October 9, 2025

Raksha Bandhan 2025 [Hindi]: रक्षाबंधन पर जानिए कौन है हमारा वास्तविक रक्षक?

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Last Updated on 4 August 2025 IST | Rakshabandhan 2025 [Hindi]: हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में एक रक्षाबंधन (Raksha Bandhan in Hindi) का पर्व प्रतिवर्ष सावन माह (श्रावण मास) की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 9 अगस्त को मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन की कामना करती हैं। इस लेख में आप जानेंगे कि रक्षाबंधन पर्व का ऐतिहासिक महत्व क्या है एवं उस अद्भुत विधि के बारे में जानेंगे जिससे पूर्ण परमेश्वर स्वयं रक्षा करेंगे।

Table of Contents

Raksha Bandhan in Hindi: भाई-बहन का रिश्ता है अनमोल

भाई बहन एक दूसरे के साथ खेलते, लड़ते-झगड़ते बड़े होते हैं और यदि उम्र में अधिक अंतर होता है तो एक दूसरे के मार्गदर्शक और आदर्श साबित होते हैं। खट्टी मीठी यादों को साथ लिए, एक दूसरे के साथ कई शैतानियों को अंजाम देता यह रिश्ता उम्र बढ़ने के साथ मजबूत होता है और जीवन के विभिन्न चरणों से गुजरता है। बड़े भाई अपनी बहनों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। बहुधा माता या पिता के न रहने पर भाई ही बहन के लिये उनका स्थान लेकर उन्हें प्रेम और दुलार देते हैं। इसी प्रकार बड़ी बहनें संवेदनशील होती हैं, भाइयों पर अपनी ममता बरसाती हैं। त्याग, समर्पण, खट्टे-मीठे झगड़ों से बना भाई बहन का भावनात्मक रिश्ता किसी के भी जीवन की अमूल्य धरोहर होता है।

रक्षाबंधन क्या है और किस प्रकार इसे मनाना प्रचलन में है?

रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई के हाथ पर एक धागा, जिससे राखी कहा जाता है, बांधती है। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करती हैं। इस अनुष्ठान को करते समय बहनें अपने भाइयों की सलामती की प्रार्थना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और प्रतिज्ञा करते हैं कि वे उनके साथ खड़े रहेंगे और हर स्थिति में उनकी रक्षा और देखभाल करेंगे। दोनों भाई-बहन राखी बांधने से पहले व्रत रखते हैं।

Raksha Bandhan in Hindi 2025: अनुष्ठान करने के बाद ही वे भोजन करते हैं। एक तरफ बहन अपने भाई की लम्बी आयु और सद्बुद्धि की प्रार्थना करती है, दूसरी तरफ भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि यह प्रतीकात्मक त्योहार केवल रूढ़िवादिता है। क्या भाई की किस्मत के दुःख इस प्रार्थना से टल सकते हैं? या बहन के जीवन के कष्ट आदि इस त्योहार से खत्म हो सकते हैं? ऐसे हो तो संसार में कोई भी दुर्घटना नहीं होना चाहिये। इस त्योहार को मनाने के पीछे कई सारी कहानियाँ भी हैं। उनकी वास्तविकता आज इस लेख में हम जानेंगे।

रक्षाबंधन की पौराणिक कथा (Raksha Bandhan Story in Hindi)

भारतीय संस्कृति और जनजीवन में त्योहारों का बड़ा महत्व है। सभी त्योहार किसी न किसी घटना से जुड़े हुए हैं। रक्षाबंधन भी इसी कड़ी में आता है। रक्षाबंधन की कहानी ऐसी है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकानाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार ‘बलेव’ नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है। इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपना जनेऊ बदलते हैं और नदी या समुद्र की पूजा करते हैं।

Raksha Bandhan in Hindi: दूसरी मान्यता के अनुसार ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। उद्देश्य होता था कि ऋषि-मुनि निर्बाध होकर अपनी भक्ति या क्रियाकर्म सम्पन्न कर सकें, राजा तो वैसे भी प्रजापति और रक्षक होता है। इसी कारण से आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं।

Rakshabandhan 2025: क्या रक्षासूत्र/राखी से रक्षा सम्भव है?

