September 18, 2025

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), जानिए सुख समृद्धि का शास्त्रानुकूल सहज मार्ग

Published on

spot_img

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), एक कृषि त्योहार है जो ओडिशा प्रान्त में मनाया जाता है, जिसे हर साल मार्गशीर्ष महीने के अंतिम गुरुवार को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व ओडिशा वासियों द्वारा 5 दिसंबर को मनाया जाएगा। इस दौरान लोग सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लेकिन क्या मानबसा गुरुवार जैसे किसी भी पर्व को मनाने का प्रमाण हमारे धर्मशास्त्रों में दिया गया है, कहीं ऐसा तो नहीं कि हम शास्त्रविरुद्ध मनमाना आचरण करके परमात्मा के दोषी हो रहे हों। जानिए इस लेख में विस्तार से

मानबसा गुरुवार, ओडिशा में मनाया जाने वाला एक कृषि त्योहार है। इस पर्व पर घर में धन वृद्धि के लिए माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। उड़िया महिलाएं मार्गशीर्ष के महीने में इस व्रत को रखती हैं। यह पूजा अन्य देशों और राज्यों में प्रचलित नहीं है। मानबसा (Manabasa Gurubar) व्रत को लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत ओडिशा की सभी जातियों के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दौरान धनधान्य, वात्सल्य और दयाक्षमा की मूर्ति के रूप में लक्ष्मी की पूजा की जाती है और घर की स्वच्छता आदि पर ध्यान दिया जाता है।

मार्गशीर्ष के महीने में पूजा घर को धान के मेंटा या “धनवेनी” से सजाया जाता है। यह मांटा या चोटी गुंटी से बनाई जाती है। “मानबसा” (Manabasa Gurubar) नाम मन के गठन पर आधारित है। इसका उपयोग चावल जैसे अनाज को मापने के लिए किया जाता है। व्रत को मानबसा के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस व्रत पर धान रखकर इसकी पूजा की जाती है। यह त्योहार ओडिशा के विभिन्न आदिवासी समाजों में भी इसी तरह से मनाया जाता है। परंतु आपको बता दें की हमारे पवित्र धर्मग्रंथों में व्रत का कहीं भी प्रावधान नहीं है बल्कि श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 में व्रत की मनाही है। 

इस त्योहार की कहानी 15वी शताब्दी की एक घटना से मिलती है जिसे लक्ष्मी पुराण से जोड़कर भी देखा जाता हैं जिसके आधार पर एक बार लक्ष्मीजी यह देखने आती है कि कौन उनकी पूजा कर रहा है और कौन नहीं। उन्हें पता चलता है कि श्रिया नाम की एक दलित महिला ने उनकी पूजा के लिए घर की अच्छे से सफ़ाई कर रखी है और बाक़ी किसी ने भी उनकी पूजा के लिए कोई ख़ास इंतज़ाम नहीं किया था तो वे उस दलित महिला के घर में चली गई। जब यह बात जब बलराम को पता चली तो वे बहुत नाराज़ हो गए और उन्होने लक्ष्मी को जगन्नाथ मंदिर से बाहर निकाल दिया जिसे हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।

इस बात से क्रोधित होकर लक्ष्मी जी ने उनको श्राप दे दिया कि वे लंबे समय के लिए भूख प्यास से व्याकुल हो जाएंगे। इस तरह बाद में परेशान होकर उन्हें लक्ष्मी जी से माफ़ी माँगनी पड़ी और उन्हें जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश देना पड़ा। इस तरह बलराम को जातिवाद न करने की सीख मिली और कोई भेदभाव नहीं होने का आश्वासन मिलने के बाद ही लक्ष्मी मंदिर गईं।

