हिसार/मामनपुरा गांव: हरियाणा के हिसार जिले की तहसील हांसी के अंतर्गत आने वाले गांव मामनपुरा में कुदरत का ऐसा कहर बरसा कि हंसते-खेलते परिवार बेघर होने पर मजबूर हो गए। गांव की भौगोलिक स्थिति बाढ़ के पानी के कारण एक टापू जैसी हो गई थी। लगभग 300 से 400 एकड़ उपजाऊ जमीन जलमग्न हो चुकी थी, जिसने न केवल खड़ी फसलों को निगल लिया, बल्कि ग्रामीणों के आशियानों को भी उजाड़ दिया। यह कहानी केवल बाढ़ के पानी की नहीं, बल्कि एक उजड़ते हुए गांव की पीड़ा की थी, जिसे संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद ने दोबारा बसाने का बीड़ा उठाया है।
बाढ़ की विभीषिका और सरकारी तंत्र से निराश होकर ग्रामीणों की संत रामपाल जी महाराज से गुहार
मामनपुरा गांव के हालात इतने बदतर हो चुके थे कि गांव के लगभग 100 परिवार अपना घर-बार छोड़कर पलायन कर चुके थे। खेतों और ढाणियों में बने मकान पूरी तरह पानी में डूब गए थे। लोग अपने बच्चों और मवेशियों को लेकर हांसी तहसील व अन्य सुरक्षित स्थानों पर किराए के मकानों में रहने को विवश थे। ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने हर संभव जगह मदद की गुहार लगाई, विधायक से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक चक्कर काटे, लेकिन उन्हें सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं मिला।

चारों तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद, गांव के बुजुर्गों और पूर्व मार्केट कमेटी चेयरमैन की सलाह पर, ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने अपनी आखिरी उम्मीद संत रामपाल जी महाराज पर टिकाई। उन्हें मीडिया और आस-पास की चर्चाओं से ज्ञात हुआ था कि संत रामपाल जी महाराज बिना किसी भेदभाव के बाढ़ पीड़ित गांवों की निस्वार्थ मदद कर रहे हैं। इसी विश्वास के साथ, सरपंच और ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित प्रार्थना पत्र के माध्यम से संत जी के चरणों में अर्जी लगाई।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा तत्काल स्वीकृति और आधी रात को राहत सामग्री का आगमन
संत रामपाल जी महाराज की कार्यशैली और दयालुता का प्रमाण इस बात से मिलता है कि जैसे ही मामनपुरा गांव की अर्जी उनके संज्ञान में आई, उन्होंने उसे तत्काल मंजूर कर लिया। राहत कार्य में एक पल की भी देरी न हो, इसके लिए संत रामपाल जी महाराज ने दिन और रात का फर्क मिटा दिया। जब मामनपुरा की अर्जी स्वीकार हुई, तो राहत सामग्री का विशाल काफिला आधी रात को ही गांव की सीमा पर पहुंच गया। यह दृश्य ग्रामीणों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
घोर अंधेरे में जब गाड़ियों की कतारें गांव में दाखिल हुईं, तो ग्रामीणों की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य स्पष्ट था-पानी निकालने का काम एक क्षण भी नहीं रुकना चाहिए ताकि किसान आने वाली गेहूं की फसल की बिजाई समय पर कर सकें।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की गई राहत सामग्री का विवरण
संत रामपाल जी महाराज ने केवल मोटर और पाइप ही नहीं भेजे, बल्कि तकनीकी रूप से आवश्यक हर छोटी-बड़ी वस्तु का भी ध्यान रखा, ताकि ग्रामीणों को एक भी पेंच खरीदने के लिए बाजार न जाना पड़े। प्रदान की गई सामग्री का विवरण निम्न प्रकार है:
| क्रमांक | सामग्री का नाम | विवरण/मात्रा |
| 1 | पाइप लाइन | 14,000 फीट (8 इंच व्यास) |
| 2 | वाटर पंप/मोटर | 2 सेट (15 हॉर्स पावर क्षमता) |
| 3 | स्टार्टर | पूर्ण सेट |
| 4 | फिटिंग एक्सेसरीज | जॉइंट, रबड़, बेंड |
| 5 | जोड़ने की सामग्री | फेविकोल, नट-बोल्ट, सुतली, पेंच आदि |
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने बताया कि गुरुजी का आदेश है कि सेवा में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। लाखों रुपये की यह सामग्री रातों-रात गांव में उपलब्ध करवाई गई, जिसमें स्टार्टर से लेकर पाइप जोड़ने के लिए फेविकोल तक सब कुछ शामिल था।
विस्थापित परिवारों की घर वापसी और भविष्य की फसलों के लिए जगी उम्मीद
