Published on: 14 May 2022, 5: 50 PM IST: Narsingh Jayanti 2022 Date: पद्म पुराण के अनुसार नरसिंह जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है जो इस वर्ष 25 मई के दिन है। नरसिंह जयंती के अवसर पर जानें कि कैसे पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की, हम सबके वास्तविक रक्षक कविर्देव जी हैं ।
Narsingh Jayanti 2022: मुख्य बिंदु
- नरसिंह जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है जो कि इस साल 14 मई 2022 को है
- भगवान नरसिंह शक्ति एवं पराक्रम के प्रमुख देवता माने जाते हैं
- नरसिंह जी को नरहरि, उग्र वीर महाविष्णु तथा हिरण्यकश्यप अरि आदि नामों से भी जाना जाता है
- हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरसिंह देव को विष्णु जी का चौथा अवतार बताया जाता है
- दक्षिण भारत में वैष्णव सम्प्रदाय के लोगों के द्वारा नरसिंह जयंती खासा धूमधाम के साथ मनाई जाती है
- कबीर परमात्मा अपने भक्त (सत्य साधक) की रक्षा के लिए सतलोक से चलकर स्वयं आते हैं
- पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी वास्तविक रक्षक हैं
Narsingh Jayanti 2022 Date: क्या है नरसिंह जयंती?
पद्म पुराण के अनुसार नरसिंह जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह जयंती अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिनांक 14 मई के दिवस पर है। पाठकों को यह जानना अति विशेष आवश्यक है कि नरसिंह अवतार इस बात का प्रतीक है कि जैसे भक्त प्रहलाद की रक्षा पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी ने नरसिंह रूप लेकर की थी ऐसे ही पूर्ण परमेश्वर हम सबके रक्षक भी हैं।
“मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।”
Narsingh Jayanti 2022 पर जानिए कौन थे भगवान नरसिंह जी
नरसिंह नर + सिंह (“मानव-सिंह”) जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे, जिनका सिर एवं धड़ तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे। इन्हें हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु जी का चतुर्थ अवतार बताया जाता है, ये अत्यंत उग्र तथा रौद्र रूप में प्रकट हुए थे। परन्तु सूक्ष्म वेद में बताया गया है कि पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए ही नृसिंह अवतार लेकर आये थे।
नरसिंह भगवान की पूजा का समय शाम का माना जाता है क्योंकि नरसिंह जी ने असुर राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए दिन के ढलने और शाम के प्रारंभ के मध्य का समय चुना था। इस समय काल में ही उन्होंने नरसिंह अवतार लिया था। यदि पूर्ण परमात्मा की शरण हो तो हर समय लाभकारी है वरना किसी भी समय पर हानि हो सकती है,। गरीब दास साहेब जी कहते हैं कि
राहु केतु रोकै नहीं घाटा, सतगुरु खोले बजर कपाटा।
नौ ग्रह नमन करे निर्बाना, अविगत नाम निरालंभ जाना
नौ ग्रह नाद समोये नासा, सहंस कमल दल कीन्हा बासा।।
पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी के नरसिंह अवतार की कथा
बहुत समय पहले एक ऋषि हुआ करते थे, जिनका नाम ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी का नाम दिति था। ऋषि और उनकी पत्नी दिति को 2 पुत्र हुए, उनमें से एक का नाम हिरण्याक्ष और दूसरे का नाम हिरण्यकश्यप था। भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष से पृथ्वी की रक्षा के हेतु वराह रूप धारण कर उसका वध कर दिया था।
भगवान विष्णु के द्वारा अपने भाई के वध से दुखी और क्रोधित हिरण्यकश्यप ने भाई की मृत्यु का बदला लेने के लिए अजेय होने का संकल्प कर हजारों वर्षों तक घोर तप किया। हिरण्यकश्यप की तपस्या से खुश होकर ब्रह्माजी ने उसे वरदान दिया कि उसे न कोई घर में मार सके न बाहर, न अस्त्र से उसका वध होगा और न शस्त्र से, न वो दिन में मरेगा न रात में, न मनुष्य से मरे न पशु से, न आकाश में और न पृथ्वी में। हिरण्यकश्यप के अत्याचार की कोई सीमा नहीं रही, उसने प्रभु भक्तों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था।
गरीब,राम नाम छांड्या नहीं, अबिगत अगम अगाध।
दाव न चुक्या चौपटे, पतिब्रता प्रहलाद।।
■ Also Read: बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima): क्या था महात्मा बुद्ध के गृहत्याग का कारण?
