September 3, 2025

Buddhism Parinirvana Day (बुद्ध परिनिर्वाण दिवस) पर जानिए क्या तप करने से मोक्ष संभव है?

Published on

spot_img

15 फरवरी गौतम बुद्ध का परिनिर्वाण दिवस (Buddhism Parinirvana Day) माना जाता है। कुछ स्थानों पर यह 8 फरवरी भी मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के अनुसार निर्वाण शब्द मृत्यु के उपरांत मोक्ष का परिचायक है। आइए जानें निर्वाण या मोक्ष की वास्तविकता इस लेख में

बुद्ध परिनिर्वाण दिवस (Buddhism Parinirvana Day): मुख्य बिंदु

  • निर्वाण दिवस अर्थात इस दिन गौतम बुद्ध ने मानव शरीर का किया था त्याग
  • गौतम बुद्ध ने अल्पायु से ही सत्य की खोज में किया था गृहत्याग
  • सतभक्ति के बिना नहीं हुआ गौतम बुद्ध का पूर्ण मोक्ष

15 फरवरी बुद्ध परिनिर्वाण दिवस (Buddhism Parinirvana Day): राजकुमार सिद्धार्थ

कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ जिन्होंने सत्य की खोज में 27 वर्ष की आयु में सोते हुए परिवार को छोड़कर गृहत्याग किया था बाद में महात्मा गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए। राजकुमार सिद्धार्थ की रुचि अध्यात्म और जीवन से जुड़े प्रश्नों की ओर सदैव रही। दुखों से अनभिज्ञ सिद्धार्थ का परिचय जब रोग, मृत्यु एवं जरा से राज्य में शोभायात्रा के समय हुआ तब ही सिद्धार्थ के भीतर राज सुख के प्रति विरक्ति हो गई और उन्होंने सत्य की खोज में घर छोड़ दिया। एक लंबा समय उन्होंने सत्य की तलाश में बिताया और अलग अलग साधनाओं में सत्य को खोजा। अन्न-जल का त्याग भी किया किन्तु मरणासन्न अवस्था आने पर किसी के द्वारा जान बच जाने पर समझ गए कि इस प्रकार परमात्मा प्राप्ति नहीं हो सकती है। वे भ्रमण करते हुए कठोर तप करने लगे और उससे हुए ज्ञान बोध को उन्होंने सत्य बताया। लेकिन पाठकों को जानना चाहिए कि सतज्ञान बोध केवल सतभक्ति साधना बताने वाले सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर ही सम्भव है।

बुद्ध परिनिर्वाण दिवस (Buddhism Parinirvana Day): दुखों का कारण इच्छा है-गौतम बुद्ध

कठोर तप से गौतम बुद्ध ने जो ज्ञान प्राप्त किया उसे उन्होंने जनता को उपदेशों के माध्यम से सुनाया एवं एक अलग धर्म बौद्ध धर्म का प्रवर्तन किया। सनद रहे कि ये वह समय था जब हिन्दू धर्म में छुआछूत एवं ब्राह्मण समुदाय द्वारा धर्म के नाम पर जमकर लूटपाट मचाई हुई थी। बौद्ध धर्म के भिन्न नियम बने एवं संघों की स्थापना हुई जहाँ भिक्षुक रहते एवं तप करते थे। समय के साथ भिक्षुणियों को भी संघ में रहने की इजाज़त मिली। गौतम बुद्ध ने अन्य उपदेशों के साथ चार आर्य सत्य के नाम से जाने वाले विचार कहे-

  1. संसार में दुख ही दुख हैं।
  2. दुखों का कारण इच्छा है।
  3. दुखों का निवारण सम्भव है।
  4. दुखों का निवारण करने के लिए अष्टांगिक मार्ग का पालन करना बताया।

तप मोक्ष का मार्ग नहीं है

गौतम बुद्ध सामाजिक क्रांति के शिखर पुरुष थे उन्होंने बहुमूल्य उपदेश जनता को दिए। अहिंसा और करुणा का ऐसा पाठ पढ़ाया कि सम्राट अशोक ने अहिंसा का न केवल व्रत धारण किया बल्कि सुदूर क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के प्रचार की व्यवस्था भी की। अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को भी बौद्ध धर्म के प्रचार के मिशन में लगाया। बौद्ध धर्म पूरी तरह अहिंसा और करुणा पर निर्भर है। किन्तु गौतम बुद्ध एक हिन्दू राजकुमार थे जिन्होंने तप साधना करके ज्ञान प्राप्त किया। गौतम बुद्ध के न कोई गुरु थे और न ही उन्होंने शास्त्रों को समझा। तप करने से मोक्ष असम्भव है। तप करने से राज्य प्राप्ति हो सकती है, स्वर्ग प्राप्ति हो सकती है किंतु स्वर्ग से भी अंततः अपने पुण्य समाप्त करके वापस पृथ्वी पर विभिन्न योनियों में लौटना होता है। भक्तिकाल के आदरणीय सन्त गरीबदास जी ने कहा है-

तप से राज राज मदमानम,
जन्म तीसरे शूकर स्वानम ||

तप करने से पुण्यफलों के स्वरूप राज्य की प्राप्ति होती है और राज्य के पश्चात व्यक्ति अपने पुण्य खत्म करने के पश्चात पशु आदि योनियों में विचरता है। न तो तप मोक्ष का मार्ग है और न ही सन्यास लेना।

वास्तव में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग क्या है?

