November 2, 2024

155वीं गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) पर जानिए वर्तमान में कौन है सत्य व अहिंसा का मार्गदर्शक?

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Last Updated on 1 October 2024 IST | गांधी जयंती 2024 (Gandhi Jayanti in Hindi) | भारत संतों, महापुरूषों और देशभक्तों की जन्मभूमि है। भारत विलक्षण प्रतिभा के लोगों की कर्मभूमि भी है। जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तो भारत को आज़ाद करवाने में देश के प्रत्येक वर्ग ने अपने अपने तरीके से योगदान दिया, उन्हीं में से एक थे महात्मा गांधी जी। 2 अक्टूबर, 2024 को देश महात्मा गांधी जी की 155वीं जयंती मना रहा है। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी को लोग प्रेम और सम्मानपूर्वक कई नामों से संबोधित करते हैं जैसे महात्मा गांधी, बापू और राष्ट्रपिता। तो आइए जानते हैं गांधी जी से जुड़ी कुछ मुख्य बातें, उनके विचार और उनका जीवन परिचय।

Table of Contents

गांधी जयंती 2024 (Gandhi Jayanti): महात्मा गांधी जी का संक्षिप्त जीवन परिचय

महात्मा गांधी जी का भारत को आज़ादी दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्र हितैषी, सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आज़ाद कराने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के तटीय क्षेत्र पोरबंदर में हुआ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी (M.K. Gandhi) था। उनके पिता जी का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी एवं माता जी का नाम पुतलीबाई गांधी था।

Gandhi Jayanti in Hindi [Hindi] | महात्मा गांधी जी की धर्मपत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी एवं उनके चार पुत्रों का नाम हरीलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी और मणिलाल गांधी था। गांधी जी ने अपना अधिकतर जीवन साबरमती आश्रम में बिताया और वह धोती व सूत से बनी शाल पहना करते थे जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। वह सादा शाकाहारी भोजन खाया करते थे और आत्मशुद्धि के लिये उपवास भी रखते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे गोपाल कृष्ण गोखले महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने गांधी जी को देश के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। वो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे। बचपन से ही गांधी जी की अध्यात्म को जानने में रुचि थी जिस कारण राजचन्द्र जी को उन्होंने अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया।

Gandhi Jayanti in Hindi | पर महात्मा गांधी जी के प्रारम्भिक जीवन से लेकर अंतिम सफ़र तक का विवरण

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन पोरबंदर में ही बीता। प्राथमिक पाठशाला से उनकी पढ़ाई प्रारंभ हुई। वह पाठशाला उनके घर के पास ही थी। जब मोहन के पिता पोरबंदर से राजकोट रियासत के दीवान बनकर गए तब उनके साथ महात्मा गांधी जी भी गए। 12 वर्ष का होने तक उनकी पढ़ाई राजकोट की पाठशाला में ही हुई। गांधी जी में बाल्यकाल से ही सत्य के प्रति निष्ठा थी एवं वे सात्विक विचारों से ओतप्रोत थे। अपने विद्यार्थी जीवन में उन्होंने अपने गुरुओं से एक बार भी झूठ नहीं बोला। सत्य का उन्होंने अपने जीवन में एक मंत्र की तरह पालन किया। उस समय बालविवाह प्रचलन में था। महात्मा गांधी जब 13 वर्ष के हुए तब उनका विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबा से कर दिया गया।

Gandhi Jayanti in Hindi | आगे की शिक्षा पोरबंदर में शुरू हुई। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल और राजकोट से हाई स्कूल किया। दोनों परीक्षाओं में शैक्षणिक स्तर पर वह एक साधारण छात्र रहे। मैट्रिक के बाद की परीक्षा उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज से कुछ समस्या के साथ उत्तीर्ण की। जब तक वे वहाँ रहे अप्रसन्न ही रहे क्योंकि उनका परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था। अपने 19वें जन्मदिन से लगभग एक महीने पहले 4 सितम्बर 1888 को गांधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारम्भ की। 

