Lalji Tandon Death News in Hindi: मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन अब हमारे बीच नहीं रहे। बीमारी के चलते उनका निधन हो गया है। बेटे आशुतोष टंडन ने ट्वीट के द्वारा दिया समाचार। ऐसे समय में पाठक गण जानेंगे कि मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद क्या मानव वह सब कुछ करता है जो उससे अपेक्षित था ?
Lalji Tandon passes away: मुख्य बिन्दु
- मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में देहांत
- पेशाब में परेशानी के कारण 11 जून को अस्पताल में कराया गया था भर्ती
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उत्तरप्रदेश एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
- उत्तर प्रदेश में तीन दिवसीय और मध्य प्रदेश में पाँच दिन का राजकीय शोक घोषित
- लखनऊ लोकसभा से सांसद रहे लालजी टंडन, अटल जी की सीट सौंपी गई थी उत्तराधिकार में
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी से थे नजदीकी संबंध एक दोस्त, पिता और भाई तुल्य
- बचपन से ही आ गए थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में
- पार्षद बनने से लालजी टंडन का राजनीतिक सफर शुरू हुआ था
- मानव जन्म दुर्लभ है इसे पूर्ण गुरु से सत भक्ति लेकर सार्थक करना चाहिए
Lalji Tandon Death: मंगलवार सुबह लालजी टंडन का निधन
Lalji Tandon Death News Hindi: 85 वर्ष की आयु में लालजी टंडन का निधन लखनऊ के मेदांता अस्पताल में हो गया है। उनकी हालत पहले से गम्भीर थी, वे लगातार 15 दिनों से वेंटिलेटर पर थे। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लगातार परिजनों के संपर्क में थे। सुबह उनके पुत्र आशुतोष टंडन ने ट्वीट के माध्यम से लाल जी टंडन की मृत्यु की सूचना दी ।
Lalji Tandon Death: प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने व्यक्त किया शोक
Lalji Tandon Death: मध्य प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल लालजी टंडन का निधन होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की भूमिका को मजबूत करने में उनका विशेष योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की तथा लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश का प्राण बताया। गृहमंत्री अमित शाह ने इसे भाजपा और देश के लिए अपूरणीय क्षति कहा है। वहीं मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इसे व्यक्तिगत व पितृ तुल्य स्नेह की क्षति बताते हुए दुख जताया है।
Lalji Tandon का व्यक्तिगत जीवन
Lalji Tandon Death: 12 अप्रैल, 1935 में लालजी टंडन का जन्म लखनऊ में हुआ। अपने जीवन के प्रारम्भिक काल में लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। कालीचरण डिग्री कॉलेज लखनऊ से उन्होंने स्नातक किया। लालजी टंडन का विवाह 26 फरवरी 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। लालजी टंडन अपने पीछे तीन बेटों को छोड़कर गए हैं जिनमें से एक बेटे गोपालजी टंडन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं।
अटल जी के साथ टंडन जी के थे बहुत निकट के संबंध
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के साथ टंडन जी के बहुत निकट के संबंध रहे । लालजी टंडन अटल जी को अपना दोस्त, पिता और भाई सब कुछ मानते थे। बीएसपी प्रमुख मायावती भी लालजी टंडन को अपना भाई मानती थीं और उन्हें राखी बांधती थीं।
लालजी टंडन की राजनीतिक यात्रा
Lalji Tandon Death News: लालजी टंडन मध्य प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल थे। इसके पहले वे बिहार के राज्यपाल रह चुके हैं। 1960 में पहली बार पार्षद के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी और उसके बाद लगातार छोटे बड़े पदभार ग्रहण किये। 2009 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और 15वीं लोकसभा के सदस्य बने। अटल बिहारी बाजपेयी से खास सम्बन्ध थे। 29 जुलाई 2019 को उन्हें मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उत्तर प्रदेश में विकास नीति को आगे बढ़ाने में भी लालजी टंडन का काफी योगदान था।
परिवार ने घर से ही श्रद्धा सुमन अर्पित करने की, की अपील
लालजी टंडन के परिवार ने अंतिम संस्कार की सूचना व समय बताते हुए अपील की है कि कोरोना महामारी के चलते सभी शासन द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन करें। अपने – अपने घरों से ही श्रद्धा सुमन अर्पित करें।
मनुष्य जीवन में महत्वपूर्ण क्या है?
