January 27, 2025

Nag Panchami (नाग पंचमी) 2024: नागों की पूजा करने से कोई लाभ संभव नहीं

Published on

spot_img

Last Updated on 8 August 2024 IST | Nag Panchami in Hindi: नाग पंचमी की पूजा श्रद्धालु बड़े भक्ति भाव से करते हैं, लेकिन इस पूजा का कोई लाभ नहीं और हो भी कैसे, क्योंकि नाग भी तो चौरासी लाख योनियों में से ही एक जीव हैं। आज पाठकगण विस्तार से जानेंगे कि शास्त्र किस साधना की ओर संकेत कर रहे हैं और साधक समाज क्या कर रहा है तथा साथ ही यह भी जानेंगे कि वर्तमान समय में शास्त्रों से प्रमाणित सतभक्ति विधि प्रदत्त करने का अधिकारी संत कौन है, जिसके द्वारा दी गई सतभक्ति विधि से ही सर्व लाभ व पूर्ण मोक्ष सम्भव है जिसकी हम सब कामना करते हैं?

Table of Contents

Nag Panchami (नागपंचमी) 2024: मुख्य बिन्दु

  • नाग पंचमी उत्सव हर वर्ष सावन मास में मनाया जाता है, जो कि इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
  • लोक मान्यता है कि सावन में पंचमी में नागों को दूध स्नान कराने से ये हानि नहीं पहुंचाते हैं, परन्तु शास्त्रों में इस बात का कोई उल्लेख नहीं हैं।
  • सांप फसल को नुकसान करने वाले जीव-जंतु, चूहे आदि से रक्षा करता है।
  • हमारे धर्म ग्रंथो में आठ नागों, अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख का उल्लेख मिलता है।
  • चौरासी लाख शरीर धारी जीव योनियों में से नाग भी है एक योनि है जो स्वयं यथार्थ मोक्ष से वंचित है तो वह अन्य योनि के जीवों को लाभ कैसे दे सकते हैं।
  • तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सतज्ञान लेकर सांसारिक दुखों से छुटकारा पाएं।

हिन्दू परंपराओं में नागपंचमी (Nag Panchami) त्योहार

Nag Panchami in Hindi: हिंदू धर्म में प्रचलित कर्मकांडों के अनुसार देवी-देवताओं के साथ ही उनके प्रतीकों और वाहनों की भी परंपरागत पूजा-अर्चना की जाती है। इनमें जानवर, पक्षी, सृप, फूल और वृक्ष भी सम्मिलित है। हिंदुओं में विशेषकर पश्चिम भारत में महाराष्ट्र प्रांत में नाग पंचमी (Nag Panchami) की विशेष मान्यता है। 

जानिए इस वर्ष कब है Nag Panchami (नागपंचमी) का त्योहार? 

हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का यह उत्सव प्रतिवर्ष श्रावण मास (Sawan) की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष इसे शुक्रवार , 09 अगस्त 2024 को पंचमी होने के कारण मनाया जा रहा है।

नागपंचमी श्रावण मास में क्यों?

Nag Panchami in Hindi [2024]: इसका एक कारण यह जान पड़ता है कि सावन का पूरा महीना वर्षा का होता है और बरसात में जमीन से नाग बाहर निकल आ जाते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि पंचमी के दिन यदि नागों को दूध स्नान कराया जाए, पूजा अर्चना की जाए तो ये किसी को हानि नहीं पहुंचाते।

अलग अलग कारणों से मानते है पंचमी

कुछ कहते है, कृषि प्रधान भारत देश में सांप खेतों में फसल को नुकसान करने वाले जीव-जंतु, चूहे आदि से रक्षा करता है। उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। कुछ यह भी कहते हैं, हिन्दू धर्म में पशु-पक्षियों, मूर्तियों, पितरों को पूजने का विधान है। वैसे भी सावन के महीने में कई प्रकार की पूजाएं कर्मकांड के अनुसार कराई जाती हैं। पंचमी को नागों की पूजा भी इसी कड़ी का अंश है। महाभारत में नागों से संबंधित वर्णन मिलते हैं। हिंदू धर्म में नागों को देवता भी कहा गया है। नागपंचमी के दिन आठ नागों अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख की पूजा अर्चना की जाती हैं।

क्या है नागपंचमी का इतिहास (History Of Nag Panchami)

