हरियाणा के हिसार जिले के शाहपुर गाँव में हाल ही में आई विकराल बाढ़ ने किसानों के समक्ष एक अभूतपूर्व संकट खड़ा कर दिया था। यह गाँव तीन तरफ से जलभराव के ‘चक्रव्यूह’ में फँस चुका था, जहाँ खेतों में 4 से 6 फुट गहरा पानी भर गया था, जिससे अगली फसल (गेहूँ) की उम्मीद लगभग दम तोड़ चुकी थी। ऐसे निराशाजनक माहौल में, शाहपुर की ग्राम पंचायत ने सरपंच जी के नेतृत्व में अपनी आखिरी उम्मीद लेकर जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज से सहायता की गुहार लगाई। उन्होंने बरवाला जाकर एक प्रार्थना पत्र दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें माँग से भी अधिक, तत्काल और स्थायी राहत सामग्री प्राप्त हुई।
यह सहायता संत रामपाल जी महाराज की राष्ट्रव्यापी ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ के तहत प्रदान की गई, जो संकटग्रस्त मानव समाज के लिए एक बड़ा सहारा बनकर उभरी है।
आपदा का भयंकर चक्रव्यूह: जीवन और आजीविका पर संकट
शाहपुर गाँव में जलभराव की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। अत्यधिक पानी के कारण गाँव के खेत एक विशाल तालाब में बदल गए थे, जिससे न केवल मौजूदा फसलें बर्बाद हो गईं, बल्कि भविष्य की फसल बिजाई पर भी अनिश्चितता का संकट छा गया। सरपंच जी ने बताया कि जलभराव की समस्या गाँव के तीन किनारों पर विकराल रूप ले चुकी थी, जिसका मुख्य कारण नहरों का पानी और सेम (जलजमाव) था।
यह संकट केवल फसलों तक सीमित नहीं था; घरों में पानी भर गया था, मवेशियों के लिए चारा समाप्त हो गया था, यहाँ तक कि डिस्पेंसरियाँ और स्कूल भी जलमग्न होने के कारण बंद थे। यह 36 बिरादरी के जान-माल और भविष्य के अस्तित्व का सवाल बन गया था।
स्थानीय प्रशासन और अन्य महकमों से मदद न मिलने के बाद, पूरी पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाने का निर्णय लिया।
बरवाला में अरदास और दो दिन में तत्काल सहायता
संकट की घड़ी में, शाहपुर गाँव के सरपंच के नेतृत्व में ग्राम पंचायत ने अपनी अंतिम आशा के साथ बरवाला स्थित आश्रम जाकर संत रामपाल जी महाराज को एक प्रार्थना पत्र दिया। इस पत्र में गाँव से पानी निकालने के लिए तीन बड़ी 20 हॉर्स पावर (HP) की मोटरें और 200 फुट पाइप की आवश्यकता बताई गई थी। पंचायत को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी सहायता मिलेगी।

उनकी अर्जी पर तुरंत कार्रवाई हुई, जो उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा था। महज दो से चार दिनों के भीतर, संत रामपाल जी महाराज का आदेश मिलते ही उनके सेवादारों का एक विशाल काफिला राहत सामग्री लेकर शाहपुर गाँव पहुँच गया। पंचायत के सदस्यों ने इस त्वरित कार्रवाई को किसी चमत्कार से कम नहीं माना।
बाढ़ पीड़ित गाँवों में राहत सेवा की सूची बहुत लंबी है। संत रामपाल जी महाराज जी का स्पष्ट आदेश है कि हमें लोक दिखावा नहीं करना, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करके दिखाना है। अब तक 200 से अधिक गाँवों में सेवा पूरी हो चुकी है और यह सेवा लगातार जारी रहेगी।
माँग से अधिक मिला सामान: एक स्थायी ‘वरदान’
संत रामपाल जी महाराज की ओर से प्रदान की गई राहत सामग्री न केवल गाँव की माँग के अनुरूप थी, बल्कि उन्होंने दरियादिली दिखाते हुए माँग से अधिक और बेहतर गुणवत्ता का सामान भेजा। इस राहत सामग्री में निम्नलिखित उपकरण शामिल थे:
- तीन 20 हॉर्स पावर (HP) की बड़ी मोटरें
- 200 फुट 8 इंच के उच्च गुणवत्ता वाले पाइप
- तीन स्टार्टर
- केबल
- कंप्लीट वाल्व सेट (वाल, पैड)
- सुंडियाँ
- नेट-बोल्ट और अन्य सभी छोटे-बड़े आवश्यक उपकरण (जैसे स्लोचन)

