September 16, 2025

Strong Solar Storm: धरती से टकराया शक्तिशाली सौर तूफान, आसमान में कुछ ऐसा दिखा नज़ारा

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Strong Solar Storm in Hindi: लगभग 20 वर्षों के बाद दुनिया का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान 10 मई दिन शुक्रवार को धरती से टकराया है। सौर तूफान के कारण दुनिया के कई जगहों पर ऑरोरा बोरेलिस जैसी घटनाएं देखने को मिली। इस सौर तूफान को लेकर NOAA ने चेतवानी जारी की कि आने वाले दिनों में कोरोनल मास इजेक्शन के पृथ्वी से टकराने की संभावनाएं है, जिससे संचार, इंटरनेट तथा जीपीएस के बाधित होने की आशंका बताई जा रही।

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सौर तूफान आने का कारण सूर्य से निकलने वाला कोरोनल मास इजेक्शन है। कोरोनल मास इजेक्शन के दौरान सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स धरती की मैग्नेटिक फील्ड में एंट्री करते हैं। पार्टिकल्स के धरती पर एंट्री करने के बाद एक रिएक्शन होता है जिसके कारण पार्टिकल्स चमकदार रंग-बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं सोलर फ्लेयर, सूर्य के वातावरण में एक बड़ा विस्फोट होता है, जो मैग्नेटिक फील्ड के रिऑर्गनाइज होने या उसे क्रॉस करने के कारण होता है। कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य से बड़े पैमाने पर प्लाज़्मा के फटने और कभी-कभी सौर फ्लेयर्स से जुड़ा होता है। सौर तूफान संचार, विद्युत पावर ग्रिड, नेविगेशन, रेडियो और उपग्रह संचालन को बाधित कर सकते हैं। ये रेडिएशन धरती के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं। 

ISRO के अनुसार सूरज की साईकल 11 साल की होती है और हर 11 साल में एक बार ये रेडिएशन का तूफान यानी सोलर मैक्सिमम आता है। भारतीय वैज्ञानिकों की चेतावनी के अनुसार सोलर स्टॉर्म जनवरी 2024 में आ सकता था।

ये तूफान दिखने में अद्भुत हैं, लेकिन जब तक हम पृथ्वी की सतह पर रहते हैं, जहां हम पृथ्वी के वायुमंडल के आवरण से सुरक्षित हैं, तब तक ये हमारे मानव शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। पृथ्वी का वायुमंडल और मैग्नेटोस्फीयर हमारे मानव शरीर को सौर ज्वालाओं के प्रभाव से बचाते हैं।

■ यह भी पढ़ें: Aditya L1 Mission [Hindi] | भारत का पहला सूर्य मिशन हुआ लॉन्च, जानिए आदित्य एल-1 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

लेकिन बहुत उच्च ऊर्जा वाले कण, जैसे कि सीएमई द्वारा ले जाए गए कण, मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों के लिए विकिरण विषाक्तता का कारण बन सकते हैं। वे बिना सुरक्षा वाले अंतरिक्ष यात्रियों, मान लीजिए, चंद्रमा या मंगल ग्रह की यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

