November 19, 2024

Shattila Ekadashi 2021: षटतिला एकादशी पर जानिए कैसे होगी पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति?

Published on

spot_img

Shattila Ekadashi 2021: माघ मास की पहली एकादशी का व्रत 7 फरवरी 2021 रविवार को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और तिल के दान का बहुत अधिक महत्व है। केवल और केवल कबीर परमेश्वर ही पूजा के योग्य हैं और स्वर्ग, नरक से उत्तम स्थान सतलोक तथा मोक्ष की प्राप्ति भी इनकी ही साधना और भक्ति करने से संभव है।

Shattila Ekadashi 2021 (षटतिला एकादशी)

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु (God Vishnu) को समर्पित है। माना जाता है कि एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने वाले को सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। हर महीने में 2 बार एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) आता है और इस तरह से एक साल में 24 एकादशी होती हैं। माघ महीने (Magh Month) की पहली एकादशी जो कृष्ण पक्ष में आती है उसे षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) कहते हैं।

षटतिला यानी छ: प्रकार के तिल

मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2021) पर तिलों का छः प्रकार से प्रयोग करने से पापों का नाश होता है। इस दिन स्नान, उबटन, सेवन, तर्पण, दान और हवन इन छः तरीकों में तिल का प्रयोग करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कहते हैं जो लोग व्रत नहीं कर सकते हैं, उन्हें एकादशी पर अधिक से अधिक तिल का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन यह सभी साधनाएं हमारे शास्त्र विरुद्ध होने से अनुपयोगी है।

पारण विधि क्या है?

पारण एकादशी के व्रत को समाप्त करने को कहा जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद ‘पारण’ किया जाता है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान करने और पूजा के पश्चात भोजन बनाकर किसी ब्राह्मण या फिर जरूरतमंद व्यक्ति को खिलाते तथा दान-दक्षिणा देकर उन्हें विदा करते हैं। लेकिन यह सब व्यर्थ की साधना है, क्योंकि इनका प्रमाण हमारे शास्त्रों में नही है.

कौन है पूर्ण विष्णु तथा क्या है विष्णु का अर्थ?

परमेश्वर कबीर साहिब जी को ही वेदों में विष्णु कहा गया है, वेदों में बताया गया है कि पूर्ण परमात्मा सभी का धारण पोषण करते हैं, और विष्णु का अर्थ है धारण पोषण करने वाला, वह कोई और नहीं पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी हैं।

पंचांग के अनुसार एकादशी (Shattila Ekadashi 2021) का मुहूर्त

कृपया ध्यान दें कि पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी द्वारा बनाया हुआ हर पल सतभक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि मनुष्य के जीवन की उपयोगिता केवल सतभक्ति करने से ही सार्थक होगी। एकल परमेश्वर कबीर साहेब जी कहते हैं सतभक्ति करने वालों के लिए हर पल शुभ मुहूर्त है। मूलज्ञान अर्थात तत्वज्ञान के अनुसार तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर ही दान धर्म करने से लाभ मिलता है।

■ Also Read: Yogini Ekadashi 2020: क्या योगिनी एकादशी पर व्रत करना सही है? 

एकादशी, व्रत, दान (कुपात्र को) लोकवेद, तथा ब्राह्मण पूजाएं यह सब लोक वेद अर्थात आधारहीन भक्ति, विधि के कारण फैला है। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी की आराधना की जाती है तो मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं हमारे पितरों का भी उद्धार होता है और मोक्ष भी प्राप्त होता है।

अन्य देवताओं (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिवजी) की पूजा अनजान ही करते हैं

गीता अध्याय 7 के श्लोक 20 तथा अध्याय 7 के श्लोक 15 में कहा है कि जो त्रिगुण माया (जो रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी की पूजा तक सीमित हैं तथा इन्हीं से प्राप्त क्षणिक सुख) के द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है ऐसे असुर स्वभाव को धारण किए हुए नीच व्यक्ति दुष्कर्म करने वाले मूर्ख मुझे नहीं भजते। अध्याय 7 के श्लोक 20 में उन-उन भोगों की कामना के कारण जिनका ज्ञान हरा जा चुका है वे अपने स्वभाववश प्रेरित हो कर अज्ञान अंधकार वाले नियम के आश्रित अन्य देवताओं को पूजते हैं। अध्याय 7 के श्लोक 21 में कहा है कि जो-जो भक्त जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूँ।

