December 3, 2024

संत गरीबदास जी महाराज की जीवनी और परमेश्वर कबीर जी का साक्षात्कार

Published on

spot_img

Last Updated on 23 February 2023, 5:25 PM IST: संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय:भारत एक पवित्र भूमि है यहाँ समय-समय पर संत, ऋषि रूप में अवतार गण आते रहे हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी ही अवतारी शक्ति से अवगत कराने वाले हैं जिनका नाम है संत गरीबदास जी महाराज। आइये जानते हैं इस लेख के माध्यम से बंदी छोड़ संत गरीबदास जी के जीवन परिचय को तथा उनको परमेश्वर कबीर साहेब जी कहाँ और कैसे मिले?

संत गरीबदास जी का जीवन परिचय

संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था। गांव छुडानी में गरीबदास जी महाराज का नानका है। ये गांव करौथा (जिला रोहतक हरियाणा) के रहने वाले धनखड़ गोत्र के थे। इनके पिता श्री बलराम जी का विवाह गांव छुड़ानी में शिवलाल सिहाग की बेटी रानी देवी से हुआ था। श्री शिवलाल जी का कोई पुत्र नहीं था इसलिए उन्होंने श्री बलराम जी को घर जमाई रख लिया था। जब उन्हे गांव छुड़ानी में रहते 12 वर्ष हो गए थे तब संत गरीब दास महाराज जी का जन्म गांव छुड़ानी में हुआ था। श्री शिवलाल जी के पास 2500 बीघा (बड़ा बीघा जो वर्तमान के बीघा से 2.75 गुना बड़ा होता था) जमीन थी जिसके वर्तमान में 1400 एकड़ जमीन बनती हैं। 

जिसके वर्तमान में 1400 एकड़ जमीन बनती हैं। उस सारी जमीन के वारिस श्री बलराम जी हुए तथा उसके पश्चात उनके इकलौते पुत्र संत गरीबदास जी उस सर्व जमीन के वारिस हुए। गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चरानें जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए।

परमेश्वर कबीर जी का सतलोक से छुड़ानी गाँव में आगमन

परमेश्वर कबीर साहेब जी सतलोक से पेड़ के कुछ दूरी पर उतरे (अवतरित हुए) तथा रास्ते रास्ते कबलाना की ओर छुड़ानी को जाने लगे। जब ग्वालों के पास आए तो ग्वालों ने कहा बाबा जी राम-राम! परमेश्वर जी ने कहा राम राम! ग्वालो ने कहा कि बाबाजी! खाना खाओ। परमेश्वर जी ने कहा कि खाना तो मैं अपने गांव से खाकर चला था। ग्वालों ने कहा कि,” महाराज खाना नहीं खाते तो दूध तो अवश्य पीना पड़ेगा हम अतिथि को कुछ खाए पिए बिना नहीं जाने देते।” परमेश्वर ने कहा कि मुझे दूध पिला दो और सुनो! मैं कुंवारी गाय का दूध पीता हूं। जो बड़ी आयु (24-30) के पाली (ग्वाले) थे। उन्होंने कहा कि आप तो मजाक कर रहे हो आप जी की दूध पीने की नियत नहीं है। कुंवारी गाय भी कभी दूध देती है। परमेश्वर ने कहा कि मैं कुंवारी गाय का दूध पीऊंगा। गरीबदास बालक ने एक बछिया जिसकी आयु 1.5-2 वर्ष की थी जिंदा बाबा के पास लाकर खड़ी कर दी।

