August 2, 2025

Mangal Pandey Jayanti 2025 [Hindi]: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत तथा 1857 की क्रांति के महानायक के बारे में जानें विस्तार से

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Last Updated on 10 July 2025 IST: Mangal Pandey Birth Anniversary (Jayanti): भारत के वीर सपूत तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्रोत मंगल पांडे (Mangal Pandey) की जयंती 19 जुलाई को पूरे देश में मनाई जाएगी। मंगल पांडे का नाम देश के शुरुआती स्वतंत्रता सेनानियों में आता है क्योंकि 1857 की क्रांति में उनका बहुमूल्य योगदान था। आइए जानें उनसे जुड़े तथ्य एवं उनके योगदान के बारे में।

Table of Contents

मंगल पांडे जयंती (Mangal Pandey Jayanti): मुख्य बिंदु

  • 1857 के विद्रोह में जान देने वाले पहले सेनानी मंगल पांडे थे। 
  • मंगल पांडे सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए। 
  • निर्धारित समय से मंगल पांडे को 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी।
  • मंगल पांडेय की क्रांतिकारी विचारधारा के सम्मान में जारी हुआ डाक टिकट
  • जानें काल की कैद से हमें कैसे मिलेगी स्वतंत्रता?

मंगल पांडे का आरंभिक जीवन (Early Life of Mangal Pandey)

Mangal Pandey Birth Anniversary: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्रोत मंगल पांडे जी का का जन्म 19 जुलाई 1827 में उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी पांडे था। एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में उनका लालन पालन हुआ था। बलिया जिले में इनका जन्म हुआ था इस कारण इन्हें बलिया के बांका के नाम से भी जाना जाता है। पांडेय 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। तथा बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34 वीं “बंगाल नेटिव इन्फेंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही रहे। 

ईस्ट इंडिया कंपनी में मंगल पांडे की भर्ती 

मंगल पांडेय सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए। मंगल पांडे को 34 वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक पैदल सिपाही के रूप में शामिल किया गया और 1850 में बैरकपुर छावनी में स्थानांतरित कर दिया गया।

मंगल पांडे एवं अंग्रेजों के बीच विद्रोह का मुख्य कारण 

29 मार्च 1857 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। एनफील्ड राइफल के कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों के लिए धार्मिक अपमान था। गाय हिंदुओं के लिए पवित्र है और सूअर मुसलमानों के लिए अपवित्र।

उस दिन भांग के नशे में मंगल पांडे ने अपनी मस्केट लेकर रेजिमेंट के गार्डरूम के सामने टहलना शुरू किया और अपने साथी सिपाहियों से विद्रोह करने की अपील की। जब लेफ्टिनेंट बॉग उनका सामना करने आया, तो मंगल पांडे ने गोली चलाई। हालांकि गोली बॉग के घोड़े को लगी, लेकिन यह घटना 1857 के महान विद्रोह की शुरुआत थी।

“मारो फिरंगी को!” – मंगल पांडे का यह नारा पूरे भारत में गूंजा और लाखों लोगों के दिलों में देशभक्ति की आग जला दी।

Mangal Pandey Jayanti: मंगल पांडे को समय से पहले फांसी क्यों

1857 में 29 मार्च को मंगल पांडे को दो अंग्रेज अधिकारियों लेफ्टिनेंट बी एच बो और सार्जेंट मेजर हिउसन पर हमला करने पर और सैनिकों को भड़काने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया। मंगल पांडेय के हमला करते वक्त किसी भारतीय सिपाही ने उन्हें नहीं रोका किन्तु एक शेख पलटू ने उनकी कमर को पीछे से पकड़ लिया। अपनी गिरफ्तारी होने के पहले ही मंगल पांडे ने खुद को गोली मार ली ताकि अंग्रेज उनको गिरफ्तार ना कर सके, परंतु उनका यह प्रयास विफल रहा। 

■ Also Read | क्रांतिकारी मंगल पांडे की पुण्यतिथि (Mangal Pandey Death Anniversary) पर जानिए उनके क्रांतिकारी विचार

