हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव में आई भीषण बाढ़ ने जब छह हजार एकड़ से अधिक कृषि भूमि को 5 से 6 फुट गहरे पानी में डुबो दिया, तो स्थानीय किसानों की उम्मीदें टूटने लगीं। करीब तीन महीने से जलजमाव के कारण फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थीं और पशुओं के लिए चारे का एक तिनका भी नहीं बचा था। इस मजबूरी में ग्रामीण अपने मवेशी बेचने लगे थे। सरकारी मदद की लंबी प्रक्रिया और उसकी अपर्याप्तता ने किसानों को गहरी निराशा में धकेल दिया। ऐसे अभूतपूर्व संकट में धनाना गांव की ओर सहायता का एक बड़ा काफिला पहुंचा। यह सेवा अभियान केवल बाढ़ राहत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि किसानों के लिए जीवनदान साबित हुआ और पूरे गांव को नई उम्मीद दी।
बाढ़ का कहर और सरकारी व्यवस्था की विफलता
धनाना गांव (तहसील भिवानी, जिला भिवानी) में तीन माह से जलभराव की गंभीर समस्या बनी हुई थी, जिससे गांव का पूरा जीवन ठप हो गया था। 6000 एकड़ से अधिक उपजाऊ भूमि दलदल में बदल चुकी थी। रास्ते बंद थे, डिस्पेंसरी बंद पड़ी थी, और स्कूलों में पानी भर जाने से बच्चों की पढ़ाई भी रुक गई थी। पशुओं के चारे की भारी कमी ने ग्रामीणों को इस हद तक मजबूर कर दिया कि उन्हें अपने डांगर (पशु) बेचने पड़े।
सरपंच राजेश कुमार और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि मंत्रियों, विधायकों और विपक्षी नेताओं ने गांव का दौरा तो किया, पर उनकी सहायता और दिए गए आश्वासनों से कोई समाधान नहीं निकला। जो मोटरें मिलीं, उनके लिए पाइपलाइन नहीं पहुंची। कहीं-कहीं पानी निकालने की कोशिश हुई तो वह वापस खेतों में लौट आया। तीन महीने तक किसान कागजी कार्रवाई और अधूरे वादों में उलझे रहे। कई किसानों को लगने लगा कि वे कर्ज और भूख से मर जाएंगे, कुछ तो आत्महत्या के कगार पर पहुंच गए थे।
एक अर्जी और चौबीस घंटे से कम में मदद
जब हर ओर से उम्मीद टूट चुकी थी, तभी ग्रामीणों को पास के गांव गुजरानी से पता चला कि संत रामपाल जी महाराज बाढ़ राहत कार्य चला रहे हैं। इसी आखिरी उम्मीद के सहारे, सरपंच राजेश कुमार के नेतृत्व में पूरी ग्राम पंचायत 3 अक्टूबर को बरवाला (हिसार) स्थित संत रामपाल जी महाराज के दफ़्तर पहुंची। वहां उन्होंने मुनिंदर धर्मार्थ ट्रस्ट, कुरुक्षेत्र (रजिस्टर नंबर 1170) के माध्यम से एक अर्जी दी, जिसमें बाढ़ का पानी निकालने के लिए जरूरी उपकरणों की मांग की गई थी।

संत रामपाल जी महाराज ने इस निवेदन को तुरंत स्वीकार किया। किसी औपचारिकता या सिफारिश की प्रतीक्षा किए बिना, 24 घंटे से भी कम समय में 4 अक्टूबर को राहत सामग्री का एक बड़ा काफिला धनाना गांव पहुंच गया। ग्रामीणों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
राहत सामग्री की सटीक आपूर्ति और गुणवत्ता
संत रामपाल जी महाराज ने गांव की मांग न केवल पूरी की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि सामग्री की गुणवत्ता और मात्रा सर्वोत्तम हो। पंचायत को सौंपी गई राहत सामग्री में शामिल थीं:
- पाइपलाइन: 14,520 फुट (लगभग 4.4 किलोमीटर) लंबी, 8 इंच व्यास की उच्च गुणवत्ता वाली पाइपें।
- मोटर सेट: कुल पाँच बड़ी मोटरें— चार 10 हॉर्स पावर (HP) की मोटरें (6 इंच मुख वाली) और एक 15 हॉर्स पावर (HP) की मोटर।
- सहायक उपकरण: 100 फुट विद्युत तार, पाँच स्टार्टर, और मोटर संचालन के लिए आवश्यक सभी सामग्री— जैसे बैंड, डोली, सुंडिया, असेंबली, क्लिप, नट-बोल्ट, आदि। यहां तक कि मोटर चलाने में लगने वाला ₹10 का भी खर्च ग्रामीणों पर न पड़े, यह सुनिश्चित किया गया।
