December 25, 2024

नए साल में भारत ने रचा अंतरिक्ष में इतिहास, हेलो ऑर्बिट में स्थापित हुआ आदित्य L1

Published on

spot_img

नए साल की शुरुआत में ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च एंड आर्गेनाईजेशन) ने अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रच दिया है। आदित्य-एल 1 (Aditya-L1) जो कि इसरो का पहला सूर्य मिशन था जो सितम्बर 2023 में लॉन्च किया गया था जो 6 जनवरी की शाम को अपनी मंजिल लैग्रेंज पॉइंट -1 पर पहुंच गया है। यह मिशन सूर्य की उच्च-गुणवत्ता वाली छवियों को तैयार करने, सूर्यमंडलीय प्रणाली की समझ में मदद करने और सूर्य के तंत्रज्ञान के क्षेत्र में नई जानकारी प्रदान करने में उपयोगी सिद्ध होगा। 

  • आदित्य-एल 1, 2 सितम्बर 2023 में किया गया था लांच
  • श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस से लॉन्च हुआ था आदित्य-एल 1
  • आदित्य-एल 1 के लिये किया गया था पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट का उपयोग
  • आदित्य-एल 1 (Aditya-L1) स्पेसक्राफ्ट 15 लाख किमी की दूरी पूरी कर पहुंचा लैग्रेंज पॉइंट -1 के हेलो ऑर्बिट में
  • आदित्य-एल 1 उपकरण करेगा सूरज की सतह (Photosphere), वायुमंडल (Chromosphere) और बाहरी परत (Corona) का अध्यन
  • आदित्य-एल 1 में हैं कुल सात पेलोड
  • इसरो प्रमुख एस सोमनाथ जी ने आदित्य-एल 1 के हेलो ऑर्बिट में प्रवेश होने पर जताई ख़ुशी
  • भारत की राष्ट्रपति जी तथा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी, योगी आदित्य नाथ जी ने भारत के इस शानदार इतिहास पर ट्विटर पर ट्वीट कर जताई ख़ुशी 

आदित्य-एल1 (Aditya-L1) स्पेसक्राफ्ट भारत का पहला सौर मिशन है और यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पूरी करता हुआ 6 जनवरी को लैग्रेज पॉइंट1 में प्रवेश कर चुका है। यह सितम्बर 2, 2023 में पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस से लांच किया गया था।

  • लैग्रेंज पॉइंटस सूर्य और धरती के बीच आने वाले अलग अलग पड़ाव हैं। सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है और इस दूरी में 5 लैग्रेंज पॉइंट आते हैं, L1,L2,L3,L4,L5
  • लैग्रेंज पॉइंट अठाहरवीं शताब्दी के एक बहुत प्रसिद्ध इतालवी -फ्रेंच  खगोलशास्त्री, भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ जोसेफ़-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया। इन्होंने खगोल विज्ञान में बहुत योगदान दिया। गणित के क्षेत्र में भी जोसेफ़ ने कैलकुलस, डिफरेंशियल आदि का उपयोग किया।
  • सूर्य तथा पृथ्वी के गुरुतवाकर्षण की बात करें तो ये सात लैग्रेंज पॉइंट्स पर बैलेंस होता है। L4 और L5 पॉइंट्स अपनी स्तिथि में बदलाव नहीं करते पर L1, L2, L3 की स्तिथि बदलती रहती है। आदित्य स्पेसक्राफ्ट ने लैग्रेंज पॉइंट 1 में प्रवेश किया है इसीलिए इसे आदित्य-एल1 कहा गया है।
  • इस लैग्रेंज पॉइंट 1 के आस पास हेलो ऑर्बिट है जिसमें आदित्य स्पेसक्राफ्ट को रखा गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि यहाँ से सूर्य की प्रत्येक गतिविधि बिना किसी सूर्य ग्रहण के लगातार देखी जा सकती है क्योंकि सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण यहां बिलकुल बराबर होता है। 

आदित्य-एल 1 (Aditya-L1) लॉन्च करने के मुख्य उदेश्य में से एक है सूर्य के गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय कणों और अंतरिक्ष में होने वाले बदलाव का पता लगाना ताकि उनसे होने वाली कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं टाली जा सके। कुछ और अन्य उद्देश्य जो कि हैं :- 

  1. सूर्यमंडलीय अध्ययन: आदित्य-एल1 से सूर्यमंडलीय क्षेत्र में खोज करने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे सूर्य और उसके विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद होगी।
  2. वैज्ञानिक साक्षरता: इस मिशन से भारतीय वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के बारे में और अधिक ज्ञान होगा जिससे सूर्य के चुंबकीय कण जिन्हे मैगनेटिक पार्टिकल कहा जाता है, जो कई बार अंतरिक्ष में विस्फोट का कारण बनते हैं, उनसे बचाव करने में आसानी होगी।
  3. सूर्य की गतिविधिओं की जानकारी: आदित्य-L1 के द्वारा आने वाले डेटा से सूर्य तंत्रज्ञान में नई जानकारी मिलेगी, जो हमें बेहतर तरीके से सूर्य की गतिविधियों को समझने में मदद करेगी।
  4. जलवायु परिवर्तन के संबंध में सूचना: आदित्य-1 की जानकारी से हमें जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी, जो भविष्य में जलवायु विज्ञान और नैतिकता में नई दिशा बताएगा।

आदित्य L1 में कुल सात पेलोड किये गए हैं तैनात जिनके नाम नीचे दिए गए हैं :-

  • विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC)
  • सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT)
  • सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
  • हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग X-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL10S)
  • आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
  • प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
  • एडवांस्ड ट्राय-एक्सल हाई रेजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स (MAG)

इन सात पेलोड में से 4 पेलोड रिमोट सेंसिंग यानी सूर्य को मॉनिटर करने के लिए और 3 पेलोड इन-सीटू प्रयोग के लिए इस्तेमाल किये गए हैं।

न्यू दिल्ली, 7 जनवरी 2024 को भारत ने गर्व से घोषणा की है कि उसके पहले उपग्रह “Aditya-L1” ने अपने निर्धारित मिशन में सफलता प्राप्त की है। इस महत्वपूर्ण क्षण के बाद, भारत ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुद्रशास्त्र समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।

उन्नत प्रौद्योगिकी के मुख्य उद्देश्य यह है कि मनुष्य मानव जीवन के मुख्य उद्देश्य को जान सके जो कि मोक्ष पाना है और यह पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से ही हो सकता है। सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलयुग इन चारों युगों में परमात्मा स्वयं आते हैं या अपना एक नुमाइंदा भेजते हैं अर्थात एक पूर्ण संत जिससे नाम दीक्षा प्राप्त करके मनुष्य मानव जीवन के लक्ष्य को पा सकता है अर्थात जन्म मरण के चक्र से बच सकता है।

पूर्ण परमात्मा का पता वह पूर्ण संत ही बता सकता है। इसके बारे में हमारे धर्म ग्रंथो में उल्लेख है। यही कारण है कि अन्य युगों से कलयुग मैं प्रौद्योगिकी इतनी उन्नत कर गई है कि लोग खुद पहचान करके समझे कि पूर्ण परमात्मा कौन है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा। 

Latest articles

New Year 2025: Start The New Year With The Right Way of Living

Last Updated on 24 December 2024 IST | New Year 2025 | New year...

Revisiting Kalpana Chawla’s Life, First Indian Woman into Space

Last Updated on 31 January 2024 IST: Kalpana Chawla died on February 1 in...

Hindi Story: हिंदी कहानियाँ-अजामेल के उद्धार की कथा

आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से एक अद्भूत Hindi Story जिसका शीर्षक...

Stop Eating Meat-Eating Meat is a Heinous Sin

Should Humans Eat Meat? Should humans eat meat or not has become a highly debatable...
spot_img

More like this

New Year 2025: Start The New Year With The Right Way of Living

Last Updated on 24 December 2024 IST | New Year 2025 | New year...

Revisiting Kalpana Chawla’s Life, First Indian Woman into Space

Last Updated on 31 January 2024 IST: Kalpana Chawla died on February 1 in...

Hindi Story: हिंदी कहानियाँ-अजामेल के उद्धार की कथा

आज हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से एक अद्भूत Hindi Story जिसका शीर्षक...