Locust Attack 2020 News India: टिड्डी दल या locust attack 2020 ने भारत में भी अपना आतंक कायम कर लिया है। locust swarm कितने खतरनाक हो सकते हैं इसका अंदाज़ा आपको सारी खबर पढ़कर लग जायेगा। लगभग 27 सालों यानी 1993 के बाद फिर से टिड्डी दलों ने धावा बोला है। इस हमले से लगभग 90 हज़ार हेक्टेयर फसलें उजड़ गई हैं जिससे किसानों को संकट के इस समय में भारी नुकसान हुआ है।
भारत में Locusts Swarm Attack 2020
मुख्य बिंदु
- टिड्डी दलों का राजस्थान के बाद बुंदेलखंड पर आक्रमण।
- कुछ समय बाद दोबारा भी पहुंच सकते हैं टिड्डी दल राजस्थान।
- प्रशासन द्वारा अलर्ट व एडवायजरी जारी।
- टिड्डी दलों से निपटने के लिए ड्रोन से किया जाएगा कीटनाशकों का छिड़काव।
- टिड्डियों की क्षमता और रफ्तार से हो उन्हें ट्रैक करना हो रहा मुश्किल।
- टिड्डी दल नियंत्रण हुए सक्रिय, तेज़ ध्वनि के माध्यम से टिड्डियों को खेत ने न आने देने का सुझाव।
टिड्डी दल के कारण राज्यों में हाई अलर्ट
राजस्थान की फसलें तबाह करने के बाद टिड्डियाँ अपने दल के साथ पंजाब और बुंदेलखंड में आ चुकी हैं। इसे देखते हुए तेलंगाना, कर्नाटक व अन्य सम्भावित क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। झांसी में लगभग एक वर्ग किलोमीटर टिड्डी दल को छिड़काव के माध्यम से नष्ट किया गया है। रबी की फसल की कटाई हो रही है इसलिए इस समय सबसे अधिक नुकसान सब्जियों की फसल को है।
Locust Attack 2020 News India- टिड्डी दल पहुँचा झांसी
झांसी के उप कृषि निदेशक का कहना है कि टिड्डियों का दल लगभग 3 किलोमीटर लम्बा है। जिला प्रशासन की सूचना के अनुसार ये टिड्डी दल झांसी में 22 मई की शाम को आया है। रात होने के कारण कोई गतिविधि न करते हुए सुबह मध्यप्रदेश की ओर रुख किया। हालांकि सुबह के समय 6 गांवों से अधिक की सब्जी की फसलों में तोरई, बैंगन, अरबी, तीली, बाजरा के अलावा कई अन्य तरह की फसलों को टिड्डी दल चट कर गए। वहीं महाराष्ट्र में 1 किलोमीटर तक आम की फसल नष्ट कर दी है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन के अनुसार इनके बिहार व उड़ीसा में आने की संभावना है। वहीं पूर्वी महाराष्ट्र से होते हुए ये दल मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में प्रवेश कर गए।
टिड्डी दल या Locust Attack 2020 क्या है व कहाँ से आया
Locust Attack 2020 News India: भारत में करीब 30 साल बाद आने वाले इस टिड्डी दल के विषय मे जानकारों का कहना है कि यह ईरान में पैदा हुआ है जो पाकिस्तान से होते हुए राजस्थान और भारत के अन्य राज्यों में फैल रहा है। उत्तरी हिन्द और अरब सागर में आये साइक्लोन के कारण मौसम परिवर्तन ने इसे बढ़ाने में मदद की। चूंकि लॉकडाउन में मानव गतिविधियां कम हैं अतः इनकी संख्या अरबों में पहुंच चुकी है। अब ये लंबे सफर पर निकल चुके हैं। जानकारी के लिए बता दें कि टिड्डे मरते दम तक सफर करते रहते हैं। इस समय ईरान और दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में टिड्डियों का प्रजनन जारी है जो मानसून के साथ भारत पहुंचने की संभावना है। भारत पाकिस्तान सीमा पर जून में होने वाली बारिश टिड्डियों के अंडों के फलने-फूलने में मददगार होगी।
क्या होता है टिड्डी दल? Locusts Swarm कैसे दिखते हैं?
