October 29, 2025

क्रांतिकारी मंगल पांडे की पुण्यतिथि (Mangal Pandey Death Anniversary) पर जानिए उनके क्रांतिकारी विचार

Published on

spot_img

Last Updated on 8 April 2025 IST: प्रत्येक वर्ष 8 अप्रैल के दिन स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी योद्धा मंगल पाण्डेय की पुण्यतिथि (Mangal Pandey Death Anniversary) पर उनके द्वारा देश के लिए दिए बलिदान को याद किया जाता है। इस वर्ष 2025 में 8 अप्रैल को उनकी 168वीं पुण्यतिथि है। मंगल पांडेय पहले स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को अपने क्रांतिकारी विचारों और गतिविधियों से इतना भयभीत कर दिया कि निश्चित तारीख से पहले ही 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी थी।

मंगल पाण्डेय की 168वीं पुण्यतिथि (Mangal Pandey Death Anniversary): मुख्य बिंदु  

  • मंगल पाण्डेय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
  • इनके पिता का नाम दिवाकर पाण्डेय था।
  • 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में हुए भर्ती।
  • गाय व सुअर की चर्बी से बने कारतूस को प्रयोग में लेने के कारण विद्रोह हुआ।
  • 8 अप्रैल 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में दी गई थी फांसी।
  • सन् 1984 में मंगल पांडेय के बलिदान के सम्मान में सरकार ने किया था डाक टिकट जारी
  • वर्तमान में सच्चे ज्ञान के आधार पर भक्ति करना भी एक स्वतंत्रता संग्राम है।

मंगल पांडेय का जीवन परिचय (Life History of Mangal Pandey)

भारतीय इतिहास में मंगल पांडेय पहले वीर सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई। धर्म की रक्षा हेतु अपने जीवन का बलिदान करने वाले इस वीर सपूत ने स्वाधीनता संग्राम में 1857 के दशक में प्रमुख भूमिका निभाई। 

19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में मंगल पांडेय का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडेय और माता का नाम अभय रानी पांडेय था। 1849 में 22 वर्ष की उम्र में मंगल पांडेय ईस्ट इंडिया कंपनी में कलकत्ता के पास बैरकपुर की छावनी में 34वीं बंगाल इन्फेंट्री में 1446 नंबर के सिपाही के तौर पर तैनात हुए।

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का मुख्य कारण क्या था?

ईस्ट इंडिया कंपनी में तैनात ब्राह्मण सिपाहियों की धार्मिक भावनाओं का आहत होना ही ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का मुख्य कारण बना। 1856 से पहले जितना भी कारतूस बंदूक में इस्तेमाल किया जाता था, उसमें पशु की चर्बी नहीं होती थी। परंतु 1856 में भारतीय सैनिकों को एक नई बंदूक दी गई। इस बंदूक के कारतूस पर गाय और सूअर की चर्बी लगाई जाती थी जिसका पता लगने पर हिन्दू तथा मुसलमान सैनिकों में आक्रोश फैल गया और दोनों धर्म के सैनिकों ने इसे अपने धर्म के साथ खिलवाड़ समझा। मंगल पांडेय ने इस बात का पुरजोर विरोध कर कारतूस इस्तेमाल करने से मना कर दिया। 

अंग्रेजों के खिलाफ मंगल पांडे का नारा

अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों से निजात पाने के लिए मंगल पांडे ने बगावत कर दी। वे उस वक़्त के पहले सिपाही थे जिन्होंने ब्रिटिश हुकुमत का कोई भी हुकुम मानने से साफ इंकार कर दिया। भले ही ब्रिटिश हुकुमत की क्रूरता से सब निजात पाना चाहते थे परंतु किसी में भी उनके खिलाफ जाने की क्षमता नहीं थी। मंगल पांडे ने सभी सैनिकों को अंग्रेज़ो के खिलाफ़ मारो फिरंगियों को का नारा लगाकर आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया परन्तु उनको किसी का साथ नहीं मिला। लेकिन वह खुद अपने इरादे से पीछे नहीं हटे और अडिग रहे।

Mangal Pandey Death Anniversary: मंगल पांडे की गिरफ्तारी

1857 में 29 मार्च को मंगल पांडे को दो अंग्रेज अधिकारियों, लेफ्टिनेंट बाग और मेजर ह्यूसन पर हमला करने पर और सैनिकों को भड़काने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया। अपनी गिरफ्तारी होने से पहले ही मंगल पांडेय ने खुद को गोली मार ली ताकि अंग्रेज उनको गिरफ्तार न कर सकें परंतु उनका ये प्रयास विफल रहा। 

मुक़र्रर दिन से पहले क्यों दी गई मंगल पांडे को फांसी? 

मंगल पांडे की गिरफ्तारी के बाद उनका कोर्ट मार्शल कर 18 अप्रैल 1857 को उनको फांसी की सज़ा सुनाई गई। तब तक ब्रिटिश हुकूमत उनके किये विद्रोह से सकते में आ गई। अंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे की लगाई चिंगारी आग न पकड़ ले।

■ Also Read: Shaheed Diwas [Hindi]: 23 मार्च शहीद दिवस पर जानिए, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के क्रांतिकारी विचार

उसका साथ देने के लिए और सैनिक भी बगावत पर उतर सकते हैं। इसीलिए उन्होंने निर्धारित समय से पहले ही उनको फांसी देने की योजना बनाई तथा बाहर से जल्लाद मंगवाकर 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल को फांसी पर लटका दिया गया क्योंकि बैरकपुर में फांसी देने वाले जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी देने से साफ इंकार कर दिया था।

