December 7, 2023

Kamika Ekadashi 2020 [Hindi]: क्या कामिका एकादशी पर व्रत करना सही है?

Published on

spot_img

Kamika Ekadashi 2020 Hindi (कामिका एकादशी): हिन्दू धर्म की मान्यताओं और हिन्दू पंचांग के अनुसार आज एक पावन बेला आई है जो कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है, जिसे कामिका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसे मोक्ष दायिनी पवित्र एकादशी भी कहते हैं। क्या शुभ योग लग रहे है इस बार कामिका एकादशी विशेष है। इसी के साथ पाठक गण यह भी जानेंगे कि क्या व्रत, तीर्थ, जप, तप, तीनों गुणों की भक्ति साधना शास्त्रानुकूल है, यदि नहीं तो कैसे करें सत-भक्ति?

Kamika Ekadashi-मुख्य बिंदु

  • गुरुवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है कामिका एकादशी
  • एकादशी (कामिका ग्यारस) तिथि का प्रारंभ बुधवार रात 10:19 से गुरुवार को रात 11:44 तक
  • पारण का समय शुक्रवार प्रात:काल 05:57 बजे से 08:19 बजे तक
  • कामिका एकादशी का व्रत रखने से अश्वमेघ यज्ञ कराने के बराबर पुण्य
  • गीता के अनुसार न अत्यधिक खाने वाले का न व्रत रखने वाले की पूजा सिद्ध होती है

Kamika Ekadashi 2020-कामिका एकादशी (ग्यारस) का महत्व क्या है?

कामिका एकादशी (ग्यारस) का व्रत रखने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ कराने के बराबर पुण्य (फल) मिलता है। जो व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण विधि के साथ करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मण को दान देने से बहुत पाप नाश होते हैं। इसलिए इस व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत ही मर्यादा अनुसार पूर्ण किया जाता है। इसको करने से पशु पक्षियों की योनियों में जन्म नहीं मिलता है ।

Kamika Ekadashi-कामिका एकादशी व्रत एवं पूजा कथा महात्म्य

Kamika Ekadashi: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर से कामिका एकादशी के व्रत को सुनाया था। श्री कृष्ण ने कहा था हे कुन्ती पुत्र श्री ब्रह्मा जी ने यह कथा नारदजी को सुनाई थी वह मैँ तुम्हें सुनाता हूँ – नारद जी के द्वारा प्रार्थना करने पर श्री ब्रह्मा जी ने कामिका एकादशी का महात्म्य सुनाया था ।

Kamika Ekadashi 2020: श्री हरि विष्णु से संकल्प करके एकादशी व्रत और पूजा की जाती है । जिसमें श्री हरि को अक्षत, चंदन, पुष्प (फूल), धूप, जनेऊ (वस्त्र के रूप में), घी का दीप प्रज्वलित करते हैं। फल और शुद्ध मिठाई का प्रसाद, विष्णु जी को माखन-मिश्री का भोग, तुलसी का पत्ता जरूर चढाया जाता है । लक्ष्मी जी, गणेश जी और श्रावण का महीना होने के साथ शिवजी की पूजा अर्चना भी की जाती है । इसके बाद कामिका एकादशी व्रत की कथा को सुनते और सुनाते हैं ।

क्या व्रत उपवास शास्त्र अनुकूल साधना नहीं है?

