Last Updated on 22 August 2025 IST | गणेश चतुर्थी 2025 (Ganesh Chaturthi in Hindi): गणेश चतुर्थी 2025 [Hindi]: Ganesh Chaturthi पर जानिए कौन है आदि गणेश और कैसे प्राप्त करें लाभ और मोक्ष
गणेश चतुर्थी 2025 पर जाने गणेश जी के जन्म की कथा
Ganesh Chaturthi 2025: शिवपुराण के अनुसार देवी पार्वती ने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। इस प्राणी को द्वारपाल बना माता पार्वती ने स्नान से पूर्व आदेश दिया कि वह उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी अन्दर नहीं आने दें और स्नान के लिए चली गई। बालक द्वार पर खड़े होकर अपनी माता की आज्ञा का पालन करता है। तभी भगवान शंकर आते हैं और अन्दर जाने का प्रयास करते हैं लेकिन बालक उन्हें अंदर नहीं जाने देता है। भगवान शिव के बार-बार कहने पर भी बालक नहीं मानता है इससे भगवान शिव को क्रोध आ जाता है और वे अपने त्रिशूल से बालक के सिर को धड़ से अलग कर देते हैं।
जब माता पार्वती बाहर आईं तो वे बहुत दुखी हुईं। तब भगवान शिवजी ने गरुड़ जी को उत्तर दिशा में जाने के आदेश दिए एवं कहा कि जो माता अपने पुत्र की ओर पीठ करके सो रही हो उसका सिर काट लाओ। गरुड़ जी को हाथी का सिर मिला जिसे उन्होंने शिवजी को लाकर सौंप दिया। शिवजी ने उस सिर को गणेश जी के धड़ पर लगा दिया और इस तरह गणेश जी का जन्म हुआ। स्कन्द पुराण में भगवान गणेश जी के प्रादुर्भाव की कथा मौजूद है। इस कथा के अनुसार भगवान शंकर ने माता पार्वती को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था जिसके बाद गणेश जी ने अर्बुद पर्वत (वर्तमान माउंट आबू) पर जन्म लिया था। इस कारण इसे अर्धकाशी भी कहते हैं।
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी कब है?
Ganesh Chaturthi 2025 in Hindi: इस वर्ष यह त्योहार 27 अगस्त से 6 सितंबर अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। इन दिनों में पूरे देश में घर और मंदिरों में गणपति स्थापना का आयोजन एवं अन्य लोकाचार कार्य किये जाते हैं। लोकाचार यहां इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि गणेश चतुर्थी शास्त्र सम्मत विधि नहीं है।
गणेश चतुर्थी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है।
- भारतीय संस्कृति में गणेश जी को विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षा कारक, सिद्धि दायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान प्रदायी माना गया है जो कि गलत है।
- सभी देवताओं में सबसे पहला स्थान गणेश जी का ही है। लेकिन वास्तव में पहला स्थान पूर्ण परमात्मा का होता है।
- लोक परम्परा के अनुसार इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
- महाराष्ट्र में इस त्योहार को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
- आदि गणेश और गणेश में अंतर है।
- ॐ गणेशाय नमः या ॐ गण गणपतये नमः नहीं हैं फलदायी
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का इतिहास (History of Ganesh Chaturthi)
Ganesh Chaturthi 2025 in Hindi: हालांकि शास्त्रों में इसका कोई ज़िक्र नहीं है फिर भी गणेश चतुर्थी एक लंबे समय से मनाई जा रही है। गौरतलब है कि छत्रपति शिवाजी के समय से यह गणेशोत्सव मनाया जाता है। इसका उद्देश्य ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच के संघर्ष को हटाने व एकता लाने के लिए था। कुछ समय उपरांत अंग्रेजों की क्रूर नीति के तहत लोगों का एकत्र होना और अंग्रेजी शासन के खिलाफ विमर्श करना लोगों को जाग्रत करना असम्भव हो चला था।
■ Read in English | Ganesh Chaturthi: Know the Correct Way to Attain Benefits From Aadi Ganesha
