जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है, तो उसका सबसे पहला और गहरा प्रहार किसानों पर ही होता है। आजीविका और उम्मीद—दोनों एक ही झटके में छिन जाती हैं, और कई बार किसान आत्महत्या की कगार तक पहुँच जाता है। हरियाणा के रोहतक जिले के सिंहपुरा खुर्द गांव में आई भीषण बाढ़ ने एक बार फिर इसी कड़वी सच्चाई को उजागर कर दिया। लगातार जलभराव के कारण 100 एकड़ से अधिक उपजाऊ कृषि भूमि पानी में डूब गई, जिससे किसान न केवल एक, बल्कि लगातार दो फसलें गंवाने की भयावह स्थिति में पहुँच गए। यह उनके अस्तित्व पर सीधा संकट था।
ऐसे समय में, जब सहायता के सभी रास्ते बंद होते दिख रहे थे और सरकारी प्रक्रियाएँ केवल कागज़ों में उलझी हुई थीं, तब केवल एक ही शक्ति थी जिसने इन असहाय किसानों की मूक पीड़ा को पहचाना। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपनी ऐतिहासिक अन्नपूर्णा मुहिम के माध्यम से अद्वितीय संवेदनशीलता और तत्परता के साथ आगे बढ़कर सहायता की। यह कहानी है उस निर्णायक हस्तक्षेप की, जिसने हरियाणा के रोहतक जिले के सिंहपुरा खुर्द गांव की किस्मत ही बदल दी।
सिंहपुरा खुर्द गांव पर पीढ़ियों को तबाह कर देने वाला संकट
इस वर्ष अभूतपूर्व बारिश ने भारत के उत्तरी राज्यों, विशेषकर हरियाणा और पंजाब को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारतीय इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि किसानों तक मदद अक्सर देर से पहुँचती है—अक्सर तब, जब नुकसान हो चुका होता है। अधिकांश बार सरकारी अधिकारी, गैर-सरकारी संगठन और धनवान लोग उन्हीं जगहों पर जाते हैं जो सामाजिक रूप से ‘दिखाई देने वाली’ होती हैं, जबकि साधारण किसान उनकी प्राथमिकता में शामिल नहीं होता।
सिंहपुरा खुर्द गांव भी इसी उपेक्षा का शिकार हुआ। बाढ़ के कारण गांव की 100 एकड़ से अधिक जमीन पूरी तरह जलमग्न हो गई थी, जिसमें से लगभग 60–70 एकड़ भूमि पर एक से दो फीट तक पानी जमा हुआ था।
इसके परिणाम अत्यंत विनाशकारी थे:
- खड़ी फसल की कटाई संभव नहीं रही।
- अगली बुवाई, विशेषकर रबी की मुख्य फसल गेहूं की तैयारी नहीं हो सकी।
- किसानों को पूरे एक वर्ष की आय खोने का डर सताने लगा।
- कई किसानों ने कहा कि यह नुकसान उन्हें आर्थिक रूप से दशकों पीछे धकेल सकता है।
गांव के सरपंच के अनुसार, स्थानीय प्रशासन ने शुरू में पानी निकालने का प्रयास किया, लेकिन वह केवल सतही स्तर पर ही रहा। अधिकांश क्षेत्र में जलभराव बना रहा, जिससे उपजाऊ भूमि बीमारियों का केंद्र बन गई और पूरे गांव के परिवार असहाय दर्शक बनकर रह गए। यह पीड़ा केवल भावनात्मक नहीं थी—यह आर्थिक और पीढ़ियों को प्रभावित करने वाली थी, जो दिन-ब-दिन और गहरी होती जा रही थी।
एक सच्ची पुकार ने बदल दी सिंहपुरा खुर्द की तकदीर
जब सिंहपुरा खुर्द गांव को संत रामपाल जी महाराज द्वारा बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में की जा रही उदार राहत सहायता की जानकारी मिली, तो ग्राम पंचायत ने भी आशा की अंतिम किरण के रूप में उनसे संपर्क किया। घटती उम्मीदों के बीच, ग्राम पंचायत ने औपचारिक रूप से संत रामपाल जी महाराज के ट्रस्ट कार्यालय में तत्काल बाढ़ राहत उपकरणों की मांग रखी।
उनकी आवश्यकता स्पष्ट और ठोस थी:
- 10 हॉर्स पावर (HP) की मोटर
- 4500 फीट ड्रेनेज पाइप