मंगल पांडे के सम्मान में जारी किया गया डाक टिकट

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे का बलिदान जग जाहिर है। उन्होंने अपने प्राण, देश और धर्म को बचाने के लिए न्यौछावर कर दिए। 1857 में वे स्वाधीनता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाने वाले पहले क्रांतिकारी थे। उनके सम्मान में भारत सरकार द्वारा 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया था।

Mangal Pandey Death Anniversary: अज्ञान के खिलाफ संघर्ष ही है जीवन का उद्देश्य 

अज्ञान से तात्पर्य उस भक्तिविधि से है, जिसके आधार से हमारे पूर्वज भक्ति करते आ रहे है। यह भक्ति शास्त्रों में प्रमाणित न होने के कारण मनमाना आचरण तथा दंतकथा के आधार पर की गई भक्ति है। पवित्र शास्त्रों के आधार पर इस प्रकार का मनमाना आचरण करने से साधक को कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता, न ही मोक्ष की प्राप्ति होती है, अर्थात यह सब व्यर्थ है।

ज्ञान का अर्थ है शास्त्र प्रमाणित सतभक्ति। अर्थात् हमारे शास्त्रों में जो भी भक्ति विधि प्रमाणित है, उसे सतभक्ति कहते है। हमारे सर्व प्रवित्र धर्म ग्रंथ सच्चे संत से नाम दीक्षा लेकर शास्त्रों के अनुसार भक्ति करने की प्रेरणा देते है। अज्ञान के खिलाफ संघर्ष करते हुए सतभक्ति करना ही जीवन का असली संघर्ष है।

कौन है वर्तमान में अज्ञान के खिलाफ संघर्षरत पूर्ण संत?

संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र संत हैं जो विधिवत साधना बताते ही जिससे मनुष्य जीवन का असली लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी अज्ञान के खिलाफ संघर्षरत पूर्ण संत है। संत रामपाल जी कहते हैं।

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।

हम सभी को ज्ञात है कि मानव जीवन में गुरु बनाकर भक्ति करने से ही पूर्ण मोक्ष मिलेगा। लेकिन उसके लिए हमें सच्चे संत से नाम दीक्षा लेकर अपना मनुष्य जन्म सफल कराना चाहिए। परमात्मा कबीर जी कहते हैं:-

 गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सार रहे अज्ञानी।।

अतः हमें इस काल से छुटकारा पाने के लिए सच्चे संत से नाम दीक्षा लेकर अपना मनुष्य जन्म सफल बनाना चाहिए और वर्तमान में वह सच्चे संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं जिनसे नाम दीक्षा लेकर अपना मनुष्य जन्म सफल बनाये। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल

FAQS on Mangal Pandey Death Anniversary [Hindi]

प्रश्न: मंगल पांडे कौन थे?

उत्तर: ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत की चिंगारी जलाने वाले महान क्रान्तिकारी मंगल पांडे एक साहसी स्वतंत्रता सैनानी थे।

प्रश्न: मंगल पांडे ने क्या नारा दिया था?

उत्तर: मंगल पांडे ने अंग्रेज़ो के खिलाफ़ ‘मारो फिरंगियों को’ का नारा दिया था। 

प्रश्न: मंगल पांडे को गिरफ्तार क्यों दिया गया था?

उत्तर: 1857 में 29 मार्च को मंगल पांडे को दो अंग्रेज अधिकारियों, लेफ्टिनेंट बाग और मेजर ह्यूसन पर हमला करने पर और सैनिकों को भड़काने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रश्न: वर्तमान में कौन से ऐसे संत है, जो अज्ञान के खिलाफ संघर्षरत है? 

उत्तर:  संत रामपाल जी महाराज जी अज्ञान के खिलाफ संघर्षरत संत है।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

संत रामपाल जी महाराज की ‘अन्नपूर्णा मुहिम’: दिल्ली के घेवरा गाँव की डूबी 100 एकड़ ज़मीन को मिली नयी आशा

दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले में स्थित घेवरा गाँव हाल ही में अभूतपूर्व वर्षा के...

Union Cabinet Approves Terms of Reference for 8th Pay Commission; Major Salary Revision Likely from January 2026

The Union Cabinet on Tuesday (October 28, 2025) approved the Terms of Reference (ToR)...

Delhi Acid Attack Horror [2025]: 20-Year-Old Student Targeted Outside Laxmi Bai College by Stalker Jitender, Police Launch Manhunt

A shocking acid attack outside Delhi’s Laxmi Bai College has left a 20-year-old NCWEB...

हिसार जिले के कुलेरी गांव में बाढ़ राहत: संत रामपाल जी महाराज की करुणा का अद्भुत उदाहरण

हरियाणा के हिसार जिले का कुलेरी गांव इस वर्ष भीषण बाढ़ की चपेट में...
spot_img

More like this

संत रामपाल जी महाराज की ‘अन्नपूर्णा मुहिम’: दिल्ली के घेवरा गाँव की डूबी 100 एकड़ ज़मीन को मिली नयी आशा

दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले में स्थित घेवरा गाँव हाल ही में अभूतपूर्व वर्षा के...

Union Cabinet Approves Terms of Reference for 8th Pay Commission; Major Salary Revision Likely from January 2026

The Union Cabinet on Tuesday (October 28, 2025) approved the Terms of Reference (ToR)...

Delhi Acid Attack Horror [2025]: 20-Year-Old Student Targeted Outside Laxmi Bai College by Stalker Jitender, Police Launch Manhunt

A shocking acid attack outside Delhi’s Laxmi Bai College has left a 20-year-old NCWEB...