Sant Rampal Ji Maharaj Video Satsang

Kamika Ekadashi 2020: पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार कुछ प्रमाण संक्षेप में दिखा हैं जिनको पढ़कर और देखकर आपको हैरानी होगी कि हम जो साधना पूजा कर रहे हैं और जिनको मोक्ष दायक समझ रहे हैं वह सब शास्त्र विरुद्ध है। इनसे न मोक्ष होता है, न पापों का नाश होता है। जो भाग्य में लिखा है केवल वही मिलता है। व्रत करना बिल्कुल मना है । फिर क्यों हम इन मान्यताओं में अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं । बार – बार मानव जन्म नहीं मिलता है । यह केवल पूर्ण परमात्मा की दया से भक्ति कर मोक्ष पाने के लिए मिलता है ।

आईए देखते है श्रीमद्भगवद्गीता में साक्ष्य

अध्याय 6 का श्लोक 16

न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।

हे अर्जुन, उस पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने वाली भक्ति न तो एकान्त स्थान पर विशेष आसन या मुद्रा में बैठने से तथा न ही अत्यधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की तथा न ही बहुत शयन करने वाले की तथा न ही हठ करके अधिक जागने वाले की सिद्ध होती है।

अध्याय 6 का श्लोक 17

युक्ताहारविहारस्य, युक्तचेष्टस्य, कर्मसु,
युक्तस्वप्नावबोधस्य, योगः, भवति, दुःखहा।।

दुःखों का नाश करने वाली भक्ति तो यथायोग्य आहार-विहार करने वाले का शास्त्र अनुसार कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाले की और यथायोग्य सोने तथा जागने वाले की ही सिद्ध होती है।

जो स्वयं जन्म मरण में है, वे दूसरों को मोक्ष कैसे देंगे ?

Kamika Ekadashi 2020: ब्रह्म लोक से लेकर ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि के लोक और ये स्वयं भी जन्म-मरण व प्रलय में है इसलिए ये अविनाशी नहीं है जिनके फलस्वरूप इनके उपासक भी जन्म मरण में ही है (गीता 8:16, 9:7) भगवान विष्णु जी की या अन्य देवी देवताओं की पूजा साधना करने से मोक्ष नहीं होता है ।

पूर्ण मोक्ष का मतलब स्वर्ग लोक नहीं अपितु सतलोक जाना है

जब मनुष्य के जन्म और मरण दोनों समाप्त हो जाते है तब पूर्ण मोक्ष माना जाता है। यह तब होता है जब हम सत्यधाम (सतलोक) को प्राप्त कर लेते है तब पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है, जहाँ जाने के बाद पुनर्जन्म नहीं होता। मोक्ष का मतलब किसी देवलोक में जाना नहीं है । किसी भी देवलोक में और यहाँ तक कि ब्रह्म लोक में जाने के बाद भी पुण्य क्षीण होने पर पुनर्जन्म होता है । पाठक गण हैरान होंगे एकादशी व्रत से मानते है कि छोटी योनियों में जन्म नहीं होगा। ये सभी किसी प्रकार से भी कालचक्र का बंधन ही है, तो ऐसे व्रत का क्या लाभ ।

कबीर साहेब जी ने अपने शिष्य धर्मदास जी को व्रत, हवन, तीर्थ, जप, तप आदि की वास्तविकता को बताया

यह सब कैसे संभव है, यह जानने के लिए इस कथा को जानते है जिसमें कबीर साहेब जी ने अपने शिष्य धर्मदास जी को व्रत, हवन आदि के संबंध में यथार्थ ज्ञान से चेताया:-

एक बार मथुरा नागरी में भक्त धर्मदास जी एकादशी व्रत और अन्य पूजाओं का महत्व जता रहे थे तब कबीर साहेब जी ने उनको सत्य ज्ञान समझाया और कहा कि ये शास्त्र विरुद्ध पूजाएं व्यर्थ है । इनसे कोई लाभ नहीं होता है। पहले धर्मदास जी ने कबीर साहेब से कहा,

धर्मदास जब यह बोल्या, अड़सठ तीरथ नहाऊंगा ।
गीता जी का पाठ करत हूँ, इस विधि मुक्ति पाऊँगा।
राम कृष्ण के गुण गाऊंगा, मिले स्वर्ग में स्थान ।

एकादशी का व्रत करत हूँ, जीव हिंसा कोई करता न।
शिवलिंग पूजा, गुरु की सेवा, किए बिना विसरता न।
शालीगराम की पूजा करता, दिन में सुबह और शाम।

