April 25, 2025

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अरविंद केजरीवाल हुए तिहाड़ जेल से रिहा

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आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 10 मई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का विरोध नकारते हुए अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक कुछ शर्तो के साथ अंतरिम जमानत दी हैं। केजरीवाल को 2 जून को फिर से समर्पण करना होगा। न्यायालय ने कहा कि 18वीं लोकसभा का चुनाव चल रहा है, इसलिए यह आदेश पारित करना जरूरी है।

  1. शाम करीब 7 बजे से पहले ही केजरीवाल को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। 
  2. आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें लगभग 50 दिनों तक हिरासत में रखा गया था। 
  3. ऑलिव रंग की टी-शर्ट पहने केजरीवाल का उनके समर्थकों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। जेल के गेट नंबर 4 से बाहर आते समय केजरीवाल ने कहा कि शुरू में उनके लिए गेट नंबर 3 की व्यवस्था की गई थी।
  4. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2 जून तक अंतरिम जमानत दी है और 2 जून को सरेंडर करने का निर्देश दिया है।
  5. इस प्रकार, मुख्यमंत्री केजरीवाल सिर्फ 21 दिन के लिए ही चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
  6. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की हैं। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 5 जून तक अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। 

तुषार मेहता ने अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं। उन्होंने आबकारी नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को जमानत दिए जाने का पुरजोर तरीके से विरोध किया। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की तरफ से दायर की गई केजरीवाल की जमानत याचिका के खिलाफ ऐसी दलीलें दीं कि सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुरक्षित रखना पड़ा।  

इसके अलावा, उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि ऐसा आदेश एक गलत मिसाल कायम कर सकता है। उन्होंने अदालत से इस तरह का आदेश पारित नहीं करने की अपील की।

तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद केजरीवाल अपने आवास पहुंच गए। केजरीवाल के तिहाड़ से बाहर आने से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में बहुत उत्साह है। तिहाड़ के बाहर आप कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया। वहीं, केजरीवाल के आवास के बाहर भी आतिशबाजी की गई और फूल भी बरसाए गए। 

घर आते समय रास्ते में उन्होंने गाड़ी से बाहर निकलकर AAP  कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया। रिहा होने पर केजरीवाल ने ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ जैसे नारे लगाए। 

■ यह भी पढ़ें: Supreme Court Refuses Relief to Kejriwal, Now Hearing on April 29

उन्होंने तानाशाही के विरुद्ध अपना संकल्प व्यक्त करते हुए कहा, “मैं पूरी ताकत से तानाशाही के खिलाफ लड़ रहा हूं, लेकिन इसके लिए देश के 140 करोड़ लोगों को एक साथ आना होगा।” केजरीवाल ने शनिवार को सुबह 11 बजे कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर जाने और दोपहर 1 बजे आप कार्यालय में प्रेस वार्ता करने की अपनी योजना दोहराई।  

केजरीवाल से उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और उनके करीबी बिभव ने मुलाकात की। मुलाकात का समय दोपहर 2 बजे पहले से ही तय किया गया था। जिस समय केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिली, उस समय वह अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल और बिभव से ही मुलाकात कर रहे थे। सुनीता ने कहा कि उनके पति की जमानत लोकतंत्र की जीत हैं।

अरविन्द केजरीवाल को निम्नलिखित शर्तो पर जमानत मिली है :-

  1. केजरीवाल को बाहर आने के लिए 50 हजार रुपये का जमानत बॉन्ड जमा करना होगा। 
  2. इस अवधि के दौरान, उन्हें अपने सरकारी दफ्तरों का दौरा करने की अनुमति नहीं है। 
  3. वह आवश्यकता न होने पर आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते हैं, जब तक दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त न हो।
  4. केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय जाने पर प्रतिबंध है। 
  5. 2 जून को जेल लौटने तक उन्हें मुख्यमंत्री पद के किसी भी कार्य को करने की अनुमति नहीं है।  

वहीं, दिल्ली शराब घोटाले में आज एक और महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। के. कविता की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। दिल्ली की विवादास्पद आबकारी नीति और इससे जुड़े धन शोधन मामले में कविता की जमानत अर्जी निचली विशेष अदालत द्वारा पहले ही खारिज कर दी गई थी। उसी आदेश को कविता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने ईडी की दलीलों को मानते हुए कविता को जमानत देने से इनकार कर दिया। अब कविता हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

इस तरह के विवादों और मामलों से निपटने के लिए, हमें अपना रुझान अध्यात्म और सतभक्ति की ओर मोड़ना चाहिए। ऐसे समय में, हमें “ज्ञान गंगा” और जीने की राह” जैसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए, जो हमें जीवन के गहरे अर्थ और भगवान के प्रति समर्पण की भावना को समझने में मदद करेंगी। यह हमें नकारात्मक भावनाओं और तनाव से दूर रहने में भी सहायता करेगा। 

राजनीतिक उथल-पुथल और विवादों के बीच, हम अपने मानव जीवन के मूल उद्देश्य को भूल चुके है। ये पुस्तकें हमें भौतिक दुनिया से परे देखने और एक गहरी आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करने में मदद करती हैं।  तनावपूर्ण समय में धर्म और आध्यात्मिकता की शरण लेना एक अच्छा विकल्प है। यह हमें शांति और आत्म-विश्वास प्रदान करता है, साथ ही जीवन के मूल्यों और उद्देश्यों पर पुनर्विचार करने का अवसर भी देता है। अंत में, यह हमारा मार्गदर्शन करता है कि हम कैसे एक बेहतर व्यक्ति और समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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