World Athletics Championships 2022: टोक्यो ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट और देश के दिग्गज जेवलिन थ्रो एथलीट नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने अमेरिका ओरेगन में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप्स 2022 की जेवलिन स्पर्धा में सिल्वर मेडल हासिल कर एक नया इतिहास कायम किया हैl 19 साल बाद किसी भारतीय को वर्ल्ड एथलिटिक्स चैंपियनशिप में मेडल मिला है। इससे पहले महान लॉन्ग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज ने साल 2003 में महिला लॉन्ग जंप में कांस्य पदक जीता था। नीरज चोपड़ा ने अपनी चौथी कोशिश में 88.13 मीटर लंबा थ्रो कियाl जिसकी मदद से वो सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे। आईए जानते हैं सम्पूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से।
World Athletics Championship: मुख्य बिंदु
- भालावीर नीरज चोपड़ा ने सिल्वर पदक जीतकर रचा इतिहास।
- नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 88.13 मीटर का जबरजस्त किया ज्वेलिन थ्रो।
- सिल्वर सुपरस्टार नीरज बने पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड पुरूष एथलीट।
- चैंपियन चोपड़ा World Athletics Championships 2022 में मेडल हासिल करने वाले दूसरे भारतीय एथलीट बने।
- भारत में कुल 22 एथलीट है, जिनमे से 18 पुरूष और 4 महिलाएं हैं।
- भारत से दो एथलीट रोहित और नीरज वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सेदार थे।
टोक्यो ओलंपिक के बाद नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन
टोक्यो ओलंपिक के बाद नीरज चोपड़ा ने 14 जून को पाओ नोरमी गेम्स में 89.30 मीटर थ्रो किया था। जबकि 18 जून को उन्होंने कुआर्ताने गेम्स (Kuortane Games) में 86.79 मीटर दूर ज्वेलीन थ्रो किया था। 30 जून को डायमंड लीग में नीरज का जेवलिन 89.94 मीटर दूरी तय करने में सफल रहा। नीरज ने 88.39 मीटर थ्रो के साथ वर्ल्ड चैंपियनिशप के फाइनल में प्रवेश किया है।
19 साल का लंबा इंतजार हुआ खत्म, भारत को मिला सिल्वर मेडल
भारत ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championship) में अभी तक सिर्फ एक पदक जीता था l साल 2003 में महान एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने लॉन्ग जंप में भारत को कांस्य पदक दिलाया था। उसके बाद से भारत की पदकों की झोली खाली रही l 19 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत को मिला रजत पदक l
नीरज चोपड़ा ने हासिल किया सिल्वर (Silver Medal)
विश्व के नंबर वन ग्रेनेडा के जेवलिन थ्रोअर एंडरसन पीटर्स (Anderson Posters) और विश्व के चौथी वरीयता प्राप्त नीरज चोपड़ा के बीच वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप मुकाबले में जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। नीरज चोपड़ा ने अपने जेवलिन थ्रो की शुरुआत फाउल होकर की वही दूसरी और ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने अपने शुरुआती दौर में ही 90.21 मीटर थ्रो कर अपना दबदबा बना लिया था।
नीरज ने दूसरे प्रयास मे 82.39 मीटर का किया थ्रो और एंडरसन पीटर्स ने अपने दूसरे प्रयास में भी 90 मीटर से ज्यादा का थ्रो किया है। पीटर्स आसानी से गोल्ड के नजदीक पहुंच गए थे।
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नीरज ने तीसरे प्रयास में 86.37 मीटर का किया थ्रो, चौथे राउंड में वे उन्हें इंजरी होने की वजह से पट्टी बांधकर उतरे और 88.13 मीटर का जबरजस्त थ्रो किया। पैर में इंजरी के कारण आखिरी दो थ्रो सही नही गए। इसी कारण गोल्ड से चूक गए किन्तु सिल्वर मेडल हासिल करके भारत का नाम रोशन किया। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के विनर एंडरसन पीटर्स ने 90.46 मीटर ज्वेलिन थ्रो कर गोल्ड हासिल किया।
अंजू बॉबी जार्ज ने कहा नीरज चोपड़ा को “ऑल टाइम महान भारतीय एथलीट”
जार्ज ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि साल 2003 के लंबे इंतजार के बाद वर्ल्ड चैंपियन नीरज ने सिल्वर मेडल हासिल कर यह साबित कर दिया है कि आप असली चैंपियन है। उन्होंने नीरज चोपड़ा की इस शानदार उपलब्धि की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें बधाई दी l
नीरज चोपड़ा के घर रहा खुशी का जश्न
दुनियां की हर बड़ी चैम्पियनशिप में चमके नीरज चोपड़ा की मां ने लोक नृत्य कर मनाया जश्न। हरियाणा के पानीपत के नगरवासियों और सिल्वर मैडलिस्ट नीरज चोपड़ा के परिवार वालों ने जमकर मनाया खुशी का जश्न। पिता बोले – “बहुत खुशी हो रही है। उनके स्वागत के लिए हो रही है तैयारिया।”
यहां की कोई भी खुशी स्थाई खुशी नहीं है!
यह मानव देह धारी प्राणी चाहे कितनी भी बड़ी प्रतिस्पर्धा, उपलब्धि, पद, पोस्ट या सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीत हासिल क्यो न करले इसे वास्तविक खुशी कभी नही मिल सकतीं। चाहे वह खेल जगत के खिलाड़ी हो, या इस पूरे देश के राजा-महाराजा हो, या संपूर्ण पृथ्वी का शासक क्यों न हो। इस मृत मंडल की कोई भी खुशी, कोई भी सुख स्थाई नहीं है। यह लोक नाशवान है, यहां का जीव नाशवान है, तो यहां का सुख, यहां की खुशियां स्थाई कैसे हो सकती है। यह मानव जीवों की सबसे बड़ी भूल हे, जो इस झूठे सुख को वास्तविक सुख मान बैंठे हैं।
कबीर साहेब जी कहते हैं कि
इस झूठे सुख को सुख कहे, यह मान रहा मनमोद।
यह काल जाल का सकल छबीना, कुछ मुख में कुछ गोद।।
कहाँ मिलेगी हमे वास्तविक खुशी?
जिस प्रकार खेल में जीत हासिल करने के लिए फाउल पॉइंट को ध्यान में रखकर जीत प्राप्त कर ली जाती हैं। उसी प्रकार भक्ति मार्ग में मर्यादा में रहकर सत भक्ति करने से वास्तविक खुशी प्राप्त कर ली जाती है। अर्थात् हमे पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो जाता हैं जिसे ईश्वरीय प्राप्ति कहते हैं। यह संसार तो दुखों का घर है इससे भिन्न एक और संसार हैं जहां कोई दुख नहीं है वह स्थान सनातन परमधाम सत्यलोक हैं तथा वहां का प्रभु अविनाशी परमेश्वर है जो सुखों का सागर है। जिसके विषय में संत गरीबदस जी महाराज बताते हैं कि –
शंखों लहर मेहर की ऊपजैं, कहर नहीं जहाँ कोई।
दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।
तत्वदर्शी संत कराते हैं उस वास्तविक स्थान का बोध
मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य सतभक्ति करके परम स्थान सतलोक प्राप्त करना है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में स्पष्ट किया है कि हे अर्जुन ! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा। आज वर्तमान में उस परमात्म तत्व का बोध कराने वाले पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी है जो सभी धर्मों के वेद शास्त्रों के आधार पर शास्त्र अनुकूल भक्ति प्रदान कर रहे हैं जिनकी कृपा से ही हमे स्थाई लोक और स्थाई सुख की उपलब्धि होगी। जिसके बाद और किसी वस्तु को प्राप्त करने की कामना शेष नही रह जाती। आप अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु संत रामपाल जी महाराज एप्प प्ले स्टोर से डाउनलोड करें।