September 6, 2025

Lohri 2025 [Hindi]: फसलों के त्यौहार लोहड़ी पर जानिए सबका पालन पोषण करने वाला परमात्मा कौन है? 

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Last Updated on 12 January 2025 IST: Lohri in Hindi [2025]: हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी पर्व (त्योहार) मनाया जाता है, जोकि इस वर्ष 13 जनवरी को है। लोहड़ी का त्योहार विशेष तौर पर पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। इस अवसर पर जानेंगे कि तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर सतभक्ति करने से पूर्ण मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

Lohri 2025 [Hindi]: मुख्यबिन्दु

  • प्रतिवर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी (Lohri in Hindi) का त्योहार मनाया जाता है।
  • इस वर्ष यह पर्व 13 जनवरी को मनाया जा रहा है।
  • पंजाब और हरियाणा के अलावा देशभर में लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
  • यह पर्व फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा हुआ है।
  • संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई सतभक्ति को करने से मिलेगा पूर्ण मोक्ष।

कब और क्यों मनाया जाता है लोहड़ी पर्व (Happy Lohri 2025)?

लोहड़ी पंजाबियों का खास त्योहार है। इस बार इसकी तारीख को लेकर लोग असमंजस में हैं। लेकिन आपको बता दें लोहड़ी मकर संक्रांति से एक दिन पहले ही मनाया जाता है इसलिए इस साल लोहड़ी (Lohri in Hindi) का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया गया। हालांकि कुछ स्थानों पर इसे इस साल 13 जनवरी को ही मनाया गया। यह त्योहार फसल की बुआई और कटाई के साथ जुड़ा हुआ है। लोहड़ी की रात्रि वर्ष की सबसे लंबी रात्रि मानी जाती है इस कारण कई प्रकार की आस्थाएं भी इस पर्व से जुड़ी हुई हैं। लोग यह भी मानते है कि लोहड़ी पर अग्नि की पूजा से दुर्भाग्य दूर होते हैं। आगे जानेंगे कि ऐसी आस्थाओं को मानने का कोई कारण नहीं है।

लोहड़ी (Happy Lohri 2025 in Hindi) से क्या तात्पर्य है?

ऐसा कहा जाता है कि लोहड़ी को पुराने समय में तिलोड़ी कहते थे। ये शब्द तिल तथा (गुड़ की) रोड़ी शब्दों के मेल से बना है, जो समय के चलते बदल कर लोहड़ी के रूप में चलन में आकर प्रसिद्ध हो गया। पंजाब राज्य में इस त्योहार को लोही या लोई के नाम से भी पुकारते हैं।

लोहड़ी (Lohri) पर्व कैसे मनाया जाता है?

Happy Lohri 2025 in Hindi: यह त्योहार मकर संक्रांति की पूर्व संध्या को मनाया जाता है। पंजाब के साथ ही अन्य राज्यों में भी इसे इसी तरह मनाया जाता है। लोहड़ी (Lohri) वाले दिन शाम को आग जलाई जाती है। साथ ही इसी उपलक्ष्य में इस दिन मूंगफली, गजक और रेवड़ी या इलायची दाना की अग्नि में आहुति भी दी जाती है। इसके बाद उन्हें बांटने का प्रचलन है। पंजाबियों के साथ ही देश के दूसरे लोग भी लोहड़ी मनाते हैं। लेकिन स्मरण रहे गाना नाचना इत्यादि क्रियाएं शास्त्र सम्मत नहीं है।

Read in English: Know About the Right Way to Attain Complete Salvation & Supreme God on Lohri Festival

इस संबंध में कबीर परमेश्वर जी ने कहा है:- 

कबीर, बोली ठोली मस्करी, हँसी खेल हराम।

मद-माया और नाचन-गवान, संतो के नहीं काम।।

नाचे गाये किन्हें न मिल्या जिन मिल्या तिन रोय।

नाचे गाये हरि मिले तो कौन दुहागन होये।।

वहीं सिख धर्म के प्रवर्तक और प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी कहते हैं:- 

ना जाने काल की कर डारै, किस विधि ढल पासा वे।

जिन्हादे सिर ते मौत खुड़गदी, उन्हानूं केड़ा हांसा वे।।

क्या है लोहड़ी पर्व का महत्व? (Importance of Lohri Festival in Hindi)

लोहड़ी उत्सव कुछ लोगो के लिए बड़ा ही खास महत्व रखता है। ये त्योहार बहन और बेटियों की रक्षा और सम्मान के लिए मनाया जाता है। पाठकों को यह भी जानना चाहिए कि ऐसी कपोल कल्पित मान्यताओं का कोई शास्त्र सम्मत महत्व नहीं है।

