April 17, 2025

Gama Pehlwan [Hindi] | रुस्तम-ए-हिन्द गामा पहलवान आखिर किस महत्वपूर्ण उपलब्धि से चूक गए?

Published on

spot_img

Gama Pehlwan | हिंदुस्तान में वैसे तो बड़े-बड़े दिग्गज पहलवान हुए हैं। लेकिन जो मुकाम और रुतबा 5 फिट 8 इंच के पहलवान ने हासिल किया है। वह शायद ही वर्तमान में कोई कर पाएं। 1200 किलो का पत्थर उठाने वाले दुनियां के सबसे मशहूर और फौलादी पहलवान ‘गामा पहलवान’ है। जिसे पूरी दुनिया “रुस्तम-ए-हिन्द” के नाम से जानती है। छोटी सी उम्र में वह जिस भी अखाड़े में कुस्ती लड़ने गए। वहा अपने छोटे कद और बेबुनियादी ताकत से जीत हासिल की। जिनकी ताकत का पूरी दुनिया आज भी लोहा मानती हैं। आइए जानते हैं इनके जीवन की घटनाएं और आखिर क्या थी इनकी ताकत की असली वजह इसके साथ यह भी जानेंगे कि संपूर्ण पृथ्वी पर भी विजय प्राप्त कर लेने पर भी मानव की विजयश्री की माला पहनने की चाह कब समाप्त होगी। तथा मानव का पूर्ण मोक्ष कब होगा? पढ़िए पूरी ख़बर…

Gama Pehlwan [Hindi]: मुख्य बिंदू

  • 1902 में पहलवान गामा ने 1200 किलो का पत्थर उठा लिया था।
  • Bruce Lee भी उनके प्रशंसकों में से एक थे।
  • पहलवान गामा प्रतिदिन 10 लीटर दूध की खुराक लेता था। 
  • फरवरी 1929 में द ग्रेट गामा ने जेसी पीटरसन को डेढ़ मिनट में पछाड़ दिया।
  • 1940 में हैदराबाद के निज़ाम के कहने पर फौलादी पहलवान गामा ने उनके 20 पहलवानों को हरा दिया था।
  • 1947 में विभाजन के बाद गामा पाकिस्तान चले गए थे।
  • 1952 में सेनानिवृत होने के बाद कोई भी गामा पहलवान को पराजित नहीं कर पाया।
  • ‘नेशनल इस्टीटूयट ऑफ़ स्पोर्टस’ पटियाला में एक 95 किलोग्राम डोनट आकार का चक्र रखा हुआ है। जिसे गामा अपने कसरत के समय प्रयोग करते थे।

पहलवान गामा का जीवन परिचय 

एक ऐसा पहलवान जो दुनिया में कभी किसी भी पहलवान से नहीं हारा, आज उस मशहूर पहलवान ‘द ग्रेट गामा’ का गूगल ने 144वां जन्मदिन डूडल बनाकर मनाया। ‘द ग्रेट गामा’ का जन्म 22 मई 1878 को जब्बोवाल (अमृतसर) में हुआ था। बचपन में इनका नाम गुलाम मुहम्मद बख्श दत्त था। इनके पिता मुहम्मद अजीज़ बख्श भी पहलवान थे जो दतिया के तत्कालीन महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुस्ती लड़ा करते थे। पहलवानों के परिवार में पले बढ़े गामा को पहलवानी विरासत में मिली थी। कुस्ती की दुनियां में गामा ने कम उम्र में ही बड़ी प्रसिद्धि हासिल कर ली थी। 

144वे जन्मदिन पर गुगल ने डूडल बनाकर किया सम्मानित

गामा पहलवान के 144वे जन्मदिन के उपलक्ष्य में गुगल ने एक डूडल बनाकर द ग्रेट गामा टाइगर को सम्मानित किया। गुगल ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर उनका सम्मान किया। 

Gama Pehlwan: 10 वर्ष की आयु में शुरू की थी पहलवानी

अपने पिता मुहम्मद अजीज़ बख्श के देहांत के बाद गामा ने अपने नाना और मामा से कुस्ती लड़ना सीखना शुरू किया। छोटी आयु में उन्होंने अखाड़े में दाव-पेंच आजमाने शुरू कर दिए। जब गामा पहलवान दुनिया के सामने आए, तब तक उनकी आयु 10 वर्ष की थी। जब 1888 में जोधपुर में सबसे ताकतवर शख्स की खोज के लिए एक प्रतियोगिता रखी गई थी। तब 400 पहलवान ने भी हिस्सा लिया था। 