प्रत्येक मानव देवी देवताओं या लक्ष्मी जी की पूजा या कोई धार्मिक त्योहार जैसे मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar) पर्व सुख समृद्धि के लिए मनाता है। परंतु इस तरह के किसी भी पर्व को मनाने का प्रमाण किसी भी सदग्रंथ में नहीं दिया गया जिससे मानबसा गुरुवार त्योहार मनाना एक मनमाना आचरण है जिसके विषय में पवित्र गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि “शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने वाले साधक को न तो सुख प्राप्त होता है, न सिद्धि प्राप्त होती है और न परम गति प्राप्त होती है।” तथा गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा गया है कि “कौन सी भक्ति साधना करनी चाहिए और कौन सी साधना नहीं करनी चाहिए उसके लिए शास्त्र ही प्रमाण है।

विचार करें, प्रत्येक मानव सुख समृद्धि, सिद्धि और मोक्ष इन्हीं तीनों लाभ को प्राप्त करने के लिए भक्ति साधना करता है और गीता अनुसार शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करने से ये तीनों लाभ साधक को प्राप्त नहीं होते। क्योंकि देवी देवताओं की भक्ति से मानव को कोई लाभ नहीं होता इसलिए देवी देवताओं की भक्ति करने के लिए पवित्र सद्ग्रंथों में मना किया गया हैं। 

हमारे पवित्र सद्ग्रन्थ पांच वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और सूक्ष्मवेद) तथा श्रीमद्भगवद्गीता जी में एक पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति करने के लिए कहा गया है। तथा गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा गया है कि यदि तुझे परम शांति और सनातन परम धाम की प्राप्ति यानि सुखमय स्थान की प्राप्ति करना है तो तू श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8 श्लोक 3, अध्याय 15 श्लोक 4, 17 में वर्णित परम अक्षर ब्रह्म की शरण में जा। यही उत्तम पुरुष तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का धारण पोषण करता है।

वहीं पवित्र ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, सूक्त 86 मंत्र 26-27, यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 से स्पष्ट होता है कि वह पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म कविर्देव अर्थात कबीर साहेब जी हैं जो हमारे सर्व पापों को समाप्त कर सुख प्रदान करते हैं। जिसकी भक्ति के तीन मंत्रों का संकेत श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 श्लोक 23 और सामवेद मंत्र संख्या 822 में दिया गया है। जिन्हें गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है।

अतः पूर्ण परमात्मा कविर्देव की वास्तविक जानकारी जानने के लिए आज ही गूगल प्ले स्टोर से डाऊनलोड करिए Sant Rampal Ji Maharaj App और जानिए कबीर साहेब से लाभ प्राप्ति का शास्त्रानुकूल सहज भक्ति मार्ग।

निम्नलिखित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

ढ़ाड गाँव की बाढ़: 24 घंटे में संत रामपाल जी महाराज की मदद से किसानों की फसलें बचीं

हरियाणा के हिसार जिले के ढ़ाड गाँव में 3 सितंबर की मूसलधार बारिश ने...

हरियाणा के बधावड़ गाँव में 12 घंटे में बदली किस्मत: संत रामपाल जी महाराज की मदद से बाढ़ पीड़ितों को मिला जीवनदान

हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में, जहां बाढ़ रातोंरात जिंदगियां तबाह कर सकती है, बधावड़...

देहरादून में Cloudburst से तबाही: सहस्रधारा और IT Park जलमग्न, पुल टूटा, कई लोगों की मौत और लापता

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून (Dehradun) सोमवार रात को प्राकृतिक आपदा से हिल गई। सहस्रधारा...
spot_img

More like this

ढ़ाड गाँव की बाढ़: 24 घंटे में संत रामपाल जी महाराज की मदद से किसानों की फसलें बचीं

हरियाणा के हिसार जिले के ढ़ाड गाँव में 3 सितंबर की मूसलधार बारिश ने...

हरियाणा के बधावड़ गाँव में 12 घंटे में बदली किस्मत: संत रामपाल जी महाराज की मदद से बाढ़ पीड़ितों को मिला जीवनदान

हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में, जहां बाढ़ रातोंरात जिंदगियां तबाह कर सकती है, बधावड़...

देहरादून में Cloudburst से तबाही: सहस्रधारा और IT Park जलमग्न, पुल टूटा, कई लोगों की मौत और लापता

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून (Dehradun) सोमवार रात को प्राकृतिक आपदा से हिल गई। सहस्रधारा...