  • द्वापरयुग की बात है एक समय कालिया नाग यमुना नदी में विचरण करता था, जिसके कारण यमुना का जल विषाक्त हो चुका था, आस-पास के पशु-पक्षी मर रहे थे। फसलें नष्ट हो रही थी। वहाँ के लोगों ने परेशान होकर श्रीकृष्ण से प्रार्थना की तब श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पाताल लोक भेज दिया। उसी दिन से ब्रज में नागपंचमी के त्योहार की शुरुआत हुई तथा वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने शेषनाग को पृथ्वी धारण करने की आज्ञा दी थी। नागों का मूल स्थान पाताल लोक है तथा उसकी राजधानी भोगपुरी है।
  • Nag Panchami Story in Hindi: नागपंचमी मनाने के संबंध में एक मत यह भी है कि अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने तपस्या में लीन ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया था। इस पर ऋषि के शिष्य श्रृंगी ऋषि ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि यही सर्प सात दिनों के पश्चात तुम्हे जीवित होकर डस लेगा, ठीक सात दिनों के पश्चात उसी तक्षक सर्प ने जीवित होकर राजा को डसा। तब क्रोधित होकर राजा परीक्षित के बेटे जन्मेजय ने विशाल “सर्प यज्ञ” किया जिसमे सर्पों की आहुतियां दी। इस यज्ञ को रुकवाने हेतु महर्षि आस्तिक आगे आए। उनका आगे आने का  कारण यह था कि महर्षि आस्तिक के पिता आर्य और माता नागवंशी थी। इसी नाते से वे यज्ञ होते देख न सके। सर्प यज्ञ रुकवाने, लड़ाई को ख़त्म करने, पुनः अच्छे सबंधों को बनाने हेतु आर्यों ने स्मृति स्वरूप अपने त्योहारों में ‘सर्प पूजा’ को एक त्योहार के रूप में मनाने की शुरुआत की।

Nag Panchami 2024 पर जाने क्या नाग दूध पीते हैं?

Nag Panchami in Hindi: हमारे समाज में नाग के दूध पीने को लेकर अनेक भ्रांतियाँ प्रचलन में हैं। आइये जानते हैं, इसके पीछे छिपी सच्चाई को। वैज्ञानिक दृष्टि कोण से देखा जाए तो नाग एक मांसाहारी जीव है। इसका आहार दूध नहीं है, नागों के आंतरिक अंग दूध पीने के लिए नही बनें। इन्हें दूध पिलाने पर इनकी आंतरिक बनावट के कारण दूध इनके फेफड़ों (Lungs) में चला जाता है जिससे इन्हें इन्फेक्शन या निमोनिया होने की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन कभी-कभी हम गांव में सपेरों द्वारा सांपों को दूध पिलाते देखते हैं। उसके पीछे का एकमात्र कारण ये है कि सपेरे एक दो दिनों तक साँप को भूखा रखते हैं, अत्यधिक भूख के कारण साँप दूध तो पी जाते हैं लेकिन कभी कभी ये दूध उन्हें बीमार कर देता है।

Nag Panchami in Hindi [2024]: नागपंचमी पर व्रत परंपरा

भारत के भिन्न-भिन्न प्रान्तों में नाग पंचमी के व्रत की भिन्न भिन्न परम्परा है। कुछ जगहों पर लोग सूर्योदय से पहले जाग कर स्नान कर के मिट्टी या बालू से नाग बनाकर दूध, लावा चढ़ाकर नागपंचमी की कथा सुनकर आरती के बाद पूजा सम्पन्न करके ही विधानानुसर भोजन बनाकर भोजन करते हैं। कहीं दाल बाटी तो कही खीर-पूड़ी बनाने की प्रथा है कहीं-कहीं उस दिन घर में चूल्हा नही जलाने का नियम है। पर वास्तविकता यह है कि श्रीमद्भागवत गीता में व्रत इत्यादि कर्मकांड को निषेध बताया है तथा गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि व्रत करने से ना तो कोई लाभ होता है ना ही मोक्ष की प्राप्ति अर्थात व्रत करना शास्त्र विरूद्ध साधना है। गीत अध्याय 6 के श्लोक 16 में व्रत की मनाहि है। 

नागपंचमी का महत्व (Significance of Nag Panchami in Hindi)

स्कन्द पुराण के अनुसार नागपंचमी के दिन नागों की विधि विधान के साथ पूजा करने से नाग उस परिवार को हानि नही पहुँचाता तथा पूजा करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है इस दिन कुछ उपाय से उसका प्रभाव भी कम हो जाता है। परन्तु शास्त्रानुकूल साधना करने वाले साधक से सर्व रोग, दोष, दुःख सर्व अछूते हैं।

