September 13, 2025

Easter Sunday 2025 [Hindi]: ईस्टर परमेश्वर कबीर जी की लीला का अदभुत उदाहरण

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Last Updated on 19 April 2025 IST | Easter Sunday in Hindi (ईस्टर 2025 ) | परमात्मा कबीर जी यीशु जिन्हें जीसस या ईसा मसीह भी कहते हैं को मिले थे और उनकी आत्मा को सतलोक लेकर गए। रास्ते में, कबीर भगवान ने उन्हें पितृ लोक में उनके पूर्वजों डेविड, मूसा, अब्राहीम इत्यादि को दिखाया। फिर भगवान उन्हे सतलोक में ले गए। परन्तु यीशु को भगवान कबीर में विश्वास नहीं था। उन्होंने विश्वास नहीं किया कि वह पूर्ण परमात्मा है, लेकिन यीशु ने स्वीकार किया कि भगवान एक है।

जब वह सतलोक से वापस आए तो उन्होंने एक भगवान के बारे में प्रचार किया और मोक्ष के बारे में बात की। क्रूस/सूली पर चढ़ने के बाद, उन्होंने केवल अपने बच्चों के सभी कठोर कर्मों/गुनाहों को परमात्मा से माफ करने के लिए अर्ज की। आगे जानते हैं ईस्टर और यीशु मसीह के बारे में विस्तार से।

क्या है ईस्टर (What is Easter)?

ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, ईस्टर के दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु पुनर्जीवित हो गए थे। इस पुनरुत्थान को ईसाई ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते हैं। (इसे वो पुनरुत्थान दिवस या पुनरुत्थान रविवार भी कहते हैं)। ये दिन गुड फ्राईडे के दो दिन बाद और पुन्य बृहस्पतिवार या मौण्डी थर्सडे के तीन दिन बाद आता है। मौंडी गुरुवार या पवित्र गुरुवार पवित्र सप्ताह के दौरान का दिन है जो प्रेरितों के साथ पैरों की धुलाई और यीशु मसीह के अंतिम भोज की याद दिलाता है, जैसा कि विहित सुसमाचारों में वर्णित है। यह पवित्र सप्ताह का पाँचवाँ दिन है, जिसके पहले पवित्र बुधवार और उसके बाद गुड फ्राइडे होता है।

Easter Sunday in Hindi (ईस्टर 2025) के मुख्य बिंदु

  • हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी। 
  • ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। 
  • ईसा मसीह जैसी पवित्र आत्मा की भी दर्दनाक मृत्यु हुई। फिर आम इंसान का कैसे बचाव हो सकता है। केवल पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही अविनाशी हैं, मोक्षदायक प्रभु हैं।
  • ईसा मसीह काल ब्रह्म द्वारा भेजे हुए दूत थे।
  • मूसा के शिष्यों को यहूदी कहा जाता है, ईसा मसीह के शिष्यों को ईसाई और मोहम्मद के शिष्यों को मुसलमान कहा जाता है।
  • पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है – अय्यूब 36:5। यहां स्पष्ट है कि कबीर ही शक्तिशाली परमात्मा है।
  • भगवान ने मनुष्य को शाकाहारी भोजन खाने का आदेश दिया है – पवित्र बाईबल
  • असली ईश्वर कौन है और बाइबल को ठीक से समझने के लिए संतरामपालजी महाराज जी से जुड़ें।

इस साल कब है ईस्टर?

Easter Sunday in Hindi (ईस्टर 2025) | ईस्टर का अर्थ है, ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने का दिन। रविवार 20 April 2025 को ईस्टर है और इसे ईस्टर संडे भी कहते हैं। गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईस्टर मनाया जाता है। ईस्टर ईसाई समुदाय के लिए महत्वपूर्ण पर्व है।

क्या है ईस्टर का धार्मिक महत्व?