महाराष्ट्र में बाल गंगाधर तिलक ने दस दिन के गणेशोत्सव की घोषणा की और इससे लोगों के एकत्रित होने और जानकारी के प्रसार के लिए मौका मिला। धार्मिक कार्य को देखते हुए अंग्रेजों ने एतराज भी नहीं किया और इस प्रकार गणेश उत्सव प्रारम्भ हो गया। धीरे धीरे इसे जश्न के रूप में बिना कारण जाने ही लोगों ने पूरे देश में मनाना शुरू कर दिया।
गणेश चतुर्थी 2025
यह उत्सव आमतौर पर 10 दिनों तक चलता है। इस साल या शनिवार, 6 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होगा। यहां कुछ मुख्य पहलू दिए गए हैं जो इस त्योहार से जुड़े हैं।
प्रतिमा स्थापना: भगवान गणेश की प्रतिमाएँ घरों और सार्वजनिक पंडालों (अस्थायी मंच) में स्थापित की जाती हैं। स्थापना मध्याह्न मुहूर्त के दौरान की जाती है, जिसे सबसे शुभ समय माना जाता है। 2025 के लिए, मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 तक है।
- अनुष्ठान और पूजा: प्रतिदिन प्रार्थनाएँ, भेंट और आरती (भक्ति गीत) की जाती हैं। भक्त मिठाइयाँ, जैसे मोदक, चढ़ाते हैं, जो भगवान गणेश के प्रिय माने जाते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे संगीत, नृत्य और नाटक आयोजित किए जाते हैं। मुंबई जैसे शहरों में, प्रसिद्ध पंडाल जैसे लालबाग राजा और सिद्धिविनायक लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं।
- सामुदायिक गतिविधियाँ: यह उत्सव सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है, जिसमें लोग एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं। इस अवधि के दौरान कई लोग दान कार्यों में भी संलग्न होते हैं।
- विसर्जन : अंतिम दिन, प्रतिमाओं को भव्य जुलूस में निकटतम जल निकायों में विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। यह भगवान गणेश के अपने दिव्य स्थान पर लौटने का प्रतीक है, जो उनके भक्तों के दुर्भाग्य को दूर ले जाता है।
Ganesh Chaturthi 2025 [Hindi] : शास्त्रानुकूल भक्ति का प्रमाण सद्ग्रन्थों में
Ganesh Chaturthi 2025: गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता किसी तत्वदर्शी संत की खोज करने को कहता है। इससे सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) भक्ति साधना एवं पूर्ण मन्त्रों का ज्ञाता नहीं है। पूर्ण मन्त्र जो मोक्षदायक हैं वे केवल एक स्थान पर सांकेतिक रूप से कहे गए हैं यानी गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में सच्चिदानंद घनब्रह्म को पाने के लिए ॐ, तत, सत मन्त्रों के जाप कहे हैं।
पवित्र गीता अध्याय 7 के श्लोक 12 से 15 में तीन गुणों ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति करना भी व्यर्थ बताया गया है। तथा इनकी भक्ति करने वाले मनुष्यों में मूढ़, नीच एवं दूषित कर्म करने वाले कहे हैं। गीता जी में भी शास्त्रों को छोड़कर किए गए मनमाने आचरण को व्यर्थ कहा है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं-
तीन गुणों की भक्ति में, ये भूल पड़ो संसार |
कहें कबीर निजनाम बिना, कैसे उतरो पार ||
अतः साधकों को चाहिए कि तीन देवों की भक्ति में न फंसे और पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर शास्त्रानुकूल भक्ति करें। पूर्ण परमात्मा की भक्ति ही मोक्ष दिला सकती है क्योंकि अन्य सभी देवी देवता जन्म-मरण के चक्र में स्वयं ही फंसे हैं। ऐसा गीता अध्याय 8 के श्लोक 16 में बताया है कि ब्रह्मलोक पर्यंत सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं। साथ ही गीता में किसी भी स्थान पर गणेश जी की भक्ति का कोई वर्णन नहीं है। इसका यह अर्थ नहीं कि भगवान गणेश आदरणीय नहीं हैं बल्कि इसका अर्थ यह है कि शास्त्रों में वर्णित विधि के अनुसार उनकी साधना की जाए एवं तत्वदर्शी सन्त से सही मन्त्र लेकर गणेश जी से लाभ लिया जाए।
कौन से मंत्र शक्तिशाली है?