- टिड्डियाँ जो हमेशा समूहों में सफर करते हैं ये पीले रंग के होते हैं।
- ये चार इंच तक लंबे हो सकते हैं और एक दिन में दस हाथियों के बराबर भोजन करते हैं।
- टिड्डी दल जहां भी होता है वहां के पेड़ पौधों और फसलों को चट कर जाता है।
- एक दिन में लगभग 100-200 किलोमीटर का सफर ये टिड्डी दल कर लेते हैं। इनका जीवन काल 3 से 6 माह का होता है।
- चार करोड़ टिड्डी दल लगभग 35 हजार लोगों का खाना चट कर सकते हैं।
- कई दशकों बाद भारत आने के कारण मुमकिन है कि अब ये बार बार आएं साथ ही बुंदेलखंड की मिट्टी अधिकांश हिस्सों में बलुई है जो इनके प्रजनन के लिए अनुकूल भी है।
- टिड्डियों को सिंध में तरह तरह से खाया जाता है यह ब्लड में कोलेस्ट्रॉल भी घटाता है।
Locust Attack पर प्रशासन द्वारा उठाये कदम
बुंदेलखंड में ही नहीं बल्कि जहां भी इन टिड्डी दलों के पहुंचने की सम्भावना है वहाँ अलर्ट जारी कर दिए गए हैं। तेज आवाज के द्वारा टिड्डियों के दलों को भगाने के लिए के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी स्थिति में खेतों में टिड्डी दल न घुसने देने के सुझाव प्रशासन ने जारी किए हैं। सरकार ने कीटनाशकों और उनके छिड़काव की एडवायजरी जारी की है। टिड्डी दल रात में आराम करता है और दिन में उड़ान भरता है। अतः उन्हें रात में आराम न करने देते हुए रात में कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है। इसमें क्लोरोपायरीफोस और मैलाथियोन कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए कहा गया है।
टिड्डी दल नियंत्रण की ओर केंद्र सरकार के कदम
भारत सरकार की टीम लगातार दौरे पर है। दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि टिड्डियों के खिलाफ अभियान में 700 ट्रैक्टर, 75 दमकल गाड़ियां (फायर ब्रिगेड) और लगभग 50 अन्य वाहनों को इस्तेमाल में लाया जाए जिससे इस समस्या से बेहतर तरीके से निपटा जा सके। कृषि और उद्यान मंत्री ने सभी कृषि अधिकारियों और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों को सावधान रहने के अतिरिक्त निर्देश दिए हैं। देश भर के लगभग 50 जिलों में आतंक मचा रही टिड्डियों के दल थमते नहीं नज़र आ रहे हैं।
दिल्ली सरकार द्वारा एडवायजरी की गई जारी
दिल्ली सरकार ने गुरुवार को टिड्डियों के हमले से निपटने के लिए एडवायजरी जारी की है। एडवायजरी में टिड्डी हमले से निपटने के लिए जनता और किसानों के जागरूकता के कार्यक्रम के लिए कहा गया है। ANI के मुताबिक श्रम मंत्री गोपाल राय ने इस मामले से निपटने पर विचार विमर्श के लिए गुरुवार को आवास स्थल पर मीटिंग बुलाई। नर्सरी के पौधों को पॉलीथिन से ढंककर बचाने की योजना की जा रही है। वहीं वन विभाग के मंत्री ईश्वर सिंह के मुताबिक पेड़ों को ढंकना सम्भव नहीं इसलिए केवल पौधों को ढंककर उन्हें बचाया जा सकता है साथ ही दिल्ली जैसे शहर में रसायनों के छिड़काव को लेकर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर भी आशंका जताई।
मानसून के पहले करने होंगे अंडे नष्ट
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के टिड्डी वार्निंग ऑर्गनाइजेशन ने चेताया कि वर्तमान में टिड्डियों से भी बड़ी समस्या टिड्डियों की नई प्रजाति बन सकती है। ऑर्गनाइजेशन के उपनिदेशक एल. गुर्जर ने बताया कि मादा टिड्डी अपने जीवन मे 80 से 90 अंडे देती है और मानसून उनके पनपने का सही समय होता है ऐसे में यदि इन अंडों को नष्ट नहीं किया गया तो ये आने वाली फसलों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित होंगे।
