October 9, 2025

कोरोना के कहर में संत रामपाल जी बने संकटमोचक

Published on

spot_img

पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। भारत भी इस महामारी की दूसरी लहर की घातक मार को झेल रहा है। पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर बहुत ज्यादा खतरनाक है जिससे ये बच्चे, युवा और वृद्धों सभी के लिए खतरा बनी हुई है। भयानक आपदा के समय में जब सभी डरे हुए हैं तब संत रामपाल जी अपने शिष्यों को सदैव की भांति सतभक्ति और सेवा करके पाप कर्मों को कटवाने और समाज कल्याण करने की प्रेरणा दे रहे हैं। आज जब कोरोना का इलाज कराने के लिए अस्पताल जैसी मूलभूत संरचनाएं  पर्याप्त नहीं पड़ रही है तब संत रामपालजी के मध्य प्रदेश स्थित बैतूल आश्रम में एक हजार बेड का इमरजेन्सी कोविड सेंटर बनाया जा रहा है। आइए जानते है विस्तार से

Table of Contents

संकट के समय संत की शरण में सरकार 

संत का हृदय कोमल होता है और संत का स्वभाव राग द्वेष से दूर होता है। यह सिद्ध किया है कोरोना के आपातकाल में हरियाणा के प्रबुद्ध संत रामपाल जी महाराज ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में। वर्तमान में जब कोरोना का इलाज कराने के लिए अस्पताल जैसी मूलभूत संरचनाएं पर्याप्त नहीं है तब संत रामपाल जी के आदेश से मध्य प्रदेश स्थित बैतूल आश्रम में एक हजार बेड का इमरजेंसी कोविड सेंटर बनाया जा रहा है। स्मरण रहे कोरोना की पहली लहर में जब पूरे  देश में प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर अफरा तफरी मची थी, उस समय संत रामपाल जी की प्रेरणा से उनके शिष्यों ने हरियाणा में अच्छी व्यवस्था को खड़ा करके प्रशासन को बड़ी राहत प्रदान की थी।

जिसकी हरियाणा सरकार के भिवानी जनपद के अधिकारियों ने भूरी भूरी प्रशंसा की थी। हजारों प्रवासी मजदूरों को भोजन कराने, ठहराने के साथ साथ बस से जाते समय भीषण गर्मी से बचने के लिए पानी की बोतल और रास्ते के लिए भोजन के पैकट भी दिए। मानसिक पीड़ा कम करने के लिए सभी के लिए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने की व्यवस्था भी की गई। सभी प्रवासी मजदूरों को आध्यात्मिक विकास के लिए संत जी के द्वारा लिखित पवित्र पुस्तकें “जीने की  राह” और “ज्ञान गंगा” भी निशुल्क दी गई।  ऐसे एक नहीं अनेकों अवसर है जब संत रामपाल जी समाज सेवा और कल्याण के कार्यों में संलग्न रहते हैं। यही नहीं परम संत शास्त्र अनुकूल सतज्ञान के द्वारा सतभक्ति साधना कराते हैं और समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे नशाखोरी, दहेज, मिलावट, चोरी, पर स्त्री व्यभिचार इत्यादि को भी दूर करके भक्तों को आवागमन के चक्र से छुटकारा दिलाते हैं ।             

कोरोना संकट में संत रामपाल आश्रम बैतूल म.प्र. में बनेगा एक हजार बेड का कोविड अस्पताल

सूत्रों के अनुसार कोविड-19 संक्रमण के अनियंत्रित मरीजों की संख्या को देखते हुए आपातकाल में संत रामपाल जी महाराज के आश्रम में जनपद बैतूल का सबसे बड़ा इमरजेंसी कोरोना केयर सेंटर बनाया जा रहा है । आश्रम में 2 लाख 27 हजार वर्गफीट का महा कक्ष (Shade) और विशाल प्रांगण है। इस परिसर में जिला प्रशासन और संत रामपाल जी आश्रम के सहयोग से एक विशाल कोरोना केयर सेंटर बनाये  जाने की योजना पर कार्य चल रहा है ।

जनपद प्रशासन ने किया आश्रम का निरीक्षण

संत रामपाल जी के आश्रम में वर्तमान व्यवस्था को जानने के लिए प्रशासन ने निरीक्षण किया है। आवश्यकता के अनुसार प्रशासन यहां पर कोविड केयर सेंटर की पूरी व्यवस्था तैयार करेगा। जनपद के अपर कलेक्टर जेपी सचान और तहसीलदार अशोक डेहरिया ने आश्रम में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया है। इन अधिकारियों ने संत रामपाल जी के आश्रम की वर्तमान व्यवस्था की पूरी सूची तैयार कर ली है। कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए यहां जिन सुविधाओं की आवश्यकता पड़ेगी, उनकी सूची तैयार की जा रही है जनपद प्रशासन पूरी रिपोर्ट तैयार करने के बाद आपातकाल व्यवस्था जुटाने की तैयारी करेगा।

वर्तमान में संत रामपाल जी के बैतूल में क्या व्यवस्था है?