गांव पंचायत के सभी प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन संत रामपाल जी महाराज के ट्रस्ट कार्यालय में प्रस्तुत किया गया, जो उनके विधिक अधिवक्ता के माध्यम से उन तक पहुँचा। सामान्य परिस्थितियों में, विशेषकर सरकारी माध्यमों से, ऐसी सहायता में हफ्तों या महीनों का समय लग जाता। लेकिन जो हुआ, उसने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया।
संयोग नहीं, दूरदृष्टि से तैयार की गई राहत व्यवस्था
कुछ ही समय बाद गांव में वाहनों का एक काफिला पहुँचा, जो पूरी तरह से तैयार और समग्र राहत प्रणाली लेकर आया था। संत रामपाल जी महाराज केवल दानशीलता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी अद्भुत सटीकता, पूर्णता और दूरदृष्टि के लिए भी जाने जाते हैं। इस राहत व्यवस्था में कुछ भी अधूरा नहीं था—हर नट-बोल्ट तक की भी पूरी व्यवस्था की गई थी।

ग्रामीणों ने बताया कि जहाँ सरकारी कार्यों में लंबी प्रक्रियाएँ होती हैं, वहीं संत रामपाल जी महाराज ने तुरंत निर्णय लिया। जैसे ही आवेदन पहुँचा, उसी क्षण स्वीकृति मिल गई और राहत कार्य शुरू हो गया।
गांव द्वारा मांगी गई 4500 फीट (8 इंच) पाइप और 10 HP मोटर के अतिरिक्त, संत रामपाल जी महाराज ने वे सभी आवश्यक सामग्री भी भिजवाई, जिनकी ग्रामीणों ने कल्पना तक नहीं की थी—जैसे चिपकाने वाले पदार्थ, नट-बोल्ट, वाल्व, फिटिंग्स आदि—ताकि काम बिना किसी देरी, भ्रम या किसी पर निर्भरता के तुरंत शुरू हो सके। लेकिन आखिर क्यों संत रामपाल जी महाराज ने वह सब कुछ भी भेजा जिसकी मांग भी नहीं की गई थी?
जब स्वयं परमात्मा कार्य करे तब सब कुछ पूर्ण होता है
भविष्य में क्या आवश्यक होगा, यह केवल परमात्मा ही जानते हैं। मनुष्य समस्याओं के आने के बाद प्रतिक्रिया करता है, लेकिन ऐसी दूरदृष्टि, जिसमें भविष्य की हर आवश्यकता पहले से ही पूरी कर दी जाए, मानवीय योजना का परिणाम नहीं हो सकती। यह उसी की पहचान है जो अदृश्य को देखता है, जो आने वाले समय को जानता है।
संत रामपाल जी महाराज के कार्य केवल संकट को टालते नहीं, बल्कि पहले से ही पूर्ण, परिपूर्ण और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप होते हैं। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज स्वयं सर्वोच्च परमेश्वर कबीर हैं, जो मानवता को उबारने के लिए धरती पर प्रकट हुए हैं। वे बिखरी हुई आत्माओं को जोड़ने, दुखों को मिटाने और सच्ची भक्ति तथा मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य का मार्ग दिखाने आए हैं।
सिंहपुरा खुर्द के लिए यह एक निर्णायक मोड़ था। एक ग्रामीण के शब्दों में, “इस सहायता ने सिंहपुरा की किस्मत बदल दी” और गांव को भूख के कगार से वापस खींच लिया।
ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
इसके बाद के दृश्य अत्यंत भावुक थे। किसानों ने मिठाइयाँ बांटी और इस सहायता को ईश्वरीय आशीर्वाद बताया। एक ग्रामीण ने तो यहाँ तक कहा, “संत रामपाल जी महाराज की सहायता प्रकृति के लिए भी एक वरदान है।”
- कई लोगों ने उन्हें ‘मसीहा’ कहा और स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया कि “वह अवतार हैं, वह परमेश्वर हैं।”
- यह कृतज्ञता इसलिए भी और गहरी थी क्योंकि यह जीवन रक्षक सहायता पूरी तरह निःशुल्क प्रदान की गई थी।
- सरपंच जगबीर और उप-सरपंच अनुप दोनों ने संत रामपाल जी महाराज को इस विशाल और त्वरित बाढ़ राहत के लिए धन्यवाद दिया।
जगबीर सरपंच ने कहा, “मेरे गांव की 100 एकड़ से अधिक जमीन पानी में डूबी थी। संत रामपाल जी महाराज ने सहायता का आश्वासन दिया था, और आज उन्होंने अपना वचन निभाया।” - पूर्व सरपंच बीरेंद्र सिंह ने भी कहा, “यदि यह सहायता न मिलती, तो आने वाले बुवाई के लिए फसल भी नष्ट हो जाती।”
