-

मासा घटे ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख |
साँचा सद्गुरु मेट के, ऊपर मारे मेख ||

क्या तुलसी और पीपल की परिक्रमा व्यर्थ है?

तुलसी और पीपल की परिक्रमा पूर्णतयाः व्यर्थ है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं-

पीपल पूजै जांडी पूजे, सिर तुलसां के होइयाँ |
दूध-पूत में खैर राखियो, न्यूँ पूजूं सूं तोहियाँ ||

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते है कि धर्मावलंबी ज्ञान हीन नकली धर्मगुरुओं ने भोली जनता को गुमराह किया है। अज्ञानी गुरुओं से प्रेरित होकर जांडी और तुलसी आदि के वृक्षों की पूजा लोग करते हैं कि उनके पुत्रों और दुधारू पशुओं की रक्षा हो सके। कबीर साहेब कहते हैं कि अंधे पुजारियों थोड़ा तो अक्ल से काम लो। जो पौधे अपनी स्वयं रक्षा नहीं कर सकते, विवश हैं वे आपके जीवन की रक्षा कैसे करेंगे। तुलसी के पौधे को तो स्वयं बकरा खा जाता है। जो स्वयं असहाय है उससे निवेदन करना मूर्खता है। इसे ही अंध श्रद्धा कहा है।

क्या दान दक्षिणा दी जा सकती है?

गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान |
गुरु बिन दोनों निष्फल हैं चाहे पूछो वेद पुराण ||

कबीर साहेब ने अपने तत्वज्ञान में बताया है कि गुरु के बिना भक्ति करना निष्फल है। चाहे करोड़ों गायों का दान कर दिया जाए। भक्ति, दान और धर्म कार्य तभी सफल होते हैं जब पूर्ण गुरु से नाम दीक्षा ली हो

यह भी पढें: Sawan Shivratri 2020-क्या भगवान शिव जी अविनाशी है? 

तत्वज्ञान के आधार पर सन्त गरीबदास जी महाराज ने कहा है-

गरीब, कोटि गऊ जे दान दे, कोटि जग्य जोनार |
कोटि कूप तीरथ खने, मिटे नहीं जम मार ||

संत गरीबदास जी महाराज कहते हैं कि यदि सतगुरु से सतनाम नहीं लिया तो चाहे करोड़ों गाय दान करें, धर्म यज्ञ करें, भण्डारें करें, करोड़ों कुँए खुदवा लें लेकिन पाप कर्मों को नहीं काटा जा सकता है और यम की मार और काल दण्ड समाप्त नहीं हो सकते हैं ।

क्या शिव-पार्वती की पूजा भी व्यर्थ है?

रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु और तमगुण शिव केवल भाग्य का लिखा देने और विधि के विधान अनुसार कार्य करने हेतु नियुक्त किए गए हैं। वास्तव में ये अविनाशी भगवान नहीं हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में उल्टे वृक्ष द्वारा सृष्टि रचना में बताया गया है कि जड़ रूप में परमेश्वर है, तना रूप अक्षर पुरुष और डाल रूप क्षर पुरुष, तीन शाखाएं ब्रह्मा विष्णु और महेश रुपी और पत्तों को संसार जानें। इसी कारण कबीर साहेब ने कहा है-

कबीर, एकै साधै सब सधै, सब साधें सब जाय |
माली सींचे मूल कूं, फलै फूलै अघाय ||

अर्थात जड़ रूपी परमेश्वर की पूजा करने पर डाल, तना और शाखाओं की पूजा करने की आवश्यकता नहीं किन्तु यदि डाल तना शाखाओं में उलझे और जड़ को भूल जाएंगे तो सब चला जायेगा। ठीक उसी प्रकार जैसे माली जड़ को सींचता है और वृक्ष का ऊपरी भाग अपने आप फलता फूलता है।

आशय स्पष्ट है कि इन देवताओं की स्तुति भाग्य से अधिक नहीं दे सकती किन्तु वेदों के अनुसार भाग्य से अधिक केवल पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही दे सकता है जिस तक पहुंचने की विधि एक पूर्ण तत्वदर्शी सन्त ही बता सकता है। अतः इन देवताओं के अतिरिक्त भूत, पितर पूजा करना गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 में व्यर्थ बताया गया है।

तत्वदर्शी सन्त रामपालजी महाराज से जानें पूर्ण मोक्ष प्राप्ति की विधि

पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की भक्ति ही सबसे उत्तम है। पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपालजी महाराज से नामदीक्षा लें और मर्यादा भक्ति करने के लिए सही विधि जानें। सही साधना विधि ही आपको पार लगा सकती हैं। श्रीमद्भगवद्गीता 17:23 में तीन मन्त्रों का निर्देश है। पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपालजी महाराज तीन बार में नाम दीक्षा की प्रक्रिया पूरी करते हैं और गुरु मर्यादा में रहकर सतनाम व सारनाम मन्त्र श्वासों की विशिष्ट विधि द्वारा साधना करने से इस लोक से पार लगाएंगे और इस लोक में भी वांछित सुख देते हैं।

अतः ब्रह्मा, विष्णु, शिव, आदिशक्ति, आदि से सही प्रकार से ऋणमुक्त होनें की साधना करें। पूर्ण परमात्मा में आस्था लगाकर इस लोक से छूट निजलोक सतलोक में जाएं, जहां किसी प्रकार का दुख नहीं है। वर्तमान में सन्त रामपाल जी महाराज पूर्ण तत्वदर्शी सन्त हैं जो सही सत भक्ति विधि बताते हैं। उनकी पुस्तकें पढ़कर ज्ञान समझें और विलंब न करते हुए उनकी शरण में आएं।

Latest articles

Shradh 2025 (Pitru Paksha): Shradh Karma Is Against Our Holy Scriptures!

From dates, ceremonies, and rituals to meaning and significance, know all about Shradh (Pitru Paksha).

Charlie Kirk Assassinated: Conservative Leader Shot Dead at Utah Valley University

Conservative activist Charlie Kirk, one of the most prominent voices of the U.S. right...

Engineers Day 2025: Know About The Principal Engineer Who Has Engineered This Entire Universe?

Engineers Day is about appreciating the efforts and the contributions of the engineers in building up the nation and the entire globe.
spot_img

More like this

Shradh 2025 (Pitru Paksha): Shradh Karma Is Against Our Holy Scriptures!

From dates, ceremonies, and rituals to meaning and significance, know all about Shradh (Pitru Paksha).

Charlie Kirk Assassinated: Conservative Leader Shot Dead at Utah Valley University

Conservative activist Charlie Kirk, one of the most prominent voices of the U.S. right...