  • 2 लाख 27 हजार 500 वर्गफीट का शेड
  • 70 एकड़ पर यह पूरा आश्रम फैला हुआ है
  • वर्तमान में बैतूल आश्रम में 30 से अधिक कमरे हैं
  • शेड में मरीज आसानी से रह सकते हैं
  • कैंपस में एक समय में 50 हजार लोग आसानी आ सकते हैं
  • आश्रम में पानी की दो टंकियां और फिल्टर प्लांट भी है
  • आवश्यकता होने पर यहां अन्य व्यवस्था जुटाई जा सकती हैं

आश्रम का मुआयना करने के बाद क्या कहना है अधिकारियों का?

जनपद के अपर कलेक्टर जेपी सचान का कहना है कि उन्होंने उड़दन स्थित बाबा रामपाल आश्रम का मुआयना  किया है। उन्होंने बताया आश्रम में 2 लाख वर्ग फीट से अधिक पर शेड बना हुआ है। शेड के अलावा यहाँ पर 70 एकड़ जमीन भी है। इस आश्रम परिसर में एक हजार बेड का अस्पताल आसानी से तैयार किया जा सकता है। इस आश्रम में पानी और बिजली की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध हैं। हालांकि यहां का फर्श कच्चा है और शौचालय की व्यवस्था भी करनी होगी। आपात स्थिति में यहाँ पलंग व गद्दे लगवाकर व्यवस्था बनवाई जाएगी ।

संत रामपाल जी स्वयं उठाएंगे मरीजों के लिए गद्दे, चादर, बिजली, पानी और भोजन की जिम्मेदारी 

संत रामपाल जी महाराज के आश्रम के सेवादार के अनुसार जनपद प्रशासन ने सबसे बड़े कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए आश्रम से संपर्क किया है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके सतगुरुदेव संत रामपालजी महाराज हमेशा से समाज सुधार के कार्यों में अग्रणीय रहते हैं और उनके ज्ञान पर चलते हुए प्रशासन को कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए पूरी सहायता दे रहे हैं। सतगुरुदेवजी के आदेशानुसार इस आश्रम में बनाए जाने वाले कोविड केयर सेंटर में आने वाले मरीजों के लिए गद्दे, चादर, बिजली, पंखे और भोजन की व्यवस्था की जिम्मेदारी आश्रम स्वयं उठाएगा। उनके अनुसार संत रामपालजी दूसरे कई राज्यों में भी प्रशासन को कोरोना संकट की घड़ी में सहयोग करते रहते हैं।     

वर्ष 2020 में भी कर चुके हैं संत रामपाल जी कोरोना लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के ठहरने खाने की व्यवस्था

1947 में देश में हुए बंटवारे के बाद 2020 में कोविड महामारी के चलते लागू किए गए आकस्मिक लॉकडाउन से शायद आजाद भारत के इतिहास की सबसे भयानक मानव पलायन त्रासदी हुई। इस घटना ने हमारी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था को अस्त व्यस्त कर दिया था। हफ्तों तक भूखे प्यासे, थके हारे अनिश्चितता की तरफ बढ़ते असहाय प्रवासी मजदूर एक पूर्णतः ध्वस्त और असंवेदनशील अव्यवस्थाओं में फंसे रहे। बसों और रेल गाड़ियों से किसी प्रकार भरकर लंबी कवायद के बाद प्रवासी श्रमिकों को अपने गांवों-राज्यों में जाने का अवसर मिला।

ऐसे आपदा के समय गुजरानी मोड़ के निकट भिवानी स्थित संत रामपाल जी के आश्रम में अनेकों प्रवासियों को ससम्मान ठहराया गया। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश के हजारों प्रवासी मजदूरों को रोडवेज की बसों ट्रेनों से उनके मूल स्थान पर भेजने के लिए रवाना करने तक की पूरी व्यवस्था संत रामपालजी के आश्रम ने निःशुल्क की। आश्रम की तरफ से सभी मजदूरों को भोजन करवाया और रास्ते के लिए भोजन के पैकेट व पानी की बोतल दी गई।