Also Read | Rosa Bonheur Google Doodle: कौन थी रोजा बोनहेउर, जिन्हें गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

जिसमे गामा अंतिम 15 में शामिल थे। इससे जोधपुर के राजा गामा के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित हुए और उन्हे विजेता घोषित कर दिया।  इसके बाद गामा पहलवान ने जिन भी दिग्गज पहलवानों के खिलाफ़ कुस्ती लड़ी, उनको मिनटों में धूल चटाई। गामा ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी जीत का परचम लहराया। ‘द ग्रेट गामा’ अपने जीवन काल में अपराजित रहे। उन्हें कोई हरा नहीं पाएं।

‘द ग्रेट गामा’ पहलवान की फौलादी ताकत का राज़

गामा प्रतिदिन 10 लीटर दूध, आधा किलो घी, काजू बादाम खुराक में लेते थे। प्रतिदिन 40 पहलवानों के साथ अखाड़ा में कुश्ती किया करते थे। गामा एक दिन में 5000 उठक-बैठक (squats) और 3000 दंड (pushups) किया करते थे। गामा 80 किलो वजन की हंसली को गले में लटकाकर उठक बैठक करते थे।

गामा पहलवान का एक दुर्लभ कारनामा 

साल 1902 में गामा पहलवान (Gama Pehlwan) ने दुनिया के सामने एक दुर्लभ कारनामा कर दिखाया। जो शायद ही आज के पहलवान कर पाए। द ग्रेट गामा ने अपनी बाजुओं की फौलादी ताकत से 1200 किलो का पत्थर उठाकर कुछ दूरी पर ले जाकर पटक दिया था। जिसे बड़ौदा के म्यूजियम में रखा गया है।

गामा (Gama Pehlwan) की सुल्तानीवाला को चुनौती

गामा पहलवान ने वर्ष 1895 में रहिम बख्श सुल्तानीवाला(तत्कालीन भारतीय कुस्ती चैंपियन) को चुनौती दे डाली थी। तब उनकी आयु 17 वर्ष की थी। सुल्तानीवाला की ऊंचाई 6 फिट 9 इंच  तथा उनके पास एक शानदार रिकॉर्ड भी था और गामा पहलवान की ऊंचाई 5 फिट 8 इंच थी। दोनो में चार बार मुकाबला हुआ लेकिन गामा पहलवान का वह कुछ बिगाड़ न पाया।

Gama Pehlwan: गामा ने दी देश-विदेश के पहलवानों को चुनौती

  • 1910 में गामा ने उन सभी भारतीय पहलवानों को हराया था जिन्होंने उन्हें चुनौती दी थी। जिसमे- दतिया के गुलाम मुहुद्दीन, भोपाल के प्रताप सिंह, इंदौर के अलीबाबा सेन, मुल्तान के हसन बख्श आदि थे।
  • गामा ने स्टैनिसलॉस जबिश्को और फ्रैंक गॉच को विशेष रूप से चुनौती दी और कहा कि या तो वह उनसे मुकाबला करें या फिर उन्हें पुरस्कार राशि दें। यह चुनौती पहली बार अमेरिका के पहलवान ‘बैंजामिन रोलर’ ने स्वीकार की। गामा ने रोलर को 1 मिनट 40 सेकेण्ड में धूल चटा दी। और फिर दोबारा गामा और रोलर के बीच हुआ मुकाबला, जिसमें रोलर 9 मिनट 10 सेकेण्ड ही टिक सका। अगले दिन गामा ने 12 पहलवानों को हराकर आधिकारिक टूर्नामेंट में प्रवेश प्राप्त किया।
  • 10 सितंबर 1910 को, लंदन में गामा ने विश्व चैंपियन ‘स्टेनिस्लस ज़िबेस्को’ को चुनौती दे डाली। मैच £250 (₹22000) पुरस्कार राशि के लिए था। लगभग तीन घंटों तक कुश्ती होने के बाद ज़िबेस्को और गामा के बीच यह मुकाबल ड्रा हो गया। दूसरे दिन, जब ज़िबेस्को और गामा के बीच मुकाबला होना था, तो ज़िबेस्को डर के मारे मैदान में ही नहीं आया और फिर गामा को विजेता घोषित कर दिया गया।
  • जनवरी 1928 में पटियाला में जिबिस्को से मुकाबला हुआ था। जिसे गामा पहलवान ने 1 मिनिट में हरा दिया था। मुकाबले के बाद ज़िबेस्को ने गामा को “टाइगर” के रूप में संबोधित किया। पहलवान गामा ने पश्चिमी देशों के प्रतिष्ठित पहलवानों को हराया। जैसे कि- फ्रांस के “मॉरिस देरिज़, संयुक्त राज्य अमेरिका के डॉक” बेंजामिन रोलर, स्वीडन के जॅसी पीटरसन (विश्व चैंपियन) और स्विट्जरलैंड के जोहान लेम (यूरोपियन चैंपियन)। बेंजामिन रोलर को भी गामा ने 15 मिनट में 13 बार छक्के छुड़ा दिए थे।
  • गामा ने उन लोगों के लिए एक चुनौती जारी की जो “विश्व चैंपियन” के शीर्षक का दावा करते थे। जिसमें जापानी जूडो पहलवान ‘तारो मियाकी’, रूस का ‘जॉर्ज हॅकेन्शमित’, अमरीका का ‘फ़ॅन्क गॉश’ भी सम्मिलित रहे। लेकिन किसी ने निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया।
  • इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद गामा और रहीम बख्श सुल्तानीवाला के बीच इलाहाबाद में कुश्ती हुई। यह कुश्ती काफ़ी देर तक चली और गामा ने इस कुश्ती को जीतकर रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब प्राप्त किया। तब से उन्हें कोई पराजित नहीं कर पाया।

