Karnataka Hijab Row & Controversy: कर्नाटक राज्य से प्रारंभ होकर हिजाब विवाद की आग अब पूरे देश में फैल रही है। ज्ञात हो कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच यह विवाद देश की सियासत को गरमा चुका है और पक्ष विपक्ष के राजनीतिक लोग इस अवसर को अपने अपने अनुसार भुनाने में लगे हैं। हिजाब के पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन तेज होने के कारण कर्नाटक सरकार ने गत बुधवार से राज्य के सभी हाई स्कूलों और कॉलेजों को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया था।
कर्नाटक में हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row): मुख्य बिन्दु
- हिजाब की अनुमति मिलने की मांग को लेकर चार छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
- सरकार ने 14 फरवरी से हाई स्कूलों तत्पश्चात महाविद्यालयों में कक्षाएं पुनः चलाने का निर्णय लिया।
- उच्च न्यायालय ने फैसला आने तक स्कूल-कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है।
- सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद ही कोई सुनवाई करेगा।
- समाज सुधारक कबीर साहेब समाज में प्रचलित नकारात्मक प्रवृत्तियों को समाप्त कर मानवतावादी दृष्टिकोण प्रतिपादित कर सकते हैं
कर्नाटक High Court के निर्देशों के बाद 14 फरवरी से स्कूल खोलने की तैयारी
Karnataka Hijab Row Live Updates: इसी बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश, राज्य के गृह मंत्री और अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। कर्नाटक सरकार (Karnataka government) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court) के निर्देशों के बाद बृहस्पतिवार को 14 फरवरी से 10वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए क्रमशः हाई स्कूल तत्पश्चात महाविद्यालयों में कक्षाएं पुनः चलाने का निर्णय लिया।
हिजाब की अनुमति पाने के लिए चार छात्राएं पहुंची हैं कोर्ट
Karnataka Hijab Row Live Updates: राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने देने की अनुमति मिलने की मांग को लेकर चार छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े छात्राओं की ओर से हाईकोर्ट में पक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। दूसरी ओर महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी स्कूल ड्रेस कोड संबंधी सरकारी पक्ष हाईकोर्ट में रख रहे हैं।
कर्नाटक में हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row): हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर लगाई रोक; कहा- शांति कायम करना प्राथमिकता
Karnataka Hijab Row Updates: कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर लगातार हुई सुनवाई के तीसरे दिन उच्च न्यायालय ने इस मामले में फैसला आने तक स्कूल-कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने जल्द से जल्द फैसला सुनाने के भरोसे के साथ शांति कायम करने के निर्देश दिए। इस मामले में उच्च न्यायालय सोमवार को सुनवाई जारी रखेगा।
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मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने पहले कहा कि वे देखेंगे कि हिजाब पहनना मौलिक अधिकार है या नहीं। साथ ही मीडिया को अदालत की मौखिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग न करने के निर्देश भी दिए और अंतिम आदेश आने तक प्रतीक्षा करने को कहा। यह मामला बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की बड़ी पीठ बेंच को दिया गया था जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायाधीश कृष्णा एस दीक्षित और न्यायाधीश जेएम खाजी की पीठ कर रही है।
बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ था?
हिजाब विवाद पर बुधवार को हाईकोर्ट की एकल पीठ के सामने सुनवाई हुई। जज केएस दीक्षित ने टिप्पणी की कि यह मामला बुनियादी महत्व के कुछ संवैधानिक प्रश्नों को उठाता है। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश को इस पर सुनवाई के लिए बड़ी पीठ गठन करने पर विचार करना चाहिए। छात्राओं के वकील ने अंतरिम राहत देने की मांग की, जिसका कर्नाटक सरकार ने विरोध किया।
हिजाब विवाद का मामला (karnataka Hijab Controversy) पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
Karnataka Hijab Row Live Updates: हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा था, लेकिन कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण करते हुए 9 जजों की संवैधानिक पीठ (Constitutional Bench) से सुनवाई कराने की मांग की। याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा, ‘पहले कर्नाटक हाईकोर्ट में आज होने वाली सुनवाई का फैसला आने दें। इसके बाद हम इस मामले को देखेंगे।’ पीठ ने इस मामले की हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के हवाले से कहा कि अभी इसमें तत्काल हस्तक्षेप क्यों किया जाए? सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए कोई निश्चित तारीख भी देने से इनकार कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद ही वह सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कपिल सिब्बल की मांग को निरस्त कर दिया।
क्या है हिजाब और कैसे भिन्न है नकाब, बुर्के, अल-अमीरा और अबाया से?