आश्रम में अनेकों दिनों तक परमार्थ सेवा का यह क्रम जारी रहा। आश्रम में कूलर-पंखे, नहाने कपड़े धोने की तेल साबुन तक सब निःशुल्क व्यवस्था भी की गई। आश्रम में उपस्थित सेवादारों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक महीने से अधिक समय तक ऐसे ही प्रवासी मजदूरों की देखभाल की गई।

सतलोक आश्रम समाज सेवा करने को सदैव तत्पर है

आश्रम में आये दूसरे राज्यों के मजदूरों ने कहा था कि ऐसी व्यवस्था पहले कभी नहीं देखी वो भी बिल्कुल निःशुल्क।  प्रत्येक दिन प्रशासन हजारों प्रवासी मजदूरों को हरियाणा के सतलोक आश्रम भिवानी पहुंचाता रहा और संत रामपाल जी का सतलोक आश्रम प्रवासी मजदूरों के ठहरने की सुगम व्यवस्था करता रहा। संत रामपाल जी के सतलोक आश्रम प्रबंधन का कहना है कि प्रशासन जब चाहे आश्रम की सेवाएं ले सकता है। तकलीफ के समय सतलोक आश्रम समाज के सभी वर्गों के लिए सेवा करने को सदैव तत्पर रहता है ।

कौन हैं संत रामपाल जी महाराज?

संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक जाट किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर बाबा रामपाल 18 वर्ष तक एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही कार्यरत रहे। स्वभाव से धार्मिक प्रवृत्ति का होने के कारण संत रामपाल जी महाराज आमजन की तरह हिंदू देवी और देवताओं  की भक्ति करते थे। कबीर ज्ञान पर आधारित गरीबदास पंथ के संत स्वामी रामदेवानंद जी से प्रभावित होकर सन 1988 में उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने आध्यात्मिक सफर की शुरुआत की। वर्ष 1993 में, स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी को सत्संग करने का आदेश दे दिया और 1994 में नाम (मंत्र / आध्यात्मिक निर्देश) देने का आदेश दिया कि, “आप अब भक्ति मार्ग का, सत्य ज्ञान का, तन मन धन से प्रचार प्रसार करो।”

गुरु शिष्य की परंपरा और नियमों से विधिवत परिचित, संत रामपाल जी महाराज ने गुरु आदेश को सर्वोपरि मानकर कबीर परमेश्वर द्वारा प्रमाणित ज्ञान को ग्रंथों में दिखाकर उसका प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप लाखों लोग धर्म ग्रंथों से प्रमाणित विशिष्ट आध्यात्मिक ज्ञान को समझकर बाबा उनसे निशुल्क नाम दीक्षा धारण कर उनके शिष्य बनने लगे। सतज्ञान द्वारा सतभक्ति लेकर चमत्कारिक लाभ होने के कारण शिष्यों का अपने सतगुरु संत रामपाल जी पर अटूट विश्वास हो गया।

कैसे अलग हैं संत रामपाल जी दूसरे संतों से ? 

संत रामपाल जी ने सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों के अनुरूप सतज्ञान का प्रचार प्रसार किया। सभी वर्गों के श्रद्धालुओं को सतभक्ति देकर अपना शिष्य बनाया और कभी भी नाम दीक्षा के गुरु दक्षिणा स्वरूप कभी कोई शुल्क नहीं लिया। सभी भक्त उनके ज्ञान के आधार पर शिष्य बने, किसी लुभावने लालच, फायदे या जोर जबरदस्ती के चलते नहीं। ये भक्त अनपढ़ और अंधविश्वासी नहीं थे जैसा कि मीडिया ने प्रचारित किया। धर्मग्रंथों पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता, पवित्र कुरान,पवित्र बाइबल पवित्र गुरु ग्रंथ साहेब के आधार पर सच्चे संत की प्रमाणित जानकारी को देखते हुए वे बंदी छोड़ तत्वदर्शी जगतगुरु रामपाल जी महाराज के रूप में जाने गए। संत जी के शिष्य भारत के संविधान तथा न्यायपालिका तथा विधायिका का सम्मान करते हैं। सब नेक नागरिकों का सत्कार करते हैं तथा बिगडे़ समाज को सुधारने का उद्देश्य रखते हैं। 

