Ritika Phogat Suicide: फोगाट बहनों की ममेरी बहन पहलवान रितिका फोगाट (17) की हरियाणा के चरखी दादरी जिले में कथित तौर पर एक टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला हारने के बाद आत्महत्या से मौत हो गई । बताया जा रहा है कि 15 मार्च की रात को रितिका ने यह अतिवादी कदम उठाया। सद ग्रंथों के अनुरूप सत ज्ञान जानने और सत भक्ति करने से आत्महत्या जैसे विकृत विचारों से मुक्ति संभव है।
Ritika Phogat Suicide: मुख्य बिन्दु
- पहलवान रितिका फोगाट (17) की हरियाणा के चरखी दादरी जिले में मौत हो गई
- कथित तौर पर एक टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला हारने के बाद की आत्महत्या
- राजस्थान की मूल निवासी थी रितिका
- मशहूर पहलवान बबीता और गीता फोगाट की ममेरी बहन थी रितिका
- सत ज्ञान जानने और सत भक्ति करने से इस प्रकार के विकृत विचारों से मुक्ति संभव है
Ritika Phogat Suicide का क्या था पूरा घटनाक्रम?
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) दिलबाग सिंह ने बताया 15 मार्च की रात को अपने फूफा के घर पर रितिका फोगाट की मौत हो गई। 12 से 14 मार्च तक राजस्थान के भरतपुर के लोहागढ़ स्टेडियम में आयोजित स्टेट लेवल सब जूनियर टूर्नामेंट में उन्होंने 53 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा लिया था। इस चैम्पियनशिप के अंतिम मुकाबले में वह एक अंक से अपने प्रतिद्वंद्वी से हार गई। इस हार से निराश होकर रितिका ने बुधवार रात्रि में लगभग 11 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद रितिका का शव उसके परिजनों को सौंप दिया है।
Ritika Phogat Suicide: कौन थी रीतिका फोगाट?
राजस्थान की मूल निवासी रितिका अपने फूफा और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता महावीर सिंह फोगाट के साथ पिछले चार साल से झजंझू कलां थाना क्षेत्र के अंतर्गत चरखी दादरी के बलाली गांव में रह रही थी। रितिका चरखी दादरी स्थित महावीर फोगाट स्पोर्ट्स एकेडमी में कुश्ती सीख रही थी और प्रैक्टिस कर रही थी।
Ritika Phogat Suicide: गीता फोगाट ने कहा रितिका होनहार थी
राष्ट्रमंडल खेलों-2010 में भारत को महिला वर्ग में कुश्ती में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली कुश्ती स्टार गीता फोगाट ने अपनी ममेरी बहन रितिका को ‘प्रतिभाशाली पहलवान’ बताया। “मेरे परिवार के लिए बहुत ही दुख की घड़ी है। रितिका बहुत ही होनहार पहलवान थी पता नहीं क्यों उसने ऐसा कदम उठाया। हार-जीत खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए” उन्होंने ट्वीट द्वारा कहा।
बबीता फोगाट ने कहा आत्महत्या कोई समाधान नहीं है
कुश्ती स्टार बबीता फोगाट ने ट्वीट करके रितिका की मृत्यु पर कहा “यह समय पूरे परिवार के लिए बहुत ही दुख की घड़ी है। आत्महत्या कोई समाधान नहीं है। हार और जीत दोनों जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। हारने वाला एक दिन जीतता भी जरूर है। संघर्ष ही सफलता की कुंजी है संघर्षों से घबराकर ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।“
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आत्महत्या का विचार एक मानसिक बीमारी है
ऐसा नहीं है कि सिर्फ गरीब लोग ही आत्महत्या का प्रयास करते हैं बल्कि अमीर लोग भी ऐसा करते हैं। इसका मतलब है कि अमीर गरीब दोनों का जीवन दर्दनाक है और दुख को महत्व देना वास्तविकता नहीं होकर एक मानसिकता है। व्यक्ति की मनोदशा, स्वभाव और जीवनशैली बिगड़ जाती है। इस दशा में व्यक्ति अपने भावों पर नियंत्रण खो बैठता है। मानसिक रोग को मनोविकार भी कहते हैं।
तत्वज्ञान जानने वाले को मनोविकार नहीं होता
मनोविकार के बढ़ते दुनिया भर में आत्महत्या मौत का एक प्रमुख कारण बन गया है । महिलाओं और किशोरों सहित आत्महत्या 30% की दर से बढ़ रही है। प्रति वर्ष आठ लाख से अधिक मौतों के लिए आत्महत्या जिम्मेदार है। 15-44 वर्षों की आयु के लोगों की मौत के शीर्ष तीन कारणों में से एक आत्महत्या है । सभी धर्म आत्महत्या की निंदा करते हैं। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से तत्वज्ञान जानकर सद ग्रंथों के अनुरूप सत भक्ति करने से मनोविकार पैदा नहीं होते और इस प्रकार के विकृत विचारों से व्यक्ति मुक्त रहता है।
क्या मनुष्य की सहायता करने वाली कोई महाशक्ति है?
अनदेखी अनजानी शक्तियों द्वारा मनुष्य पर लगातार हो रही प्रताड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रत्येक मनुष्य हर समय सुख के लिए लालायित रहता है लेकिन उसे अपनी अपेक्षा के अनुसार सफलता अर्जित नहीं होने के कारण वह उसे अपनी असफलता मानकर दुखी रहता है। कारण है मनुष्य का वास्तविकता से अपरिचित होना। मनुष्य सहित सभी जीव अपने परम पिता परमेश्वर कबीर साहेब के शाश्वत घर सतलोक में रहते थे। काल ब्रह्म के द्वारा लालच दिए जाने के कारण वहाँ से काल के 21 ब्रह्मांडों में आ गए और कर्मफल आधारित जन्म मृत्यु दुष्चक्र में फंस गए। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब पृथ्वी लोक पर अपने बच्चों को यहाँ से छुटकारा पाने का सही मार्ग बताने के लिए आते हैं।
सत साधना से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है
इस सत साधना को कबीर साहेब की गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत वर्तमान सतगुरु रामपाल जी महाराज की शरण में आकर जान सकते हैं। सतगुरु देव जी से नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से सभी संचित पापकर्म नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य सुखमय जीवन व्यतीत करने के बाद पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर अपने मूल घर सतलोक को प्रस्थान कर जाता है। सतलोक जाकर हंस आत्मा को पुनः जन्म नहीं लेना पड़ता और वह शाश्वत स्थान सतलोक में रहकर सम्पूर्ण सुख भोगता है।
सत ज्ञान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से लें
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज पवित्र ग्रंथों के अनुरूप सत ज्ञान देते हैं और सत भक्ति की विधि बताते हैं। सत ज्ञान को विधिवत जानने के लिए जीने की राह पवित्र पुस्तक को पढ़ें और सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर संत रामपाल जी महाराज के सत्संग श्रवण करें।
पूर्ण संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लें
साधकों को संत रामपाल जी की शरण में आकर सतगुरु देव जी से नाम दीक्षा लेनी चाहिए। संत जी द्वारा दिन प्रतिदिन के निर्देशों का पालन करते हुए सत भक्ति का अभ्यास करना चाहिए। सत भक्तों के दुखों का निवारण होगा। आत्महत्या जैसा विचार भी जाने या अनजाने में भी कभी परेशान नहीं करेगा। सत भक्त तत्वज्ञान समझ आ जाने के कारण स्वयं के जीवन में किसी प्रकार का दुख महसूस नहीं करेगा। दूसरों के जीवन के संकट के पलों में सेवा भाव से मदद कर उनका जीवन भी आसान करेगा।