ज्ञान सुनादे, विधि बताते हो मेरा कल्याण, भक्त मैँ अरज करूँ

धर्मदास जी कहते है, कि मैँ अड़सठ तीर्थ जाकर स्नान करूँगा । मैँ नित्य गीता का भी पाठ करता हूँ और साथ में रामकृष्ण के गुणगान से मुझे स्वर्ग में स्थान प्राप्त होगा । मैँ एकादशी का व्रत करता हूँ । मैँ कोई जीव को नहीं सताता हूँ और किसी भी जीव की हिंसा नहीं करता हूँ। और आगे कहते है, मैँ शिवलिंग पूजा और गुरु की सेवा हर रोज नियमित रूप से करता हूँ। मैँ शालीगराम की पूजा दिन में दोनों समय करता हूँ । मुझे जरूर मोक्ष मिलेगा जी।

इतना सुनकर कबीर साहेब जी ने धर्मदास को यथार्थ ज्ञान से परिचित कराया कि

तीरथ जल में कच्छ और मच्छ, जीव बहुत से रहते हैं ।
उनकी मुक्ति न होति, वो कष्ट बहुत से सहते हैं ।
सतयुग में राम कृष्ण नहीं थे, तब किसका धरते ध्यान ।

व्रत करे से मुक्ति हो तो, अकाल पड़े क्यों मरते हैं ।
शिवलिंग पूजा और शालीग सेवा अनजाने में करते हैं ।

चेतन होकर भूल रहे तुम, हुए पत्थर से निपराम ।
तीरथ-पाठ चले जो प्राणी, वो जीव बहुत से मारे हैं ।
जल में सूक्ष्म जीव रहत है, स्नान करत संघारे हैं ।
चौका दे वो, हवन करो, हो जीव हिंसा वेअनुमान ।

चौका देवो, हवन करो उनमें हिंसा हो वेअनुमान ।
सात द्वीप और नौ खंड ये सपने जैसा खेल है ।
तीन लोक और भुवन चतुर्दश यह काल बली की जेल है ।

महाप्रलय में नष्ट हो जावे, फिर कहाँ करो विश्राम ।

कबीर साहेब जी ने समझाते हुए धर्मदास जी को कहा कि जिस तीर्थ स्नान से तुम स्वर्ग में स्थान पाना चाहते हो तो आपसे पहले तो उस जल में बहुत से जीव रह रहे है जैसे- कछुए, मछली, मेंढ़क, मगर आदि फिर उनकी मुक्ति क्यों नहीं होती है । वह उस गंगाजल में रहते हुए भी बहुत कष्ट झेल रहे है। धर्मदास जी सतयुग में किसका ध्यान करते थे क्योंकि उस समय तो राम और कृष्ण नहीं थे। आप कहते हो कि व्रत करने से मुक्ति मिलती है तो फिर लोग अकाल पड़ते समय क्यों मर जाते है।

यह भी पढें: Guru Purnima 2020 [Hindi]-गुरु पूर्णिमा पर जानिए सच्चे गुरु के बारे में 

बताइए धर्मदास जी, विचार करो थोड़ा शिवलिंग, शालीगराम आदि जो पूजाएं आप कर रहे हो वह सब अनजाने में कर रहे हो क्योंकि सत्य जानने के बाद आप को बहुत दुःख होगा कि समय बर्बाद किया इन शास्त्र विरुद्ध पूजाओं में। बस इन पूजाओं में आप लीन हो ,पत्थर पूजने में मग्न हो। जो भी तीर्थ स्थान पर चलते है वह अपने पैरों से बहुत से जीव मार देते है। तीर्थ जल में स्नान करते समय भी सूक्ष्म जीव मर जाते है जो उस जल में रह रहे होते है। जो रोज चूल्हे में चौका देते है और जो हवन करने से फल पाने की इच्छा रखते है वह उस चौका और हवन के द्वारा बहुत सी जीव हिंसा कर चुके होते है । और आप कहते हो मैँ कोई जीव हिंसा नहीं करता हूँ।