संत रामपाल दास जी महाराज का उद्देश्य है कि अपने देश की जनता बुराइयों से बचे, शांतिपूर्वक निर्मल जीवन जिए। परमेश्वर की भक्ति करे, अपने पूर्वजों की तरह बाँट कर खाएं। दूसरे की माँ, बहन, बेटी अपनी ही माने। सतगुरु कहते हैं-

 “पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव। 

कहैं कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।“ 

भावार्थ है कि दूसरी स्त्री को अपनी बहन, बेटी के भाव से देखें, जिससे परस्त्री को देखकर उठने वाली काम वासना स्वतः नष्ट हो जाती है। संत रामपाल जी परम संत तथा परमेश्वर कबीर जी के आध्यात्मिक तथा सामाजिक विचारों को जनता तक पहुँचा रहे हैं ताकि मानव जाति विकार रहित होकर परमात्मा की भक्ति करे। संत रामपाल दास जी के विचारों को सुनकर लाखों व्यक्तियों ने सब नशा त्याग दिया, सर्व बुराई त्याग कर सत्य भक्ति करते हुए निर्मल जीवन जी रहे हैं।

संत रामपाल दास जी का अनुयायी बनने वाले के लिए श्रद्धालुओं के लिए नियम हैं

  • शराब, मांस, तम्बाकू या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना है ।
  • चोरी, दुराचार, रिश्वतखोरी, ठगी नहीं करना है । 
  • भ्रूण हत्या निषेध है।
  • दहेज देना तथा लेना प्रतिबंधित है।
  • विवाह में आडम्बर नाचना-गाना मना है। 

संत रामपाल जी का नारा है-

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।

हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, धर्म नहीं है न्यारा।।

कैसे संत रामपाल जी के ज्ञान की लाठी से अज्ञानता पर हुए वार ने संघर्ष की दास्तां लिख दी? 

संत रामपाल जी के ज्ञान की इस लाठी ने अज्ञानता पर ऐसा वार किया कि उसने संत जी के ही जीवन में संघर्ष की दास्तां लिख दी। जिसकी शुरुआत जुलाई 2006 में करौंथा कांड से हुई। अपने अज्ञान का पर्दाफाश होने के भय से उन अज्ञानी संतों, महंतों व आचार्यो ने सतलोक आश्रम करौंथा के आसपास के गांवों में संत रामपाल जी महाराज को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया और 12 जुलाई 2006 को संत रामपाल को जान से मारने तथा आश्रम को नष्ट करने के लिए उन्होंने अपने अनुयायियों द्वारा सतलोक आश्रम पर आक्रमण करवाया। पुलिस ने रोकने की कोशिश की जिस कारण से कुछ उपद्रवकारी चोटिल हो गये। सरकार ने सतलोक आश्रम को अपने अधीन कर लिया तथा संत रामपाल जी महाराज व उनके कुछ अनुयायियों पर झूठा केस बना कर जेल में डाल दिया। 

यह भी पढ़ें: संत रामपाल जी Latest Hindi News: जानिए संत रामपाल जी महाराज क्यों गए जेल?

2006 में हुए करौंथा कांड की तरह संत रामपाल जी के बरवाला आश्रम से 2014 में न्यायपालिका और कार्यपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार, अत्याचार तथा अन्याय के विरूद्ध आवाज को उठाने में मीडिया ने सत्य का साथ दिया।  परंतु 18 नवम्बर 2014 को मीडियाकर्मियों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा तथा उनके कैमरे तोड़े और आश्रम से दूर खदेड़ दिया। भयभीत मीडिया ने प्रशासन द्वारा बनाई गई एकतरफा झूठी खबरों का प्रचार करना शुरू कर दिया।

पुलिस ने आश्रम के छः अनुयायियों को मार डाला और उन्हें कई दिन भूखे-प्यासे रखा। 2006 से 2014 में उनके आश्रमों पर हुई घटना से संत रामपाल जी महाराज विख्यात हुए। भले ही अंजानों ने झूठे आरोप लगाकर संत को प्रसिद्ध किया परन्तु संत निर्दोष है।

