September 16, 2025

Legend Sprinter Milkha Singh Dies: फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह का कोरोना से निधन

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Milkha Singh Death News: महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात्रि 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बुधवार को ही मिल्खा सिंह कोरोना निगेटिव हुए थे, लेकिन गुरुवार को अचानक से उनकी तबीयत नाजुक हो गई और उन्हें चंडीगढ़ के PGI अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जहां उनकी मृत्यु हो गई। स्मरण रहे कुछ दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मला सिंह का कोरोना संक्रमण से 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वे पंजाब की वॉलीबॉल टीम की कप्तान भी रह चुकी  हैं। मिल्खा सिंह आईसीयू में भर्ती होने कारण अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके थे।

Milkha Singh Death News: मिल्खा सिंह सम्बंधित मुख्य बिंदु

  • 91 वर्ष की आयु में “फ्लाइंग सिख” मिल्खा सिंह जी ने दुनिया को अलविदा कहा
  • एशिया का तूफान कहे जाने वाले पाकिस्तान के अब्दुल खालिक को हराकर बने थे ‘फ्लाइंग सिक्ख’
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री मोदी समेत कई नेताओं और अभिनेताओं ने ट्वीट कर जताया शोक
  • वे “दौड़ते नहीं उड़ते थे”, कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक जिताने वाले पहले भारतीय थे
  • भारत सरकार द्वारा 1959 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है
  • मिल्खा सिंह की पुस्तक ‘The Race of My Life’ महान एथलीट के संघर्ष की आत्मकथा है
  • सतभक्ति करने से जीवन में नहीं आते हैं दुःख व बीमारियां

Milkha Singh News: कोरोना निगेटिव आने के बाद जीवन की जंग हार गए 

फर्राटा धावक मिल्खा सिंह कुछ दिनों से कोरोना से लड़ाई लड़ रहे थे। बुधवार को उनकी कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आई और उनकी हालत में स्थिरता आई। गुरुवार को अचानक उनकी हालत बिगड़ने लगी जिस कारण उन्हें चंडीगढ़ के PGI अस्पताल के एडवांस कार्डियक सेंटर में भर्ती कराया गया था। यहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी। 17 जून को उन्हें बुखार आया। 18 जून की सुबह उनका ऑक्सीजन लेवल गिर गया और उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 80 से 70 रह गया था। रात 11 बजे उनका ब्लड प्रेशर लेवल 39/20 रह गया था, रात 11:24 बजे मिल्खा सिंह ने अपनी अंतिम सांस ली। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना था कि उनके फेफड़े 80% तक खराब हो चुके थे।

मिल्खा सिंह का जन्म कब तथा कहाँ हुआ था?

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (पहले यह गांव अविभाजित भारत के मुजफ्फरगढ़ जिले में पड़ता था जो अब पश्चिमी पाकिस्तान में पड़ता है) में एक सिख राठौर (राजपूत) परिवार में हुआ था। बचपन से ही मिल्खा सिंह की खेलों के प्रति रुचि थी।

मिल्खा ने बाल्यकाल में ही खो दिया था अपनों का साथ

पाकिस्तान में जन्मे मिल्खा सिंह का परिवार भी भारत विभाजन की त्रासदी का शिकार हुआ था, उस दौरान उनके माता-पिता के साथ-साथ आठ भाई-बहन भी मार दिए गए थे। केवल चार लोग ही उनमें से बचकर भारत आ पाए थे। आगे चलकर मिल्खा विश्व के महान धावकों में से एक बने, जिन्हें अब फ्लाइंग सिख के नाम से भी जाना जाता है।

सेना में भर्ती होने से खुला था खेलों के लिए रास्ता

Milkha Singh News: मिल्खा सिंह (Milkha Singh) को बचपन से खेलों के प्रति अत्याधिक लगाव था। वह भारत आने के बाद सन् 1951 में सेना में भर्ती हो गए थे, जहां से उनके करियर के सितारे चमक उठे। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मिल्खा को सेना ने तीन बार खारिज कर दिया था। वह चौथी बार में चुने गए थे। उन्होंने सेना में रहते हुए अपने कौशल को और निखारा।

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मिल्खा एक क्रॉस-कंट्री दौड़ में 400 से अधिक सैनिकों के साथ दौड़े थे, जिसमें वह छठे स्थान पर आए थे। यही वो वक्त था जब उनकी किस्मत बदल गई और उनके मजबूत करियर की नींव पड़ी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार अपनी छाप छोड़ी।

Milkha Singh News: जानिए मिल्खा सिंह के ‘फ्लाइंग सिक्ख’ बनने की कहानी

मिल्खा सिंह को मिले ‘फ्लाइंग सिख’ के खिताब की यह कहानी बेहद दिलचस्प है और इसका संबंध पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है। 1960 के रोम ओलिंपिक में पदक से चूकने का मिल्खा सिंह के मन में खासा मलाल था। इसी साल उन्हें पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल एथलीट कंपीटीशन में हिस्सा लेने का न्यौता मिला। मिल्खा के मन में लंबे समय से बंटवारे का दर्द था और वहां से जुड़ी यादों के चलते वो पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे। हालांकि बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया।

Credit: BBC Hindi

यह कहनी है उस समय की  है जब पाकिस्तान में उस समय एथलेटिक्स में अब्दुल खालिक का नाम बेहद मशहूर था। उन्हें पाकिस्तान की शान व एशिया का तूफान भी कहा जाता था। यहां मिल्खा सिंह का मुकाबला उन्हीं से था। अब्दुल खालिक के साथ हुई इस दौड़ में हालात मिल्खा के खिलाफ थे और पूरा स्टेडियम अपने हीरो का जोश बढ़ा रहा था लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने एशिया के तूफान नाम से मशहूर खालिक टिक नहीं पाए। रेस खत्म होने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें ‘द फ्लाइंग सिख‘ नाम दिया था और कहा ‘आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो’ इसलिए हम तुम्हें ‘फ्लाइंग सिख’ के खिताब का नजराना देते हैं। इसके बाद से ही वो इस नाम से दुनिया भर में मशहूर हो गए।

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मिल्खा सिंह द्वारा ट्रैक पर बनाये गए रिकॉर्ड तथा हांसिल की गईं उपलब्धियां

  • भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह को भारत सरकार द्वारा 1959 में चौथे सर्वश्रेष्ठ भारतीय पुरस्कार पद्म श्री से भी अलंकृत किया जा चुका है।
  • 1958 के एशियाई खेलों में 200 मी व 400 मी में स्वर्ण पदक जीते ।
  • 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता ।
  • 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता ।
  • सेवानिवृत्ति के बाद मिल्खा सिंह खेल निर्देशक पंजाब के पद पर थे। 

मिल्खा सिंह के स्वास्थ्य सम्बन्धी फिटनेस का मूल मंत्र

  • अच्छी सेहत के लिए पार्क हो या सड़क 10 मिनिट तेज वॉक कीजिये
  • थोड़ा कूद लीजिये और हाथ पैर चला लीजिये फिटनेस से ही जीवन में बदलाव आएगा
  • फिट रहेंगे तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी
  • सबसे मुख्य बात मिल्खा सिंह कहते थे कि “जितनी भूख हो, उससे आधा खाइए क्योंकि बीमारियां पेट से शुरू होती हैं; खून शरीर में तेजी से बहेगा तो बीमारियों को बहा देगा।”

अफसोस है कि मिल्खा सिंह देश के लिए तो कई दौड़ें जीते परन्तु सतभक्ति पाए बिना पूर्ण मोक्ष को पाने के असली उद्देश्य से वंचित रह गए।

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