- हिजाब में एक कपड़ा होता है। इससे महिला अपना सिर और गर्दन ढके रहती है। इसमें महिला का चेहरा छिपता नहीं बल्कि दिखता रहता है।
- नकाब या निकाब चेहरा छुपाने का कपड़ा होता है, इसमें सिर पूरी तरह से ढका हुआ होता है। इस्लाम चेहरा ढकने को नहीं कहता बल्कि केवल सिर और बाल को कपड़े से छिपाने को कहता है। लेकिन कट्टरपंथी महिलाओं से उनका चेहरा भी छिपाने का फरमान करते हैं।
- बुर्का नकाब से अगले स्तर का होता है। बुर्के में आंखें भी ढकी होती हैं, इसमे देखने के लिए एक खिड़कीनुमा जाली या हल्का कपड़ा होता है।
- अल-अमीरा दो कपड़ों का सेट होता है. एक को टोपी की तरह सिर पर पहनते हैं और दूसरे से सिर पर लपेटकर सीने पर ओढ़ा जाता है।
- अबाया एक लंबी ढकी हुई पोशाक होती है जिसे महिलायें पहले से पहने कपड़ों के ऊपर डाल लेती हैं। एक स्कार्फ से सिर्फ बाल ढके होते हैं और चेहरा खुला होता है। यह बहुत से रंगों का आने लगा है।
कर्नाटक हिजाब विवाद (karnataka Hijab Controversy) पर मद्रास हाई कोर्ट ने जताई चिंता
Karnataka Hijab Row Live Updates: कर्नाटक के हिजाब विवाद के चलते मद्रास उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को गंभीर चिंता व्यक्त की। धार्मिक असौहार्द्र की बढ़ती प्रवृत्ति पर कोर्ट ने हैरानी जताते हुए प्रश्न किया कि राष्ट्र या धर्म में क्या सर्वोपरि है? कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायाधीश डी भरत चक्रवर्ती की प्रथम पीठ ने कहा कि कुछ लोगों ने ड्रेस कोड को लेकर विवाद खड़ा किया है और यह मसला पूरे देश में फैलता जा रहा है।
हिजाब विवाद से सोशल मीडिया भी हैं गर्म
- अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते एक छात्रा का वीडियो हुआ वायरल
- सोशल मीडिया में पूछे जा रहे हैं प्रश्न – आखिर अचानक से यह विवाद क्यों खड़ा हुआ है क्या कोई साजिश है? आखिर दिसंबर के अंत तक और जनवरी के शुरुआत में अचानक से हिजाब की समस्या क्यों उत्पन्न हुई?
- छात्राओं का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।
- जस्टिस कृष्ण दीक्षित ने कहा, ‘जब मैं स्टूडेंट था तो उस वक्त स्कूल का रंग एक ही होता था।
- विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मौजूदा विवाद कांग्रेस द्वारा अपने ‘अलगाववादी एजेंडे’ को आगे बढ़ाने के लिए एक टूलकिट है।
- प्रियंका गांधी ने ट्वीट द्वारा कहा, चाहे वह बिकनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब, यह तय करना एक महिला का अधिकार है कि वह क्या पहनना चाहती है। यह अधिकार भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत है। महिलाओं को प्रताड़ित करना बंद करो।
- जिस मलाला यूसुफजई को पाकिस्तान में हिजाब और बुर्के से समस्या थी वही भारत में हुए इस विवाद को लेकर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन करते हुए दिखाई दे रही है।
- ओवैसी ने कहा कि मलाला को अंततः अपना देश छोड़ना पड़ा ऐसे लोग हमें शिक्षा ना दें।
- आंदोलन करने वाली कुछ लड़कियां बाहर बिना हिजाब पहने हुए दिख रही हैं।
हिजाब विवाद: सरकार इस्लामिक संस्था PFI को कर सकती है प्रतिबंधित
Karnataka Hijab Row Live Updates: कर्नाटक सरकार के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि वे कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) की भूमिका की जांच कर रहे हैं। ज्ञात हो कि सीएफआई PFI की छात्र शाखा है। सरकार को संदेह है कि इस्लामिक कट्टरपंथी संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से संबंधित सीएफआई इस विवाद की जनक हो सकती है। पीएफआई या सीएफआई की भूमिका जाँचने के लिए इस पूरे मामले की जांच करने के बाद आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
अब राजनेताओं ने माना – रूढ़ियों को समाप्त करने के लिए कबीर साहेब का ज्ञान जरूरी
कबीर साहेब का जीवनकाल (1398-1518 ई०) सामंतवादी युग में था। उस काल में हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिकता, जातीय भेदभाव और समाज में प्रचलित रूढ़िवादिता, कर्मकांड और बाह्य आडंबर जैसी अनेक विसंगतियां थी। लोगों के मन में भय था। वर्तमान में संस्कृति बिगाड़ने, कुरीतियों को बढ़ाने एवं युवा समाज को शर्मसार करने में मीडिया की अहम भूमिका रही है। एक ज्वलंत उदाहरण है कि समलैंगिक विवाह के समाचार को बढ़ावा देना ही संस्कृति को आघात पहुँचाना है।