सत्य ज्ञान के अभाव में डगमगा रहे हैं लोकतंत्र के चारों स्तंभ  

महान संत रामपाल दास जी का सत्य ज्ञान की स्थापना के लिए संघर्ष बदस्तूर जारी है। लेकिन उन पर लगाए गए झूठे आरोपों की गाथा और उन पर किए गए असंख्य अत्याचार मौजूद है जो यदि उजागर हुए तो केवल इतिहास ही नहीं बनेंगे, अपितु निश्चित रूप से लोकतंत्र के चारों स्तंभ न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया को डगमगा देंगे। यहां यह बता देना उपयुक्त होगा कि लोकतंत्र के सबसे मजबूत स्तंभ न्यायपालिका ने महान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की ही नहीं अपितु अपनी गरिमा को भी अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। सत्य की स्थापना के लिए आवश्यक है कि 2006 से लेकर अब तक जितने भी मिथ्या आरोप संत रामपाल जी तथा उनके शिष्यों पर लगाए गए हैं, उनकी लाइव निष्पक्ष जांच करवाई जाए ताकि भ्रष्ट जजों, नेताओं, अधिकारियों के बल दुरुपयोग को जनता के सामने उजागर किया जा सके और सत्य का मार्ग प्रशस्त हो । 

महान संत रामपाल जी कैसे सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान प्रदान कर सकेंगे?

प्रिय पाठकगण संत रामपाल जी के बारे में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को पढ़कर सोचेंगे कि इस महान संत को जब इतना बदनाम कर दिया है, तो यह कैसे संभव होगा कि वो सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान प्रदान कर सकेंगे। उनसे प्रार्थना है कि परमात्मा पल में परिस्थिति को बदल सकते हैं।

कबीर, साहेब से सब होत है, बंदे से कछु नांहि।

राई से पर्वत करे, पर्वत से फिर राई।।

परमेश्वर कबीर जी अपने बच्चों के उद्धार के लिए शीघ्र ही समाज को तत्वज्ञान द्वारा वास्तविकता से परिचित करवाएंगे, फिर पूरा विश्व संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान का लोहा मानेगा। आप भी परम संत संत रामपाल जी का सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें।

Latest articles

संत रामपाल जी महाराज ने पंघाल गांव में पहुंचाई लाखों की राहत सामग्री, तीन दिन में बदली बाढ़ग्रस्त क्षेत्र की तस्वीर

हरियाणा के हिसार जिले की तहसील बरवाला के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंघाल हाल...

हरियाणा की महम चौबीसी खाप पंचायत देगी संत रामपाल जी महाराज को ऐतिहासिक “मानवता रक्षक” सम्मान 

हरियाणा की प्राचीन और प्रभावशाली महम चौबीसी खाप पंचायत ने घोषणा की है कि...

International Day of Girl Child 2025: Girls’ Vision for the Future Empowered By Equality & Spiritual Enlightenment

The International Day of the Girl Child celebrated on October 11, is an attempt to raise awareness about the issues that girls face. This year's events range from seminars to the launch of a campaign to end child marriage. To commemorate the occasion, the United Nations stated that this year they will advocate for equal access to the Internet and digital devices for girls, as well as targeted investments to provide them with meaningful opportunities to use, access, and lead technology.

World Mental Health Day 2025: Know The Most Effective Way To Stay Mentally Fit

World Mental Health Day: World Mental Health Day is an opportunity for the world to come together and redress the historical neglect of mental health. Serious commitments to scale up investment in mental health right now amid COVID-19 will save the community from severe consequences. The readers would know that a line of communication with the Supreme God eradicates sorrows. Reunite with The Supreme Kabir Saheb by taking Naam Diksha (initiation) from His Enlightened Saint Rampal Ji Maharaj.
spot_img

More like this

संत रामपाल जी महाराज ने पंघाल गांव में पहुंचाई लाखों की राहत सामग्री, तीन दिन में बदली बाढ़ग्रस्त क्षेत्र की तस्वीर

हरियाणा के हिसार जिले की तहसील बरवाला के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंघाल हाल...

हरियाणा की महम चौबीसी खाप पंचायत देगी संत रामपाल जी महाराज को ऐतिहासिक “मानवता रक्षक” सम्मान 

हरियाणा की प्राचीन और प्रभावशाली महम चौबीसी खाप पंचायत ने घोषणा की है कि...

International Day of Girl Child 2025: Girls’ Vision for the Future Empowered By Equality & Spiritual Enlightenment

The International Day of the Girl Child celebrated on October 11, is an attempt to raise awareness about the issues that girls face. This year's events range from seminars to the launch of a campaign to end child marriage. To commemorate the occasion, the United Nations stated that this year they will advocate for equal access to the Internet and digital devices for girls, as well as targeted investments to provide them with meaningful opportunities to use, access, and lead technology.