नवविधान बताता है कि यीशु का पुनः जी उठना, जिसका जश्न ईस्टर के रूप में मनाया जाता है, वही ईसाई धर्म के विश्वास की नींव है। मृतोत्थान ने यीशु को ईश्वर के एक शक्तिशाली पुत्र के रूप में स्थापित किया और इस बात को उद्धृत करते हुए प्रमाण दिया कि ईश्वर इस सृष्टि का न्यायोचित इंसाफ करेंगे। “मृत्यु के बाद यीशु के जी उठने द्वारा ईश्वर ने ईसाइयों को एक नए जन्म की जीती-जागती आशा दी। “ईश्वर के कार्य पर विश्वास के साथ ईसाई आध्यात्मिक रूप से यीशु के साथ ही पुनर्जीवित हुए ताकि वो जीवन को एक नए तरीके से जी सकें। लेकिन सच्चाई यह है कि इस दिन कबीर परमात्मा जी यीशु के रूप में आए थे, जिससे की लोगों का विश्वास परमात्मा में बना रहे।

क्या हैं ईस्टर अंडे (What is Easter Egg)?

Easter Sunday in Hindi (ईस्टर 2025) | उत्सव में, ईस्टर अंडे का उपयोग उस खाली कब्र के प्रतीक के रूप में किया जाता है जिसमें यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद दफनाया गया था और इसका टूटना यीशु के पुनरुत्थान का प्रतीक है। हालांकि इन दिनों ईस्टर अंडे को चॉकलेट अंडे, कागज, लकड़ी से बनाए और सजाए गए अंडे, प्लास्टिक के अंडे आदि से बनाया जाता है, आमतौर पर, ईस्टर अंडे मूल रूप से सजाए गए अंडे होते हैं। इसके साथ ही ईस्टर पर अंडे विशेष रूप से खाए भी जाते हैं। जो कि परमेश्वर के विधान के विपरीत है।

ईस्टर का अंडे से क्या मतलब है?

सबसे पहले, यह विचार करने योग्य है कि अंडे का यीशु के पुनरुत्थान से कोई लेना-देना है ही नहीं। अगर हम कहें कि अंडा कब्र का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि एक नया जीवन लाने वाला अंडा उस मकबरे के समान लगता है जिससे यीशु जी उठे थे, तो क्या इसका प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी अन्य तरीके का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है? साथ ही, जिस अंडे को आप फोड़ते हैं, उसमें कभी भी जीवन नहीं आता है। बल्कि, अंडे के फटने से उसके अंदर शरीर बनने की परिक्रिया समाप्त हो जाती है; इसलिए ऐसा करना पाप है।

Easter Sunday in Hindi (ईस्टर 2025) | ईसा जी का जन्म कैसे हुआ?

ईसा मसीह जी की पूज्य माता जी का नाम मरियम तथा पूज्य पिता जी का नाम यूसुफ था। परन्तु कुँवारी मरियम को गर्भ एक देवता से रहा था। इस पर यूसुफ ने आपत्ति की तथा मरियम को त्यागना चाहा तो स्वपन में (फरिश्ते) देवदूत ने ऐसा न करने को कहा तथा यूसुफ ने डर के मारे मरियम का त्याग न करके उसके साथ पति-पत्नी रूप में रहे। देवता से गर्भवती हुई मरियम ने हजरत ईसा को जन्म दिया। हजरत ईसा से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुई। ईसा मसीह के नियमों पर चलने वाले भक्त आत्मा ईसाई कहलाए तथा पवित्र ईसाई धर्म का उत्थान हुआ।

ईसा मसीह जी की हत्या क्यों की गई?