भाई बहन के रिश्ते का पवित्र पर्व है रक्षाबंधन, रक्षाबंधन पर सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई भी बहन की रक्षा का प्रण लेते हैं, इस पर्व पर शुभकामना संदेश और राखियां भी एक दूसरे को भेजी जातीं हैं। विचार करें क्या रक्षाबंधन से लोगों की रक्षा होती है? क्या कर्मबन्धन या प्रारब्ध कर्म राखी बांधने से टल जाते हैं? क्या भाई बहन के जीवन के संकट राखी के धागे से रोके जा सकते हैं? क्या व्यक्ति अपने भाग्य के अनुसार मृत्यु को प्राप्त नहीं होता? क्या किसी दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की बहन ने कभी उसके लिए प्रार्थना नहीं की होगी? क्या शहीद होने वाले सैनिक की बहन ने अपने भाई के लिए दुआ न मांगी होगी? जानें सबके पीछे का कारण।

रक्षाबंधन से जुड़ी अन्य प्रसिद्ध कहानियाँ (Famous Stories About Raksha Bandhan in Hindi)

रक्षाबंधन 2025 की पौराणिक कथा: रक्षाबंधन की पौराणिक कथा तो देखी लेकिन अन्य बहुत सी कथाएं इस त्योहार को लेकर प्रचलन में हैं, जिन्हें हम यहाँ जानेंगे।

द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा

Rakshabandhan 2025: महाभारत काल में कृष्ण और द्रौपदी को भाई-बहन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गयी थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधी थी । उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। तभी से रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए चीर हरण के समय द्रौपदी की रक्षा की थी। वास्तव में वे कृष्ण नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा थे जिन्होंने द्रौपदी का चीर बढ़ाकर उसकी लाज रक्षा की थी, क्योंकि द्रौपदी ने अपने प्रारब्ध में किसी अंधे साधु को वस्त्र दान किया था जिसका फल उसे उस सभा में परमेश्वर को याद करने पर लाज रक्षा के रूप में तुरन्त मिला।

सिकंदर और पुरू की कथा

Rakshabandhan 2025 [Hindi]: इतिहास के अनुसार राजा पोरस को सिकंदर की पत्नी ने राखी बांधकर अपने सुहाग की रक्षा का वचन मांगा था। जिसके चलते सिकंदर और पोरस ने रक्षासूत्र की अदला बदली की थी। एक बार युद्ध के दौरान सिकंदर ने पोरस पर हमला किया तो वह रक्षासूत्र देखकर उसे अपना दिया हुआ वचन याद आ गया और उसने पोरस से युद्ध नहीं किया। विवेक कहता है कि युद्ध कभी भी किसी के लिए अच्छे साबित नहीं हुए। लाखों सैनिक युद्ध मे मारे जाते हैं क्या वे किसी के बेटे, भाई या पति नहीं हुए? अतः इस प्रकार की कहानियों का तर्क देकर रक्षाबंधन के त्योहार को शास्त्र सम्मत नहीं ठहराया जा सकता है।

Rakshabandhan 2025 [HIndi]: हमारी रक्षा कौन कर सकता है?

रक्षाबंधन लोग इसलिए मनाते है ताकि भाई बहन की रक्षा कर सके। किंतु रक्षा तो केवल पूर्ण अविनाशी परमात्मा कविर्देव ही कर सकते हैं। अन्यथा तीनों गुणयुक्त देव, रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु और तमगुण शिव जी तो विधि के विधान से ही बंधे हैं। जब जिसकी मृत्यु होनी होती है, हो जाती है। कोई भी किसी को कुछ नहीं दे सकता। लोग परमात्मा द्वारा रचित विधान को पूरा करने के निमित्त मात्र बनते हैं। माता-पिता सन्तान का पालन पोषण करते हैं, यह भी कर्मबन्धन है। जीवन के सभी रिश्ते-नाते चाहे वह भाई, माता, पिता, बहन, पति, मित्र, प्रेमी आदि कोई भी हों, पिछले ऋण सम्बन्धों के कारण ही होता है। कबीर साहेब कहते हैं- 

एक लेवा एक देवा दूतम, कोई किसी का पिता न पूतम |

ऋण सम्बन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारा बांटा ||

अर्थात सभी रिश्ते ऋण सम्बन्ध से जुड़े हैं। किसी पर निर्भर नहीं हुआ जा सकता। सभी अपने भाग्य का लिखा भोगने के लिए विवश हैं। यदि भाग्य से अधिक चाहिए और इस अप्रत्याशित लोक में शत प्रतिशत सुख और रक्षा की गारंटी चाहिए तो वेदों में वर्णित पूर्ण अविनाशी परमेश्वर की शरण में आएं।

हमारी रक्षा किस प्रकार हो सकती है?

