July 26, 2025

Shraddh Vidhi (Pitru Paksha) [Video] | श्राद्ध करें तो ऐसे करें | श्राद्ध करने की सर्वोत्तम विधि

Published on

spot_img

Shraddh Vidhi Video (Pitru Paksha) | हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद कई तरह के कर्मकांड करने के लिए हिन्दू धर्म के गुरुओं, संतों, महंतों, कथावाचकों द्वारा कहा जाता है। उन्हीं कर्मकांडों में से एक है श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण। जिन्हें आवश्यक रूप से करने के लिए हिन्दू धर्म के कथावाचकों, संतों, महंतों, शंकराचार्यों द्वारा वकालत की जाती है और मरे हुए व्यक्ति का श्राद्ध करने से उसकी मुक्ति बताई जाती है।

जबकि पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, भूत, पितर पूजने वाले अर्थात श्राद्ध, पिण्डदान करने वाले भूत, पितर बनते हैं। जिससे सिद्ध होता है कि श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण शास्त्रविरुद्ध मनमाना आचरण है। जिसके विषय में श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23 कहा गया है कि “शास्त्रविधि त्यागकर जो व्यक्ति मनमाना आचरण करते हैं उन्हें न सुख प्राप्त होता है, न ही उनकी कोई गति अर्थात मोक्ष होता है। जिससे सिद्ध है कि श्राद्ध, पिंडदान करने से पितरों की मुक्ति संभव नहीं है।

Source: https://bhagwadgita.jagatgururampalji.org/

वहीं अठारह पुराणों में से एक मार्कण्डेय पुराण गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित के पेज 250-251 पर ‘‘रौच्य ऋषि के जन्म’’ में लिखा है कि एक रुची नामक ऋषि था। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वेदों अनुसार साधना करता था। विवाह नहीं कराया था। वह जब 40 वर्ष का हुआ तब उसे अपने चार पूर्वज पिता, दादा, परदादा तथा तीसरे दादा जो मनमाना आचरण शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर भूत योनि में भूखे-प्यासे भटक रहे थे। एक दिन उन चारों ने रुची ऋषि को दर्शन दिए तथा कहा कि आप ने विवाह क्यों नहीं किया। विवाह करके हमारे श्राद्ध करता। रुची ऋषि ने कहा कि हे पितामहो! वेद में श्राद्ध (), पिंडदान आदि कर्म को अविद्या अर्थात मूर्खों का कार्य कहा है। फिर आप मुझे इस शास्त्रविरुद्ध कर्म को करने को क्यों कह रहे हो? पित्तरों ने कहा कि यह बात सत्य है कि श्राद्ध आदि कर्म को वेदों में अविद्या अर्थात् मूर्खों का कर्म ही कहा है। 

Shraddh Vidhi Video | Pitru Paksha | श्राद्ध करने की सर्वोत्तम विधि

इससे स्पष्ट होता है कि हिन्दू धर्म के जितने भी संत, महंत, शंकराचार्य, कथावाचक है वे भक्त समाज को शास्त्र विरुद्ध ज्ञान देकर उनके मानव जीवन के साथ धोखा कर रहे हैं। इसलिए हिन्दू भाई समय रहते संभलो और इस धोखे से बचो। क्योंकि सद्ग्रंथ बताते हैं कि सत्य साधना केवल तत्वदर्शी संत दे सकता है जिसकी शरण में जाने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है। क्योंकि तत्वदर्शी संत ही गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित गुप्त मन्त्रों का उद्घाटन करता है। उसी पूर्ण तत्वदर्शी संत से सतभक्ति ग्रहण करके करने से न केवल शारीरिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं बल्कि पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है और साधक की 101 पीढ़ी का उद्धार हो जाता है जोकि यह पितर तर्पण, श्राद्ध की सर्वोत्तम विधि (Shraddh Vidhi) है।

इस विषय में पवित्र विष्णु पुराण के तीसरे अंश, अध्याय 15 श्लोक 55-56 पृष्ठ 153 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानि शास्त्रानुकूल भक्ति करने वाले साधक को भोजन करवाया जाए तो वह श्राद्ध भोज में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित तथा सर्व पितरों का उद्धार कर देता है। यही प्रमाण परमेश्वर कबीर जी ने भी दिया है,

“कबीर, भक्ति बीज जो होये हंसा, 

तारूं तास के एक्कोतर बंशा।

एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।

माली सीचें मूल को, फलै फूलै अघाय।।”

वर्तमान समय में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग, तत्वज्ञान को सुन-समझकर मानव दीक्षा लेकर साधना कर रहे हैं। जोकि गीता अध्याय 2 श्लोक 53 के अनुसार योगी यानि शास्त्रोक्त साधक हैं जिससे उनके परिवार का उद्धार होता है। वहीं संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सत्संग समागम होते हैं। उसमें भोजन-भण्डारा भी चलता है। जो व्यक्ति उस भोजन-भण्डारे में दान करते हैं।

उससे बने भोजन को योगी यानि शास्त्रोक्त साधक खाते हैं। जिससे पितरों का उद्धार हो जाता है अर्थात उनकी पितर योनि छूटकर उन्हें अन्य जन्म मिल जाता है और इस तरह यदि तत्वदर्शी संत के सत्संग में यदि हजार ब्राह्मण भी उपस्थित हों तो वे भी सत्संग सुनकर शास्त्र विरुद्ध साधना त्यागकर अपना कल्याण करवा लेंगे। इसलिए हमें संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई शास्त्रानुकूल विधि अनुसार श्राद्ध करने चाहिए जिससे हमारा भी उद्धार हो और पितरों का भी।

Latest articles

World Hepatitis Day 2025 (Hindi): विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जानें क्या हैं, हेपेटाइटिस से पूर्ण बचाव के उपाय?

प्रतिवर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर में इस दिवस को मनाने का ध्येय लोगों में हेपेटाइटिस नामक गम्भीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। जाने Hepatitis Day की Theme, Significance, Quotes, Messages के बारे में

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 24 July 2025 IST |  APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि पर जानिए शिवजी से लाभ प्राप्त करने की उत्तम विधि

Last Updated on 24 July 2025 IST: हिन्दु पञ्चाङ्ग में अनुसार कृष्ण पक्ष की...
spot_img

More like this

World Hepatitis Day 2025 (Hindi): विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जानें क्या हैं, हेपेटाइटिस से पूर्ण बचाव के उपाय?

प्रतिवर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर में इस दिवस को मनाने का ध्येय लोगों में हेपेटाइटिस नामक गम्भीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। जाने Hepatitis Day की Theme, Significance, Quotes, Messages के बारे में

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 24 July 2025 IST |  APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...