  • जब यीशु बड़ा हुआ, तो उसके शरीर में आत्माएँ प्रवेश करती थीं और वे भविष्यवाणियाँ करती थीं और चमत्कार करती थीं। यीशु ने एक भगवान के बारे में उपदेश दिया। जैसे जैसे यीशु अपना प्रचार करते गए, भीड़ बढ़ती गई और वे उसे दाऊद का पुत्र और मसीहा कहने लगे।
  • उस समय के महन्तों तथा संतों व मन्दिरों के पुजारियों को डर हो गया था कि यदि हमारे अनुयाई हजरत ईसा मसीह के पास चले जायेंगे तो हमारी पूजा का धन कम हो जाएगा। इसलिए वे ईसा मसीह को खत्म करना चाहते थे। ईसा जी 30 वर्ष की आयु में प्रभु से अपने प्राण रक्षा के लिए घबराए हुए बार-बार प्रार्थना कर रहे थे। 
  • उसी समय उन्हीं का एक शिष्य 30 रूपये के लालच में अपने गुरु जी के विरोधियों को साथ लेकर उसी पर्वत पर आया जहां ईसा मसीह थे। वे तलवार तथा लाठियां लिए हुए थे। विरोधियों की भीड़ ने उस गुप्त स्थान से ईसा जी को पकड़ा जहाँ वह छुप कर रात्रि बिताया करते थे क्योंकि हजरत मूसा जी के अनुयाई यहूदी ईसा जी के जानी दुश्मन हो गए थे। 
  • ईसा मसीह जी को पकड़ कर राज्यपाल के पास ले गए तथा कहा कि यह पाखण्डी है। झूठा नबी बन कर दुनिया को ठगता है। इसने बहुतों के घर उजाड़ दिए हैं। इसे रौंद(क्रस) दिया जाए। राज्यपाल ने पहले मना किया कि संत, साधु को दुःखी नहीं करते, पाप लगता है। परन्तु भीड़ अधिक थी, नारे लगाने लगे इसे रौंद (क्रस कर) दो। तब राज्यपाल ने कहा जैसे उचित समझो करो। 

ईसा मसीह को भीड़ के कहने पर सूली पर क्यों लटकाया?

तीस वर्ष की आयु में ईसा जी को दीवार के साथ लगे अंग्रेजी के अक्षर टी के आकार की लकड़ी के साथ खड़ा करके दोनों हाथों की हथेलियों में लोहे की मोटी कील (मेख) गाड़ दी। ईसा जी की मृत्यु असहनीय पीड़ा से हुई। मृत्यु से पहले हजरत ईसा जी ने उच्चे स्वर में कहा – हे मेरे प्रभु ! आपने मुझे क्यों त्याग दिया? कुछ दिनों के बाद हजरत ईसा जी फिर दिखाई दिए तथा फिर कुछ स्थानों पर दर्शन व प्रवचन करके अंतर्ध्यान हो गए। (प्रमाण पवित्र बाईबल मती 27 तथा 28/20 पृष्ठ45 से 48)।

ईस्टर 2025 (हिंदी) | ईसा मसीह का जन्म व मृत्यु निर्धारित थी!

Easter Sunday in Hindi (ईस्टर 2025) | स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है तथा तुम शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा और वो मुझे मार देंगे। हजरत यीशु का जन्म तथा मृत्यु से पहले और बाद में जो जो भी चमत्कार किए वे ब्रह्म (ज्योति निरंजन) के द्वारा निर्धारित थे। यह प्रमाण पवित्र बाईबल में यूहन्ना ग्रन्थ अध्याय 9 श्लोक 1 से 34 में है।

■ Read in English | Easter Sunday: Was Jesus God Or He Was Just A Son Of God Like Us

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि यह ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) अपने अवतार को भी समय पर धोखा दे जाता है। पूर्ण परमात्मा ही भक्ति की आस्था बनाए रखने के लिए स्वयं प्रकट होता है।

ईसा की मृत्यु के बाद पुनर्जीवित होना पूर्ण परमात्मा की लीला (चमत्कार) थी

ईशनिंदा के आरोप में ईसा को क्रूस/सूली पर लटका दिया गया। सूली पर चढ़ाते समय, सभी आत्माओं ने यीशु के शरीर को छोड़ दिया। जब वह मर गया, तो उसे नीचे उतारा गया और कब्र में दफना दिया गया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 3 दिनों के बाद कब्र खाली मिली। वह कब्र से निकल चुके थे और उन्होंने पहले मैरी मैग्डलीन को, फिर मैरी अपनी माँ को और उसके बाद अपने अनुयायियों को दर्शन दिए।

क्या वह यीशु थे जो कब्र से निकले थे?

