Patanjali Misleading Ads Case | भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु बाबा रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। कल योगगुरू बाबा रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण की सुप्रीमकोर्ट में भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाते हुए कहा कि हम अंधे नही हैं, हम सब देख व समझ रहे हैं। साथ ही कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के कारण अदालत की अवमानना का हवाला देते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने बाबा रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण का माफीनामा भी खारिज कर दिया। साथ ही आगे कार्रवाई की चेतावनी भी दी। विस्तारपूर्वक जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।
Patanjali Misleading Ads Case से सम्बंधित मुख्य बिन्दु
- भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण को लगाई फटकार
- सुप्रीमकोर्ट ने कहा “हम अंधे नही हैं, सब देख और समझ रहे हैं”
- कल 10 अप्रैल को थी सुनवाई
- सुप्रीमकोर्ट ने अदालत की अवमानना मानते हुए माफीनामा भी खारिज कर दिया तथा आगे की कार्रवाई की चेतावनी भी दी
- अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी
- संत रामपाल जी के सतज्ञान से कलयुग में सतयुग जैसी सत्ता होगी स्थापित
जानिए क्या था पूरा मामला!
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (I.M.A) द्वारा अगस्त 2022 में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जो कि पतंजलि द्वारा दिए गए एक विज्ञापन के बारे में थी। इस याचिका में बताया गया था कि पतंजलि की ओर से प्रसारित विज्ञापन में कहा गया था कि “एलोपैथी, फार्मा और मेडिकल उद्योग द्वारा गलतफहमियों से खुद को और देश को बचाऐं।” बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी को “बेवकूफ और दिवालिया विज्ञान” कहा गया था। उन्होंने दावा किया था कि एलोपैथिक दवा कोरोना से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है। I.M.A. ने दावा किया कि पतंजलि के भ्रामिक विज्ञापन के कारण भी लोग वैक्सीन लगवाने से हिचकिचा रहे थे।
Patanjali Misleading Ads Case | सुप्रीम कोर्ट की बाबा रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण को फटकार
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से जुडे़ मामले में कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम आपकी बात से सहमत नहीं है। इसलिए हम आपके दूसरे माफीनामे की याचिका को खारिज कर रहे हैं। अदालत में बाबा रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण की ओर से केस लड़ रहे शीर्ष वकील मुकुल रोहतगी ने कुछ समय की मांग की। उन्होंने कहा कि इस केस के लिए उन्हें 10 दिनों का समय चाहिए। ताकि वह मामले की अगली सुनावई में अपना पक्ष रख सकें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर बाबा रामदेव ने पहले ही मांफी मांग ली थी। बाबा रामदेव ने कोर्ट में कहा था कि पतंजलि की ओर से प्रचारित विज्ञापनों को रोक दिया जाएगा। लेकिन, इसके बावजूद भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार-प्रसार जारी रहा।
इसे देखते हुए कोर्ट ने यह ठोस कदम उठाया है। कोर्ट ने कहा कि हम सब देख व समझ रहे हैं यह सिर्फ कागजी माफी है। कोर्ट के आदेश के बावजूद आप इन विज्ञापनों का प्रचार करते रहे। इसलिए हम आपके माफीनामे को खारिज कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि अब आप आगे की कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
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16 अप्रैल को होगी भ्रामक विज्ञापन मामले में अगली सुनवाई
पतंजलि संस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने कहा कि किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। 27 फरवरी को जस्टिस हिमा कोहली एवं जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने बाबा रामदेव तथा पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट के पहले के आदेशों का उल्लंघन करने और कम्पनी के उत्पादों के साथ बीमारियों के इलाज के विषय में भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार जारी रखने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया था। अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
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FAQ About Patanjali Misleading Ads Case
Ans.:- पतंजलि द्वारा प्रसारित भ्रामक विज्ञापन मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMS) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
Ans.अगस्त 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMS) याचिका दायर की थी।
Ans.इस मामले पर पहली सुनवाई 21 नवंबर 2023 को हुई थी।
Ans. बाबा रामदेव ने एलोपैथी को बेवकूफ और दिवालिया विज्ञान कहा था। साथ ही पतंजलि संस्थान ने एक विज्ञापन देकर बताया था कि एलोपैथी, फार्मा और मेडिकल उद्योग कैसे देशवासियों को बेवकूफ बना रहे हैं। इसी विज्ञापन के खिलाफ आईएमए ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की थी।