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गांधी जयंती 2024 [Hindi]: ‘सत्य के प्रयोग’ महात्मा गांधी द्वारा लिखी वह पुस्तक है, जिसे उनकी आत्मकथा का दर्जा हासिल है। गांधी जी ने यह पुस्तक मूल रूप से गुजराती में लिखी थी। इस पुस्तक का लेखन बीसवीं शताब्दी में सत्य, अहिंसा और ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया गया था। गांधी जी ने 29 नवंबर, 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी, 1929 को यह किताब पूरी हुई थी। इस पुस्तक के हिंदी में भी अनुवाद किए जा चुके हैं।

दक्षिण अफ्रीका (1893-1914) में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन

गांधी जी का सामाजिक जीवन दक्षिण अफ़्रीका में प्रारम्भ हुआ वहाँ उन्होंने भारतीयों की खूब सहायता की। सबसे पहले गांधी जी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना आरम्भ किया। 1915 में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, श्रमिकों और नगरीय श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिये एकजुट किया। अंग्रेजों ने गांधी जी को सार्वजनिक सेवा के लिए 1915 में ‘केसर-ए-हिंद’ की उपाधि भी प्रदान की। 

गांधी जयंती पर जाने गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलन के बारे में

  1. चंपारण सत्याग्रह : बिहार के चंपारण से महात्मा गांधी के नेतृत्व में यह पहला सत्याग्रह था। 1917 में बिहार के चंपारण पहुंचकर खाद्यान के बजाय नील एवं अन्य नकदी फसलों की खेती के लिए बाध्य किए जाने वाले किसानों के समर्थन में सत्याग्रह किया।
  2. असहयोग आंदोलन : रॉलेट सत्याग्रह की सफलता के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन चलाया। 1 अगस्त 1920 को शुरू हुए इस आंदोलन के तहत लोगों से अपील की गई कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग जताने के लिए स्कूल, कॉलेज, न्यायालय न जाएं और न ही कर चुकाएं।
  3. नमक सत्याग्रह : इस आंदोलन को दांडी सत्याग्रह भी कहा जाता है। नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला।
  4. दलित आंदोलन : 1932 में गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और इसके बाद 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। ‘हरिजन’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन करते हुए हरिजन आंदोलन में मदद के लिए 21 दिन का उपवास किया।
  5. भारत छोड़ो आंदोलन :  ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ यह गांधी जी का तीसरा बड़ा आंदोलन था। 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बंबई सत्र में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया। हालांकि, इसके तुरंत बाद गिरफ्तार हुए, पर युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के जरिए आंदोलन चलाते रहे।

गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की।

जब सारा हिंदुस्तान कहने लगा गांधी को राष्ट्रपिता

Gandhi Jayanti in Hindi [2024] | 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से प्रसारित एक सन्देश में महात्मा गांधी को सर्वप्रथम ‘राष्ट्रपिता’ कह कर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। तब से उन्हें सभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहने लगे। 

सत्य व अहिंसा के पुजारी थे गांधी जी

Gandhi Jayanti in Hindi [2024]| आज हम आज़ाद भारत में सांस ले रहे हैं परंतु यह आज़ादी हमें इतनी आसानी से नहीं मिली है इसके लिए हजारों लोग शहीद हुए हैं, हजारों माताओं ने अपने लाल कुर्बान किए और बहनों ने अपने भाई, पिता ने अपने बेटे और पत्नी ने अपना सिंदूर मिटाया है। भारत को अंग्रेजों की हुकूमत से 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली थी। यहाँ लोग अलग-अलग विचार धाराओं में बटें हुए थे। जिनमें एक तरफ तो वे लोग थे जो आज़ादी को अपनी ताकत के दम पर हासिल करना चाहते थे तो वहीं कुछ अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आज़ादी पाना चाहते थे। इन्हीं अहिंसावादी लोगों में से एक थे महात्मा गांधी। 78 वर्षीय महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर की थी। वे रोज शाम को वहां प्रार्थना किया करते थे। नाथूराम गांधी जी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से नफ़रत करता था। नाथूराम हिंदी अख़बार ‘हिंदू राष्ट्र’ का संपादक था।

महात्मा गांधी जी के मुख से निकले अंतिम शब्द “हे राम” कहे जाने की घटना 30 जनवरी 1948 की है, जब उन्हें दिल्ली के बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी। गोली लगने के तुरंत बाद गांधी जी ज़मीन पर गिर पड़े और उनके मुख से “हे राम” निकला, जो उनके परमात्मा के प्रति आस्था और विश्वास को दर्शाता है। गांधी जी हमेशा राम के भक्त थे और अक्सर उनका नाम जपते थे, इसलिए उनके अंतिम क्षणों में “हे राम” उनके आध्यात्मिकता और ईश्वर के प्रति समर्पण को व्यक्त करता है।