Ganesh Chaturthi 2025 in Hindi: “वक्र तुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा” का हमारे शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं मिलता है। “जय गणेश जय गणेश देवा” तथा अनेक मंत्रो से गणेश जी प्रसन्न नहीं होते हैं। गणेश जी को प्रसन्न करने वाला जो वास्तविक मंत्र है वह मंत्र भी एक तत्वदर्शी संत ही दे सकता है। आप विचार करें पूरी आरती में केवल गणेश भगवान के रूप एवं गुणों का ही वर्णन है। किसी भी देव के गुणों और रंग रूप का बखान करने से उससे लाभ नहीं मिलेगा। देवता से लाभ लेने की तकनीक शास्त्रों में नाम स्मरण की बताई है। केवल वे मन्त्र जो शास्त्रों में कहे गए हैं वही किसी तत्वदर्शी सन्त से लेकर जाप करने से सभी देवता अपने स्तर का लाभ साधक को तुरंत देने लगते हैं।
कौन है आदि गणेश?
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश मतलब होता है गणों का ईश। वास्तव में सभी गणों के ईश परमेश्वर कबीर साहेब हैं। इसलिए ही उन्हें आदि गणेश कहा गया है। सभी देवताओं की उत्पत्ति व संसार की उत्पत्ति कबीर साहेब के द्वारा ही हुई है वे ही सभी आत्माओं के जनक हैं। कबीर साहेब की प्राप्ति शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना से ही होती है।
कबीर साहेब आदिकाल से हैं। भगवान ज्योति निरजंन (दुर्गा के पति एवं तीनो देवो के पिता), माता दुर्गा, शिव, ब्रह्मा विष्णु व गणेश जी का जन्म तो बहुत बाद में हुआ। कबीर साहेब सब के जनक हैं। कबीर साहेब आदि, अजर, अमर, अविनाशी, सर्वोच्च, सर्वशक्तिमान, दयालु, सुखसागर हैं। वही परमेश्वर हैं एवं सबके पालन कर्ता हैं। कबीर साहेब को वेदों में कविर्देव कहकर संबोधित किया गया है।
तत्वदर्शी संत की पहचान
पवित्र गीता जी के ज्ञान को समझने पर यह स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा की भक्ति की सही विधि गीता ज्ञान दाता को भी नहीं पता अतः उन्होंने तत्वदर्शी संत की खोज करने के लिए कहा। वास्तव में तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से लेकर 4 और 16 व 17 में बताई गई है। यजुर्वेद, अध्याय 19 मन्त्र 25, 26,30; सामवेद संख्या 822 उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड 5 श्लोक 8 आदि में भी पूर्ण सन्त की पहचान दी गई है।
पूर्ण संत की पहचान है कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा, अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा। पूर्ण संत सभी धर्मों की पवित्र पुस्तकों के आधार पर तत्व ज्ञान देगा। आज का समुदाय शिक्षित है एवं वह स्वयं अपने ग्रन्थ खोलकर देख सकता है उसे मूर्ख नहीं बनाया जा सकता किन्तु वह अपने मानव जन्म के प्रति स्वयं जागरूक न होकर एवं बिना सर पैर की परंपरागत साधना करते हुए अपनी मूर्खता का परिचय अवश्य दे रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी से लीजिए वास्तविक आध्यात्मिक शिक्षा
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की बताई हुई शास्त्र विधि अनुसार मंत्र साधना करने से साधक पूरा लाभ ले सकते हैं। सभी सांसारिक दुखों से छुटकारा पाकर सुखों को अनुभव करते हुए पूर्ण मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। याद रहे कि एक समय में पूर्ण तत्वदर्शी सन्त पूरे ब्रह्मांड में एक ही होता है। वह पूर्ण परमेश्वर का नुमाइंदा या स्वयं पूर्ण परमेश्वर होता है।
पूरी आध्यात्मिक जानकारी के लिए अवश्य सुनें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल। साथ ही देखे साधना चैनल प्रतिदिन शाम 7:30 से 8.30 बजे; श्रद्धा चैनल प्रतिदिन दोपहर 2:00 से 3:00 बजे पर सत्संग। सत भक्ति व मोक्ष प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करें। जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए कृपया यह फॉर्म भरें
FAQ About Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी)
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को है।
गणेश विसर्जन 6 सितंबर 2025 को किया जाएगा।
गणेश चतुर्थी प्रत्येक वर्ष माघ महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।
गणेश जी की दो पत्नियाँ रिद्धि और सिद्धि हैं जोकि ब्रह्मा जी की पुत्रियाँ हैं।
आदि गणेश पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब हैं जिन्हें वेदों में कविर्देव कहा गया है।