राहु केतु रोकै नहीं घाटा, सतगुरु खोले बजर कपाटा।

नौ ग्रह नमन करे निर्बाना, अविगत नाम निरालंभ जाना

नौ ग्रह नाद समोये नासा, सहंस कमल दल कीन्हा बासा।।

संत गरीबदास जी ने बताया है कि सत्यनाम साधक के शुभ कर्म में राहु केतु राक्षस घाट अर्थात मार्ग नहीं रोक सकते सतगुरु तुरंत उन बाधाओं को समाप्त कर देते हैं। भावार्थ है कि सत्यनाम साधक पर किसी भी ग्रह, काल सर्प योग तथा राहु केतु का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा दसों दिशाओं की सर्व बाधाएं समाप्त हो जाती है।

नाग भी एक योनि है जो मनुष्य को लाभ नहीं दे सकती

Nag Panchami in Hindi: सृष्टि के प्रारंभ में चौरासी लाख शरीर धारी जीव योनियों का सृजन किया गया। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में उन चार वृहत श्रेणियों का विस्तृत वर्णन किया है। चार खानियों में ये चौरासी लाख योनियां समायोजित हैं। चार खानियों के जीव एक समान हैं, परन्तु उनकी शरीर रचना में तत्व विशेष का अन्तर है। स्थावर खानि में सिर्फ़ एक ही तत्व जल, ऊष्मज खानि में दो तत्व वायु और अग्नि, अण्डज खानि में तीन तत्व जल, अग्नि और वायु और पिण्डज खानि में चार तत्व अग्नि, पृथ्वी, जल और वायु होते हैं ।

■ यह भी पढ़ें: Nag Panchami पर जानिए नागपंचमी की वास्तविक कथा

इन सबसे अलग मनुष्य शरीर में पाँच तत्व अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल और आकाश होते हैं। मनुष्य योनि में नर और नारी दोनों में तत्व एक समान हैं। पाठक यह जानें कि नाग अंडज खानि में पैदा हुआ एक जीव है। कितनी बार अन्य योनियों में जन्म लिया होगा। आप समझ सकते हैं कि नाग पूजा किसी प्रकार भी मनुष्य के विकास में सहायक नहीं हो सकती और न ही इससे वो परम् गति सम्भव है जो कि तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन में पूर्ण परमात्मा की भक्ति विधि से है। अतः इसे करना मनुष्य जीवन का महत्वपूर्ण समय व्यर्थ करना है ।

पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी में कहा है

माटी का एक नाग बनाके, पुजे लोग लुगाया ।

जिंदा नाग जब घर में निकले, ले लाठी धमकाया।।

शास्त्र सम्मत साधना न करने से क्या हानि होती है?

पाठकों के मन में प्रश्न होगा कि ऐसा क्या है जो मनुष्य जीवन में करना श्रेष्ठ है, जी ऐसा है जिसे हम आगे जानेंगे । अब श्रीमद्भगवद्गीता का मत जानते हैं, गीता अध्याय 9 श्लोक 25 के अनुसार देवताओं की पूजा करने वाले देवताओं प्राप्त होंगे, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होंगे और भूत-प्रेतों की उपासना करने वाले उन्हीं को ।

यान्ति देवव्रता देवान्पितृन्यान्ति पितृव्रताः |

भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोSपि माम् ||

शास्त्र अनुकूल भक्ति कैसे की जाती है?

जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में विस्तृत ज्ञान दिया है। श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 के अनुसार ॐ मन्त्र ब्रह्म का, तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का, सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है। ऐसे यह तीन प्रकार के पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का आदेश कहा है।

ॐ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः,

ब्राह्मणाः, तेन, वेदाः, च, यज्ञाः, च, विहिताः, पुरा।।

गीता 17:23।।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्राण संगली-हिन्दी के पृष्ठ नं. 3 पर गौड़ी रंगमाला जोग निधि – महला 1 – पौड़ी नं. 17 को उदघृत करते हुए बताया है, नानक साहेब श्रीमद्भगवद्गीता 17:23 के ॐ, तत्, सत् नाम के अजपा जाप द्वारा सुरति से परमात्मा में लौ लगाने का रहस्य उजागर कर रहे हैं ।