मांस, मदिरा सेवन से महापाप के अधिकारी बनते है मोक्ष के नहीं

मनुष्य अपने बाहुबल पर पूरी दुनिया पर विजय क्यों न प्राप्त कर ले लेकिन मृत्यु पर विजय प्राप्त नही कर सकता। सत भक्ति किए बगैर जीव का मोक्ष नहीं हो सकता और यह मांस, मदिरा सेवन करने व दुराचार करने वाले राक्षस स्वभाव के है। यह मोक्ष के अधिकारी नही है।

अपने समय के बाहुबली पहलवान “लंका पति रावण” के साथ क्या बीती?

लंका पति रावण ने अपने बाहुबल से सर्व सोने की लंका बना ली थी। वहा की मिट्टी भी सोने की बना ली थी। रावण एक समय में सौ झोटों (नर भैंस) का माँस तथा सौ मटके शराब के पीता था। रावण का भाई कुंभकरण, पुत्र मेघनाद तथा एक लख नाती आदि-आदि अनेकों झोटों का माँस खाते थे। रावण ने अपने बल, शक्ति से तेतीस करोड़ देवताओं को अपनी कैद में बाँधकर डाल रखा था। लेकिन जब अंत समय आया तब मृत्यु को टाल न सका।

यही स्थिति गामा पहलवान का हुआ था। प्रतिदिन 6 देशी मुर्गे, 10 लीटर दूध, 100 रोटियां, आधा किलो घी, काजू बादाम आदि खाता था। शरीर का वजन 113 किलो था। लेकिन अंत समय जब आया तब न शरीर काम आया न बाहुबल, उनकी मृत्यु 1960 के दशक में लंबे समय तक बीमार रहने से हुई। 

संत रामपाल जी द्वारा बताई भक्ति से ही मोक्ष संभव है

आज वर्तमान में जगतगुर तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई शास्त्रानुकूल सतभक्ति से लोग सर्व बुराई स्वयं ही त्याग रहे है। संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई शराब, मांस, बीड़ी सिगरेट सुल्फा, चरस, अफ़ीम, भांग, धतूरा, गांजा आदि नशीली वस्तुओं को छूना तो दूर किसी को लाकर भी नहीं देते वह चोरी, जारी, रिश्वतखोरी से दूर रहते हैं तथा एक नेक जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 

सर्व मानव समाज से प्रार्थना है अविलंब संत रामपाल जी महाराज की शरण में आएं। सर्व बुराई से मुक्त होकर अपना और अपने परिवार का कल्याण करवाए। अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर विजिट करें।

Latest articles

Good Friday 2025: Know About the God who Enlightened Jesus on this Good Friday

Last Updated on 17 April 2025 IST: Good Friday is the day observed by...

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...

Preserving Our Past, Protecting Our Future: World Heritage Day 2025

Last Updated on 13 April 2025 IST: Every year on April 18, people commemorate...
spot_img

More like this

Good Friday 2025: Know About the God who Enlightened Jesus on this Good Friday

Last Updated on 17 April 2025 IST: Good Friday is the day observed by...

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...