इस राहत सामग्री का महत्व केवल जल निकासी तक सीमित नहीं है। इसका सीधा संबंध उन 100 परिवारों के अस्तित्व से है जो गांव छोड़ चुके थे। गांव के पूर्व चेयरमैन और अन्य वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि बाढ़ के कारण कपास, धान और ज्वार की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी थीं। अब संकट यह था कि यदि पानी समय पर नहीं निकला, तो आगामी गेहूं की फसल की बिजाई भी नहीं हो पाएगी, जिससे किसान भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे।
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संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई 15 एचपी की दो विशाल मोटरों और 14,000 फीट लंबी पाइप लाइन ने अब यह सुनिश्चित कर दिया है कि खेतों से पानी जल्द निकल जाएगा। ग्रामीणों को विश्वास है कि पानी उतरते ही वे अपने घरों (ढाणियों) में वापस लौट सकेंगे और रबी की फसल की बुवाई कर सकेंगे। यह सहायता उनके लिए जीवनदान समान है।
संत रामपाल जी महाराज का स्पष्ट संदेश: कर्मठता और संसाधनों का सदुपयोग
राहत सामग्री सौंपते समय संत रामपाल जी महाराज की ओर से एक विशेष संदेश भी ग्राम पंचायत को पढ़कर सुनाया गया। इसमें स्पष्ट निर्देश थे कि यह मदद दिखावे के लिए नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर परिणाम लाने के लिए है। संदेश में कहा गया कि यदि इस सामग्री के बावजूद निर्धारित समय में पानी नहीं निकाला गया और फसल की बिजाई नहीं हुई, तो भविष्य में ट्रस्ट द्वारा मदद पर पुनर्विचार किया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज ने इसे “36 बिरादरी के जान-माल का सवाल” बताया।

उन्होंने निर्देश दिया कि सामग्री का पूर्ण सदुपयोग हो। यह पारदर्शिता और जवाबदेही संत जी की दूरदर्शिता को दर्शाती है, ताकि दान के पैसे का सही उपयोग हो और वास्त्विक जरूरतमंदों को लाभ मिले। उन्होंने यह भी कहा कि यदि और सामान की आवश्यकता होगी तो वह भी दिया जाएगा, लेकिन लक्ष्य “पानी निकलना” होना चाहिए।
ग्रामीणों और गणमान्य व्यक्तियों की जुबानी: संत रामपाल जी महाराज साक्षात भगवान का रूप
गांव में राहत सामग्री पहुंचने पर माहौल भक्तिमय हो गया। ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज की तस्वीर पर माल्यार्पण कर और जयकारे लगाकर उनका स्वागत किया।
- पूर्व चेयरमैन (मार्केट कमेटी): उन्होंने कहा, “मैंने अपनी एसडीओ मैडम से भी कहा कि रामपाल जी गुरु जी ने तो ताले तोड़ दिए (कमाल कर दिया)। सरकार के पास तो कुछ सीमाएं थीं, लेकिन उन्होंने 300-400 गांवों को संभाल लिया। वो तो भगवान हैं। उन्होंने 40-40 मोटरें देकर जो काम किया है, वह सरकार भी नहीं कर पाई।”
- मुकेश कुमार (सेवानिवृत्त बीएसएफ जवान): “मैं बॉर्डर पर रहा हूं, लेकिन यह लड़ाई उससे भी गहरी है क्योंकि यह अस्तित्व की लड़ाई है। गुरु जी ने जो चमत्कार किया है, वह कोई परमात्मा ही कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज एक निष्पक्ष शिरोमणि फकीर हैं।”
- रामफल (ग्रामीण): “हारे का सहारा रामपाल महाराज जी भगवान हमारा। हमारे बच्चे बेघर थे, पशु परेशान थे। आज गुरु जी ने पाइप देकर हमें खुशी दी है। वे हमें भगवान मिले हैं।”
ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि अभी तो यह ट्रेलर है, आगे चलकर 99% गांव संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाएगा क्योंकि कलयुग में ऐसा निस्वार्थ परोपकार केवल वही कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज – कलयुग में मानवता के सच्चे संरक्षक और तारणहार
मामनपुरा की यह घटना सिद्ध करती है कि संत रामपाल जी महाराज केवल आध्यात्मिक ज्ञान ही नहीं दे रहे, बल्कि समाज के हर दुख-दर्द में एक अभिभावक की भांति खड़े हैं। जहां सरकारी मशीनरी और राजनीतिक वादे विफल हो गए, वहां संत रामपाल जी महाराज की कृपा ने एक डूबते हुए गांव को उबार लिया।
यह 14,000 फीट पाइप केवल प्लास्टिक के टुकड़े नहीं, बल्कि उस भरोसे की डोर है जिसने 100 उजड़े हुए परिवारों को पुनः बसने का साहस दिया है। संत रामपाल जी महाराज का यह परोपकारी स्वरूप, उनकी निस्वार्थ सेवा और किसानों के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें वर्तमान समय का सबसे महान समाज सुधारक और तारणहार सिद्ध करती है। मामनपुरा गांव सदैव संत रामपाल जी महाराज के इस उपकार का ऋणी रहेगा।