  • 10 मई, 2024 को धरती से टकराया शक्तिशाली सौर तूफान, आसमान में दिखी ध्रुवीय ज्योति की घटनाएं। सौर तूफान के चलते ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी यूरोप में ध्रुवीय ज्योति (Auroras) की घटनाएं देखने को मिलीं।
  • सूर्य पर आने वाले तूफान से पृथ्वी पर एक प्रकार का तूफान आता है, जिसे भू-चुंबकीय तूफान के नाम से जाना जाता है ।
  • वर्तमान सौर चक्र 25 लगातार सौर ज्वालाओं और सीएमई के साथ काफी सक्रिय रहा, अनुमान के मुताबिक इसने एक अरब टन आवेशित कणों को पृथ्वी की ओर भेजा है।
  • सूर्य और पृथ्वी के अस्तित्व में आने के बाद से, सूर्य पर तूफान अरबों वर्षों से आ रहे हैं।
  • सौर मंडल पर होती रहती हैं इस प्रकार की अनेकों घटनाएं। भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी की सतह पर मानव शरीर के लिए खतरनाक नहीं हैं। लेकिन वे प्रौद्योगिकियों, जैसे पावर ग्रिड, संचार और पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • यह सबसे बड़ा G5 श्रेणी का तूफान दर्ज किया गया है। जिसकी अरोरा , या उत्तरी रोशनी, दुनिया के कई हिस्सों में देखी गई। पूरे यूरोप और उत्तरी अमेरिका में टेलीग्राफ प्रणालियाँ विफल हो गईं।
  • सौर तूफानों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि सौर ज्वालाओं की आवृत्ति 11 साल के सौर चक्र का अनुसरण करती प्रतीत होती है। 
  • तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया सृष्टि रचना का रहस्य।

हाल ही में बीते शुक्रवार 10 मई, 2024 को शक्तिशाली सौर तूफान जिन्हें भू चुंबकीय तूफान भी कहा जाता है, धरती से टकराया है। सूर्य में जब विस्फोट होता है तब कोरोनल मास इजेक्शन के कारण धरती पर सौर तूफान आता है।

इस खगोलीय घटना की वजह से तस्मानिया से ब्रिटेन तक आसमान में बिजली कड़की। सौर तूफान के चलते आसमान में ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा बोरेलिस) की घटनाएं देखने को मिले, जिससे उत्तरी दक्षिणी भागों में रोशनी कहा जाता है। बताया जा रहा कि इस तूफान का असर सप्ताह के अंत तक देखने को मिलेगा। लद्दाख से फ्लोरिडा के कई शहरों में ऑरोरा की रंग बिरंगी घटनाएं देखने को मिलीं। 

National Oceanic and Atmospheric Administration (NOAA) ने इस सौर तूफान को लेकर चेतवानी जारी की है कि आने वाले कुछ दिनों में कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के पृथ्वी से टकराने की आशंका है। इसकी वजह से सैटेलाइट्स के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। साथ ही पावर ग्रिड, कम्यूनिकेशन नेटवर्क और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि यह मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं हैं किन्तु इलेक्ट्रोनिक उपकरणों को प्रभावित कर सकता है।

NOAA के अंतरिक्ष मौसम अनुमान केंद्र के अनुसार, सूर्य के कोरोना से प्लाज़्मा और चुंबकीय क्षेत्र का बड़ा विस्फोट हुआ जो कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहलाता है। यह सूर्य से अरबों टन कोरोनल सामग्री को अंतरिक्ष में फेंकता है। इनसे जो विकिरणें निकलती है उसे धरती पर आने के लिए 5 से 6 दिनों का समय लगता है। इसी की वजह से धरती पर सौर तूफान देखने को मिल रहा है। पृथ्वी सूर्य से 93 मिलियन दूरी पर है आमतौर पर यह दूरी सूर्य से निकलने वाली विकिरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है।”

इजेक्शन (CME) के दौरान सूर्य से आने वाले कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। इन कणों के प्रवेश करने के बाद नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन के रिएक्शन से ये रंग बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं। जिसे ऑरोरा बोरेलिस, नॉर्दर्न लाइट्स या ध्रुवीय ज्योति कहा जाता है।

G स्केल, यूएस NOAA द्वारा तूफान को रेट करता है। इस स्केल में G1, G2, G3,  G4, G5 क्रम रखा गया है। G1 जिसे कमजोर तथा बढ़ते क्रम G5 जो कि गंभीर सौर तूफान अर्थात भू चुंबकीय तूफान को प्रदर्शित करता है। 