हिरण्यकश्यप का एक पुत्र प्रहलाद था लेकिन वो अपने पिता से बिल्कुल विपरीत था। प्रहलाद पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी का अनन्य भक्त था, ये बात उसके पिता को पसंद नहीं थी, जिसके चलते उसने कई बार अपने पुत्र का वध करने की कोशिश की, लेकिन पूर्ण परमात्मा का भक्त होने के कारण हिरण्यकश्यप प्रहलाद का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया। भक्त प्रहलाद पर हिरण्यकश्यप के अत्याचार की जब सभी सीमाएं पार कर गई, तब पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध करके अपने भक्त प्रहलाद के दुखों का अंत किया।
हिरण्यक शिपु उदर (पेट) विदारिया, मैं ही मारया कंश।
जो मेरे साधु को सतावै, वाका खो-दूँ वंश।।
उपरोक्त वाणी में सतगुरु गरीबदास जी साहेब प्रमाण दे रहे हैं कि परमेश्वर कहते हैं कि मेरे संत को दुखी मत कर देना, जो मेरे संत को दुखी करता है समझो मुझे दुखी करता है। जब मेरे भक्त प्रहलाद को दुखी किया गया तब मैंने हिरण्यकशिपु का पेट फाड़ा।
संत रामपाल जी से तत्वज्ञान लेकर जाने वास्तविक रक्षक कविर्देव जी को
इस मृत्युलोक का स्वामी ज्योति निरंजन काल है जिसने सर्व जीवों की बुद्धि को भरमाए रखा हुआ है। इस भ्रम के कारण ही सर्व मनुष्य ज्योति निरंजन अर्थात काल के अंश विष्णु जी हैं को ही नरसिंह अवतार मानने लगा, परन्तु वास्तविकता इससे भिन्न है, क्योंकि सभी धर्मों के सद्ग्रन्थों में बताया गया है कि पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी अपने सच्चे भक्तों की रक्षा के लिए अपने निजधाम अर्थात सतलोक से चलकर स्वयं आते हैं, परंतु दुर्भाग्यवश मानव समाज वास्तविक रक्षक को भूल चुका है, पूर्ण संत रामपाल जी महाराज इसी अज्ञानता की गहरी खाई को समाप्त करने के लिए मानव समाज के उत्थान के लिए आये हुए हैं तथा वास्तविक रक्षक कविर्देव जी से परिचित करा रहे हैं।
क्या है वास्तविक पूजा विधि?
सतगुरु अर्थात पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताई गई भक्ति विधि को करने से पूर्ण परमेश्वर जी अपने प्रत्येक साधक की रक्षा प्रत्येक क्षण करते हैं तथा उस साधक के जीवन से सर्व दुखों का निवारण करते हैं इसलिए सत्य को पहचानें तथा संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त करें। संत रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग श्रवण करने के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल देखे।
जो जन मेरी शरण है, ताका हूँ मैं दास।
गेल-गेल लाग्या फिरूँ, जब तक धरती आकाश।।
प्रिय पाठकों से निवेदन है कि वास्तविक रक्षक कविर्देव जी ने भक्त प्रहलाद की तरह ही अपने अन्य भक्तों की कैसे रक्षा की तथा उनके जीवन से कैसे दुखों का निवारण किया इन सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा” का अवश्य अध्ययन करें।