जब हरियाणा के भिवानी जिले के सैय गांव की उपजाऊ ज़मीनें बाढ़ के पानी में डूबने लगीं, तो मानो खुशहाल कल की उम्मीदें भी डूबती दिखाई देने लगी। लगभग 95% ग्रामीण पूरी तरह कृषि पर निर्भर हैं। खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी थीं, और खेतों में भरे पानी ने आने वाले गेहूं के मौसम को भी संकट में डाल दिया — यह केवल आमदनी नहीं बल्कि जीवन-मरण का प्रश्न बन गया था।
ऐसे विकट समय में ग्रामीणों ने जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से राहत सामग्री की सहायता की प्रार्थना की। उनकी करुणा और दया, जो अन्नपूर्णा मुहिम के माध्यम से हरियाणा और आसपास के राज्यों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जीवन बदल रही है, सैय गांव तक भी पहुंची। गांववालों की मांग के अनुसार 12,000 फीट पाइप और चार 15 हॉर्सपावर मोटरें केवल 3 दिनों में संत रामपाल जी महाराज द्वारा उपलब्ध कराई गईं ताकि पानी की निकासी तुरंत शुरू की जा सके।
अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत त्वरित सहायता
संत रामपाल जी महाराज ने अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत अभूतपूर्व तत्परता और संवेदनशीलता दिखाते हुए ग्रामीणों की पुकार के सिर्फ तीन दिनों के भीतर भारी राहत सामग्री पहुंचाई। सहायता में शामिल थे —
- 12,000 फीट उच्च गुणवत्ता वाले ड्रेनेज पाइप
- चार 15 एचपी की हैवी ड्यूटी मोटरें
- इलेक्ट्रिकल स्टार्टर और 80 फीट केबल
- सभी आवश्यक फिटिंग्स और उपकरण
इन सामग्रियों की मदद से ग्रामीण तुरंत जल निकासी शुरू कर सके और अपनी कृषि भूमि को बचाने में सक्षम हुए। यह मुहिम संत रामपाल जी महाराज के उस मिशन का प्रतीक है जिसके तहत कोई भी बाढ़ग्रस्त परिवार असहाय न रहे और हर व्यक्ति आत्मनिर्भरता और सम्मान के साथ अपने जीवन को पुनर्निर्मित कर सके।
मंगलाचरण से हुई सेवा की शुरुवात – सैय गांव में राहत कार्य
संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सैय गांव में राहत कार्य मंगलाचरण से आरंभ हुआ, जिसमें अनुयायियों ने अपने गुरुजी संत रामपाल जी महाराज को नमन करने के बाद जरूरतमंदों की सेवा प्रारंभ की। संत जी के उपदेशों के अनुसार, सेवादारों ने बाढ़ पीड़ित परिवारों की सेवा पूर्ण विनम्रता और अनुशासन के साथ की।
जवाबदेही और पारदर्शिता की सटीक मिसाल
संत रामपाल जी महाराज ने केवल सहायता प्रदान नहीं की, बल्कि पूरे राहत कार्य में जवाबदेही और पारदर्शिता को भी सर्वोच्च रखा। उन्होंने ग्राम पंचायत को निवेदन किया है कि पाइप, मोटर और बिजली के तार जैसी सामग्रियों का प्रभावी उपयोग तय समय सीमा के भीतर कर पानी निकालना सुनिश्चित किया जाए। संत जी ने स्पष्ट कहा कि यदि पानी समय पर नहीं निकाला गया और बिजाई का मौसम चला गया, तो गांव को आगे कोई सहायता नहीं दी जाएगी।

पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उन्होंने ड्रोन फुटेज लेने का भी आदेश दिया —
- बाढ़ के चरम समय पर,
- जल निकासी के बाद,
- और नई फसलों के पुनर्स्थापन के बाद।
ये वीडियो सतलोक आश्रमों में प्रदर्शित किए जाएंगे ताकि दानदाताओं को यह विश्वास रहे कि उनका योगदान ईमानदारी से उपयोग हुआ है और समुदायों को सहयोग की प्रेरणा मिले। ग्राम पंचायत सरपंच ने इन अनुशासित दिशा-निर्देशों के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।
गांव की कृतज्ञता – संत रामपाल जी महाराज को माना ईश्वर का स्वरूप

सैय गांव की ग्राम पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज को एक प्रशंसा पत्र फ्रेम करवाकर भेंट किया, जिसमें उनके द्वारा भेजी गई 12,000 फीट पाइपलाइन, चार 15 एचपी मोटरें और भारी केबलों को “संकट की घड़ी में ईश्वर का आशीर्वाद” कहा गया। ग्रामीणों ने संत जी को सच्चे ईश्वर के रूप में संबोधित करते हुए भावपूर्ण धन्यवाद प्रकट किया।
मानवता और जिम्मेदारी पर आधारित मुहिम
