August 4, 2025

झारखंड के जननायक शिबू सोरेन का निधन: एक युग का अंत

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Shibu Soren Passes Away: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और आदिवासी नेता शिबू सोरेन का निधन सोमवार, 4 अगस्त 2025 की सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हो गया। उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर इस दुखद हादसे की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने कहा, “आज मैं शून्य हो गया हूँ”  । वे पूर्व में तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके थे और लगभग चार दशक तक JMM के नेतृत्व में अग्रणी भूमिका निभाई  ।

स्वास्थ्य और अंतिम समय

81 वर्ष की उम्र वाले शिबू सोरेन पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से अस्वस्थ थे। जून 2025 में उन्हें किडनी की गंभीर समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया, और वे लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहे  । उनका निधन 8:56 AM पर हुआ, वे डायबिटीज, हृदय एवं किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे  ।

आदिवासी नेता से जननायक तक

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़, बिहार (अब झारखंड) में एक संथाल कबीले में हुआ था। उन्होंने युवावस्था में ही आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष शुरू किया और 1972 में Jharkhand Mukti Morcha की स्थापना की । उनके नेतृत्व में ‘धनकटी आंदोलन’ हुआ, जिसने महाजनी प्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाकर कानून में बदलाव की दिशा में दबाव बनाया  ।

राजनीति एवं पदवी जीवन

शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा सांसद चुनें गए और दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने—2005 (कुछ दिनों के लिए), 2008–09, और 2009–10—हालांकि किसी भी कार्यकाल को पूर्ण नहीं कर पाए, भ्रष्टाचार और दल-बदल की राजनीति के चलते  ।

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वे केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रहे, हालांकि 2006  में निजी सचिव की हत्या के मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें पद छोड़ना पड़ा। बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया  ।

विवाद और मुकदमे

1975 के चिरुदिह हत्याकांड में उनकी भूमिका को लेकर आरोप लगे, लेकिन उन्हें बाद में अदालत ने दोषमुक्त कर दिया  । 1994 की हत्या के मामले में जीवन-पर्यंत की सजा मिलने के बाद उच्च न्यायालय ने साल 2007 में निर्णय रद्द किया । यह भारत के इतिहास में पहला मामला था जहाँ एक केंद्रीय मंत्री को हत्या का दोषी ठहराया गया था।

राजनीतिक व पारिवारिक विरासत

शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत JMM से जुड़ी रही। अप्रैल 2025 में उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़कर अपने बेटे हेमंत सोरेन को JMM का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और खुद संस्थापक संरक्षक बने।

उनके परिवार में बेटों— हेमंत सोरेन, वर्तमान मुख्यमंत्री; बांसंत सोरेन, विधायक; और बेटी अंजलि सोरेन शामिल हैं। परिवार की राजनीति आज भी झारखंड में प्रबल है  ।

संवेदना और प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता के निधन पर गहरी संवेदना जताई, कहा—“आज मैं बिल्कुल खाली हो गया हूँ”  । 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदना प्रकट करते हुए लिखाः “वह आदिवासी समुदायों, गरीब और दलितों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित नेता थे”  ।

राज्य और केन्द्र स्तर पर नेताओं द्वारा उन्हें महान जननेता, आदिवासी अधिकारों के पुरोधा, और राजनीति में विकल्प के रूप में याद किया जा रहा है। उनकी मृत्यु झारखंड राजनीति में एक युग के अंत का प्रतीक है  ।

क्या शिबू सोरेन ने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य पाया?

शिबू सोरेन ने एक महान संघर्षशील जीवन जिया— आदिवासी समाज की आवाज बने, झारखंड राज्य के निर्माण में भूमिका निभाई, और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बने। 

लेकिन जब हम भगवद गीता के ज्ञान की ओर देखते हैं, तो वहां स्पष्ट कहा गया है कि मानव जन्म का सबसे बड़ा उद्देश्य केवल समाज सेवा या राजनीतिक उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि मोक्ष प्राप्त करना है। गीता अध्याय 8 श्लोक 5 से 7 और अध्याय 17 श्लोक 23 में बताया गया है कि मोक्ष केवल एक परम तत्वज्ञानी संत से दीक्षा लेकर, सही मंत्रों और विधि से सतभक्ति करने पर ही संभव है। 

यदि शिबू सोरेन ने यह सतज्ञान प्राप्त कर लिया था, तो निःसंदेह उन्होंने मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य पा लिया होगा। अन्यथा उनकी सारी उपलब्धियाँ इस नश्वर शरीर के साथ यहीं रह जाएँगी, और आत्मा फिर जन्म-मरण के चक्र में फँसी रह जाएगी।

निष्कर्ष

शिबू सोरेन का 81 वर्षीय जीवन संघर्ष, आदिवासी अधिकारों की लड़ाई और राजनैतिक परिवर्तन का प्रतीक रहा। एक किसान परिवार से मुंबई तक की राजनीति यात्रा ने उन्हें ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि दिलाई। हालांकि उनका राजनीतिक जीवन विवादों से भी परिपूर्ण रहा, लेकिन आदिवासी वर्ग और ग्रामीण समुदायों के बीच उनकी पकड़ अटूट रही। उनका निधन न सिर्फ झारखंड बल्कि भारतीय राजनीति में आदिवासी नेतृत्व की मिसाल के अंत की घंटी है।

उनकी विरासत अब हेमंत सोरेन और JMM के बैनर तले जारी है, जो आदिवासी राज्य की स्थापना और आज़ादी से जुड़ी मूल मूल्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है।

FAQs: झारखंड के जननायक शिबू सोरेन का निधन

प्र. 1: शिबू सोरेन कौन थे?

उत्तर: शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके एक वरिष्ठ आदिवासी नेता थे।

प्र. 2: शिबू सोरेन का निधन कब और कहां हुआ?

उत्तर: शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ।

प्र. 3: शिबू सोरेन को दिशोम गुरु क्यों कहा जाता था?

उत्तर: आदिवासी समाज में उन्हें ‘दिशोम गुरु’ यानी ‘जनजातीयों के नेता’ की उपाधि दी गई थी, क्योंकि उन्होंने आदिवासी अधिकारों की आवाज़ बुलंद की थी।

प्र. 4: उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन हैं?

उत्तर: उनके बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं और हाल ही में उन्हें JMM का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया है।

प्र. 5: शिबू सोरेन की मुख्य उपलब्धियां क्या थीं?

उत्तर: उन्होंने महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन, झारखंड राज्य की स्थापना में भूमिका, और आदिवासी अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। वे कोयला मंत्री और सांसद भी रहे।

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