जब प्रकृति प्रकोप बरपाती है, तभी सच्ची करुणा अपना सर्वोच्च रूप दिखाती है। हरियाणा के हिसार जिले के बाढ़ग्रस्त गढ़ी गांव में उम्मीद लगभग डूब चुकी थी — तभी संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रारंभ की गई “अन्नपूर्णा मुहिम” के अंतर्गत प्रदान की गई अद्भुत सहायता ने वहां मानवता का उत्सव लौटा दिया। संत रामपाल जी महाराज महाराज द्वारा किए गए अद्वितीय मार्गदर्शन और परोपकार से अब सैकड़ों किसान अपनी ज़मीन, रोज़गार और जीवन फिर से संवार पा रहे हैं।
गढ़ी गांव का निराशा से राहत तक का सफर
हिसार ज़िले की हांसी तहसील में स्थित गढ़ी गांव हालिया बाढ़ में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में था। लगभग 90% कृषि भूमि जलमग्न हो गई थी, जिससे खेती पूरी तरह ठप पड़ गई और अगली फसल की बुवाई संकट में पड़ गई। सरकारी सहायता के बावजूद क्षेत्र में जलभराव की भयावह स्थिति बनी रही।

जब सारे प्रयास निष्फल होने लगे, तब ग्रामीण लोग, सरपंच और ग्राम पंचायत के अन्य सदस्य संत रामपाल जी महाराज से प्रार्थना करने के लिए पहुंचे और 14,000 फीट पाइप और 3 यूनिट मोटर (प्रत्येक 15 HP) की मांग रखी। संत रामपाल जी महाराज “अन्नपूर्णा मुहिम” के अंतर्गत बाढ़ प्रभावित इलाकों में निःस्वार्थ राहत कार्य कर रहे हैं।
अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत इस अद्भुत सहायता ने उड़ाए सबके होश
संत रामपाल जी महाराज के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में कुछ ही दिनों में गढ़ी गांव में विशाल स्तर पर राहत अभियान शुरू किया गया। राहत सामग्री न केवल शीघ्र पहुंची बल्कि भरपूर मात्रा में पहुंचाई गई — जिससे सब चकित रह गए।
संत रामपाल जी महाराज के निर्देशन में प्रदत्त राहत सामग्री:

सामग्री | मात्रा / विवरण | उद्देश्य |
हेवी-ड्यूटी मोटरें | 3 यूनिट (15 हॉर्स पावर प्रत्येक) | बाढ़ के पानी को तेज़ी से निकालने हेतु |
उच्च गुणवत्ता वाली पाइपें | 14,000 फीट (8 इंच) | खेतों से पानी की निकासी के लिए |
विद्युत व अन्य उपकरण | स्टार्टर, केबल और अन्य सामग्री | संचालन को सुरक्षित और सुचारू बनाने हेतु |
जहां ग्रामीणों ने 6 इंच पाइपों की मांग की थी, वहां संत रामपाल जी महाराज ने 8 इंच की उच्च गुणवत्ता वाली पाइपें उपलब्ध कराईं — ताकि निकासी तेज़ और प्रभावी हो सके। ऐसे समय में जब कोई आगे नहीं आया और अगली फसल तक भी न बीजने का डर सबके मन में था, सिर्फ एक प्रार्थना पर जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने भेजी सभी राहत सामग्री और बने गढ़ी गांव के मसीहा।
गढ़ी में मंगलाचरण के साथ शुरू किया गया राहत कार्य
गढ़ी गांव, तहसील हांसी, हिसार में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने राहत कार्य प्रारंभ करने से पहले मंगलाचरण किया। उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर श्रद्धालु अनुशासन और भक्ति के साथ सेवा कार्य में जुट गए। उन्होंने बाढ़ से प्रभावित परिवारों को समय पर सहायता, सहारा और उम्मीद प्रदान की।
गढ़ी से उठी कृतज्ञता की आवाज़ें
गांव के किसान और पंचायत सदस्य इस सहायता से गहराई से प्रभावित हुए।
गांव के सरपंच सज्जन कुमार ने भावुक होकर कहा —
“संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से सारी सामग्री हमें मिल गई है। अब हम गांव के अंदर भरे पानी की समस्या का समाधान कर सकेंगे।”
ग्राम पंचायत सदस्य कुलदीप सिंह ने कहा —
“हमारे खेत डूब चुके थे, उम्मीदें पानी में दफन थीं। हमने संत रामपाल जी महाराज के बारे में सुना था उनके अनुयायियों से जो हमारे गांव में आया करते थे। हमें पूरा विश्वास था कि ऐसे मानवीय कार्य को सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही कर सकते हैं।”
पानी के उतरने से, फसल फिर से बोए जाने लगेगी, घर पुनर्निर्मित हो पाएंगे – यह सब देख कर गांव में खुशी फिर से लौट आई। ग्रामीणों ने इस राहत को “उम्मीद की दीवाली” कहा — अंधकार के बाद उजाले का प्रतीक।
गढ़ी में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना
गढ़ी गांव में संत रामपाल जी महाराज ने न केवल त्वरित सहायता दी, बल्कि कार्य में जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने ग्राम पंचायत को निर्देश दिया कि दी गई मोटरें, पाइपें और तारें निर्धारित समय में पूरी तरह उपयोग हों ताकि बाढ़ का पानी पूरी तरह निकाला जा सके।
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उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि पानी समय पर नहीं निकाला गया और बुवाई का समय निकल गया, तो भविष्य में ट्रस्ट की ओर से कोई अतिरिक्त सहायता नहीं दी जाएगी।
पारदर्शिता बनाए रखने हेतु उन्होंने तीन चरणों में ड्रोन फुटेज लेने के निर्देश दिए —
- बाढ़ के समय,
- जल निकासी के बाद,
- और फसल उग जाने के पश्चात।
इन रिकॉर्डिंग्स को सतलोक आश्रमों में दिखाया जाएगा ताकि दानदाताओं को यह भरोसा रहे कि उनका सहयोग सही दिशा में उपयोग हुआ है। ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने इस पारदर्शी व्यवस्था का स्वागत किया और इसे संत रामपाल जी महाराज को यह विश्वास दिलाया कि जैसा संत रामपाल जी महाराज ने कहा है वैसा ही किया जायेगा।
मानवता सर्वोपरि: संत रामपाल जी महाराज का दृष्टिकोण
संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित अन्नपूर्णा मुहिम विश्व स्तर पर आध्यात्मिक मानवीय सेवा का उदाहरण बन चुकी है — जहाँ ईश्वरीय करुणा की दया से व्यावहारिक कार्य संभव होता है। उनकी शिक्षाएँ बताती हैं कि सच्ची भक्ति का अर्थ है — जाति, धर्म या मज़हब से परे रहकर मानवता की सेवा करना।
वर्षों से यह मुहिम देशभर में हजारों लोगों तक पहुंची है, जिसमें शामिल हैं —
- बाढ़ और आपदा राहत कार्य
- रोटी, कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और मकान वितरण अभियान
- निःशुल्क चिकित्सा एवं रक्तदान शिविर
- सामाजिक सुधार और नैतिक जीवन पर जागरूकता कार्यक्रम
गढ़ी गांव का यह अभियान दर्शाता है कि पूर्ण संत द्वारा चलाया गया सच्ची आध्यात्मिकता का मार्ग जब मानवता के काम करता है, तो समाज में चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिलते है।
प्रभाव मूल्यांकन: अलौकिक चमत्कार की कहानी
स्थानीय प्रशासनिक आकलन के अनुसार, इस राहत अभियान ने सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि को बचाया और दर्जनों किसानों के जीवन में स्थिरता लौटाई। प्रारंभिक बुवाई समय पर हो पाई, जिससे लाखों रुपये की संभावित हानि टल गई।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
- कुछ ही दिनों में संपूर्ण जल निकासी
- समय से पहले कृषि गतिविधियों की पुनः शुरुआत
- मिट्टी कटाव और फसल हानि की रोकथाम
- किसानों के आर्थिक जीवन में नई स्थिरता
यह सब केवल प्रबंधन कौशल का नहीं, बल्कि संत रामपाल जी महाराज की दयालु दृष्टि और दैवीय प्रेरणा का परिणाम है।
संत रामपाल जी महाराज की राहत मुहिम क्यों है अद्भुत
यह राहत मुहिम पूरी तरह स्वैच्छिक, निष्काम और अराजनीतिक है — न प्रचार की इच्छा, न प्रसिद्धि की चाह। इसका उद्देश्य केवल दीर्घकालिक पुनर्वास और स्थायी समाधान है।
उनका यह दृष्टिकोण भारत में मानवीय कार्यों की एक नई परिभाषा प्रस्तुत करता है — जहाँ ईश्वरीय करुणा और शक्ति की दया से वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है।
दीवाली से पहले मानवता का उत्सव
गढ़ी गांव, हिसार में संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत हुई बाढ़ राहत ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची मानवता की सेवा सर्वोपरि है। जो गांव कभी निराशा में डूबा था, आज वहाँ ख़ुशी और कृतज्ञता की ज्योति जल रही है। खेत फिर से हरे हो रहे हैं, घर सूख चुके हैं और दिल कृतज्ञता से भरे हैं।
जब ग्रामीणों से पूछा गया कि वे क्या कहना चाहते है, तो एक किसान ने कहा —
“हम इसे चुका नहीं सकते, बस जीवनभर याद रख सकते हैं।”
वास्तव में, आज के स्वार्थी युग में संत रामपाल जी महाराज ने यह प्रमाणित किया है कि जब ईश्वरीय करुणा और शक्ति साथ जुड़ जाती है, तो निराशा की बाढ़ भी आशा की लहर में बदल जाती है।