April 28, 2025

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत में ली शरण

Published on

spot_img

बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुआ लंबा विवाद वहां की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद भी जारी है। शेख हसीना ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और तुरंत बाद भारत में शरण ली, लेकिन बांग्लादेश की परिस्थितियां बिगड़ती जा रही हैं और बवाल थकने का नाम नहीं ले रहा। मुमकिन है कि शेख हसीना यहां से लंदन चली जाएं। जब तक उन्हें ब्रिटेन से राजनीतिक शरण नहीं मिलती है तब तक वे भारत में रहेंगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के संबंध में मीटिंग की है। वहीं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता बदलने का प्रस्ताव रखा है।

 बांग्लादेश में विवादित कोटा सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है। इस सिस्टम के तहत 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़े गए संग्राम में हिस्सा लेने वालों के रिश्तेदारों को 30% सरकारी नौकरियां दी जाती थीं। छात्रों का कहना है कि इस सिस्टम के जरिए शेख हसीना और उनकी पार्टी अपने वफादारों को फायदा पहुंचाती हैं।

पूरे बांग्लादेश में अब तक लगभग छह पुलिस स्टेशनों को जलाया गया है। लगातार हिंदुओं के मंदिर आग के हवाले किए जा रहे हैं। अवामी लीग के कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और नेताओं की संपत्ति को भी आग के हवाले किया जा रहा है। पूरे देश में हिंसा का दौर है और भारी तनाव की स्थिति बांग्लादेश में देखी जा रही है। इस हिंसा में मरने वालों की तादाद सैकड़ों में पहुंच चुकी है। बांग्लादेश के शेरपुर जिले की जेल में भीड़ ने हमला किया और करीब 500 कैदी मुक्त हो गए।

शेख हसीना के बेटे ने यह बताया है कि उनकी मां देश नहीं छोड़ना चाहती थीं पर उन्होंने परिवार के दबाव में देश छोड़ा है। उनके बेटे के अनुसार परिवार के आग्रह पर देश छोड़ने के बाद अब शेख हसीना बांग्लादेश में वापसी नहीं करेंगी। इधर विपक्षी पार्टी बीएनपी की खालिदा जिया के बेटे की देश लौटने की संभावना है और नई सरकार बनने की बात कही जा रही है। खालिदा जिया के जेल से छूटने के बाद उनके बेटे की वापसी अनुमानित है। खालिदा जिया के बेटे पर कई केस दर्ज हैं जिसके चलते वे बांग्लादेश से बाहर हैं। 

बांग्लादेश में प्रदर्शन पिछले महीने शुरू हुए और तब से अब तक इस बवाल में करीब 300 लोग मारे जा चुके हैं। शुरुआत में ये प्रोटेस्ट सिविल सेवा में कोटा के खिलाफ शुरू हुआ था लेकिन बाद में इसने सरकार विरोधी रूप ले लिया और प्रदर्शनकारी पीएम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करने लगे।

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार पिछले कई वर्षों से सत्ता में थी और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। उनकी सरकार के खिलाफ तख्तापलट का होना देश में राजनीतिक अस्थिरता का संकेत है। शेख हसीना का भारत आना और यहां की सरकार से मदद मांगना भी एक बड़ी रणनीतिक चाल हो सकती है।

शेख हसीना का इस तरह अचानक भारत आना न केवल बांग्लादेश के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बन गया है। तख्तापलट के कारण और इसके पीछे की ताकतें अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई हैं। बांग्लादेश की सुरक्षा स्थिति पर इस घटना का क्या असर पड़ेगा, यह देखना अभी बाकी है। इसके साथ ही, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। 

भारत के लिए भी यह स्थिति काफी संवेदनशील है। भारत और बांग्लादेश के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत ने हमेशा बांग्लादेश के लोकतंत्र और स्थिरता का समर्थन किया है। ऐसे में शेख हसीना की सुरक्षा और उनके देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की बहाली के लिए भारत को कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम उठाने पड़ सकते हैं।

इस समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें बांग्लादेश और भारत पर टिकी हुई हैं। दोनों देशों के नेतृत्व की सूझबूझ और उनके उठाए गए कदमों से इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति की दिशा तय होगी। शेख हसीना का भारत आगमन और उनकी अजित डोभाल से मुलाकात एक नई दिशा में संकेत करती है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं, जो इस घटना की गहराई को उजागर करेंगे।

जानकारी के लिए बता दें कि शेख हसीना जो अब तक बांग्लादेश की सत्ता पर 15 वर्षों से आरूढ़ थीं उन्होंने सदैव भारत का साथ दिया है। ऊर्जा, कनेक्टिविटी, व्यापार जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों में ठीक संबंध रहे हैं। बांग्लादेश में नई सरकार बनने से विदेशी कूटनीति में बदलाव की आशंका है।

तीस्ता नदी सिंचाई परियोजना भी अधर में लटकती दिखाई दे रही है। बांग्लादेश में नई सरकार के गठन से दोनों देशों के संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत और बांग्लादेश के बीच 4090 किलोमीटर लंबी थल सीमा है, बांग्लादेश में फैली आगजनी, अशांति और तनाव के कारण बड़ी संख्या में लोग यहां पलायन की सोच सकते हैं। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थियों का आना देश की सुरक्षा के लिए चिंताजनक साबित हो सकता है।

Latest articles

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...
spot_img

More like this

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...