Gandhi Jayanti 2024 (गांधी जयंती) जानिए महात्मा गांधी जी के तीन बन्दर प्रतीकों की वर्तमान में प्रासंगिकता

गांधी जी के तीन आदर्शवादी बंदर थे, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो। ये आदर्श वर्तमान में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। आइए जानते हैं-

बुरा मत देखो – एक बन्दर ने अपने दोनों हाथों से आँखों को ढक रखा है। इस बन्दर के माध्यम से बुरा न देखने की शिक्षा दी गई है। आज हमें परमात्मा ने जो आधुनिक तकनीक दी है उसका हमें दुरुपयोग नहीं करना चाहिए बल्कि सदुपयोग करना चाहिए। बुरा देखते हुए अपना समय बर्बाद करती युवा पीढ़ी स्वयं बर्बाद हो रही है।

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उदाहरण के लिए हमें परमात्मा ने मोबाइल, इंटरनेट जैसी अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाएं फिल्में, अश्लीलता, क्रिकेट, यूट्यूब, इंस्टाग्राम ट्वीटर और फेसबुक चलाने और मात्र मनोरंजन देखने के लिए नहीं दिए हैं। बल्कि ये तकनीक और शिक्षा ज्ञान अर्जन के लिए उपयोग की जानी चाहिए। आज हम परमात्मा की ही दया से शिक्षित हुए हैं अत: हमें आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के लिए ये तकनीक परमात्मा ने दी है ताकि इसके माध्यम से हम सत्संग सुनें, परमात्मा की खोज करें, परमात्मा को पहचानें और मोक्ष प्राप्त करें।

बुरा मत सुनो – दूसरे बन्दर ने अपने दोनों हाथों से दोनों कान ढंक रखे हैं। इसका अर्थ है हमें बुरा नहीं सुनना चाहिए। हमें अच्छी संगत करनी चाहिए। पूर्ण गुरु की तलाश करनी चाहिए और उनके ज्ञान को सुनना चाहिए। केवल मनोरंजन करने, आजीविका कमाने और राजनीतिक निंदा करना परमात्मा द्वारा दी गई इन इंद्रियों का अपमान है। सभी को पूर्ण संत के सत्संग वचनों को सुनना चाहिए।

बुरा मत बोलो – तीसरे बन्दर ने दोनों हाथों को अपने मुँह पर रखा हुआ है। इसका अर्थ है कि किसी को भी अपशब्द, निंदा, असत्य नहीं कहना चाहिए। किसी को भी अपनी वाणी से आघात न पहुंचे ऐसा व्यवहार करना चाहिए। सदा सत्य बोलना चाहिए झूठ नहीं।

परमात्मा कबीर साहेब जी कहते हैं

कबीर, ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय |

औरन को शीतल करै, आपुहिं शीतल होय ||

Gandhi Jayanti in Hindi: लेकिन जीव यानी मनुष्य यह जानने के बावजूद कि क्या उचित है और क्या अनुचित अपने मन माफिक कार्य करता रहता है। निंदा रस में उसे आनन्द आता है। निंदा करने और सुनने दोनों में रुचि होती है। सत्संग या अच्छे विचारों से लोग ऊब जाते हैं। बिना फिल्मों के लोगों का समय नहीं कटता। राजनीति करने में उन्हें मज़ा आता है। आत्मा जानती है कि क्या सही है और क्या गलत भले ही कुतर्क देकर उन्हें सही साबित किया जाए। यह सभी बुराइयाँ पूर्ण गुरु यानी तत्वदर्शी सन्त अपने सतज्ञान से छुड़वा सकता है, सच्चे संत की शरण में जाने से सर्व सुख मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त सत्य वाचन, स्वावलंबन, अंहिसा गांधी जी द्वारा सिखाये महत्वपूर्ण पाठों में से हैं। गांधी जी ने समय व संसाधनों की बचत की ओर ज़ोर भी दिया था।

1. “आप जो परिवर्तन दुनिया में देखना चाहते हैं, वह स्वयं बनें।”