10 मई को आए सौर तूफान को 20 दशकों में सबसे शक्तिशाली सौर तूफान माना जा रहा है। अक्टूबर 2003 में हैलोवीन तूफान आया था। जिसे G5 रेटिंग दिया गया था इस तूफान की वजह से स्वीडन में ब्लैकआउट हुआ था और तूफान के कारण दक्षिण अफ्रीका में ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त पड़ गए थे। सन् 1859 में “कैरिंगटन इवेंट” नाम का सौर तूफान धरती से टकराया था, जिसे अब तक का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान बताया जाता है। इस तूफान की वजह से कई टेलीग्राफ लाइनों में आग लग गई थी।

1859 में आए कैरिंगटन इवेंट तूफान, जो अब तक का सबसे बड़ा तूफान माना जाता है, हाल ही में आए तूफान से मुकाबला कर सकता है। 

Strong Solar Storm से दुनियाभर में खतरा मंडराने लगा है, बताया जा रहा कि इससे संचार और इंटरनेट सेवाएं बाधित हो सकती हैं, सौर तूफान कुछ उपग्रहों को नुकसान अथवा क्षतिग्रस्त कर सकता है, जीपीएस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है इसके अलावा बिजली लाइनों में करंट उत्पन्न कर ट्रांसफॉर्मरों में ओवरलोडिंग कर सकता है। नासा ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सवार चालक के लिए कोई खतरा नहीं है।

सौर मंडल में होने वाली खगोलीय घटनाएं असामान्य सी लगती है किंतु यह प्रथम बार नहीं है इसके पहले भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं तथा होती रहती हैं। शिक्षा एवं तकनीकी दुनिया के अभाव के कारण पहले इस प्रकार की घटनाओं को दैवीय चमत्कार की दृष्टि से देखा जाता था। बता दें कि हमारा ब्रह्मांड इतना बड़ा है जिसे मानव द्वारा निर्मित यंत्रों से इसमें होनी वाली सभी घटनाओं को अध्ययन करना असम्भव है।

संत रामपाल जी महाराज जी ने पवित्र सभी धर्मों के सद्ग्रंथों को सामने रखकर सृष्टि की रचना बताई है, जिसमें उन्होंने इसके अलावा अन्य ब्रह्मांण्डों तथा एक ब्रह्मांण्ड में उपस्थित लोकों के स्थान का भेद विस्तारपूर्वक खोला है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी की रचना सर्वशक्तिमान ईश्वर ने छ: दिनों में की और चारों युगों में कितने दिन और वर्ष होते हैं। पृथ्वी पर प्रलय कब-कब आती है और इसकी उत्पत्ति दोबारा कैसे होती है।

इस पृथ्वी लोक का राजा काल है जो यहां हो रही सभी घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार है। परमात्मा ने छ: दिन में इस सृष्टि की रचना की थी जिसे कोई वैज्ञानिक तो नहीं परंतु तत्वज्ञान ही स्पष्टता से बता सका है। पृथ्वी से लेकर सतलोक तक की जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करके वीडियो सत्संग देखें।

संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि अध्यात्म से विज्ञान की तुलना नहीं की जा सकती। अधिक जानकारी के लिए आप Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel को Subscribe करें।

प्रश्न: भू चुंबकीय तूफान के स्तर का मापन किस स्केल से किया जाता है?

उत्तर: G स्केल।

प्रश्न: दुनिया का सबसे बड़ा सौर तूफान कौन सा है?

उत्तर: 1859 में आया सौर तूफान कैरिंगटन इवेंट।

प्रश्न: 2003 में आए सौर तूफान का नाम क्या है?

उत्तर: हैलोवीन तूफान।

प्रश्न: कोरोनल मास इजेक्शन किसे कहते है?

उत्तर: सूर्य के कोरोना से प्लाज़्मा और चुंबकीय क्षेत्र का बड़ा विस्फोट होता है, सूर्य कोरोनल सामग्री को बाहर फेंकता है जो कोरोनल मास इजेक्शन कहलाता है।

प्रश्न: सूर्य से पृथ्वी की दूरी कितनी है?

उत्तर: 93 मिलियन।

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