संत रामपाल जी महाराज बार-बार यह बताते हैं कि राहत कार्य प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि परिणाम के लिए होना चाहिए। उनके मार्गदर्शन में सहायता सीधे जरूरतमंदों तक बिना किसी देरी या बर्बादी के पहुंचती है। हरियाणा और आसपास के 200 से अधिक गांवों में पहले ही इसी प्रकार की सहायता पहुंचाई जा चुकी है और संत रामपाल जी महाराज के निर्देशानुसार यह सेवा अभी भी सुचारू रूप से चल रही है।
यह अन्नपूर्णा मुहिम करुणा और अनुशासन — दोनों मूल्यों का संगम है, जो ग्रामीण विकास की दिशा में एक दीर्घकालिक परिवर्तन ला रही है।
किसानों को विपदा में सूखी बनाने की दिशा में कदम
किसानों ने इस समयोचित और संगठित सहयोग के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उनके लिए यह राहत केवल सहायता नहीं, बल्कि ईश्वर में विश्वास और जीवन का पुनर्जन्म था। एक किसान ने कहा —
“सामान पहुंचा। रामपाल महाराज जी का बड़ा कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद। हमारे को बहुत गांव में राहत मिली है और पानी निकालने के लिए मदद जो बाढ़ ग्रस्त एरिया में करी है रामपाल जी महाराज ने और टाइम पे हम जल्दी से जल्दी पानी निकाल के टाइम पर बिजाई करेंगे और फिर वीडियो बनवाएंगे। हम बहुत-बहुत धन्यवाद करेंगे और बहुत-बहुत कोटि-कोटि प्रणाम करेंगे हमारे लिए तो भगवान के समान है।”
नई ड्रेनेज व्यवस्था से अब गांव स्थायी रूप से जलभराव से मुक्त रहेगा। पाइप स्थायी रूप से मिट्टी में गाड़ दिए गए हैं, जिससे भविष्य में भी बाढ़ का पानी स्वतः निकल सकेगा — एक स्थायी समाधान।
किसानों के दर्द से जुड़ी करुणा
स्वयं संत रामपाल जी महाराज किसान परिवार से हैं, इसलिए वे किसानों के संघर्षों को गहराई से समझते हैं। उनकी करुणा सैयद्धांतिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक और समाधान करने वाली है। वे अपने अनुयायियों को अक्सर पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की शिक्षाओं पर चलने की सीख देते है जिसमें हर मानव को “रोटी, कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और मकान” का अधिकार है और इस मुहिम के अंतर्गत इसकी गारंटी भी दी जाती है — और यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि ये सभी जरूरतें आध्यात्मिक अनुशासन और सामूहिक जिम्मेदारी से पूरी हों।
हरियाणा से लेकर अन्य राज्यों तक प्रभाव
उनके दिव्य निर्देशन में हरियाणा, पंजाब और आसपास के राज्यों में अन्नपूर्णा मुहिम के माध्यम से निःस्वार्थ सेवा निरंतर चल रही है। बाढ़ प्रभावित दूरस्थ क्षेत्रों तक ड्रेनेज सहायता, भोजन वितरण, चिकित्सा सेवा और हर आवश्यक मदद पहुंचाई जा रही है। यह संत रामपाल जी महाराज की दया से कलयुग में सतयुग की शुरुआत है — जहां भक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी एक साथ चलती हैं।
हर सफल राहत कार्य जनता के विश्वास को और मजबूत करता है और संत रामपाल जी महाराज की उस दृष्टि को साकार करता है जिसमें समाज समानता, करुणा और भाईचारे पर आधारित है।
करुणा जो जीवन बदल देती है
सैय गांव का यह राहत कार्य इस बात का प्रमाण है कि जब दिव्य करुणा अनुशासित कार्यशैली से जुड़ती है, तो पूरा समाज उठ खड़ा होता है। अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत संत रामपाल जी महाराज ने सिद्ध किया है कि आध्यात्मिकता केवल उपदेशों तक सीमित नहीं होती — वह कर्म, संवेदना और मानवता की निःस्वार्थ सेवा के रूप में प्रदर्शित की जाती है।
सैय गांव के किसानों के लिए यह केवल सहायता नहीं, बल्कि जीवन, ईश्वर में विश्वास और आजीविका की पुनर्प्राप्ति थी। जिस प्रकार संत रामपाल जी महाराज एक के बाद एक गांव में बाढ़ राहत सामग्री पहुंचा रहे है इससे पूरे राष्ट्र और विश्व को बहुत स्पष्ट रूप से यह संदेश जाता है कि किसी भी विपदा के समय इंसान ईश्वरीय शक्ति की तरफ ही रुख करता है। वर्तमान समय में पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब, संत रामपाल जी महाराज के रूप में विराजमान है जो कि ऐसे विशाल राहत अभियान से मानवता की निस्वार्थ सेवा कर रहे है।