ड्रोन से किया जाएगा locusts पर कीटनाशकों का छिड़काव
Locust Attack 2020 News India: भारत सरकार ने टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोनों के माध्यम से छिड़काव करने का फैसला लिया है। साथ ही इस मुहिम को साकार करने के लिए अमेरिका से 60 अतिरिक्त स्प्रेयर मंगवाने की घोषणा की है साथ ही कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 55 नई गाड़ियों की व्यवस्था करने का फैसला लिया गया है। ड्रोन से छिड़काव के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शर्तों के साथ रिमोटली पायलेट एयरक्राफ्ट सिस्टम को मंजूरी भी दे दी है।
■ यह भी पढें: विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day Hindi) 2020
चूंकि ये दल करोड़ों की आबादी में चलते हैं अतः रोटेटरी विंग वाले ड्रोनों की मदद ली जाएगी। जानकारों के अनुसार अभी जब फसल की कटाई हो चुकी है तब छिड़काव किया गया और निपटने की अच्छी तरकीबें अपनाई गईं तो मुमकिन है टिड्डियों का प्रभाव कम हो जाएगा। कृषि निदेशालय ने एक टोल फ्री नम्बर भी जारी किया है।
प्रशासन द्वारा Desert Locusts Attack पर मुआवजे की घोषणा
सभी जगहों पर प्रशासन द्वारा है अलर्ट जारी करने व कीटनाशकों के छिड़काव आदि से सम्बंधित कदम उठाए गये। टिड्डियों ने सब्जियों की फसलें चौपट कर दी हैं और इस घाटे के समय में मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल के अनुसार लगभग 70% टिड्डियों का सफाया किया जा चुका है जिन किसान भाइयों का नुकसान हुआ है उन्हें आरबीसी 6(4) के अंतर्गत मुआवजा दिया जाएगा। भारत ने पाकिस्तान और ईरान दोनों देशों से टिड्डी नियंत्रण अभियान की बात रखी है साथ ही कीटनाशकों की मात्रा का खर्च भारत स्वयं वहन करने के लिए तैयार है लेकिन पाकिस्तान की ओर से कोई सन्देश नहीं मिला। भारत ने कीटनाशक, ईरान भेजने पर भी सहमति जताई है ताकि टिड्डियों के अंडे आरम्भ में ही नष्ट किये जा सकें।
अब तक locusts attack 2020 से हुए नुकसान
एक अनुमान के अनुसार दिसम्बर से अब तक देश के राज्यों की कपास, दलहन, तिलहन और गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली फल व सब्जियां, टिड्डी दलों की भेंट चढ़ चुकी हैं। सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान की फसलों को हुआ है।
1993 में टिड्डियों का बड़ा हमला हुआ था हालांकि टिड्डी हमले 1998, 2002, 2005, 2007 और 2010 में भी हुए लेकिन ये बहुत छोटे स्तर पर हुए थे। लेकिन अभी भी समय रहते इनसे निपटना ज़रूरी है अन्यथा अगली फसलों के लिए ये बहुत बुरा साबित हो सकता है।
समाधान
ये सब प्राकृतिक आपदायें हैं और इनका समाधान भी प्रकृति को समझने से ही आएगा अतः हमें यह भेद समझना चाहिए। कबीर साहेब ने बताया है, “माया महाठगनी हम जानी”। यह त्रिगुणी माया पाप कर्म स्वयं करवाती है और भुगतता है जीव । माया-काल के जाल को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग साधना TV पर रात 7:30 बजे से सुने, ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ें और नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण कराएं ।