भारतवर्ष को संत – महात्माओं की जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है ।भारत को सदैव से आध्यात्मिकता की भूमि माना जाता रहा है। आध्यात्मिक ज्ञान की बदौलत ही भारत की विश्व में अलग पहचान है।
परंतु आज भारतवर्ष में आध्यात्मिक धर्मगुरुओं की बाढ़ सी आ गई है व सभी का अलग – अलग मत होने के कारण भक्त समाज के लिए यह समझ पाना बहुत कठिन हो गया है कि कौन सच्चा है और कौन झूठा? आखिर कौन है सच्चा गुरु और क्या है उसकी पहचान, आज के इस आध्यात्मिक दौर में धर्मगुरुओं के अलग – अलग वक्तव्यों के कारण भक्त समाज इस विडंबना में है कि पूर्ण परमात्मा अथवा समर्थ भगवान की पहचान कैसे की जाए?
- क्या शिव जी ही पूर्ण परमात्मा है?
- शिव जी व विष्णु जी में से कौन है समर्थ भगवान ?
- क्या शिव जी व विष्णु जी दोनों एक ही शक्ति है?
- तीनों गुण राजगुण ब्रह्मा , सतगुण विष्णु , तमगुण शिव जी क्या है ?
- क्या शिव जी व विष्णु जी का आविर्भाव अर्थात् जन्म व तिरोभाव अर्थात् मृत्यु होती है ?
- अगर हाँ तो कौन है इनके माता पिता, व कहां है इसका प्रमाण और कितना है इनका जीवन काल?
- आखिर श्री ब्रह्मा जी , श्री विष्णु जी व श्री महेश जी का प्रभुत्व कितने लोकों में है ?
- या कोई और ही है अविनाशी भगवान जो कभी जन्म – मृत्यु में नहीं आता ?
- क्या है उसकी भक्ति का वास्तविक मंत्र ?
आखिर इन भगवानों की वास्तविक स्थिति हैं ? क्या इन तीनों भगवानों की भक्ति करने से हमें मोक्ष प्राप्त हो सकता है?
ब्रह्मा, विष्णु, महेश , इन तीनों भगवानों की शक्ति कहां तक सीमित हैं ?
अगर तीनों भगवान सीमित शक्ति के हैं अथवा सीमित लाभ प्रदत्त ही हैं तो सर्व शक्तिमान भगवान कौन है और वो क्या क्या लाभ दे सकता है?
तो आइए जानते हैं हमारे धार्मिक सद्ग्रंथ इसका क्या प्रमाण देते हैं , देखते हैं यह वीडियो….