Rakshabandhan 2025: यदि हमारी भक्ति शास्त्र के अनुसार है तो परमात्मा रक्षा जरूर करते है। शास्त्रानुसार भक्ति क्या होती है? शास्त्रानुसार भक्ति वह है जो वेदों पर आधारित हो। वेदों पर आधारित भक्ति कैसी? वेदों पर आधारित भक्ति का अर्थ है पूर्ण परमेश्वर कविर्देव की भक्ति करना। आज जन समाज जानता भी नहीं है कि पूर्ण परमेश्वर कौन है। पहले संस्कृत पढ़ने का अधिकार केवल एक विशेष वर्ग को था और उन नकली गुरुओं ने अर्थ का अनर्थ बताया। वे शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को समझ नहीं सके और भोली जनता को गुमराह कर दिया।

■ यह भी पढें: आत्मा के परमात्मा से जुड़ने से शुरू होगा रक्षाबंधन

उनके इस कृत्य के कारण आज तक लोग अंधविश्वास और गलत पूजा विधि में फंसे हुए हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कथा पाठ करना, तीर्थ पर जाना, नदियों में स्नान करना, व्रत रखना, मंदिरों में पूजा करना आदि मोक्ष के साधन नहीं हैं और न ही ये वेदों में वर्णित विधियां हैं। वेदों में तो पूर्ण परमेश्वर कविर्देव की भक्ति किसी तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर करने के लिए कहा गया है। यही बात श्रीमद्भागवत गीता में भी बताई गई है, किन्तु आज तक किसी कथावाचन करने वाले या भागवत पाठ करने वाले ने नहीं बताई क्योंकि वे तत्वदर्शी सन्त नही हैं और न ही वे शास्त्र रहस्यों से परिचित हैं।

  • गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञानदाता अर्जुन को किसी तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने और खोज करने के लिए कहता है। साथ ही गीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 में परमात्मा पाने के लिए 3 सांकेतिक मन्त्रों का उद्धरण दिया है और अध्याय 15 का श्लोक 1 सृष्टि रचना की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसे केवल तत्वदर्शी सन्त ही समझा सकता है। अतः किसी तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर भक्ति करने पर पूर्ण परमेश्वर कविर्देव हमारी रक्षा करते हैं।
  • Rakshabandhan 2025: ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 80 मंत्र 2 में प्रमाण है कि यदि साधक की आयु शेष न हो तो पूर्ण परमात्मा उसे भी बढ़ा देते हैं ऐसा वेदों में वर्णित है। यह साधना इस लोक में तो सुख देती ही है साथ ही परलोक भी सुखमय बनता है और व्यक्ति चौरासी लाख योनियों में नहीं आता है।

Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan in Hindi) पर अपनी बहन को उपहार में दें यह अनमोल तोहफा

Rakshabandhan 2025: आइए इस रक्षाबंधन अपनी प्यारी बहनों की खुशी के लिए और हर कष्ट से निवारण के लिए ऐसा तोहफा दें जिससे उनका जीवन सदा सुखमय बना रह सके। इस रक्षाबंधन पर जुड़िये और जोड़िए अपने परिजनों को आध्यात्मिक मार्ग से जिससे उनके सारे कष्टों का निवारण स्वतः हो जाएगा। आप भी सुखी होंगे और आपके निकटतम प्रियजन भी सुखी होंगे। पूर्ण परमात्मा की भक्ति करें ताकि इस लोक के जन्म मृत्यु चक्र से छूटकर सतलोक जाएं। इस रक्षा बंधन पर आप अपनी बहन को अनमोल पुस्तक जीने की राह भेंट कर सकते हैं।

वर्तमान में पूरे विश्व में महामारी, तरह तरह की बीमारी, हादसों का आतंक फैला हुआ है। हम भाई-बहनों को एक दूसरे की सुरक्षा की चिंता अवश्य करनी चाहिए इसलिए सभी भाई-बहन उपहार में जीने की राह पुस्तक भेंट करे और तत्वदर्शी सन्त सतगुरु रामपाल जी से नाम उपदेश लेकर वेदों में वर्णित भक्तिविधि अपनाएं और जीवन का कल्याण कराएं। यही बेशकीमती और बेजोड़ तोहफा आप दे सकते हैं।