Happy Lohri 2025 Hindi Quotes

  • लोहड़ी में आइये सारे भेदभाव मिटाते हैं, फसल की कटाई के साथ अपने अंदर की नकारात्मकता को भी मार गिराते हैं, और खुशियों के साथ यह पर्व मनाते हैं।
  • फसल कभी बिना मेहनत के अच्छी नहीं होती, मेहनत हो तो बंजर जमीन में भी फसल लहलहा सकती है। इसलिए इस लोहड़ी ठान लें कि परिश्रम के बिना जिंदगी में कुछ भी नहीं।
  • लोहड़ी के दिन आपसी बैर को आग में जलाते हैं, खुशियों को बढ़ाते हैं, एक दूसरे से प्रेम और सद्भावना का संदेश फैलाते हैं और आइए सरसो दा साग और मक्के दी रोटी जम कर खाते हैं।
  • अपने सारे डर और चिंताओं को समाप्त कर शांति से जीने के लिए कबीर परमेश्वर की सतभक्ति कीजिये और सुखमय जीवन जिओ।
  • लोहड़ी पर हम यह शपथ लेते हैं कि हम अपने जीवन के कल्याण के लिए सतभक्ति करेंगे और हम सभी जाति, धर्म के भेदभाव को मिटाकर प्रेम पूर्वक रहेंगे।

सिक्ख (Sikh) धर्म में ‘वाहेगुरु’ या ईश्वर कौन है?

लोहड़ी (Happy Lohri 2025 Festival Hindi): सिख धर्म के संस्थापक श्री नानक जी को कबीर साहेब बेई नदी से अपने साथ सतलोक (सच्चखंड) लेकर गए, वहां जाकर नानक देव जी ने कबीर साहेब के सत्य स्वरूप को पूर्ण परमात्मा (सर्व सृष्टि सिरजनहार) के रूप में देखा यह नजारा देखने के बाद नानक जी के मुख से “वाहेगुरु” शब्द का प्रवाह हुआ था।

झांकी देख कबीर की, नानक किती वाह।

वाह सिक्खां दे गल पड़ी, कौन छुड़ावै ता।।

‘वाहेगुरु’ (Waheguru) एक शब्द है जिसे सिक्ख धर्म में रब (ईश्वर), परम पुरूष या सर्व सृष्टि के निर्माता (करतार) के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है।

कबीर साहेब जी की वाणी है-

गुरु गोविंद दोनों खड़े, किसके लागूं पाय।

बलिहारी गुरु आपना, जिन गोविंद दियो मिलाय।।

लेकिन कुछ सिख भाई-बहनों द्वारा इस शब्द को ही मोक्ष मंत्र मानकर जाप किया जाता है, जबकि गुरुनानक जी ने प्राण संगली (हिंदी), पृष्ठ 40-42 पर स्पष्ट किया है कि वाहेगुरु (Waheguru) के जाप से केवल कर्म का फल ही मिलता है।

तहैं वाह-वाह आपि अषाइंदा, गुर शब्दी सचु सोई।।

नानक वाह-वाह करदिआँ, करमि प्राप्त होय।।

वाह-वाह करती रसना सुहाई। पूरे शब्दि मिलिआ प्रभु आई।।

वाह-वाह मुखि सहज कढाई। वाह-वाह सिऊँ प्रभ बिन आई।।

पूर्ण मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

पूर्ण गुरु से नामदीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से मोक्ष हो जाता है। पूर्ण गुरु वही होता है जिसके पास श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 और संख्या न. 822 सामवेद उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. 8 में वर्णित तीनों नाम (मन्त्र) हैं यानि सतनाम और सारनाम है और नाम देने का अधिकार भी है। उनसे नाम दीक्षा लेकर जीव को जन्म-मृत्यु रूपी रोग से छुटकारा पाना चाहिए। शास्त्र विरूद्ध साधना करने से काल के जाल में फंसा रह कर मानव न जाने कितने दुःखदाई चौरासी लाख योनियों के कष्टों को झेलता रहता है। जब यह जीवात्मा पूरे गुरू के माध्यम से पूर्ण परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की शरण में आ जाती है, सतनाम व सारनाम से जुड़ जाती है तो फिर इसका जन्म तथा मृत्यु का कष्ट सदा के लिए समाप्त हो जाता है और सतलोक में वास्तविक परम शांति को प्राप्त हो जाती है अर्थात पूर्ण मोक्ष हो जाता है।

पूर्ण संत की पहचान क्या है?