Mangal Pandey Birth Anniversary: मंगल पांडेय की गिरफ्तारी के बाद उनका कोर्ट मार्शल कर 18 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई। तब तक ब्रिटिश हुकूमत उनके किए विद्रोह से सकते में आ गई। अंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे की लगाई चिंगारी आग ना पकड़ ले। और उनका साथ देने के लिए और सैनिक भी बगावत पर ना उतर जाएं। इसलिए उन्होंने निर्धारित समय से पहले ही उनको फांसी देने की योजना बनाई तथा बाहर से जल्लाद मंगवा कर 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल को फांसी पर लटका दिया। मंगल पांडे पर कोर्ट मार्शल शुरू होते ही शेख पलटू की पदोन्नति कर दी गई थी।

Mangal Pandey Jayanti: मंगल पांडे को फांसी देने वाले जल्लाद फांसी देने के पहले भाग गए

मंगल पांडेय को 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी। जिसके चलते जल्लाद द्वारा पहले फांसी देने की योजना से विचलित होकर उसने फांसी देने से साफ मना कर दिया और वह फांसी देने के पहले ही भाग गया था। ब्रिटिश हुकूमत की निर्दयता व अत्याचारों से सभी निजात पाना चाहते थे परंतु किसी ने भी उनके खिलाफ जाने की कोशिश नहीं की। मंगल पांडे ने सभी सैनिकों को अंग्रेजो के खिलाफ ‘मारो फिरंगीयों को’ का नारा लगाया और  सबको प्रेरित किया। लेकिन उनको किसी का साथ नहीं मिला, फिर भी वह खुद अपने इरादे से पीछे नहीं हटे और अडिग रहें। 

8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को बैरकपुर में फांसी दे दी गई। उनकी शहादत ने पूरे देश में एक लहर दौड़ा दी। उनके बलिदान के बाद जमादार ईश्वरी प्रसाद को भी 21 अप्रैल को फांसी देकर अंग्रेजों ने अपना असली चेहरा दिखाया, लेकिन इससे विद्रोह की आग और भी तेज़ हो गई।

मंगल पांडे की शहादत का परिणाम यह हुआ कि ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया और भारत सरकार अधिनियम 1858 के तहत भारत पर सीधे ब्रिटिश ताज का शासन स्थापित हुआ।

मंगल पांडे के इस क्रांतिकारी विचार से पूरे देश की जनता में खलबली

1857 के विद्रोह में जान देने वाले पहले सेनानी मंगल पांडेय थे। मंगल पांडे के इस साहसिक कदम और स्वतंत्रता की ललक से वहां की जनता तथा सैनिको में चिंगारी लग गई। जिससे ना केवल सैनिक अपितु राजा, प्रजा मजदूर, किसान व अन्य नागरिक भी अधिक प्रभावित हुए और पूरा देश अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हो गया। मंगल पांडे का बलिदान देश के लिए एक विस्फोट से कम नहीं था। जिसका परिणाम हमें सन् 1947 में मिला।

मंगल पांडे के इस महान क्रांतिकारी विचारधारा को मिला सम्मान, जारी किया डाक टिकट

स्वतंत्रता के संग्राम में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे का बलिदान जग जाहिर है। उन्होंने अपना जीवन देश और धर्म को बचाने के लिए न्यौछावर कर दिया। सन् 1857 में वे स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाने वाले पहले क्रांतिकारी थे। उनके सम्मान में भारत सरकार ने 1984 में एक डाक टिकट जारी किया था।

2005 में केतन मेहता द्वारा निर्देशित और आमिर खान अभिनीत फिल्म “मंगल पांडे: द राइजिंग” ने उनकी कहानी को दुनिया भर में पहुंचाया। फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई और मंगल पांडे की वीरता को दर्शाया गया, हालांकि कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर विवाद भी हुआ।

मंगल पांडे के नाम से जुड़े कुछ प्रेरणादायक कथन हैं:-

  • “यह आज़ादी की लड़ाई है… अतीत से मुक्ति की, भविष्य के लिए।”
  • “जब तुम अपने देश की रक्षा करते हो, तो तुम अपने धर्म की भी रक्षा करते हो।”
  • “जीवन में सफलता का एकमात्र रास्ता सत्य का रास्ता है।”
  • “हंसते-हंसते मैं फांसी पर चढ़ा और अपनी जान दे दी, और बदले में इस पवित्र आज़ादी को उपहार दिया।”

2025 में मंगल पांडे जयंती के अवसर पर पूरे देश में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे:

  • श्रद्धांजलि समारोह: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे राजनीतिक नेता सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देंगे। 2022 में पीएम मोदी ने मेरठ में मंगल पांडे की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
  • शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूलों में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में मंगल पांडे के जीवन और योगदान पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। निबंध प्रतियोगिताएं, कहानी सुनाने के सत्र और 1857 के विद्रोह पर चर्चा की जाएगी।
  • स्थानीय समारोह: नगवा गांव में सामुदायिक सभाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और मंगल पांडे के स्मारक की यात्रा आयोजित की जाएगी।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: नाटक, डॉक्यूमेंट्री और “मंगल पांडे: द राइजिंग” की स्क्रीनिंग का आयोजन होगा। सोशल मीडिया पर #MangalPandeyJayanti जैसे हैशटैग के साथ अभियान चलाए जाएंगे।

अभी भी हैं हम कैदी काल के 

जन्म मरण के दीर्घ रोग से छुटकारा पाना ही वास्तविक स्वतंत्रता है जो केवल तत्वदर्शी संत से प्राप्त हो सकता है। आज हम जाति, धर्म, और देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण त्याग देते हैं। जो देश के लिए अपने आप को कुर्बान कर देते हैं उसे हम शूरवीर योद्धा और साहसी व्यक्ति मानते हैं। ठीक उसी प्रकार आध्यात्मिक मार्ग में हम जानेंगे कि वास्तविक स्वतंत्रता क्या है? हम सभी जीव आत्मा काल की इस जेल में कैद हैं। 

हम सभी यहां 84 लाख प्रकार की योनियों में घोर कष्ट उठाते हैं। गधे, कुत्ते, सूअर की योनियों में हमें घोर कष्ट उठाना पड़ता है। उस कष्ट से बचने के लिए हमें पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी होती है। पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत द्वारा प्राप्त भक्ति विधि के करने से प्राप्त होता है। तत्वदर्शी संत वह संत होता है जो हमें हमारे धर्म ग्रंथों के अनुकूल भक्ति बताते हैं व कराते हैं। जिससे साधक इस संसार में दोबारा लौटकर नहीं आता। 

ऐसे मिलेगी आज़ादी 

गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी संत के मिलने के पश्चात परमेश्वर के उस परम पद अर्थात सतलोक की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। जिस परमेश्वर से संसार रूपी वृक्ष की प्रवृत्ति विस्तार को प्राप्त हुई है अर्थात जिस परमेश्वर ने सर्वसंसार की रचना की है उसी परमेश्वर की भक्ति को तत्वदर्शी संत से समझो।

आज वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत है जिसके द्वारा दी गई सतभक्ति से काल के इस कैद से हम स्वतंत्र हो सकते हैं। अतः आप सभी भाइयों बहनों से निवेदन है कि संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र ज्ञान गंगा को पढ़ें और जल्दी से जल्दी नाम दीक्षा लेकर अपने और अपने परिवार का कल्याण कराएं।

FAQ About Mangal Pandey Jayanti

मंगल पांडेय का जन्म कब हुआ था?

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को हुआ था।

मंगल पांडेय का जन्म कहाँ हुआ था?

मंगल पांडेय का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले में हुआ था।

1857 की क्रांति के प्रथम शहीद स्वतंत्रता सेनानी कौन था?

1857 की क्रांति के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय थे।

मंगल पांडेय और अंग्रेजों के बीच विरोध का क्या कारण था?

मंगल पांडेय और अंग्रेजों के बीच विरोध का मुख्य कारण था अंग्रेजों द्वारा गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूसों को मुंह से खोलने पर मजबूर करना।

मंगल पांडेय को लेफ्टिनेंट बो और मेजर हिउसन पर हमले से रोकने वाला कौन था?

मंगल पांडेय को लेफ्टिनेंट बो और मेजर हिउसन पर हमला करने से रोकने वाला शेख पलटू था जिसने मंगल पांडेय की कमर पीछे से पकड़ ली थी।

मंगल पांडेय ने किन दो अंग्रेजों पर हमला किया था?

मंगल पांडेय ने दो अंग्रेज अधिकारियों लेफ्टिनेंट बी एच बो और सार्जेंट मेजर हिउसन पर हमला किया था।

मंगल पांडेय को फांसी की सजा कब दी गई थी?

मंगल पांडेय को फांसी की सजा 8 अप्रैल 1857 को दी गई थी।

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