इसका जवाब है नहीं। वह यीशु नहीं थे, जो कब्र से निकले थे, बल्कि वे पूर्ण परमात्मा कबीर थे, जो उनके अनुयायियों के विश्वास को बनाए रखने के लिए यीशु के रूप में प्रकट हुए थे। अन्यथा, उन सभी अनुयायियों ने भगवान में विश्वास खो दिया होता। वे नास्तिक बन गए होते।

  • पूर्ण परमात्मा ने ही ईसा जी की मृत्यु के पश्चात् ईसा जी का रूप धारण करके प्रकट होकर ईसाईयों के विश्वास को प्रभु भक्ति पर दृढ़ रखा, नहीं तो ईसा जी के पूर्व चमत्कारों को देखते हुए ईसा जी का अंत देखकर कोई भी व्यक्ति भक्ति साधना नहीं करता, नास्तिक हो जाते। (प्रमाण पवित्र बाईबल में यूहन्ना ग्रन्थ अध्याय 16 श्लोक 4 से 15) ब्रह्म (काल) यही चाहता है। 
  • काल (ब्रह्म) पुण्यात्माओं को अपना अवतार (रसूल) बना कर भेजता है। फिर चमत्कारों द्वारा उसको भक्ति कमाई रहित करवा देता है। उसी में कुछ फरिश्तों (देवताओं) को भी प्रवेश करके कुछ चमत्कार फरिश्तों द्वारा उनकी पूर्व भक्ति धन से करवाता है। उनको भी शक्तिहीन कर देता है। काल के भेजे अवतार अन्त में किसी तरह कष्ट प्राप्त करके मृत्यु को प्राप्त हों जाते है। इस प्रकार ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) के द्वारा भेजे नबियों (अवतारों) की महिमा हो जाती है। 
  • अनजान साधक उनसे प्रभावित होकर उसी साधना पर अडिग हो जाते हैं। जब पूर्ण परमात्मा या उनका संदेशवाहक वास्तविक भक्ति ज्ञान व साधना समझाने की कोशिश करता है तो कोई नहीं सुनता तथा अविश्वास व्यक्त करते हैं। यह जाल काल प्रभु का है। जिसे केवल पूर्ण परमात्मा ही बताता है तथा सत्य भक्ति प्रदान करके आजीवन साधक की रक्षा करता है। सत्य भक्ति करके साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करता है।

ईसा मसीह ईश्वर नहीं, परमात्मा के पुत्र थे

एक स्थान पर हजरत ईसा जी ने कहा है कि मैं याकुब (जो मरियम के पति का भी पिता था) से भी पहले था। संसार की दृष्टि में ईसा मसीह का दादा जी याकुब था। यदि ईसा जी वाली आत्मा बोल रही होती तो ईसा जी नहीं कहते कि मैं याकुब अर्थात् अपने दादा जी से भी पहले था। इससे सिद्ध है कि ईसा जी में कोई अन्य फरिश्ता बोल रहा था जो प्रेतवत प्रवेश कर जाता था, भविष्यवाणी कर जाता था तथा वही चमत्कार करता था।

यदि यह माने कि हो सकता है याकूब वाली आत्मा ही हजरत ईसा रूप में जन्मी हो तो बाईबल में लिखा लेख गलत सिद्ध होता है कि ईसा को परमात्मा ने अपने पास से भेजा था। ईसा मसीह परमात्मा के पुत्र थे। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सबके पिता हैं, उत्पत्ति कर्ता हैं। 