मनुष्य योनि प्राप्त करके मात्र अच्छे कर्म करना, सद्भाव, लोगों के दिलों में स्थान बनाना, पुण्य कर्म करना इत्यादि क्या यह सब पर्याप्त है? निश्चित ही उत्तम तो है लेकिन मृत्यु के बाद इसका योगदान कितना है? अच्छे कर्मों के फलस्वरूप स्वर्ग मिल सकता है, वहाँ जाकर अपने पुण्य कर्मों की कमाई व्यय करके व्यक्ति वापस इसी लोक में आता है। चौरासी लाख योनियों में जीव तब तक भटकता है जब तक तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सत भक्ति न मिले ।
कबीर साहेब कहते हैं-
मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार |
तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डार ||
तप करने से पिछले जन्मों के पुण्यफल स्वरूप राज्य की प्राप्ति होती है और राज्य के बाद व्यक्ति पुण्य खत्म करके सूअर और कुत्ते इत्यादि योनियों में चक्कर काटता है।
तप से राज राज मदमानम, जन्म तीसरे शूकर स्वानम |
Lalji Tandon Death: जन्म मृत्यु का खेल
कबीर साहेब को उद्घृत कर तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, बेटे के जन्म पर खुशी और मृत्यु पर लोग मातम करते हैं। इस संसार में तो जन्म मृत्यु ऐसे लगे हैं जैसे कीड़े पंक्तिबद्ध होकर चलते हैं।
बेटा जाया खुशी हुई, बहुत बजाए थाल |
आना जाना लग रहा, ज्यों कीड़ी का नाल ||
यहाँ कबीर साहेब को उद्घृत करते हुए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं, संसार में किसी प्रकार का सुख वास्तविक सुख नहीं है। वास्तविक सुख है सतलोक (अमर लोक) में जिसे नानक जी ने सचखंड कहा है, जहां जाने के बाद लौटकर संसार में नहीं आते, जहां मृत्यु, रोग, बुढापा, दुख कुछ भी नहीं है। केवल सुख का सागर है। जीवन रहते भक्ति नहीं की तो समझिए युगों युगों के लिए बात बिगड़ गई। मोक्ष केवल मानव शरीर में ही सम्भव है। देवता भी इस शरीर के लिए तरसते हैं।
झूठे सुख को सुख कहे, ये मान रहा मन मोद |
ये सकल चबैना काल का, कुछ मुख में कुछ गोद ||
मनुष्य जीवन में भक्ति करने के लिए क्या गुण होने चाहिए
सतगुरु रामपाल जी महाराज अपनी पुस्तक “जीने की राह” द्वारा यह सत ज्ञान देते हैं कि मानव जीवन में आकर सत भक्ति करनी चाहिए और मर्यादा में रहना चाहिए । तत्वदर्शी संत जी ने हंस भक्तों के गुण निम्न प्रकार बताएं है।
काग जैसी वृत्ति त्यागना
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, काग जैसी वृत्ति निज स्वार्थ वश किसी को कष्ट देना । उदाहरणतः पशु की आँखों से आँसू ढलक रहे है, लेकिन कौआ पशु के शरीर पर हुए घाव को नौंच – नौंच कर खाता है। कोयल की तरह मृदु वाणी बोलने और काग वृत्ति को त्यागने वाला ही हंस बनता है ।
कुठौर नहीं जाना
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, सतगुरु का ज्ञान तथा दीक्षा प्राप्त करके यदि शिष्य जगत भाव से चलता है, वह मूर्ख है । वह भक्ति भाव से वंचित रह जाता है । वह भक्ति में आगे नहीं बढ़ पाता । यदि अंधे व्यक्ति (नया साधक) का पैर गोबर पर पड़ जाए तो कुछ बुरा नहीं। लेकिन दोनों आँखों वाला व्यक्ति कुठौर (गलत स्थान पर) जाता है (परनारी गमन, चोरी, झूठ, चुगलखोरी, ढौंग, ठगी, निंदा, गुटबन्दी, उलाहना देना, वर्जित वस्तु उपभोग इत्यादि) तो निंदनीय है ।
गाय की तरह परमार्थी होना
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, गाय घास पानी ग्रहण करके दुग्ध, गोबर, गोमूत्र इत्यादि मनुष्य उपयोगी वस्तुएं प्रदान करती है। मृत्यु के उपरांत भी जूता इत्यादि उपयोगी वस्तुएं बनाने की लिए चमड़ा देती है । मानव जन्म प्राप्त प्राणी को परमार्थ और भक्ति करके अपने पाप कर्मों को कटवाना चाहिए ।
पद परमारथ संत आधारा। गुरु सम लेई सो उतरे पारा ॥
ऊंचा कर्म अपने सिर लीन्हा । अवगुण कर्म पर सिर दीन्हा ॥
सेवा कर मान बड़ाई से बचना
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, सतगुरु के कहे अनुसार सेवा करें, जो थाप अर्थात मान बड़ाई के लिए अपने आप को महिमावान मान लेगा तो उसको अधिक कष्ट होगा । सदैव गुरु शरण को, उनके द्वारा दिए मंत्र को महत्व दे और अपने द्वारा किए कार्यों को प्रकट न करें ।
सेवा करे विसारे आपा। आपा थाप अधिक संतापा ॥
आशा एक नाम की राखै। निज शुभ कर्म प्रकट नहीं भाखे ॥
कूर्म कला परखकर विपत्ति टालो
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, कछुवा आपत्ति के समय अपने मुख और पैरों को अंदर छिपा कर निष्क्रिय हो जाता है और आपत्ति टलने पर पुनः अपने मार्ग पर चल देता है । इसी प्रकार यदि कोई अन्य संकट खड़ा कर रहा हो तो उलट जवाब ना देकर सज्जन पुरुष को चाहिए कि अपनी भक्ति को छुपा कर सुरक्षित रखे । पूर्ण परमात्मा के प्रभाव से हंस उन्हीं के पास जाएगा ।
पुरुष नाम को अस परभाऊ । हंसा बहुरि न जगमहँ आऊ ॥
निश्चय जाय पुरुष के पासा । कूर्मकला परखऊ धर्मदासा ॥
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सतभक्ति लेकर पूर्ण मोक्ष पाएं
पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से शास्त्रों पर आधारित सत भक्ति और नाम दीक्षा लेकर ही पूर्ण मोक्ष सम्भव है। ऐसा करने से मनुष्य योनि में जन्म पूरी तरह से उपयोगी सिद्ध होगा । वर्तमान में एक मात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ने सभी धर्म ग्रन्थों को खोलकर उनके गूढ़ रहस्यों का परिचय करवाया है। शास्त्रों में दिए सच्चे गुरु की पहचान के सभी लक्षण उन पर सही उतरते हैं। संत जी की शरण में आयें, तत्व ज्ञान को समझें, सत्संग सुनें और नाम दीक्षा लेकर मर्यादा पूर्वक सत भक्ति करके अपना कल्याण करवाएं।