परमात्मा ने बछिया की कमर पर आशीर्वाद भरा हाथ रख दिया। बछिया के स्तन लंबे लंबे हो गए। एक मिट्टी के लगभग 5 किलोग्राम की क्षमता के पात्र (बर्तन) को बछिया के स्तनों के नीचे रखा। स्तनों से अपने आप दूध निकलने लगा। मिट्टी का पात्र भर जाने पर दूध निकलना बंद हो गया। पहले जिंदा बाबा ने दूध पिया, शेष दूध को अन्य पाली (ग्वालों) को पीने के लिए कहा तो बड़ी आयु (24-30 वर्ष) के ग्वाले कहने लगे कि बाबा जिन्दा कुंवारी गाय का दूध तो पाप का दूध हैं हम नहीं पिएंगे। दूसरे आप ना जाने किस जाति के हो। आप का जूठा दूध हम नहीं पिएंगे। तीसरे यह दूध आपने जादू जंतर करके निकाला है हम पर जादू जंतर का प्रभाव पड़ेगा यह कहकर जिस जांडी के वृक्ष के नीचे बैठे थे। वहां से चले गए। दूर जाकर किसी वृक्ष के नीचे बैठ गए। तब बालक गरीब दास जी ने कहा कि हे बाबा जी आपका जूठा दूध तो अमृत हैं। मुझे दीजिए कुछ दूध बालक गरीब दास जी ने पिया परमेश्वर जिंदावेशधारी ने संत गरीबदास जी को ज्ञान उपदेश दिया और तत्वज्ञान बताया।

बाबा जिन्दा (कबीर साहेब जी ) का संत गरीबदास जी को सतलोक की सैर करवाना।

संत गरीबदास जी के अधिक आग्रह करने पर परमेश्वर ने उनकी आत्मा को शरीर से अलग किया और ऊपर के रूहानी मंडलों की सैर कराई। एक ब्रह्मांड में बने सर्व लोको को दिखाया। श्री ब्रह्मा,श्री विष्णु तथा श्री शिवजी से मिलाया। उसके पश्चात ब्रह्म लोक तथा श्री देवी दुर्गा का लोक दिखाया। फिर दसवें द्वार ब्रह्मरंध्र को पार करके ब्रह्म काल के 21 ब्रह्मांडो के अंतिम छोर पर बने 11वे द्वार को पार करके अक्षर पुरुष के 7 शंख ब्रह्मांडो वाले लोक में प्रवेश किया। संत गरीबदास जी को सर्व ब्रह्मांड दिखाएं अक्षर पुरुष से मिलाया। पहले उसके दो हाथ थे परंतु परमेश्वर के निकट जाते ही अक्षर पुरुष ने 10,000 हाथों का विस्तार कर लिया (जैसे मयूर पक्षी अपने पंख को फैला लेता है)। अक्षर पुरुष को जब संकट का अंदेशा होता है तब ऐसा करता है। अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है क्योंकि अक्षर पुरुष अधिक से अधिक 10000 हाथ ही दिखा सकता है। इसके 10000 हाथ है। क्षर पुरुष के 1000 हाथ हैं। गीता अध्याय 11 में इसने अपना 1000 हाथों वाला विराट रूप दिखाया। गीता अध्याय 11 श्लोक 46 में अर्जुन ने कहा कि हे सहस्त्रबाहु (हजार भुजा वाले) अपने चतुर्भुज रूप में आइए।

संत गरीबदास जी को अक्षर पुरुष के 7 शंख ब्रह्मांडो का भेद बताकर व आंखों दिखाकर परमेश्वर जिंदा बाबा गरीब दास जी महाराज को 12वें द्वार के सामने ले गए जो अक्षर पुरुष के लोक की सीमा पर बना है। जहां से भंवर गुफा में प्रवेश किया जाता है। जिंदा वेशधारी परमेश्वर कबीर जी ने संत गरीबदास जी को बताया कि जो 10वां द्वार है वह मैंने सत्यनाम के जाप से खोला था।

यह भी पढ़े: Hindi Story-हिंदी कहानियाँ-अजामेल के उद्धार की कथा

जो 11वां द्वार हैं वह मैंने तत्त था सत (जो सांकेतिक है) से खोला था। अन्य किसी मंत्र से उन दीवारों पर लगे ताले नहीं खुलते। अब यह 12वा द्वार हैं यह मैं सत शब्द से खोलूंगा। इसके अतिरिक्त किसी नाम के जाप से यह नहीं खुल सकता। परमात्मा कबीर जी ने मन ही मन में सारनाम का जाप किया, 12वा द्वार खुल गया और परमेश्वर जिंदा रूप में तथा संत गरीबदास जी की आत्मा भंवर गुफा में प्रवेश कर गए।

