Bakrid 2020 Hindi-बकरीद (ईद-उल-अजहा): वर्तमान में इस्लाम धर्म का एक त्यौहार है बकरीद जिसे ईद-उल-अजहा भी कहते हैं। आइए जानते हैं इस त्यौहार के बारे में। यह एक धर्म विशेष का त्यौहार क्यों है? सृष्टि के आरंभ में कहीं भी धर्म या मजहब नहीं थे। धीरे-धीरे महापुरुषों ने लोगों को सही राह दिखाने की कोशिश की और उनको मानने वालों ने उनके पंथ को एक धर्म का नाम दे दिया। उन महापुरुषों से जुड़ी हुई कुछ घटनाएं एक याद के स्वरूप में स्थापित हो जाती है जो एक त्यौहार का स्वरूप ले लेती है।
इसी प्रकार मुस्लिम धर्म, जिसे इस्लाम धर्म भी कहा जाता है उनका एक महत्वपूर्ण त्यौहार है ईद-उल-अजहा। जिसे बकरीद भी कहा जाता है। यह मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। विश्व के इस्लामिक देशों में यह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
ईद-उल-अजहा कब मनाई जाती है ?
ईद-उल-अजहा का त्यौहार इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी के आखिरी महीने जुल हिज्ज में मनाई जाती है। यह त्यौहार मीठी ईद के दो महीने बाद मनाई जाती है। सऊदी अरब के मक्का में पूरी दुनिया के सभी मुसलमान इस महीने में हज करने के लिए आते है। ईद-उल-अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। वास्तव में यह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक बहुत ही भावपूर्ण दिन होता है जिसके लिए वह मक्का में एकत्र होते हैं।
इस्लाम धर्म के अनुसार ईद-उल-अजहा क्यों मनाई जाती है?
ईद-उल-अजहा का अर्थ वास्तव में त्याग, बलिदान वाली ईद मानी जाती है अर्थात खुदा के लिए किसी चीज का बलिदान करना यानी कुर्बान होना। इस दिन मुसलमानों के पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद के पूर्वज हज़रत इब्राहिम जी ने अल्लाह को उनकी सबसे बहुमूल्य वस्तु की बलि देने की मांग की। हजरत इब्राहिम ने अपने अजीज बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का फैसला किया । तभी उनके बेटे की जगह एक बकरे को रख दिया गया और इसी प्रकार इब्राहिम जी अपनी परीक्षा में सफल हुए और इस दिन को बकरीद के रुप में मनाया जाने लगा।
#AllahDoesNotNeedQurbani || Ishvar TV 29-07-2020 || Episode: 1126 || Sant Rampal Ji Maharaj Satsang https://t.co/W40Tp677lY
— Saint Rampal Ji Maharaj (@SaintRampalJiM) July 29, 2020
Bakrid 2020 Hindi: इस दिन को विश्व के सभी इस्लामिक देशों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाने लगा। विभिन्न देशों में बकरों,ऊंट आदि की कुर्बानी देकर अल्लाह को खुश करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाने लगा। जानवरों की कुर्बानी देने के बाद इसका मांस पकाकर गरीबों, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों में बांटा जाता है।
कुरान शरीफ में कुर्बानी देने का आदेश अल्लाह का नहीं
सभी धर्म के लोग यह जरूर मानते हैं, कि इस धरती पर जितने भी जीव-जंतु हैं, चाहे वो पशु- पक्षी हो या इंसान, सब भगवान की प्यारी रूह हैं। तो विचार करने वाली बात यह है कि अल्लाह की रूह को मारकर क्या हम अल्लाह को खुश कर पाएंगे? कुर्बानी का अर्थ किसी का कत्ल कर देना है। यहाँ हमें रूढ़िवादी नहीं विचारशील होना चाहिए।
Bakrid 2020 Hindi: मुस्लिम धर्म के लोग यह मानते हैं कि जब वह बकरे को काटते हैं तो वह कलमा पढ़ते हैं जिसके कारण उस बकरे की रूह जन्नत में जाती है कबीर साहेब कहते हैं कि यदि आपके कलमा पढ़ कर मारने से बकरे की रूह जन्नत में जाती है तो फिर इस तरह से क्यों ना आप खुद अपने रिश्तेदारों को जन्नत पहुंचा दें। कबीर साहेब कहते है कि
जो ये रूह तूने भिस्त पठाई, तो कर तदबीर कबीला भाई।।
हजरत मुहम्मद जी ने कभी मांस नहीं खाया
हजरत मुहम्मद जी को मुसलमान धर्म में एक नबी अर्थात खुदा का नुमाइंदा माना जाता है। उस समय हजरत मुहम्मद जी के एक लाख अस्सी हजार शिष्य हो गए थे। परंतु उन्हाने कभी भी अपने अनुयाइयों को मांस खाने का आदेश नहीं दिया और ना ही कुरान शरीफ में इसका प्रमाण है। क्योंकि उन्होंने अपने अनुयायियों में आस्था बनाये रखने के लिए वचन से गाय को मारकर , वचन से ही जीवित कर दिया। कबीर साहेब कहते हैं-
मारी गऊ शब्द के तीरं, ऐसे थे मोहम्मद पीरं ||
शब्दै फिर जवाई, हंसा राख्या मांस नहीं भाख्या, ऐसे पीर मुहम्मद भाई ||
परंतु कुर्बानी का आदेश कभी नहीं दिया। कुरान शरीफ से पहले तीन और आसमानी किताबें आईं थीं तौरात, इंजिल और ज़बूर, इन पुस्तकों में भी कुर्बानी आदि का प्रमाण नहीं है और ना ही मांस खाने का प्रमाण है। कबीर साहेब अपनी वाणी में कहते है कि
नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल काहाया |एक लाख अस्सी को सौगंध, जिन नही करद चलाया ||
अरस कुरस पर अल्लह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली |
वे पैगम्बर पाख पुरुष थे, साहिब के अब्दाली ||
पवित्र बाइबिल में मांस ना खाने का आदेश
पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकानी 25, आयत 52-59 प्रमाण है कि जिस अल्लाह ने सारी कायनात बनाई, उस परमेश्वर ने छः दिन में सृष्टि रची ओर सातवें दिन तख़्त पर जा विराजा। वह अल्लाह-हु-अकबर और कोई नहीं कबीर जी है। तुम काफिरों का कहा नही मानना, क्योंकि वह कबीर अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य की इबादत करते है जिससे उनको कोई लाभ नहीं है। तुम जिहाद अर्थात संघर्ष करना परन्तु हिंसा मत करना। उस अल्लाह ने हमें धरती पर उगने वाले पेड़-पौधों तथा फलदार वृक्ष से फल आदि खाने को कहा है और जमीन से उत्पन्न अनाज से अपना भोजन बनाने का आदेश दिया है।
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जिसका प्रमाण पवित्र बाईबल के उत्पत्ति ग्रंथ 26 श्लोक में है। इसके विपरीत कोई मांस खाने का ज्ञान देता है तो वह अल्लाह का आदेश नही अपितु किसी फरिश्ते का आदेश है जो हमें मान्य नहीं है। क्योंकि अल्लाह छः दिन में धरती का विधान बना कर सातवें दिन अपने सिंहासन पर विराज गए। इसी प्रकार हिंदू धर्म की पवित्र पुस्तकों गीता तथा वेदों आदि में मांस खाने का आदेश नहीं है। कबीर साहेब जी कहते हैं-
Bakrid 2020 Hindi Quotes
कबीर जो नर गोश्त खात है, प्रत्यक्ष राक्षस जान |
इसमें कोई संशय नहीं, हिन्दू हो या मुसलमान ||
कबीर यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलिके, नरक परंगे जाय।।
कबीर पापी पूजा बैठिकै, भखै माँस मद दोइ।
तिनकी दीक्षा मुक्ति नहिं, कोटि नरक फल होइ।।
कबीर जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय।
निगम पुनि ऐसे पाप तें, भिस्त गया नहिं कोय।।
इसी प्रकार कुर्बानी के नाम पर जीव हिंसा करके हम अल्लाह की प्राप्ति नही कर सकते ना उन्हें खुश कर सकते हैं, क्योंकि सभी जीव उन्हीं की संतान है। अगर ऐसा कोई करता है तो वह अल्लाह के विधान के विपरीत कार्य कर रहे हैं, जो मान्य नहीं है। ऐसा प्राणी दोजख में डाला जाता है।
Bakrid 2020 Hindi: क्या कुर्बानी नहीं देना चाहिए?
एक पिता को अपनी सभी सन्तानें निश्चित रूप से बराबरी से प्रिय हैं। उनमें से किसी का भी कत्ल अल्लाह को प्रसन्न तो नहीं बल्कि दुःखी अवश्य करता है। जिस जीवन को रचने की हममें क्षमता न हो उसे नष्ट करने का हमें कोई अधिकार नहीं है। स्वयं हज़रत मुहम्मद ने मांस नहीं खाया और न ही उनके अनुयायियों ने, फिर भला यह नई कुप्रथा क्यों? अल्लाह बन्दगी से प्रसन्न होता है वह भी किसी बाख़बर द्वारा बताई गई सच्ची बन्दगी। मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है।कबीर साहेब कहते हैं-
हम मुहम्मद को सतलोक ले गया, इच्छा रूपी वहां नहीं रहयो ||
उल्ट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया ||
रोज़ा, बंग नमाज़ दई रे, बिस्मिल की नहीं बात कही रे |
अन्य वाणी में कबीर साहेब मांस खाने से होने वाले दुष्परिणाम को बताते हैं-
कबीर, खूब खाना हक़ खीचड़ी, माँहीं परी टुक लौन |
माँस पराया खायकै, गला कटावै कौन ||
कबीर, कहता हूं कहि जात हूँ, कहा जो मान हमार |
जाका गला तुम काटि हो, सो फिर काटै तुम्हार ||
हत्या और मांस खाना निश्चित ही दंडनीय है। ऐसे कृत्य करने वाले नरक जाते हैं। क्योंकि वे अल्लाह की प्यारी रूह को तकलीफ देते हैं। ऐसे लोग सजा पाते हैं एवं अगले जन्म में उनका भी ऐसे ही गला काटा जाता है। पुनर्जन्म तो मुस्लिमों का भी होगा यह प्रमाण कुरान शरीफ के सूरत-अल-अंबिया में है।
वर्तमान समय में कौन है बाख़बर?
कुरान शरीफ आयात 25:59 में कहा गया है कि उस अल्लाह की जानकारी किसी बाख़बर से पूछो जो सभी ग्रंथों का इल्म रखता हो तथा वह इस सृष्टि की रचना का जानने वाला हो और वह इस ब्रह्मांड के निर्माण के बारे में पूरी तरह से वाकिफ हो । वह संसार में एक मात्र होगा जो अल्लाह की स्थिति से पूर्णरूप से परिचित होगा। वर्तमान समय मे वह और कोई नही जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज हैं।
क्योंकि आज वह एक मात्र महापुरुष है जो सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थों को जानने वाले हैं। वह विभिन्न धर्मों के ग्रंथों के अनुसार ज्ञान बताते है तथा समाज को एक नई विचारधारा से अवगत करा रहे है। संत रामपाल जी महाराज के अनुसार सभी धर्मों के ग्रंथ एक ही परमात्मा अर्थात अल्लाह की ओर संकेत कर रहे हैं, वह एक अविनाशी भगवान है कबीर परमात्मा जो हम सब का मालिक है जिसने ब्रह्मांड की रचना की । संत रामपाल जी महाराज कहते हैं-
जीव हमारी जाति है , मानव धर्म हमारा |
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा ||
हम सभी एक पिता कबीर परमेश्वर की संतान हैं जो विभिन्न जाति व धर्मों के कारण आपस में विभाजित है। परंतु संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान से हम सभी एक होंगे, जिससे हम कबीर जी की सत भक्ति करके एक सभ्य समाज का निर्माण करने में सहयोगी बनेंगे तथा विभिन्न धर्मों की मनमुखी कुरीतियों का खंडन करेंगे। आप सभी अविलंब सन्त रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान समझें और उनकी शरण मे आकर अपना कल्याण करवाएं।
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मांस खाना हराम
सुनि काजी कलिया किया, जाड़ स्वादरे जिंद। गरीबदास दरगाह में, पडै़ गले बिच फंद।।
माँस खाते हो, जीव हिंसा करते हो, फिर भक्ति भी करते हो। यह गलत कर रहे हो। परमात्मा के दरबार में गले में फंद पड़ेगा यानि दण्डित किए जाओगे।
मांस खाना हराम है
निर्दोषों जीवो की हत्या करके अपने सर पर पाप चढ़ा कर कुछ मतलब नहीं है इन्हीं जीवो की हत्या करने से मनुष्य बहुत बड़े पाप का भागी बन जाता है परमात्मा के दरबार में उसको उसकी कड़ी सजा भुगतनी पड़ती है।