Easter Sunday in Hindi [2025] | ईसा मसीह वास्तविक ज्ञान से दूर रहे

हजरत ईसा जी को भी पूर्ण परमात्मा सत्यलोक (सतलोक) से आकर मिले तथा एक परमेश्वर का मार्ग समझाया। इसके बाद ईसा जी एक ईश्वर की भक्ति समझाने लगे। लोगों ने बहुत विरोध किया। फिर भी वे अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए। परन्तु बीच-बीच में ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) के फरिश्ते हजरत ईसा जी को विचलित करते रहे तथा वास्तविक ज्ञान को दूर रखा।

मांस खाना परमेश्वर का आदेश नहीं 

पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ 1:29)

प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, माँस खाना नहीं कहा है।

प्रमाण उत्पत्ति ग्रन्थ 1:28

परमेश्‍वर ने उन्‍हें यह आशीष दी, ‘फलो-फूलो और पृथ्‍वी को भर दो, और उसे अपने अधिकार में कर लो। समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों और भूमि के समस्‍त गतिमान जीव-जन्‍तुओं पर तुम्‍हारा अधिकार हो।’ परमात्मा ने मांस खाने का आदेश नहीं दिया।

ईसाई धर्म को मानने वाले ईश्वर को निराकार मानते हैं जबकि पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ) से सिद्ध होता है कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टी की रचना की तथा फिर विश्राम किया। हमारा हमारे ईसाई धर्म को मानने वाले सभी भाई बहनों से विनम्र निवेदन है कि वे बाइबल के पवित्र ज्ञान को पूर्ण परमेश्वर कबीर जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दिए जा रहे सत्संग प्रवचनों के माध्यम से सुनकर, देखकर अच्छे से समझ सकते हैं ताकि उनके सभी प्रकार के भ्रम दूर हो सकें। आप सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर भी सत्संग सुन सकते हैं।

Quotes on Easter Day 2025 [Hindi]

  1. यीशु जी ने समझाया ये सबको बारंबार।

                  न करो गुस्सा, न करो हिंसा।

     क्योंकि इस सबका लेखा लेगा खुद आप करतार।।

  1. खुश रहो ईश्वर के हर फैसले पर।

आपको मिलता नहीं है वो अच्छा लगता है।

मिलता है वो जो आपके लिए अच्छा होता है।।

  1.  हर चेहरे पर रहे happiness हरदम।

मिले अपनी मंजिल सबको, चलते रहें कदम।

साथ दे सच्चाई का, काम करें अच्छाई का।

वक़्त यूं ही बीते, रहम रहे खुदाई का।।

  1. ईस्टर को दोबारा लौटकर, आसमान से आया जीसस।

कबीर परमात्मा से मिलकर आया जीसस।

खुशियों की सौगात लाया जीसस।।

FAQs about Easter Sunday in Hindi

प्रश्न:- ईस्टर किसका प्रतीक है?

उत्तर:- ईस्टर एक ईसाई धर्म के लोगों का पर्व है, जिसमे ईसा मसीह के पुनरुत्थान को जश्न के रूप में मनाते हैं।

प्रश्न:- ईस्टर के त्योहार पर ईसाई धर्म के लोग क्या करते हैं?

उत्तर:- ईसाई धर्म के लोग ईस्टर पर्व के दिन चर्च में जाकर ईसा मसीह की स्तुति करते हैं, मोमबत्तियां लगाते हैं, ईसा मसीह की मूर्ति के आगे फूल चढ़ाते हैं इत्यादि।

प्रश्न:- हैप्पी ईस्टर का मतलब क्या होता है?

उत्तर:- दरअसल, सूली चढ़ाए जाने के बाद तीसरे दिन यीशु जी उठे थे और उसी दिन को ‘हैप्पी ईस्टर’ पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

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