फिर सत्यलोक में प्रवेश करके उस श्वेत गुंबद के सामने खड़े हो गये जिसके मध्य में सिंहासन के ऊपर तेजोमय स्वेत नर रूप में परम अक्षर ब्रह्म जी (कबीर साहेब जी) विराजमान थे। जिनके एक रोम (शरीर के बाल) से इतना प्रकाश निकल रहा था जो करोड़ सूर्य तथा इतने ही चांद के मिले-जुले प्रकाश से भी अधिक था। इससे अंदाजा लग जाता है कि उस परम अक्षर ब्रह्म जी के संपूर्ण शरीर की कितनी रोशनी होगी। सतलोक स्वयं भी हीरे की तरह प्रकाशमान है। उस प्रकाश को जो परमेश्वर जी के पवित्र शरीर से तथा उसके अमरलोक से निकल रहा है, केवल आत्मा की आंखो से ही देखा जा सकता है। चर्म दृष्टि से नहीं देखा जा सकता।

बाबा जिन्दा का संत गरीब दास जी का भ्रम दूर करना

फिर जिंदा बाबा अपने साथ बालक गरीबदास जी को लेकर उस सिंहासन के निकट गए तथा वहां रखे चंवर को उठाकर तख्त पर बैठे परमात्मा के ऊपर डुराने (चलाने) लगे। बालक गरीबदास जी ने विचार किया कि यह है परमात्मा और यह बाबा तो परमात्मा का सेवक हैं। उसी समय तेजोमय शरीर वाला प्रभु सिंहासन त्याग कर खड़ा हो गया और उन्होंने जिंदा बाबा के हाथ से चंवर ले लिया और जिंदा बाबा को सिंहासन पर बैठने का संकेत किया। जिंदा वेशधारी प्रभु असंख्य ब्रह्मांडो के मालिक के रूप में सिंहासन पर बैठ गए। पहले वाला प्रभु जिंदा बाबा पर चंवर करने लगा।

संत गरीबदास जी विचार कर रहे थे कि इनमें परमेश्वर कौन हो सकता है, इतने में तेजोमय शरीर वाला प्रभु जिंदा बाबा वाले शरीर में समा गए, दोनों मिलकर एक हो गए। जिंदा बाबा के शरीर का तेज उतना ही हो गया, जितना तेजोमय पूर्व में सिंहासन पर बैठे सत्य पुरुष जी का था। कुछ ही क्षणों में परमेश्वर बोले हे गरीबदास! मैं असंख्य ब्रह्मांडो का स्वामी हूं। मैंने ही सर्व ब्रह्मांडो की रचना की है। सर्व आत्माओं को वचन से मैंने ही रचा है। पांच तत्व तथा सर्व पदार्थ भी मैंने ही रचे हैं। क्षर पुरुष तथा अक्षर पुरुष व उनके लोको को भी मैंने उत्पन्न किया है। इनको इनके तप के बदले में सर्व ब्रह्मांडो का राज्य मैंने हीं प्रदान किया है। मैं 120 वर्ष तक पृथ्वी पर कबीर नाम से जुलाहे की भूमिका करके आया था।

कबीर, हमहीं अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार।

अनंत कोटि ब्रह्मांड का, मैं ही सृजनहार।।

संत गरीबदास जी के शरीर को मृत जानकर अंतिम संस्कार की तैयारी

उधर माता-पिता, नानी-नाना और सभी ग्रामीण बालक गरीबदास को मृत जानकर चिता पर लिटाकर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। तब परमेश्वरजी ने गरीबदासजी की जीवात्मा के ज्ञान चक्षु खोलकर अन्तः करण में अध्यात्म ज्ञान डाल कर आत्मा को पुनः शरीर में प्रवेश करा दिया। बालक को पुनर्जीवित पाकर हर्षित जन बालक को बड़बड़ाते देख उसे जादू जंत्र से ग्रसित समझे। घर आने पर बहुत उपचार से भी ठीक न हुए बालक को ग्रामीण जन पागल मान बैठे थे और उन्हें बावला (पागल) कहने लगे।

दादू पंथी संत गोपालदास जी का संत गरीब दास जी से मिलना

तीन वर्ष उपरांत दादू पंथ से दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए। गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ठ ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है। गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हें कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे, 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि मुझे जिंदा बाबा मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए थे। वे स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब थे जो काल के जाल से छुटवाते हैं।

गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी में बताया :-

गरीब, अजब नगर में ले गए, हमको सतगुरु आन ।
झिलके बिम्ब अगाध गति, सुते चादर तान ।।
गरीब, शब्द स्वरूपी उतरे, सतगुरु सत कबीर ।
दास गरीब दयाल है, डिगे बँधावै धीर ।।
गरीब, अलल पंख अनुराग है, सुन मण्डल रह थीर ।
दास गरीब उधारिया , सतगुरु मिले कबीर ।।
गरीब, प्रपटन वह लोक है, जहाँ अदली सतगुरु सार ।
भक्ति हेत से उतरे, पाया हम दीदार ।।
गरीब, ऐसा सतगुरु हम मिलया, है जिंदा जगदीश ।
सुन्न विदेशी मिल गया छात्र मुकुट है शीश ।।
गरीब, जम जौरा जासे डरें, धर्मराय धरै धीर ।
ऐसा सतगुरु एक है, अदली असल कबीर ।।
गरीब, माया का रस पीय कर, हो गए डामा डोल ।
ऐसा सतगुरु हम मिलया, ज्ञान योग दिया खोल ।।
गरीब, जम जौरा जासे डरें, मिटें कर्म के लेख ।
अदली असल कबीर है, कुल के सतगुरु एक।।

ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए। गोपालदासजी पीछे-पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ श्री सद्ग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई।

  • इस सतग्रंथ (सद्ग्रंथ) साहिब में लगभग 24000 मंत्र और लगभग 7000 छंद हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।

संत गरीबदास जी अपनी अमृतवाणी में सर्वप्रथम सतपुरुष की वंदना करते हुए कहते हैं :

गरीब नमो नमो सतपुरुष कुं, नमस्कार गुरु कीन्ही। 

सुर नर मुनिजन साधवा, संतों सरबस दीन्ही ।

सतगुरु साहिब संत सब, दण्डौतं प्रणाम। 

आगे पीछे मध्य हुए, तिन कुं जां कुरबान ।

नराकार निरविषं, काल जाल भय भंजनं।

निरलेपं निज निर्गुणं, अकल अनूप बेसुन्न धुनं ।

  • भवसागर से पार कराकर अमर करने और सतलोक ले जाने के कारण बंदी छोड़ कहे जाते हैं गरीबदासजी :-

अमर करू सतलोक पाठाउं, ताते बन्दी छोड़ कहाउं।

  • बंधनमुक्त होने सारशब्द के भेद पर गरीबदासजी निश्चयात्मक वाणी :

जो कोई कहा हमारा माने, सार शब्द कुं निश्चय आने।

  • भेदभाव छोड़ कर सतनाम पहचानने को कहते हैं :-

एकै बिन्द एके भग द्वारा, एकै सब घट बोलन हारा ।
कौम छतीस एक ही जाति, ब्रह्म बीज सब की उतपाती ।
एकै कुल एकै परिवारा, ब्रह्म बीज का सकल पसारा ।
ऊँच नीच इस विधि है लोई, कर्म कुकर्म कहावे दोई ।
गरीब दास जिन नाम पिछान्या, ऊँच नीच पदवी प्रवाना ।

  • संत गरीबदासजी ने भौतिक जीवन में अनुशासन और संयम से रहने पर जोर दिया है :-

सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करे भोगे पर नारी।
सत्तर जन्म कटत है शीशं, साक्षी साहिब है जगदीशं।
पर द्वारा स्त्री का खोले, सत्तर जन्म अंध होए डोले।
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान कै जानी।

संत गरीबदास जी का सतलोक गमन

गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया । गाँव छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर संत गरीबदास जी सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।

  • बंदीछोड़ संत गरीबदासजी ने अपनी अमृतवाणी में कहा है :

सर्व कला सतगुरु साहेब की, हरि आए हरियाणे नुँ ।

भावार्थ: पूर्ण परमात्मा जिस क्षेत्र में आएं उसका नाम हरियाणा है, परमात्मा के आने वाला पवित्र स्थल, जिस के कारण आस-पास के क्षेत्र को हरिआना (हरयाणा) कहने लगें। लगभग 236 वर्ष पूर्व कही गई वाणी 1966 में सिद्ध हुई जब सन् 1966 में पंजाब प्रान्त के विभाजन होने पर इस क्षेत्र का नाम हरिआणा (हरयाणा) पड़ा, जो आज प्रत्यक्ष प्रमाण है और इसी स्थान पर पहले तत्वदर्शी संत गरीबदासजी महाराज और आज वर्तमान में पूर्ण परमात्मा जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में विद्यमान हैं।

संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन

गरीब, शब्द स्वरूपी उतरे सतगुरु सत कबीर।

दास गरीब दयाल हैं डिगे बंधावैं धीर।।

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस पर 2-3-4 मार्च 2023 को तीन दिवसीय महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। इस पवित्र अवसर पर अखण्ड पाठ, विशाल भंडारा, विशाल सत्संग समारोह जैसे कई भव्य कार्यक्रम होंगे। जिसमें आप परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं। आयोजन स्थल है :

  • सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
  • सतलोक आश्रम रोहतक (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम धूरी (पंजाब)
  • सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब)
  • सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
  • सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
  • सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश)
  • सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल)

देखिये संत गरीबदास जी के बोध दिवस का सीधा प्रसारण

गरीब, सब पदवी के मूल हैं, सकल सिद्धि है तीर।

दास गरीब सत पुरूष भजो, अविगत कला कबीर।।

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस पर 2-3-4 मार्च 2023 को तीन दिवसीय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस भव्य कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 04 मार्च 2023 को सुबह 09:15 बजे से साधना TV पर और सुबह 09:30 बजे से पॉपकॉर्न TV पर होगा। इस विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आप हमारे सोशल मीडिया Platform पर भी देख सकते हैं जो निम्न हैं:- 

  • Facebook Page :- Spiritual Leader Saint Rampal Ji
  • Youtube :- Sant Rampal Ji Maharaj
  • Twitter :- @SaintRampalJiM

आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8:30 बजे तक। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं। 

FAQ

प्रश्न- 4 मार्च को कौन सा दिवस है?

उत्तर- 4 मार्च को संत गरीबदास जी का बोध दिवस है।

प्रश्न- संत गरीबदास जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर- संत गरीबदास जी का जन्म सन 1717 (विक्रम संवत 1774) को गाँव छुड़ानी, जिला झज्जर, हरियाणा में हुआ था।

प्रश्न- संत गरीबदास जी को परमेश्वर कबीर जी कब मिले?

उत्तर- वि. स. 1784 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी (सन 1727) को दिन के लगभग 10 बजे परम अक्षर ब्रह्म कबीर साहेब जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में संत गरीबदास जी को मिले थे।

प्रश्न- संत गरीबदास जी को परमेश्वर कबीर जी कहाँ मिले?

उत्तर- संत गरीबदास जी को परमेश्वर कबीर जी नला नामक खेत में मिले थे, जब वे ग्वालों के साथ गाय चरा रहे थे।

प्रश्न- हर साल संत गरीबदास जी का बोध दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर- फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी को

प्रश्न- सद्ग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ) की रचना कितने समय में हुई?

उत्तर- लगभग 6 माह में

प्रश्न- संत गरीबदास जी की आयु कितनी थी, जब परमेश्वर कबीर जी मिले?

उत्तर- 10 वर्ष

Latest articles

Indian Navy Day 2024: Know About the ‘Operation Triumph’ Launched by Indian Navy 50 Years Ago

Last Updated on 3 December 2024 IST: Indian Navy Day 2024: Indian Navy Day,...

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), जानिए सुख समृद्धि का शास्त्रानुकूल सहज मार्ग

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), एक कृषि त्योहार है जो ओडिशा प्रान्त में मनाया जाता...

World AIDS Day 2024: Sat-Bhakti can Cure HIV / AIDS

Last Updated on 1 December 2024: World AIDS Day is commemorated on December 1...
spot_img

More like this

Indian Navy Day 2024: Know About the ‘Operation Triumph’ Launched by Indian Navy 50 Years Ago

Last Updated on 3 December 2024 IST: Indian Navy Day 2024: Indian Navy Day,...

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), जानिए सुख समृद्धि का शास्त्रानुकूल सहज मार्ग

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), एक कृषि त्योहार है जो ओडिशा प्रान्त में मनाया जाता...