सेवादारों ने गाँव वालों को सूचित किया कि यह मोटर और पाइप उनके लिए एक ‘वरदान सिद्ध होगी’ और यह एक स्थायी समाधान है। इसे गाँव की जमीन में दबाकर रखना है ताकि भविष्य में अत्यधिक बारिश होने पर भी जल निकासी तुरंत शुरू की जा सके, जिससे बाढ़ की समस्या का स्थायी रूप से निवारण हो सके।
गुरुदेव का सख्त आदेश और अन्नपूर्णा मुहिम की पारदर्शिता
राहत सामग्री सौंपते समय, संत रामपाल जी महाराज की ओर से गाँव पंचायत को एक ‘विशेष निवेदन पत्र’ व ‘सख्त आदेश’ भी दिया गया। इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ग्रामवासियों को एकजुट होकर जल्द से जल्द पानी की निकासी करनी होगी ताकि निर्धारित समय पर गेहूँ की बिजाई हो सके। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं और फसल की बिजाई नहीं हो पाती, तो भविष्य में उनके ट्रस्ट द्वारा इस प्रकार की आपदा में कोई सहायता नहीं दी जाएगी।
यह शर्त दान में मिले धन के सही उपयोग की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रखी गई है। संत रामपाल जी महाराज ने अपने सेवादारों को गाँव की स्थिति का दस्तावेजीकरण करने का आदेश दिया है:
- पहली वीडियो: पानी भरे होने की स्थिति में ड्रोन से बनाई जाएगी।
- दूसरी वीडियो: पानी निकलने के तुरंत बाद बनाई जाएगी।
- तीसरी वीडियो: गाँव में फसल (वचन लहर) आने पर बनाई जाएगी।
इन तीनों वीडियो को प्रत्यक्ष समागमों में आश्रमों में प्रोजेक्टर पर चलाकर दिखाया जाएगा, ताकि संगत को विश्वास हो कि उनके दान का कोई दुरुपयोग नहीं होता और उनके पैसे से 200 से अधिक बाढ़ पीड़ित गाँवों को जीवनदान मिला है।
निष्कर्ष: किसानों के मसीहा और परमार्थ का सर्वोच्च उदाहरण
पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि संत रामपाल जी महाराज न केवल स्वयं एक किसान परिवार से हैं, बल्कि वे किसानों और 36 बिरादरी के दर्द को समझते हैं। उनकी यह सेवा, ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ के तहत, किसानों की मदद करके पुण्य का सबसे बड़ा काम है।
ग्रामवासियों ने भावुकता से उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि सरकार से गुहार लगाने के बावजूद उन्हें कोई मदद नहीं मिली, लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने मात्र चार दिन में ही उनकी उम्मीदों को फिर से जगा दिया।
जहाँ एक ओर लाखों रुपए फीस लेने वाले कथावाचक दान का पैसा हजम कर जाते हैं, वहीं संत रामपाल जी महाराज दान की एक-एक पाई को निस्वार्थ भाव से केवल जन सेवा और परमार्थ में लगाते हैं। उनके परमार्थ के कार्य से लाखों लोगों की जिंदगी संवर रही है, और उन्होंने समाज के सामने यह संदेश दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं में धार्मिक संस्थाओं को भी इसी तरह आगे आना चाहिए। शाहपुर गाँव के लिए यह सहायता सिर्फ पानी निकालने का साधन नहीं, बल्कि उनके सूखे हुए दिलों में उम्मीद की फसल उगाने का बीज है।

 
                                    