2025 में रक्षाबंधन ऐसे समय पर आया है जब समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरा असंतोष और चिंता दिखाई दे रही है। हाल ही में राजस्थान, बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में युवतियों पर हुए अपराधों ने देशभर को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में यह त्योहार केवल परंपरा नहीं, एक सवाल बनकर सामने खड़ा है—क्या भाई का वादा ही सुरक्षा की गारंटी है? क्या राखी का धागा किसी बहन को कष्टों से बचा सकता है? 

इन सवालों के बीच एकमात्र समाधान के रूप में संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिए गए सतज्ञान की ओर ध्यान आकर्षित हो रहा है, जो बताता है कि केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही जीवात्मा को संपूर्ण सुरक्षा, पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान कर सकते हैं। इस वर्ष, अनेक भाई बहनों को ‘जीने की राह’ पुस्तक उपहार स्वरूप देकर सच्चे रक्षा सूत्र का कार्य कर रहे हैं।

वर्तमान में कौन है तत्वदर्शी सन्त?

यह सर्वविदित है कि कर्मों में लिखा फल भोगना ही पड़ेगा। केवल पृथ्वी पर नहीं बल्कि तीनों लोकों के देव भी कर्मफल को भोगते हैं। गीता किसी अन्य पूर्ण परमात्मा की ओर संकेत करती है जिसकी शरण मे जाकर जीव का इस संसार में 84 लाख योनियों में आना नहीं होता है। वह परमेश्वर कविर्देव ही हैं जो हमारी आयु बढ़ा सकते हैं। उनकी भक्ति तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर करनी चाहिए। उस भक्ति की जानकारी केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं। वर्तमान में पूरे ब्रह्मांड मे एकमात्र तत्वदर्शी सन्त जगतगुरु रामपाल जी महाराज ही हैं।

याद रखें तत्वदर्शी सन्त परमेश्वर द्वारा भेजा हुआ उनका प्रतिनिधि होता है और वही वेदों में वर्णित गूढ़ रहस्यों को उजागर कर पाते हैं। गीता के अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में तत्वदर्शी सन्त की पहचान दी गई है। तत्व को जानने वाले सन्त आज सम्पूर्ण ब्रह्मांड में केवल तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज हैं। उन्होंने न केवल गीता, वेद, पुराण, कुरान, बाइबल और गुरु ग्रन्थ साहेब को खोलकर उनके अर्थ समझाए बल्कि भोली जनता को गलत भक्तिविधि बताने वाले सभी नकली धर्मगुरुओं को शास्त्रार्थ के लिये चुनौती भी दी। लेकिन कोई भी सन्त सतगुरु रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान के समक्ष नहीं टिक सका। कबीर साहेब का ज्ञान चक्रवर्ती ज्ञान है।

और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान |

जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान ||

मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए व समस्त बुराइयों से निदान पाने के लिए तथा सुखमय जीवन जीने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करें। और इस रक्षाबंधन पर दें अपनों को सतभक्ति का सबसे अच्छा और अनमोल तोहफा। इससे होगी बहनों की हिफाज़त और भाइयों का होगा अपनी बहनों को खुशियां देने का संकल्प पूरा, मात्र तत्वदर्शी सन्त की शरण में आने से। जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा ले

FAQ about Raksha Bandhan in Hindi

रक्षाबंधन 2025 त्योहार कब मनाया जाएगा?

Ans. रक्षाबंधन 2025, 9 अगस्त (सावन की पूर्णिमा) को मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन पर भाई बहन को क्या उपहार दें?

रक्षाबंधन पर उपहार स्वरूप भारत की सबसे अधिक डाउनलोड की गई पुस्तक जीने की राह दी जा सकती है।

रक्षाबंधन की पौराणिक कथा क्या है?

रक्षाबंधन की पौराणिक कथा द्रौपदी और कृष्ण के मध्य रक्षासूत्र बांधने की बताई जाती है।

रक्षाबंधन पर रक्षा कैसे सम्भव है?

पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करने से परमात्मा कबीर अपने साधक की रक्षा करते हैं।

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