यह सात द्वीप और नौ खंड सपने की तरह है, मौत के बाद सब शून्य है। यह तीन लोक और चतुर्दश भवन सब कुछ काल (निरंजन) जिसे गीता जी में ब्रह्म क्षर पुरूष कहा है उसके बनाये हुए हैं । सब उसकी ही माया है । सब को भूल भुलैया में वह ब्रह्म भुलाए हुए है। और आप इन सबको अपना मानकर भक्ति साधना में लीन हो। विचार करो धर्मदास सत्य क्या है..? उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध है कि व्रत, जागरण, पूजा अर्चना आदि सब व्यर्थ है क्योंकि इनसे परमात्मा प्राप्ति और मोक्ष नहीं होता है, अपितु नुकसान हो जाता है ।

सत्य साधना कैसे करें?

गीता ज्ञानदाता काल ब्रह्म ने गीता अध्याय 15 श्लोक 4 व अध्याय 18 श्लोक 62 तथा अध्याय 4 श्लोक 34 में तथा यजुर्वेद अध्याय 40 श्लोक 10 व 13 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा ही पूर्ण मोक्ष प्रदान कर सकता है उस परमात्मा की शरण में जा उस के लिए तत्त्वदर्शी संतों की खोज कर उनके बताए भक्ति मार्ग पर चल। अतः उस परमेश्वर के परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात साधक कभी लौट कर इस संसार मैं जन्म नहीं लेता मैं (गीता ज्ञान दाता ) भी उसी की शरण हूँ ।

यदि हमें मोक्ष पाना है जो गीता जी के अनुसार पूर्ण गुरु की शरण में जाकर उनके द्वारा बताई साधना करनी होगी। वह तत्व ज्ञानी ही हमें उस तत्व को समझा सकते है। इसलिए यह भी पता लगाना जरूरी है कि किस परमात्मा की साधना भक्ति से जन्म मरण से छुटकारा पा सकते है।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाइए

वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही वह तत्व ज्ञानी है जो हमें पूर्ण परमात्मा की भक्ति साधना की विधि और मर्यादा बता सकते है। इसलिए समय बर्बाद न करके सन्त जी की शरण में जाना ही हितकारी है। जैसे रोगी को रोग के अनुसार उसका इलाज करवाना और उसका परहेज (मर्यादा) रखना अति महत्वपूर्ण है इसी प्रकार जन्म मरण के रोग से छुटकारा पाने किए लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी की शरण में जाना होगा। इसका इलाज केवल उन्हीं के पास है वह भी बिल्कुल निशुल्क। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकार नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण कराएं। इस जीवन में भी सभी सांसारिक सुखों का आनंद लेकर पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें ।

Latest articles

International Anti-Corruption Day: Right Way to End Corruption Forever

Last Updated on 7 December 2023 IST: International Anti-Corruption Day 2023: Corruption is a...

International Anti-Corruption Day 2023 (Hindi): संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से ही होगा भ्रष्टाचार रूपी दीमक का खात्मा

Last Updated on 6 November 2023 IST: अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस (International Anti-Corruption Day...

World Soil Day 2023: Let’s become Vegetarian and Save the Earth! 

Every year on December 5, World Soil Day is observed to highlight the importance...
spot_img

More like this

International Anti-Corruption Day: Right Way to End Corruption Forever

Last Updated on 7 December 2023 IST: International Anti-Corruption Day 2023: Corruption is a...

International Anti-Corruption Day 2023 (Hindi): संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से ही होगा भ्रष्टाचार रूपी दीमक का खात्मा

Last Updated on 6 November 2023 IST: अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस (International Anti-Corruption Day...