शारदीय नवरात्रि 2021 शुरू हो गया है। आज 9 अक्टूबर को इस त्योहार के तीसरे दिन भक्त माता चंद्रघंटा की पूजा (Maa Chandraghanta Puja) करते हैं। आइए इस शारदीय नवरात्रि हम आपको मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे और साथ ही यह जानेंगे कि क्या नवरात्रि में व्रत-पूजन करना सही है ? आप यह भी जानेंगे कि देवी दुर्गा से ऊपर भी कोई पूर्ण शक्ति है, जिसकी भक्ति करने से मुक्ति होगी व किस संत की शरण में जाने से मिलेगा संपूर्ण तत्वज्ञान?
Navratri 2021, Day 3 माँ चंद्रघंटा पूजा: मुख्य बिंदु
- नवरात्रि के तीसरे दिन माता शेरावाली के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना की जाती है
- इस वर्ष 9 अक्टूबर 2021 शनिवार के दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होगी
- माता शेरावाली की तीसरी शक्ति है माँ चंद्रघंटा
- कहा जाता है कि चंद्रघंटा माता की पूजा अर्चना से दुख निवारण व सुखशांति होती है
- शारदीय नवरात्रि पर व्रत करना शास्त्रों के अनुकूल नहीं है
- सदभक्ति से ही हो सकता है पूर्ण सुख व मोक्ष प्राप्त
- इस पृथ्वी पर तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज हैं जो मोक्षदायिनी भक्ति विधि बता सकते हैं
शेरावाली माता का तृतीय स्वरूप (Maa Chandraghanta)
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब असुरों का आतंक बढ़ गया था तब उन्हें सबक सिखाने के लिए मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप में अवतार लिया था। दैत्यों का राजा महिषासुर राजा इंद्र का सिंहासन हड़पना चाहता था। राक्षस यही चाहते थे कि देवी-देवताओं को पराजित कर हम उनके ऊपर राज करें। जिसके लिए दैत्यों की सेना और देवताओं के बीच में युद्ध छिड़ गया था। महिषासुर स्वर्ग लोक पर अपना राज कायम करना चाहता था जिस कारण सभी देवता परेशान थे। उन्हें डर था कि उनका राज्य न छिन जाए, इस वजह से सभी देवता अपनी परेशानी लेकर त्रिदेवों के पास गए। त्रिदेव सभी देवताओं की बात सुनकर क्रोधित हुए और उन्होंने एक हल निकाला। ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई जिसने देवी का रूप ले लिया।
■ Also Read: Shardiya Navratri 2021 [Hindi]: नवरात्रि पर जाने क्या देवी दुर्गा की उपासना से पूर्ण मोक्ष संभव है?
Maa Chandraghanta Puja Special: माँ चंद्रघंटा पूजा पर जानें किसकी पूजा से होगा मोक्ष?इस देवी को भगवान शिव ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, देवराज इंद्र ने घंटा, सूर्य देव ने तेज और तलवार, और बाकी देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र दिए। इस देवी का नाम चंद्रघंटा रखा गया। देवताओं को बचाने के लिए मां चंद्रघंटा महिषासुर के पास पहुंची। महिषासुर ने मां चंद्रघंटा को देखते हुए उन पर हमला करना शुरू कर दिया जिसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया था।
Maa Chandraghanta Puja: चंद्रघंटा नवदुर्गाओं में है तृतीय स्थान पर
मां दुर्गा के नौ अलग-अलग अवतारों के नाम शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। माँ चन्द्रघंटा माँ पार्वती का विवाहित रूप है। भगवान शिव से विवाह करने के बाद मां पार्वती ने आधे चंद्रमा को अपने माथे पर सजाया। यह बात सभी जानते है कि पार्वती माता शेरावाली की ही शक्ति हैं ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी माँ चंद्रघंटा का परिचय इस प्रकार है ।
- देवनागरी – चंद्रघंटा
- संबंध – हिन्दू देवी
- अस्त्र – कमल
- जीवनसाथी – शिव
- सवारी – सिंह
Maa Chandraghanta Puja पर जाने मनमानी पूजा क्या हैं?
(नवरात्रि – तृतीय माँ चंद्रघंटा 2021) शास्त्र विरूद्ध अर्थात धार्मिक ग्रंथों के विपरीत भक्ति करने को मनमाना आचरण कहते हैं जिसे करने से साधक को कोई लाभ नहीं मिलता। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी बताते हैं, मनुष्य जन्म का मूल उद्देश्य है पूर्ण परमात्मा (सत्यपुरुष) की भक्ति करना। पवित्र गीता जी के अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन! जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं, उनको न तो कोई लाभ प्राप्त होता है, ना ही उनको किसी प्रकार का शारीरिक सुख और ना ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
देवी पुराण में दुर्गा अपनी पूजा करने के लिए कर रही हैं मना
देवी महापुराण के सातवें स्कंध पृष्ठ 562-563 पर प्रमाण है कि श्री देवी जी ने राजा हिमालय को उपदेश देते हुए कहा है कि हे राजन! अन्य सब बातों को छोड़कर, मेरी भक्ति भी छोड़कर केवल एक ऊँ नाम का जाप कर, “ब्रह्म” प्राप्ति का यही एक मंत्र है।
भावार्थ है कि ब्रह्म साधना का केवल एक ओम् (ऊँ) नाम का जाप है, इससे ब्रह्म की प्राप्ति होती है और साधक ब्रह्म लोक में चला जाता है। इससे स्पष्ट है कि दुर्गा जी के मना करने के बाद भी लोग सत्य से अपरिचित होकर उसकी पूजा मनमाने तौर पर कर रहे हैं।
पूर्ण परमात्मा कौन है?
ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 86 मंत्र 17, 18,19 और 20 में प्रमाण है कि वह एक परमात्मा सबका मालिक एक कबीर साहेब जी हैं। जिन्होंने हम सबकी रचना की है।
पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वे सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जगतगुरु रामपाल जी महाराज ही एक मात्र तत्वदर्शी संत
सच्चे अध्यात्मिक गुरु केवल जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं, जिनका अनमोल ज्ञान, वेद और शास्त्रों से मेल खाता है तथा जिनको पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति भी हुई है। वर्तमान समय में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत, पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज हैं जो वेद और शास्त्रों के अनुसार यथार्थ भक्ति मार्ग बता रहे हैं और जिनकी बताई भक्ति शास्त्र अनुकूल और मोक्षदायिनी भी है।
परमेश्वर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब हैं जो तत्वदर्शी संत की भूमिका में संत रामपाल जी रूप में धरती पर अवतरित हैं। जो ब्रह्मा, विष्णु, शिव के दादा, काल और दुर्गा के पिता और हम सब के जनक हैं। तो सत्य को जाने और पहचान कर पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से मंत्र नामदीक्षा लेकर अपना जीवन कल्याण करवाएं ।
लोकवेद आधारित भक्ति त्याग संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाएं
यह समय व्यर्थ गंवाने का नहीं शीघ्रातिशीघ्र सही निर्णय लेने का है, परंपरागत और लोकवेद आधारित भक्ति को त्याग कर संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में जाने का है। आपको सदभक्ति से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो सकता है अन्यथा मानव जीवन पशु तुल्य ही जानें। अधिक जानकारी के हेतु, सन्त रामपाल जी महाराज लिखित जीने की राह पवित्र पुस्तक पढ़ें, और सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें।