December 23, 2025

संकट में किसानों के मसीहा बने संत रामपाल जी महाराज – 9 नवंबर को गुराना में दिया जाएगा “किसान रक्षक सम्मान” 

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हरियाणा के हिसार जिले के बरवाला क्षेत्र गाँव गुराना में 9 नवंबर 2025 का दिन इतिहास में एक विशेष अवसर के रूप में दर्ज होने जा रहा है। यह वह क्षण होगा जब किसानों के दुःख-दर्द को अपना समझकर उनका निवारण करने वाले और सबसे आगे आकर उनकी करुणा और सेवा से मदद करने वाले एकमात्र संत रामपाल जी महाराज का सम्मान (किसान रक्षक सम्मान) हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति में किया जाएगा। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि कृतज्ञता का पर्व है।

पिछले दिनों हरियाणा के कई इलाकों में बाढ़ जैसी परिस्थिति ने किसानों की मेहनत को तहस-नहस कर दिया था। खेत जलमग्न हो गए, फसलें बर्बाद हो गईं, और किसानों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। हिसार, रोहतक, फतेहाबाद, भिवानी आदि जिलों से कई गाँवों में सबकुछ ख़त्म हो चुका था। महम, गोहाना, ढण्ढेरी, भिवानी, बहलबा, सज्जनपुर आदि स्थानों से दिल दहला देने वाली दर्दनाक तस्वीरें सामने आई जहाँ लोग सदमे से अपनी जान गँवा बैठे और कई पलायन कर गए।

ऐसे कठिन समय में जब अधिकांश मदद केवल कागज़ों तक सीमित रही और किसान सरकारी दरवाज़े खटखटा कर थक गए तब संत रामपाल जी महराज जी ने उनका साथ दिया। जब सभी किसान हर तरफ़ से हार थक गए तब उन्होंने संत रामपाल जी महाराज के दर पर अपनी प्रार्थना भेजी जो मात्र कुछ ही घंटों में स्वीकार की गई। संत रामपाल जी महाराज ही वास्तविक रूप में किसानों के साथ खड़े हुए।

संत रामपाल जी महाराज जी की मदद केवल हरियाणा नहीं बल्कि पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में भी बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए शामिल रही। उन्होंने राहत शिविरों का आयोजन कराया, खेतों से पानी निकालने में सहयोग दिया, भोजन और सामग्री वितरित कराई और यह सब बिना किसी प्रचार के, केवल मानवता की भावना से प्रेरित होकर।

उनकी इसी सेवा भावना को श्रद्धांजलि देने के लिए नौगामा बूरा खाप पंचायत, पुनिया खाप पंचायत और सरपंच एसोसिएशन बरवाला ने संयुक्त रूप से “सम्मान समारोह” आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह समारोह रविवार, 9 नवंबर 2025, सुबह 11 बजे से खेल ग्राउंड, बस स्टैंड के पास, गाँव गुराना (हिसार, हरियाणा) में आयोजित होगा। तीनों संस्थाएँ किसानों की आवाज़ और क्षेत्र की सामूहिक चेतना का प्रतीक मानी जाती हैं। उनके एक साथ आने से यह कार्यक्रम सामाजिक एकता और कृतज्ञता का प्रतीक बन गया है। विश्व के एकमात्र किसानों के हितकारी और उन्हें मदद करने वाले संत रामपाल जी महाराज को ये तीनों संस्थाएं सम्मानित करेंगी। 

आयोजकों के अनुसार कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे सत्संग से होगी। क्षेत्र के अनेक पंचायत प्रतिनिधि, किसान संगठन और श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होंगे। “किसान रक्षक सम्मान” के अंतर्गत संत रामपाल जी महाराज को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए औपचारिक रूप से सम्मानित किया जाएगा। आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं और ग्रामीणों के लिए व्यवस्था की जा रही है ताकि हर व्यक्ति इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बन सके। आयोजकों ने सभी क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे इस समारोह में शामिल होकर गुरुजी के सम्मान में उपस्थित हों। कार्यक्रम के दौरान सत्संग के साथ-साथ किसान प्रतिनिधियों और पंचायत नेताओं के संबोधन भी होंगे। 

संत रामपाल जी महाराज ने हमेशा “सेवा को ही सच्ची भक्ति” बताया है। उनके अनुयायियों ने प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुँचाकर यह सिद्ध भी किया कि सच्ची धार्मिकता केवल पूजा में नहीं, बल्कि दूसरों के दुख में साथ देने में है। जहाँ आम कथावाचक एक एक कथा करने का लाखों और करोड़ों रुपए लेते है वहीं संत रामपाल जी महाराज ने करोड़ों रुपए किसानों के लिए निस्वार्थ भाव से लगा दिए। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार किसान अन्नदाता है और उसका दर्द समझना और उसका निवारण आवश्यक है।