पूर्ब फिरि पच्छम कौ तानै। अजपा जाप जपै मनु मानै।।

अनहत सुरति रहै लिवलाय। कहु नानक पद पिंड समाय।। प्राण संगली 1:17।।

संत रामपाल जी महाराज गुरु नानक जी देव की वाणी द्वारा समझाना चाहते हैं कि पूरा सतगुरु वही है जो दो अक्षर के जाप के बारे में जानता है। जिनमें एक काल व माया के बंधन से छुड़वाता है और दूसरा परमात्मा को दिखाता है और तीसरा जो एक अक्षर है वो परमात्मा से मिलाता है। वेद पुराणों के पढ़ने से मुक्ति नहीं होती, गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

वेद कतेब सिमरित सब सांसत, इन पढ़ि मुक्ति न होई।।

एक अक्षर जो गुरुमुख जापै, तिस की निरमल होई।।

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से लें सत भक्ति का तत्वज्ञान

सतलोक में विराजमान पूर्ण ब्रह्म पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब (कविर्देव) की गुरु परंपरा के एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही गीता द्वारा निर्देशित और गुरु नानक द्वारा शिक्षित तत्वज्ञान को शास्त्र अनुकूल विधि से बताते हैं। अपना कल्याण चाहने वाली पुण्यात्माएं ऐसे तत्वदर्शी संत से नाम दान दीक्षा लेकर अपने सर्व पापों को कटवा कर इस मृत्यु लोक में सर्व सुख प्राप्त कर समय होने पर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करें। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की सतज्ञान वर्षा और सतनाम/सारनाम कृपा से गुरु मर्यादा का पालन करते हुए सांसारिक दुखों से छुटकारा पाकर अपना और परिवार का कल्याण कराएं। सतगुरुदेव जी द्वारा लिखित पुस्तकअंध श्रद्धा भक्ति खतरा-ए-जान को पढ़ें, साधना चैनल पर संत रामपाल जी महाराज का सत्संग रोज शाम 7:30 पर श्रवण करें ।

FAQs About Nag Panchami in Hindi

नाग पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

हिंदू धर्म में प्रचलित कर्मकांडों के अनुसार देवी-देवताओं के साथ ही उनके प्रतीकों और वाहनों की भी परंपरागत पूजा-अर्चना की जाती है। इनमें जानवर, पक्षी, सृप, फूल और वृक्ष भी सम्मिलित है। हिंदुओं में विशेषकर पश्चिम भारत में महाराष्ट्र प्रांत में नाग पंचमी (Nag Panchami) की विशेष मान्यता है। 

नाग पंचमी का मतलब क्या होता है?

नाग पंचमी सावन मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को कहा जाता है। यह पर्व वर्ष में एक बार मनाया जाता है। हिंदुओं में विशेषकर पश्चिम भारत में महाराष्ट्र प्रांत में नाग पंचमी (Nag Panchami) की विशेष मान्यता है। 

नाग पंचमी के दिन सांप देखने से क्या होता है?

नाग पंचमी पर या अन्य किसी भी तिथि पर सांप देखने से साधक को किसी भी प्रकार की आध्यात्मिक उपलब्धि प्राप्त नहीं हो सकती। यह साधना श्रीमद भगवद गीता के अध्याय 16 के शलोक 23 और 24 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना होने से व्यर्थ है। 

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary 2025: Know about the Lion of Punjab on His Jayanti

Last Updated on 27 January 2025 IST | Lala Lajpat Rai Jayanti (Birth Anniversary...

Who Were the Parents of God Kabir Saheb Ji?

Famous Bhakti Era Saint, Kabir Saheb was not an ordinary Saint but the Lord...

कबीर साहेब जी के गुरु कौन थे? | क्या उन्होंने कोई गुरु नही बनाया था?

"कबीर जी के गुरु कौन थे?" इसके बारे में कई लेखक, कबीरपंथी तथा ब्राह्मणों...

आखिर कौन थे कबीर साहेब जी के माता पिता?

भक्तिकाल के निर्गुण सन्त परम्परा के पुरोधा के रूप में प्रसिद्ध कबीर साहेब कोई...
spot_img

More like this

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary 2025: Know about the Lion of Punjab on His Jayanti

Last Updated on 27 January 2025 IST | Lala Lajpat Rai Jayanti (Birth Anniversary...

Who Were the Parents of God Kabir Saheb Ji?

Famous Bhakti Era Saint, Kabir Saheb was not an ordinary Saint but the Lord...

कबीर साहेब जी के गुरु कौन थे? | क्या उन्होंने कोई गुरु नही बनाया था?

"कबीर जी के गुरु कौन थे?" इसके बारे में कई लेखक, कबीरपंथी तथा ब्राह्मणों...