इसका तात्पर्य यह है कि यदि हम समाज या दुनिया में किसी बदलाव की उम्मीद करते हैं, तो पहले हमें स्वयं उस बदलाव का हिस्सा बनना होगा।

2. “जहां प्रेम है, वहां जीवन है।”

गांधी जी प्रेम को जीवन का मूल आधार मानते थे। उनका मानना था कि प्रेम से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

3. “अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।”

गांधी जी का जीवन और उनका आंदोलन अहिंसा पर आधारित था। उन्होंने हिंसा को किसी भी समस्या का समाधान नहीं माना।

4. “विश्वास को हमेशा तर्क से जोड़ा जाना चाहिए। जब विश्वास अंधा हो जाता है, तो वह मर जाता है।”

गांधी जी का मानना था कि विश्वास तर्कसंगत होना चाहिए। अंधविश्वास से व्यक्ति और समाज दोनों का पतन होता है।

5.”स्वयं को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो देना।”

गांधी जी का मानना था कि दूसरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करके ही व्यक्ति सच्चे अर्थों में अपने जीवन का उद्देश्य प्राप्त कर सकता है।

गांधी जयंती (Gandhi Jayanti in Hindi) पर जानिए गुरु बनाना क्यों ज़रूरी है?

महात्मा गांधी जी ने मोक्ष प्राप्ति के लिए कई व्रत भी किए और उन्होंने राजचंद्र जी को अपना गुरु बनाया। गांधी जी सत्य के पुजारी थे एवं उन्होंने ‘सत्य के प्रयोग’ नामक पुस्तक भी लिखी जिसमें सत्य के साथ अपने अनुभवों को साझा किया।

संसार में यदि कोई अच्छे कार्य करता है तो उन कार्यों से उसके पुण्य में बढ़ोतरी होती है और उन पुण्य के फलस्वरुप वह कुछ समय के लिए स्वर्ग में प्रवेश पा जाता है। साथ ही साथ अच्छे कार्यों के कारण उसकी संसार में भी कीर्ति बढ़ती है और यहां भी लोग उसका सम्मान करते हैं। यहां पर उसकी मूर्तियां बनाई जाती है जिन पर साल में एक दो बार मालाएं चढ़ाई जाती है लेकिन सद्भक्ति नहीं मिलने के कारण ऐसी पुण्यकर्मी आत्माएं भी स्वर्ग में अपने पुण्य को खत्म होने पर पृथ्वी पर आकर 84 लाख योनियों में शरीर धारण करती है और फिर ऐसा हो सकता है कि वह पुण्यात्मा अन्य शरीर धारण करके अपने ही मूर्ति के ऊपर बैठकर उसको गंदा करें।

संतों के सत्संग में जाने से जीव को उसके वास्तविक कर्मों की जानकारी मिलती है जिन्हें कर कर वह पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकता है तथा सतलोक चला जाता है जहां जाने के बाद उसका दोबारा जन्म मृत्यु नहीं होता और उसे वास्तविक कीर्ति या यश की प्राप्ति होती है।

सतगुरु मिले तो इच्छा मेटै, पद मिल पदै समाना |

चल हंसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना ||

गुरु बनाना जरूरी होता है गुरु के बिना ज्ञान भी नहीं हो सकता। गुरु के बिना जीवन अधूरा है क्योंकि गुरु के बिना शास्त्रों को भी समझना नामुमकिन है।

कबीर साहिब जी कहते हैं

कबीर, गुरु गोविंद दोनों खड़े, किसके लागूं पाय|

बलिहारी गुरु आपने गोविंद दिया मिलाय ||

गांधी जयंती पर जानिए कौन है वह तत्वदर्शी सन्त जो सभी बुराइयाँ छुड़वा सकता है

पूर्ण संत कौन है जिसकी शरण में जाने से हर तरह की बुराई छूट जाती है? आईये जानें हमारे धर्म ग्रन्थों में से उस पूर्ण संत की क्या पहचान बताई है?