Shattila Ekadashi 2021: देवताओं की पूजा करना व्यर्थ

अध्याय 7 के श्लोक 22 में कहा है कि वह जिस श्रद्धा से युक्त हो कर जिस देवता का पूजन करता है वह उस देवता से मेरे द्वारा ही विधान किए हुए कुछ इच्छित भोगों को प्राप्त करते हैं। जैसे मुख्यमंत्री कहे कि नीचे के अधिकारी मेरे ही नौकर हैं। मैंनें उनको कुछ अधिकार दे रखे हैं जो उनके (अधिकारियों के) ही आश्रित हैं वह लाभ भी मेरे द्वारा ही दिया जाता है, परंतु पूर्ण लाभ नहीं है। अध्याय 7 के श्लोक 23 में वर्णन है कि परंतु उन मंद बुद्धि वालों का वह फल नाशवान होता है। देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं। मतावलम्बी जो वेदों में वर्णित भक्ति विधि अनुसार भक्ति करने वाले भक्त भी मुझको प्राप्त होते हैं अर्थात् काल के जाल से कोई बाहर नहीं है।

गीता अध्याय 7 के श्लोक 20 से 23 में कहा है कि वे जो भी साधना किसी भी पितर, भूत, देवी-देवता आदि की पूजा स्वभाव वश करते हैं। मैं (ब्रह्म-काल) ही उन मन्द बुद्धि लोगों (भक्तों) को उसी देवता के प्रति आसक्त करता हूँ। वे नादान साधक देवताओं से जो लाभ पाते हैं मैंने (काल ने) ही देवताओं को कुछ शक्ति दे रखी है। उसी के आधार पर उनके (देवताओं के) पुजारी देवताओं को प्राप्त हो जाएंगे।

परंतु उन बुद्धिहीन साधकों की वह पूजा चौरासी लाख योनियों में शीघ्र ले जाने वाली है तथा जो मुझे (काल को) भजते हैं वे तप्तशिला पर और फिर मेरे महास्वर्ग (ब्रह्म लोक) में चले जाते हैं और उसके बाद जन्म-मरण में ही रहेंगे, मोक्ष प्राप्त नहीं होगा। भावार्थ है कि देवी-देवताओं व ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा माता से भगवान ब्रह्म की साधना अधिक लाभदायक है। भले ही महास्वर्ग में गए साधक का स्वर्ग समय एक महाकल्प तक भी हो सकता है, परन्तु महास्वर्ग में शुभ कर्मों का सुख भोगकर फिर नरक तथा अन्य प्राणियों के शरीर में भी कष्ट बना रहेगा, पूर्ण मोक्ष नहीं अर्थात् काल जाल से मुक्ति नहीं।

बिना मोक्ष के सब व्यर्थ है

किसी भी प्रकार का सुख, समृद्धि- ख्याति, सब व्यर्थ है अगर, पूर्ण मोक्ष ( जन्म और मृत्यु के चक्कर से हमेशा के लिए मुक्ति) की प्राप्ति नहीं हुई क्योंकि कुछ समय पश्चात पुण्य समाप्त होने पर फिर से, स्वर्ग तथा नरक आदि लोकों से वापस आकर पृथ्वी पर 84 लाख योनियों में अनगिनत महाकष्ट उठाने पड़ेंगे इसलिए पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति के लिए हमें तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर जी की सतभक्ति करनी चाहिए। मोक्ष, अर्थात जन्म मृत्यु से मुक्ति, सिर्फ पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति से ही मिलती है। विचार कीजिए तिल जो एक खाद्य पदार्थ है का उपयोग भांति भांति के व्यंजनों में प्रयोग किया जाता है। भ्रमित ज्ञान पर टिकी पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिल सकता। लाभ केवल पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी की भक्ति विधि से ही संभव है।

Latest articles

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: दिव्य धर्म यज्ञ हुआ संपन्न, सतलोक आश्रमों में हुए भव्य कार्यक्रम 

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित तीन...

God is One, Still Many Religions: The Untold Reality 

This question must have bothered you sometimes: if there is only one God, then...

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे पाएँ सद्भक्ति और सुख समृद्धि

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास (Kartik Month) की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा...

International Men’s Day 2024: Empowering Men’s Health And Wellness

Last Updated on 13 November 2024 IST: International Men's Day 2024 falls annually on...
spot_img
spot_img

More like this

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: दिव्य धर्म यज्ञ हुआ संपन्न, सतलोक आश्रमों में हुए भव्य कार्यक्रम 

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित तीन...

God is One, Still Many Religions: The Untold Reality 

This question must have bothered you sometimes: if there is only one God, then...

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे पाएँ सद्भक्ति और सुख समृद्धि

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास (Kartik Month) की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा...