रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन इक्कीसवें भारतीय रूस बैठक में शामिल होने 6 दिसम्बर को भारत दौरे (Putin India Visit) पर आए। भारत रुस के बीच 10 साल के लिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम पर सहमति के साथ अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और 28 मु्द्दों पर समझौतों पर हस्ताक्षर कराने के बाद वे वापस लौटे।
Putin India Visit: मुख्य बिंदु
- पुतिन 6 दिसम्बर 2021 को भारत रूस वार्षिक बैठक में सम्मिलित होने भारत आए।
- राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान हुए रिकॉर्ड 28 समझोते
- भारत रुस के बीच 10 साल के लिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम पर हुआ समझौता।
- भारत-चीन के मध्य तनाव, हिन्द प्रशांत क्षेत्र, क्वाड एवं अफगानिस्तान पर दोनों देशों के मतभेद के चलते पुतिन की यात्रा का खास महत्व है।
- नए अनुबंध, नए वार्तालापों के साथ भारत और रूस की दोस्ती को नया आयाम मिला है।
- प्रथम और आखिरी उपाय है तत्वज्ञान।
रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की संक्षिप्त भारत यात्रा
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने असाधारण रूप से 21वे वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत यात्रा (Putin India Visit) करने का अद्वितीय फैसला लिया है। यह यात्रा भारत रुस के द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को दर्शाता है। सोमवार को रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की सूक्ष्म भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, संस्कृति, बौद्धिक संपदा और शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में रिकॉर्ड 28 समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच 10 वर्ष (2021-2031) के लिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम पर समझौता किया गया। ध्यान रहे COVID-19 महामारी शुरू होने के बाद से यह राष्ट्रपति पुतिन की दूसरी विदेश यात्रा है। भारत आने से पहले पुतिन ने रूस-अमेरिका शिखर सम्मेलन में भाग लेने के निमित्त जिनेवा की यात्रा की थी। S-400 की आपूर्ति इसी महीने शुरू हो गई है और आगे भी जारी रहेगी।
दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई बैठक
रूस के राष्ट्रपति पुतिन एवं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के साथ हैदराबाद हाउस दिल्ली में बैठक हुई। पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि वे अभी के सम्बन्धों के साथ ही भारत के साथ भावी सम्बन्ध भी बनाये रखना चाहते हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के मध्य अनोखी एवं रूचिकर दोस्ती होने की बात कही। कोरोना महामारी के बाद पुतिन की भारत में यह दूसरी मुलाकात थी। प्रधानमंत्री ने यह भी चिन्हित किया कि महामारी के दौरान दोनों ही देशों के मध्य वैक्सीन एवं अन्य मानवीय मूल्यों को लेकर बराबर संवेदना रही है एवं दोनों देशों ने एक दूसरे को सपोर्ट किया है।
Putin India Visit: भारत एवं रूस के मध्य समझौते
पुतिन ने भारत को महान शक्ति कहा। द्विपक्षीय व्यापार पर पुतिन ने कहा कि यह पिछले वर्ष 17 प्रतिशत तक गिर गया था जो इस वर्ष के पहले 9 महीनों में ही 30 प्रतिशत बढ़ा है। टू प्लस टू संवाद के लिए पुतिन 5 घण्टों के लिए भारत आये थे। सोमवार रूस और भारत के मध्य 28 समझौते हुए। इनमें डिफेंस का मुद्दा या समझौता अहम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुलाकात को अहम बताया है। विदेश मंत्री तथा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के अनुसार इस वर्ष का सबसे बड़ा समझौता एवं टू प्लस टू संवाद का अहम हिस्सा दस वर्षीय सेना सुरक्षा सहयोग है। साथ ही रूस एवं भारत का संयुक्त रूप से मेक इन इंडिया के अंतर्गत AK-203 राइफल पर काम करने की योजना भी अहम हिस्सा है।
युद्ध नहीं है शांति का समाधान
युद्ध! समझौते! हथियार! नफरत! गुटबाजी! और राजनीति। इससे कुछ हासिल नहीं होना है। इंसान पैदा होने के महज़ 100 वर्ष के भीतर ही मर जाता है और इस बीच जाने कितने पाप, कुछ जाने और कुछ अनजाने कर डालता है। युद्ध से किसका भला हुआ है। हम यहाँ ये सिद्ध नहीं कर रहे हैं कि युद्ध के लिए हथियार इकट्ठे किये जा रहे हैं बल्कि आशय यह है कि आसमान देखकर छाता लेकर चलना पर्याप्त इंगित करता है कि है कि वर्षा की संभावना है। लेकिन आखिर क्यों देश प्रेम और सौहार्द के सहारे जीवन नहीं जी सकते।
तत्वज्ञान की कमी का होना इसका सबसे बड़ा कारण है। तत्वज्ञान के बाद चाहे वो आम नागरिक हो या प्रजापति, उसे मृत्यु का ख्याल हमेशा होता है जो कभी भी आ सकती है। व्यक्ति अपनी सांसों पर काबू नहीं रख सकता लेकिन उसे सारा जहान अपने अधिकार में चाहिए। यह मानव की दूरदर्शिता की कमी है। वह भविष्य में होने वाली घटनाओं, मौसम, देश विदेश सबके लिए दूरदर्शिता दिखा सकता है किंतु यह भूल जाता है कि सब कुछ अस्थायी है किंतु मृत्यु चिरस्थायी है।
तत्वदर्शी सन्त की शरण गहो
क्या आप जानते हैं ये सदविचार व्यक्ति में मन में क्यों नहीं आते? क्योंकि तत्त्वदर्शी सन्त का न मिलना और उपदेश न करना उसे जीवन के सबसे अहम पहलू अध्यात्म से वंचित रखता है। और यदि वह अध्यात्म का कोई सिरा पकड़ता भी है तो वह मूल तत्वज्ञान से वंचित रह जाता है जिसके लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में साधक को तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने और तत्वज्ञान प्राप्त करने के लिए कहा है। बिना गुरु के प्राणी धोखे धोखे अंत तक अपनी बहुमूल्य सांसें यों ही लुटाता जाता है। तत्वज्ञान से व्यक्ति भक्तिमार्ग में स्वतः ही अग्रसर होता है जिससे उसके अतीत के शूल मिटते हैं, वर्तमान में शांति एवं सुख प्राप्त होता है एवं भविष्य के प्रति प्राणी चिंतामुक्त रहता है क्योंकि उसके वे कार्य भी आसानी से सिद्ध होते जाते हैं। वर्तमान में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज हैं। उनकी शरण में आएं एवं अपना कल्याण करवाएं। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।