अब आप सोच रहे होंगे पूर्ण संत की पहचान क्या है, जिससे उसे पहचान सकते हैं तो चलिए जानते हैं पूर्ण संत के बारे में। पवित्र गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में पूर्ण परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान को समझने के लिए गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी संत को तलाश करने की बात कही है, अब ऐसे में हम कैसे तय करेंगे कि वो सच्चे तत्वदर्शी संत कौन हैं? इसका समाधान भी गीता ज्ञानदाता ने गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में उल्टा लटके हुए वृक्ष के बारे में कहा है कि जो भी संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभागों के बारे में बता देगा वही तत्वदर्शी संत होगा।

सच्चे सद्गुरु का अर्थ-सच्चा ज्ञान प्रदान करने वाला परमात्मा द्वारा भेजा गया वो अधिकारी हंस जो नाम दीक्षा देने का अधिकारी होगा। यही प्रमाण कबीर साहेब जी की वाणी में भी मिलता है।

सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद।

चार बेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।

कबीर साहेब जी वाणी में सतगुरु के लक्षण को बताते हुए कहते हैं उसकी वाणी अत्यन्त मीठी होती है तथा वह चार वेद, छह शास्त्र, अठारह पुराणों का ज्ञाता होता है। पवित्र श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 में प्रमाण है कि सच्चे सद्गुरु तीन बार में नाम जाप देते हैं। गुरुनानक देव जी की वाणी में भी इसका प्रमाण मिलता है:-

चहऊं का संग, चहऊं का मीत, जामै चारि हटावै नित।

मन पवन को राखै बंद, लहे त्रिकुटी त्रिवैणी संध।।

अखण्ड मण्डल में सुन्न समाना, मन पवन सच्च खण्ड टिकाना।।

अर्थात पूर्ण सतगुरु वही है जो तीन बार में नाम दें और स्वांस की क्रिया के साथ सुमिरन का तरीका बताएं जिससे जीव का मोक्ष संभव हो सके। इस तरह से महापुरुषों की वाणी से हमे पता चलता है कि सच्चा सतगुरु तीन प्रकार के मन्त्रों को तीन बार में उपदेश करेगा।

एकमात्र संत रामपाल जी महाराज ही तत्वदर्शी संत पूर्ण मोक्ष कराने में सक्षम हैं

वर्तमान के लगभग सभी सुप्रसिद्ध गद्दी नसीन सन्तों का मानना है कि मनुष्य को अपने द्वारा किए गए पापों का फल भोगना ही होगा। प्रारब्ध में किए गए पापों को भोगने के अलावा व्यक्ति के पास और कोई समाधान नहीं है। लेकिन अगर हम अपने सद्ग्रंथो के हवाले से बात करें तो संत रामपाल जी महाराज जी प्रमाण दिखाते हुए बताते हैं कि पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26, मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, मण्डल 9 सूक्त 80 मंत्र 2, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 आदि में वर्णित है कि पूर्ण परमात्मा कबीर जी अपने साधक के घोर पाप का भी नाश कर उसकी आयु बढ़ा सकता है।

जिससे साफ जाहिर है कि अभी के गद्दीधारी इन सभी आदरणीय सन्तों के पास वेद आदि ग्रंथों के आधार से कोई ज्ञान नहीं है। इस घोर कलियुग में पूरे ब्रह्माण्ड में अगर कोई परमात्मा द्वारा चयनित अधिकारी संत हैं जो इन सभी शर्तों पर खरे उतरते हों तो वे एकमात्र संत रामपाल जी महाराज जी हैं। जीवन आपका है और बेशक चुनाव भी आपका होना चाहिये।

अब समय व्यर्थ नही करना है!

वर्तमान समय में पूरी पृथ्वी पर पूर्ण व अधिकारिक गुरू संत रामपाल जी महाराज जी हैं उनकी शरण में जाना चाहिए। उनसे अविलंब नि:शुल्क नाम दीक्षा लेना चाहिए। सतगुरु संत रामपाल जी महाराज के अनेक टीवी चैनलों पर सत्संग आते हैं आप वहां सत्संग देख सकते है और साथ ही आप प्ले स्टोर से Sant Rampal Ji Maharaj एप्प डाउनलोड कर सकते हैं। 

Happy Lohri 2025 in Hindi: FAQ

Q. लोहड़ी का प्रतीक चिन्ह क्या है?

Ans. अलाव

Q. 2025 में लोहड़ी कब मनाई गई?

Ans. 13 जनवरी

Q. लोहड़ी किस तरह का त्योहार है?

Ans. लोहड़ी, फसल बुआई और कटाई से संबंधित सांस्कृतिक त्योहार है।

Q. पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति कैसे होगी?

Ans. पूर्ण गुरु से नाम दीक्षा लेकर उनके द्वारा बताई गई सतभक्ति को करने से पूर्ण मोक्ष होगा।

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