मोक्ष तो शास्त्रविधि अनुरूप साधना करने से ही सम्भव है। गीता अध्याय 17 के श्लोक 5-6 में घोर तप को तपने वाले दम्भी बताए गए हैं एवं तप करना गलत साधना बताया गया है। साथ ही अध्याय 16 के श्लोक 23 में बताया है कि शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करने वालों को न तो गति प्राप्त होती है और न ही सुख।

सत्यलोक गमन है वास्तविक मोक्ष

इस प्रकार गौतम बुद्ध जो निश्चित ही बुद्धिमान पुरुष थे जिन्होंने अहिंसा व करुणा का उपदेश दिया उनका मोक्ष भी नहीं हो सका। मोक्ष तो बड़े बड़े अन्य ऋषियों और महर्षियों का भी नहीं हो सका जिन्होंने तप किया है क्योंकि तप शास्त्रविरुद्ध साधना है। गौतम बुद्ध ने इच्छा को दुखों का कारण बताया वास्तव में यह केवल इस लोक का सत्य है सत्यलोक यानी अमरलोक में सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है एवं वहाँ दुख जैसा कुछ भी नहीं है।

Also Read: बुद्ध पूर्णिमा 2020: क्या था महात्मा बुद्ध के गृहत्याग का कारण? 

सतलोक गमन ही वास्तविक मोक्ष है। यहां गलत साधनाओं में लिप्त होकर लोग वास्तविक यानी वेदों में वर्णित साधनाएं भूल जाते हैं एवं उनके 84 लाख योनियों में जन्म मरण चक्र समाप्त नहीं होते। स्वर्ग प्राप्ति मोक्ष नहीं है। स्वर्ग स्वयं नाशवान है। स्वर्ग का समयकाल पूरा हो जाने पर पुनः पृथ्वी लोक में विभिन्न योनियों में आना होता है। किंतु सतलोक गए प्राणी पुनः इस संसार में नहीं आते। सतलोक अविनाशी, सुखदायक लोक है।

कैसे है मोक्ष सम्भव?

ऐसा कहने वाले कई नकली, धर्मगुरुओं का चोगा पहने मिल जाएंगे कि मोक्ष प्राप्ति के कई रास्ते हैं जो एक परमात्मा तक जाते हैं किंतु सनातन धर्म के शास्त्रों पर आधारित सत्य यही है कि परमात्मा तक केवल एक ही रास्ता जाता है वो है तत्वज्ञान का रास्ता जो स्वयं तत्वदर्शी सन्त बताते हैं। तत्वदर्शी सतगुरु के मिले बिना मोक्ष असम्भव है। तत्वदर्शी सन्त पूरे ब्रह्मांड में एक ही हैं। वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज हैं। सतज्ञान को पूर्ण रूप से जानने समझने के लिए देखिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

सतगुरु रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर ही पूर्ण मोक्ष सम्भव है

सन्त रामपाल जी महाराज ने शरीर में उपस्थित कमलों को खोलने के लिए सबसे आसान मन्त्रजाप बताए हैं क्योंकि तप हठयोग है और हठयोग से परमात्मा कभी प्राप्त नहीं हो सकते। शरीर के विभिन्न कमलों से होते हुए जीव का संहस्त्र कमल से आगे पहुंचने का रास्ता स्वयं तत्वदर्शी सन्त निर्देशित करते हैं जहाँ से अमर लोक यानी सतलोक को जाया जाता है। सतलोक ही वह अविनाशी स्थल है जहाँ किसी प्रकार के दुःख, निराशा, कुंठा, जरा, रोग एवं मृत्यु नहीं है। देर न करते हुए तत्वज्ञान समझकर तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा ग्रहण करें। सतभक्ति करने से निश्चित ही कल्याण होगा।

Latest articles

दिल्ली के चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू प्रकोप: जानिए लक्षण, कारण और इंसानों में फैलने से बचाव के तरीके

दिल्ली में घमासान तेज़ बारिश और बाढ़ के प्रकोप के बीच एक और बड़ी...

ICAI Postpones CA Exams in Punjab and Jammu Due to Floods | Check Official Notice Here

ICAI Postpones CA Exams: The Institute of Chartered Accountants of India (ICAI) has officially...

Eid Milad-un-Nabi 2025: Know on Eid ul Milad Why Prophet Muhammad Had to Suffer in his life?

Eid Milad-un-Nabi Festival: On this Eid ul-Milad or (Eid-e-Milad) know why Muslims celebrate this day, and according to the Holy Quran, should we really celebrate this day.

ईद मिलाद उन नबी 2025: ईद ए मिलाद पर जानें अल्लाह बेचून है या जिस्मानी?

Eid Milad-un-Nabi (Eid e Milad in Hindi): प्रत्येक मजहब और धर्म में अलग-अलग तरह से अल्लाह की इबादत और पूजा की जाती है । उसकी इबादत और पूजा को शुरू करने वाले अवतार पैगंबर पीर फकीर होते हैं। प्रत्येक धर्म में उन अवतारों, पैगंबरों, फकीरों, फरिश्तों, व संतो के जन्मदिन को उस धर्म के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। उन महापुरुषों से जुड़ी हुई कुछ घटनाएं एक याद के स्वरूप में स्थापित हो जाती है जो एक त्योहार का स्वरूप ले लेती है।
spot_img

More like this

दिल्ली के चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू प्रकोप: जानिए लक्षण, कारण और इंसानों में फैलने से बचाव के तरीके

दिल्ली में घमासान तेज़ बारिश और बाढ़ के प्रकोप के बीच एक और बड़ी...

ICAI Postpones CA Exams in Punjab and Jammu Due to Floods | Check Official Notice Here

ICAI Postpones CA Exams: The Institute of Chartered Accountants of India (ICAI) has officially...

Eid Milad-un-Nabi 2025: Know on Eid ul Milad Why Prophet Muhammad Had to Suffer in his life?

Eid Milad-un-Nabi Festival: On this Eid ul-Milad or (Eid-e-Milad) know why Muslims celebrate this day, and according to the Holy Quran, should we really celebrate this day.