  • श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञानदाता ने अर्जुन को तत्वदर्शी सन्त की खोज कर उसकी शरण में जाने के लिए कहा है। तत्वदर्शी सन्त की पहचान गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 तथा श्लोक 16 व 17 में प्रमाण है कि जो संत उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष के सभी हिस्सों को समझा देगा, वही पूर्ण संत है। वह तत्व को जानने वाला है। वह पूर्ण संत इस वृक्ष के सभी भागों के बारे में जानता है।

कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार |

तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार ||

  • कबीर साहेब जी ने धर्मदास जी को बताया था कि मेरा संत सतभक्ति बतायेगा लेकिन सभी संत व महंत उसके साथ झगड़ा करेंगे। यही सच्चे संत की पहचान होगी।

जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभी राड़ बढ़ावै |

या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी ||

  • यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25 व 26 में लिखा है कि तत्वदर्शी सन्त वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के सभी देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत है।
  • श्रीमद्भागवत गीता में अध्याय 17 के श्लोक 23 में तीन सांकेतिक मन्त्र “ओम,तत्, सत्” का प्रमाण है। श्रीमद्भागवत गीता में गीता ज्ञान दाता कहता है कि उस परमात्मा को प्राप्त करने के लिए तीन मंत्रों का होना आवश्यक है। गीता ज्ञान दाता कहता है कि तू सच्चे संत की तलाश करके उससे इन मंत्रों को हासिल कर और अपना कल्याण करवा।
  • श्री गुरु नानक जी अपनी वाणी द्वारा समाझाना चाहते हैं कि पूरा सतगुरु वही है जो दो अक्षर के जाप के बारे में जानता है।
  • सतगुरु गरीबदास जी ने भी अपनी वाणी में कहा कि वो सच्चा संत चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।

गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद |

चार बेद, षट शास्त्र, कह अठारह बोध ||

वर्तमान में पूर्ण संत कौन हैं?

पूर्ण गुरु या संत कौन है? वर्तमान में इस पृथ्वी पर एकमात्र तत्वदर्शी व पूर्ण संत “सन्त रामपाल जी महाराज जी” हैं। केवल यही ऐसे एकमात्र गुरु और सन्त हैं जिन्होंने सतज्ञान के माध्यम से लोगों को काल के जाल से बचाया है केवल वही ऐसे सन्त हैं जिनकी शरण में आने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती। संत रामपाल जी के सान्निध्य में भारत विश्वगुरु बनेगा और धरती स्वर्ग समान बनेगी। भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगा। आपस के मतभेद, जाति पाति, धन की भूख, राजनीतिक कलह, आतंकवाद सब पाप मिट जाएंगे। वर्तमान में पूर्ण गुरु व तत्वदर्शी संत, सन्त रामपाल जी महाराज जी हैं। ये वही सन्त हैं जिनके विषय में पवित्र गीता में भी संकेत दिया गया है। तत्वज्ञान एवं सतभक्ति प्राप्त करने के लिए अविलंब जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल महाराज जी से निःशुल्क नामदीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग सुने।

FAQs About Gandhi Jayanti in Hindi

प्रश्न:- गांधी जयंती कब मनाई जाती है?

उत्तर- गांधी जयंती प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।

प्रश्न:- गांधी जी का पूरा नाम क्या था?

उत्तर:- गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

प्रश्न:- गांधी जी ने अपना अधिकतर जीवन कहाँ बिताया?

उत्तर:- गांधी जी ने अपना अधिकतर जीवन साबरमती आश्रम में बिताया।

प्रश्न:- महात्मा गांधी को आज भी किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर:- आज भी महात्मा गांधी को बापू और राष्ट्रपिता के नाम से सम्बोधित किया जाता है।

प्रश्न:- गांधी जी के तीन प्रमुख विचार क्या थे?

उत्तर:- गांधी जी के तीन प्रमुख विचार थे:- बुरा मत बोलो, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो

प्रश्न:- गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या भूमिका निभाई?

उत्तर:- स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी की अहम भूमिका थी। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करते हुए अंग्रेज़ों को अहिंसात्मक तरीके से भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

प्रश्न:- गांधी जी की हत्या कब हुई?

उत्तर:- गांधी जी की हत्या 78 वर्ष की उम्र में 30 जनवरी 1948 को हुई।

प्रश्न:- गांधी जी की हत्या किसने की थी?

उत्तर:  नाथूराम विनायक गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या की थी।

प्रश्न:- नाथूराम विनायक गोडसे कौन थे?

उत्तर:- नाथूराम विनायक गोडसे हिंदी अख़बार ‘हिंदू राष्ट्र’ का संपादक था जो गांधी जी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से नफ़रत करता था।

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