सेवादारों ने बताया कि यह पूरी सेवा उनके गुरुदेव द्वारा निस्वार्थ भाव से की जाती है और इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। इसका एकमात्र उद्देश्य समाज की भलाई है।
‘अन्नपूर्णा मुहिम’ का उद्देश्य और निर्देश
यह राहत सेवा संत रामपाल जी महाराज की ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत भोजन, वस्त्र, शिक्षा, चिकित्सा और आवास तक की सहायता दी जाती है। धनाना गांव के मामले में इस मुहिम का विस्तार किसानों की अगली फसल बचाने के लक्ष्य तक किया गया।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने सेवादारों के माध्यम से ग्राम पंचायत को एक निवेदन पत्र भी दिया, जिसमें स्पष्ट निर्देश थे:
“सामग्री चाहे जितनी भी लगे, लेकिन गांव से पानी निकलना चाहिए। यदि दी गई राहत सामग्री से समय पर पानी नहीं निकलता और फसल की बिजाई नहीं होती, तो आगे से हमारे ट्रस्ट की ओर से कोई मदद नहीं दी जाएगी।”
गुरुदेव ने गांव की स्थिति की ड्रोन वीडियो बनवाने का आदेश भी दिया है— पानी भरे होने के दौरान और फिर पानी निकलने व फसल लहराने के बाद। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि संगत के दान का सही उपयोग हो रहा है। संत जी, जो स्वयं किसान परिवार से हैं, किसानों का दर्द समझते हैं।

जनता का विश्वास: “भगवान तस्वीरों में नहीं, काम में है”
इस त्वरित और प्रभावी सहायता ने ग्रामीणों को गहराई से प्रभावित किया। पूर्व सरपंच लीलाराम और अन्य पंचायत सदस्यों ने कहा कि संत रामपाल जी महाराज किसानों के लिए ‘मसीहा’ बनकर आए हैं। एक ग्रामीण ने भावुक होकर कहा, “भगवान देखा नहीं था, आज इन्होंने दिखा दिया।”
गांव वालों का कहना था कि सरकार तीन महीने तक केवल आश्वासन देती रही, जबकि संत जी ने एक अर्जी पर 24 घंटे में उनकी सबसे बड़ी समस्या का समाधान कर दिया। कई ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज को राम के समान बताया और उनके चरणों में चद्दर भेंट की। एक किसान ने कहा, “भगवान तस्वीरों में नहीं होता, जो काम करे, वही असली भगवान होता है।”
यह सेवा केवल धनाना गांव तक सीमित नहीं है। सेवादारों ने बताया कि उनके गुरुदेव अब तक 300 से अधिक बाढ़ग्रस्त गांवों में सहायता पहुंचा चुके है। यह अभियान पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक लगातार जारी है, जो संत रामपाल जी महाराज के निस्वार्थ भाव और राष्ट्रहित के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
संकट से स्थायी समाधान की ओर: एक ऐतिहासिक कदम
धनाना गांव को दी गई यह राहत सामग्री केवल तात्कालिक सहायता नहीं है, बल्कि स्थायी समाधान की दिशा में उठाया गया कदम है। ग्रामीणों को सलाह दी गई कि वे पाइपों को अपनी जमीन में दबा दें ताकि भविष्य में बारिश होने पर पानी तुरंत बाहर निकाला जा सके और बाढ़ की समस्या स्थायी रूप से खत्म हो जाए।
यह ‘अनमोल गिफ्ट’ किसानों की वर्तमान और भविष्य की दोनों फसलों की सुरक्षा करेगा। इस सहायता ने गांव को न केवल वर्तमान संकट से उबारा है, बल्कि भविष्य के लिए भी मजबूत बना दिया है।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किया गया यह सामाजिक कार्य भारतीय इतिहास में एक उल्लेखनीय उदाहरण है, जिसने साबित किया है कि सच्चे संत की सेवा किसी भी सरकारी या राजनीतिक व्यवस्था से अधिक त्वरित, प्रभावी और परिणामकारी हो सकती है।



