Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: बिहार के उत्तरी क्षेत्रों और नेपाल में लगातार हो रही भारी बारिश से बाढ़ का संकट बढ़ गया है। करीब 18 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिनमें 479 ग्राम पंचायतों में पानी भर गया है। इस प्राकृतिक आपदा ने अब तक 16 लाख से अधिक लोगों पर असर किया है। दरभंगा और सहरसा जिले में बागमती और अधवारा नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे हजारों लोगों को घर छोड़ना पड़ा हैं और वे खाने-पीने की भारी समस्या से जूझ रहे हैं।
ऐसे मुश्किल समय में संत रामपाल जी महाराज के शिष्य अपनी जान की परवाह किए बिना बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत पहुंचा रहे हैं। उनके शिष्य हर दिन 5000 से अधिक भोजन के पैकेट बाढ़ पीड़ितों के घर-घर पहुंचा रहे हैं, जिससे उन्हें आवश्यक मदद और राहत मिल रही है।
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: दरभंगा और सहरसा में राहत प्रयास
बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में दरभंगा के किरतपुर प्रखंड के खैसा, मुसहरिया, जमालपुर और सहरसा जिले के महिषी प्रखंड के गांव शामिल हैं। यहां के लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई घरों को बाढ़ ने पूरी तरह से तबाह कर दिया है। इन क्षेत्रों में संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए घर घर राहत सामग्री पहुँचाई है।
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: पचभिंड्डा, शंकरथुवा, बालूवारी, समानी, उसराही, खोरावरतर, जलई, डुमरी सुपौल, गरौल और बहरामपुर जैसे गांवों में रोजाना भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। इन कार्यों ने बाढ़ पीड़ितों के जीवन में कुछ सुकून लाया है और उन्हें जीवन की उम्मीद दी है।
समर्पित सेवकों द्वारा सेवा का संचालन
इस राहत कार्य में संत रामपाल जी महाराज के 150 से अधिक सेवक दिन-रात सेवा कर रहे हैं। इस पूरे कार्य की देखरेख मुख्य रूप से नागेंद्र दास और सुशांत दास कर रहे हैं, जबकि अन्य सेवक कैलाश दास, सुभाष दास, आशुतोष दास, शिबू दास, ध्रुप दास और सचिन दास भी सक्रिय रूप से राहत कार्य में जुटे हैं। संत जी के अनुयायी स्वयं बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए भोजन तैयार कर रहे हैं और उनके पास जाकर उन तक पहुँचा रहे हैं।
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: इस मानवीय सेवा के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों को न केवल भोजन और राहत सामग्री मिल रही है, बल्कि उन्हें इस मुश्किल समय में मानसिक और भावनात्मक सहायता भी मिल रही है, जो कि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: टैंट लगाकर चाय बिस्कुट और भोजन की व्यवस्था भी की है
संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके शिष्यों ने सहरसा जिले के कोसी पुल के पास गरौल चौक पर भंडारे के लिए टेंट की व्यवस्था की है। यहां पर जो भी बाढ़ पीड़ित आ रहें हैं उन्हें सुबह के समय में चाय और बिस्किट भी दिए जा रहे हैं और भोजन के समय भोजन कराया जा रहा है। विस्थापित लोगो की ज़रूरतों और पोषण का पूरा ख़्याल रखा जा रहा है।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भोजन और राहत सामग्री के साथ साथ पानी और सूखे राशन को भी बाढ़ पीड़ितों को प्रदान कर इस विपदा में उनका सहारा बन रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज के सामाजिक कार्यों का उदाहरण
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य हमेशा से मानवता की सेवा में अग्रणी रहे हैं, जो उनके गुरु की शिक्षाओं का प्रतिफल है। संत रामपाल जी महाराज का मानना है कि समाज की भलाई और उत्थान के लिए निस्वार्थ सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान भी, उनके सतलोक आश्रम में 1000 बेड का कोविड राहत केन्द्र बनाया गया था, जिसमें मजदूरों के लिए नि:शुल्क रहने की व्यवस्था की गई थी।
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: संत रामपाल जी ने अपने शिष्यों के साथ मिलकर दहेज, नशा, और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है। उनके अनुसार, समाज में शांति और सद्भावना लाने के लिए इन बुराइयों को खत्म करना आवश्यक है।
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: राहत कार्य: करुणा और एकजुटता की मिसाल
बिहार में बाढ़ के इस भयानक संकट में, संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने अपनी करुणा और मानवता का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी समय पर की गई मदद ने न केवल हजारों बाढ़ पीड़ितों की जान बचाई, बल्कि उन्हें इस समय में उम्मीद भी दी है।
हज़ारों भोजन के पैकेट और राहत सामग्री का निरंतर वितरण यह दर्शाता है कि मानवता की सेवा के लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है। इस मानवीय सेवा ने न केवल पीड़ितों के दिलों में संत रामपाल जी महाराज और उनके शिष्यों के प्रति आस्था बढ़ाई है, बल्कि समाज में एक नया संदेश भी फैलाया है कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।
काल ब्रह्म: दुखों का कारण
Bihar Badh Rahat Sahayata Yojana: संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं के अनुसार, सभी दुख, चाहे वह बाढ़ जैसी आपदाएं हों या जीवन में अन्य कष्ट, काल ब्रह्म के प्रभाव का परिणाम हैं। यह भौतिक संसार, जीवन, मृत्यु और पीड़ा से भरा है, अस्थाई है और इसका अंत दुःख में ही होता है।
संत रामपाल जी के अनुसार, सच्ची खुशी, शांति और पूर्ण मोक्ष केवल परम पिता परमात्मा की शरण में जाकर ही प्राप्त किया जा सकता है, जो सतलोक में निवास करता है। सतलोक वह दिव्य स्थान है जहाँ केवल शांति और आनंद है, और वहां पहुँचने के लिए सच्ची भक्ति और एक संपूर्ण संत का मार्गदर्शन आवश्यक है।
निष्कर्ष: संकट में एक आशा की किरण
बिहार में बाढ़ के इस संकट के समय में, संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने यह साबित किया है कि मानवता और करुणा से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। उनका राहत कार्य उन हजारों लोगों के लिए आशा की किरण बनकर आया है, जो इस आपदा में फंसे हुए थे। उनके गुरु की शिक्षाओं के मार्गदर्शन में, ये सेवक निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं, जो समाज में सेवा, समानता, और मानवता के आदर्शों को बढ़ावा देने का एक जीता-जागता उदाहरण है।
पाठकों को बता दें भारत के हरियाणा राज्य के हिसार ज़िले के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के संचालक तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के मार्गदर्शन और निर्देशन में अनेक प्रकार के परमार्थ के कार्य चलाए जा रहे हैं। मानव जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष को पाने के लिए शास्त्र सम्मत साधना कराई जा रही है। उनके सैकड़ों लाखों भक्त विश्वभर में हैं। सभी को संत रामपाल जी की शरण में आकर नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण कराना चाहिए।