संत शिरोमणि कबीर साहेब समाज में व्याप्त समाज विरोधी कुरीतियों एवं भेदभाव जैसे- ऊंच-नीच, जाति-पति, धार्मिक आडम्बर व रूढ़िवादिता के घोर विरोधी थे। कबीर साहेब की अतुलनीय वाणी आध्यात्मिक सांसारिक ज्ञान का भंडार है। महान दार्शनिक, समाज सुधारक संत कबीर साहेब के ज्ञान की प्रासंगिकता सैकड़ों वर्ष बाद भी निरंतर बढ़ती जा रही है और उनकी वाणी छह शताब्दी बाद भी जीवन को जीने की प्रेरणा देती है।
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कबीर साहेब की वास्तविकता को एक ट्वीट के माध्यम से कहा, ‘कबीर’ शब्द का अर्थ है महान या विशाल। संत कबीर की महानता उनके नाम को सार्थक करती है। उन्होने अपनी महानता के बल पर समाज की सोच बदल दी। बहुत ही सरल लोक-भाषा में सामान्य लोगों के जीवन से जुड़ी कबीर-वाणी के माध्यम से वे जन-जन के हृदय में निवास करने लगे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कबीर साहेब की महानता का गुणगान करते हुए कहा था, कबीर साहेब ने एक नई विचारधारा का प्रतिनिधित्व किया था जो भक्ति आंदोलन के रूप में लोकप्रिय हुआ था। भक्ति आन्दोलन मध्ययुगीन भारत में फैला और इसमें भक्ति, सहिष्णुता, सद्भाव और भाईचारे पर बल दिया गया।
- हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा संत कबीर हर सामान्यजन के अंदर बैठे हैं जो उनसे प्रभावित है और उनके दोहे आज भी प्रासंगिक हैं जिनका हमारे जीवन में प्रभाव पड़ता है।
- छतीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ० रमन सिंह ने भटकी हुई युवा पीढ़ी को कबीर साहेब का ज्ञान देने पर जोर दिया था। उन्होंने यहाँ तक कहा कि यदि दुनिया को ग्लोबल विलेज माना जाए तो कबीर साहेब से बड़ा कोई ब्रांड एम्बेसडर नहीं हो सकता।
- छतीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा कबीर साहेब ने हमेशा सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया और मानवतावादी समाज की रचना के लिए प्रेरित किया। उनके विचार आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। उन्हीं के जीवन मूल्यों को लेकर ही हम नवा-छत्तीसगढ़ गढ़ने की परिकल्पना के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
समाज सुधारक की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि उसको समाज की समझ होती है तथा वह निःस्वार्थ भाव से समाज में प्रचलित कुप्रथाओं, रूढ़िवादियों और नकारात्मक प्रवृत्तियों की पहचान करता है और निर्भय होकर उसका विरोध करने के साथ ही प्रगतिशील, भविष्योन्मुखी और मानवतावादी समयानुकूल दृष्टिकोण का प्रतिपादन भी करता है। आईए जाने पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब के 12 फरवरी को सतलोक प्रस्थान दिवस पर उनके ज्ञान को उनकी गुरु प्रणाली के वर्तमान सतगुरु रामपाल जी महाराज से ।
कबीर परंपरा के वर्तमान सतगुरु रामपाल जी कुरीतियों को समाप्त करने में रहे हैं सफल
सतगुरु रामपाल जी महाराज बताते हैं कि मनमानी परंपराऐं, मान-बड़ाई, लोक दिखावा भक्ति मार्ग में बाधक हैं। सामाजिक अव्यवस्थाएं जैसे – वधुओं को दहेज की बलि-वेदी पर चढ़ा देने वाली दहेज-प्रथा, विवाह में बेशर्मी से नाचना, नारी के प्रति असमानता और उपेक्षा पूर्ण भाव, जादू, टोना, मन्त्र-तंत्र, मनोकामना पूर्ति के लिए बलि जैसे अंधविश्वास, शारीरिक और मानसिक विकास को विक्षिप्त करने वाली बाल-विवाह प्रथा, चार वर्णों के भेदभाव की अन्यायवादी वर्णव्यवस्था, मृत्यु भोज, जन्मोंत्सव, पटाखे आदि फिजूलखर्ची त्याज्य हैं। नशा चाहे तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, खैनी, गुटखा, गुड़ाखू का हो या गांजा, चरस, अफीम और उनसे निर्मित उत्पाद, मदिरा शराब या फिर नशीली दवाइयों का ये सभी समाज की बर्बादी का कारण बन रहे हैं।
इनके साथ समाज को बांटने वाले जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, प्रांतवाद आदि कुरीतियों को जड़ से समाप्त करना आवश्यक है। जाति, धर्म, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव का केवल सन्त रामपाल जी ही सफल रूप से उन्मूलन कर सके हैं। यह देखकर भारत के भक्तियुग का स्मरण हो आता है जब कबीर साहेब ने सभी के लिए अर्थात धर्म, जाति और लिंग से परे भक्ति के द्वार खुलवाए थे। ऐसे अनमोल समाज का गठन केवल सन्त रामपाल जी महाराज ही कर सके हैं। Sant RampalJi Maharaj एप्प Google Play Store से डाउनलोड कर सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करें।