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संत रामपाल जी महाराज ने मशीनों से खेतों का पानी निकलवाया, पशुओं के लिए चारा पहुँचाया और किसानों की बुवाई को समय पर शुरू करने में मदद की। सभी गांवों में किसी में दस किसी में पंद्रह तो किसी में छह पानी निकालने के लिए दस से बीस हॉर्स पॉवर की मोटरें और हजारों फीट पाइप भेजे। कहीं कहीं तो नगद लाखों रुपए भी दिए ताकि कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। यहाँ तक कि संत रामपाल जी महाराज ने किसानों को यह कह दिया कि वे कितने भी लागत के संसाधनों की मदद माँग सकते हैं लेकिन अगली फसल की बुवाई आवश्यक रूप से समय पर करें। उनकी यह पहल किसानों के लिए जीवनदान बन गई। इसी कारण महम चौबीसी खाप ने संत रामपाल जी महाराज को मानव रक्षक सम्मान से सम्मानित किया।

संत रामपाल जी महाराज जी की कृपा अकेले हरियाणा नहीं बल्कि पूरे देश में विभिन्न आपदाओं पर मदद के रूप में बरसी है। वर्तमान में जब देश के उत्तरी भाग में जल संकट इतना गहराया है कि सभी किसान हार गए। फसल और धान हानि के साथ साथ पशु धन बड़ी मात्रा में खत्म हुआ। जलभराव से सड़न और बदबू फैलने लगी। कुछ सदमों में जान गँवा बैठे तो कुछ आत्महत्या के लिए सोचने पर मजबूर थे। कुछेक तो पलायन भी कर गए। परिस्थतियाँ कब ठीक होंगी इसकी दूर दूर तक कोई आस नहीं थी। 

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यों तो अन्नदाता आसानी से हार नहीं मानता लेकिन परस्थितियों ने और सरकार ने उनका साथ नहीं दिया। जब हर तरफ़ से वे निराश हुए तब किसानों को संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में आख़िरी उम्मीद नज़र आई। उन्होंने संत रामपाल जी महराज के अनुयायियों के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज जी के चरणों में प्रार्थना भेजी और संत रामपाल जी महाराज ने बहुत जल्दी उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। जिस गाँव से जो प्रार्थना आई थी वहाँ उनकी माँग से अधिक सामान उन्हें संत रामपाल जी महराज ने भेजा। लाखों करोड़ों रुपए की उच्च स्तर की मशीनें और हाई क्वालिटी पाइप संत रामपाल जी महाराज ने केवल इसलिए दिए ताकि अन्नदाता किसान अपनी अगली फसल की बुवाई समय पर कर सकें और इस दुख से बाहर आ सकें।

यह समारोह सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि समाज के लिए एक सीख है कि किसी की मदद करने के लिए भगवान बनना ज़रूरी नहीं, बस इंसानियत चाहिए। संत रामपाल जी महाराज ने यह साबित कर दिया कि सच्चा संत वही है जो दूसरों के दुख में अपने सुख का त्याग कर दे। संत रामपाल जी महाराज जी ने अपना तन मन धन और जीवन इस समाज के हित में समर्पित कर दिया है। संत रामपाल जी महाराज ने सर्वोत्तम भक्ति विधि बताई है जिसने सुख समृद्धि और मोक्ष के दरवाजे सबके लिए खोले। संत रामपाल जी महाराज जी ने समाज से बैर, जातिवाद, ऊँचनीच, दहेजप्रथा आदि का उन्मूलन भी किया है।

चाहे महामारी हो या बाढ़ बरसात की मार, चाहे भूख हो या टूटी छत संत रामपाल जी महाराज ने बिना यह देखे कि लाभार्थी उनका अनुयायी है अथवा नहीं, उसकी मदद की है। संत रामपाल जी महाराज ने हमेशा अपने सत्संगों के माध्यम से यानी संदेश दिया है कि विश्व के सभी लोगों समेत जीव जंतु भी एक ही परमात्मा की संतानें हैं। परदुख को अपना दुख समझने की शिक्षा देने वाले संत संत रामपाल जी महाराज का पूरा विश्व सदैव ऋणी रहेगा।

9 नवंबर का यह दिन हरियाणा की धरती पर मानवता, कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक बनकर उभरेगा।

  • स्थान: खेल ग्राउंड, बस स्टैंड के पास, गाँव गुराना (हिसार, हरियाणा)
  • समय: रविवार, 9 नवंबर 2025, सुबह 11 बजे

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