- कृतज्ञता के प्रतीक स्वरूप, गांव वालों ने संत रामपाल जी महाराज को उनके शिष्यों के माध्यम से नई पगड़ी और एक स्मृति चिह्न भेंट किया।
उनका सामूहिक वक्तव्य था:
“4500 फीट पाइप और 10 HP मोटर का पूरा सेट प्रदान करने के लिए सिंहपुरा खुर्द का संपूर्ण गांव किसानों के मसीहा संत रामपाल जी महाराज का हृदय से आभार व्यक्त करता है।”
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स्थायी संपत्ति बनी संत रामपाल जी महाराज की बाढ़ राहत सहायता
इस बाढ़ राहत हस्तक्षेप को और भी असाधारण बनाने वाली बात यह थी कि प्रदान की गई मोटर और पाइप कोई अस्थायी व्यवस्था नहीं थीं। इन्हें गांव को स्थायी समाधान के रूप में भेंट किया गया।
संत रामपाल जी महाराज बाजार में उपलब्ध सर्वोत्तम गुणवत्ता की राहत सामग्री प्रदान करते हैं। यह सहायता केवल नाममात्र की नहीं होती। पंपिंग मशीनें भी क्रॉम्पटन या किर्लोस्कर जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड्स की होती हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि ये उपकरण एक बार के उपयोग तक सीमित न रहें, बल्कि वर्षों तक गांव के काम आएँ।

अब सिंहपुरा खुर्द को भविष्य में जलभराव से डरने या बाहरी सहायता पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं रहेगी। यह उपकरण गांव के पास स्थायी रूप से रहेंगे और आने वाली फसलों की सुरक्षा करेंगे। लेकिन जहां इतनी बड़ी सहायता होती है, वहां जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।
राहत सहायता में जवाबदेही और अनुशासन
राहत उपकरण सौंपते समय, संत रामपाल जी महाराज के निर्देश, उनके एक सेवक द्वारा, उपस्थित ग्रामीणों के समक्ष स्पष्ट रूप से बताए गए। संत रामपाल जी महाराज ने गांववासियों से आग्रह किया कि वे आपसी एकता के साथ तुरंत पानी निकासी का कार्य पूरा करें और बिना समय गंवाए बुवाई प्रारंभ करें।
यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि सहायता का दुरुपयोग किया गया या उसका जिम्मेदारी से उपयोग नहीं हुआ, तो ट्रस्ट भविष्य में दोबारा सहायता नहीं करेगा। इसके अतिरिक्त, संत रामपाल जी महाराज ने पारदर्शिता पर भी विशेष बल दिया। निर्देश दिए गए कि तीन वीडियो बनाए जाएँ—
- पहला: जलभराव की वर्तमान स्थिति का
- दूसरा: पानी निकल जाने के बाद का
- तीसरा: जब अगली फसल लहलहाती दिखाई दे
ये वीडियो केवल निगरानी के लिए ही नहीं, बल्कि दस्तावेजी प्रमाण के रूप में भी आवश्यक हैं, जिससे यह विश्वास और मजबूत हो कि संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों द्वारा दिया गया प्रत्येक योगदान सही दिशा में और जनकल्याण के लिए उपयोग हो रहा है। इससे शिष्यों को और अधिक संख्या में आगे आने तथा समाज के उत्थान में योगदान देने की प्रेरणा मिलेगी।
अन्य धार्मिक नेतृत्व के लिए भी एक उदाहरण
ग्रामीणों और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों के बीच हुई चर्चा में यह व्यापक दृष्टिकोण भी सामने आया कि अन्य धार्मिक नेताओं को भी ऐसे जनकल्याणकारी कार्यों में आगे आना चाहिए, जिससे सरकार पर बोझ कम हो सके।
यह देखा गया है कि कई धार्मिक नेता दान तो एकत्र करते हैं, लेकिन उन्हें सार्थक जनसेवा में बहुत कम लगाते हैं। इसके विपरीत, संत रामपाल जी महाराज अन्नपूर्णा मुहिम जैसे अभियानों के माध्यम से इस दृढ़ विश्वास के साथ कार्य करते हैं कि जब अन्य व्यवस्थाएँ विफल हो जाती हैं, तब परमात्मा अपने बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ते।



